27 Aug 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण के संदर्भ में जवाबदेही को परिभाषित कीजिये।
- जवाबदेही सुनिश्चित करने में आने वाली चुनौतियों का उल्लेख कीजिये।
- अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण में जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये तंत्र का सुझाव दीजिये।
- उचित निष्कर्ष लिखिये।
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परिचय:
अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण में जवाबदेही का आशय संगठनों, संस्थानों या संस्थाओं का प्राप्त धन के उपयोग के प्रति उत्तरदायित्व से है। पारदर्शिता, सत्यनिष्ठा और प्रभावी संसाधन उपयोग को बढ़ावा देने के लिये जवाबदेही सुनिश्चित करना आवश्यक है। इसके लिये न केवल बेहतर तंत्र लागू करना आवश्यक है बल्कि चुनौतियों वाले परिदृश्य के बीच नैतिक सिद्धांतों के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता बनाए रखना भी आवश्यक है।
मुख्य भाग:
जवाबदेही सुनिश्चित करने में चुनौतियाँ
- विविध कानूनी प्रणालियाँ: विभिन्न देशों में कानूनी प्रवर्तन और राजनीतिक इच्छाशक्ति के स्तर अलग-अलग हैं, जिससे समान जवाबदेही मानकों को स्थापित करना कठिन हो जाता है।
- उदाहरण के लिये, ग्रीन क्लाइमेट फंड (GCF) में विभिन्न हितधारक शामिल हैं, जिनमें दानकर्ता देश, विकासशील देश और निजी क्षेत्र की संस्थाएँ शामिल हैं। इन हितों को संतुलित करते हुए यह सुनिश्चित करना चुनौतीपूर्ण है कि निधियों का उपयोग उनके इच्छित उद्देश्य के लिये किया जाए।
- भ्रष्टाचार और कुप्रबंधन: कुछ क्षेत्रों में भ्रष्टाचार और धन का कुप्रबंधन व्याप्त है, जिसके कारण संसाधनों का गलत आवंटन होता है और दाता देशों और संस्थाओं का विश्वास कमज़ोर होता है।
- अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) द्वारा प्रबंधित अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोषों में सहायता प्राप्त करने वाले देशों में अक्सर विनियामक और वित्तीय निगरानी के विभिन्न स्तर होते हैं। यह भिन्नता जवाबदेही में अंतर कर सकती है, जैसा कि कुछ मामलों में देखा गया है जहाँ IMF ऋण कमज़ोर स्थानीय शासन के कारण डायवर्ट किये गए थे।
- राजनीतिक दबाव: अनुकूलन कोष जैसे जलवायु वित्त तंत्र के समक्ष प्राप्तकर्त्ता देशों में राजनीतिक दबाव जैसी चुनौतियाँ आती हैं जहाँ राजनीतिक प्रभाव या भ्रष्टाचार के कारण धन का पुनः आवंटन या दुरुपयोग हो सकता है, जैसा कि कुछ विकासशील देशों में देखा गया है।
- जटिल वित्तपोषण चैनल: एड्स, टीबी और मलेरिया से लड़ने के लिये वैश्विक कोष के तहत सरकारों, गैर-सरकारी संगठनों और अंतर्राष्ट्रीय संगठनों सहित विभिन्न चैनलों के माध्यम से धन वितरित होता है। इन चैनलों की जटिलता ट्रैकिंग और ऑडिटिंग को मुश्किल बना सकती है, जिससे गलत आवंटन या धोखाधड़ी का जोखिम हो सकता है।
- भू-राजनीतिक प्रभाव: अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण का उपयोग कभी-कभी भू-राजनीतिक हितों को आगे बढ़ाने के लिये एक उपकरण के रूप में किया जाता है, जो वित्तपोषण तंत्र की वस्तुनिष्ठता और निष्पक्षता को कमज़ोर कर सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण में जवाबदेही सुनिश्चित करने के तंत्र:
- नैतिक मानकों के प्रति प्रतिबद्धता: खुलेपन और सत्यनिष्ठा सहित नैतिक मानकों को बनाए रखना, अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण में चुनौतियों के समाधान में महत्त्वपूर्ण है।
- इन मानकों के बिना भारत में विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम, 2010 जैसा सबसे मज़बूत कानूनी ढाँचा भी अप्रभावी हो सकता है।
- पारदर्शिता उपाय और रिपोर्टिंग: इसमें सार्वजनिक प्रकटीकरण, स्वतंत्र लेखा परीक्षा और हितधारक भागीदारी जैसे तंत्र महत्त्वपूर्ण हैं।
- ग्रीन क्लाइमेट फंड के तहत नियमित ऑडिट सहित कठोर रिपोर्टिंग ढाँचे को लागू किया गया है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि धन का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए।
- भारत में विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम- अनुपालक संगठनों को वार्षिक रिटर्न दाखिल करने का प्रावधान करता है, जिससे पारदर्शिता बढ़ने के साथ दानदाताओं के विश्वास को बढ़ावा मिलेगा।
- स्थानीय संस्थाओं और शासन को मज़बूत बनाना: स्थानीय संस्थाओं को मज़बूत बनाना, दीर्घकालिक जवाबदेही सुनिश्चित करता है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने प्राप्तकर्त्ता देशों में संस्थागत सुधारों पर ज़ोर दिया है, जो अपने ऋण शर्तों के हिस्से के रूप में शासन एवं वित्तीय निगरानी में सुधार पर ध्यान केंद्रित करता है।
- इसी प्रकार धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 जैसे घरेलू कानून अंतर्राष्ट्रीय सहयोग के साथ मिलकर शासन को मज़बूत करने के साथ ज़िम्मेदार निधि प्रबंधन सुनिश्चित करते हैं।
- समावेशी भागीदारी और नैतिक नेतृत्व: स्थानीय समुदायों, नागरिक समाज और स्वतंत्र निगरानीकर्ताओं को शामिल करने से निगरानी बढ़ने के साथ यह सुनिश्चित होता है कि धन का उपयोग उनके इच्छित उद्देश्यों के लिये किया जाए।
- जलवायु निवेश कोष :जैसी जलवायु वित्त पहल स्थानीय समुदायों को निर्णय लेने में शामिल करके, परियोजनाओं को स्थानीय आवश्यकताओं के अनुरूप बनाकर तथा भ्रष्टाचार के जोखिम को कम करके नैतिक नेतृत्व को बढ़ावा देती है।
- अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और मानक: वित्तीय रिपोर्टिंग और लेखा परीक्षा के लिये अंतर्राष्ट्रीय मानकों को सुसंगत बनाने से विसंगतियाँ कम होती हैं और हितधारकों के बीच सुसंगत जवाबदेही सुनिश्चित होती है।
निष्कर्ष:
अंतर्राष्ट्रीय वित्तपोषण में जवाबदेही के साथ खुलेपन, सत्यनिष्ठा और नैतिक शासन के प्रति अटूट प्रतिबद्धता की आवश्यकता है। विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम, धन शोधन निवारण अधिनियम और आयकर विनियम जैसे भारतीय कानून यह सुनिश्चित करने में सहायक हैं कि विदेशी योगदान की प्रभावी रूप से निगरानी एवं उपयोग किया जाए। पारदर्शिता को बढ़ावा देकर, निगरानी को मज़बूत करके और प्रणालीगत चुनौतियों का समाधान करके, भारत जैसे देश यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए अंतर्राष्ट्रीय निधियों का उपयोग उनके इच्छित लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये किया जाए।