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  • 27 Aug 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    दिवस- 44: सुशासन का तात्पर्य लोगों, ग्रह और समृद्धि के बीच संतुलन से है। चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • सुशासन का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • बताइये कि किस प्रकार से सुशासन का अर्थ लोगों, ग्रह और समृद्धि के बीच संतुलन से है।
    • उचित निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    विश्व बैंक ने सुशासन को "विकास के लिये किसी देश के आर्थिक और सामाजिक संसाधनों के प्रबंधन में सत्ता के प्रयोग करने के तरीके" के रूप में परिभाषित किया है। संयुक्त राष्ट्र के अनुसार सुशासन की आठ प्रमुख विशेषताएँ हैं: सहभागी, आम सहमति, जवाबदेहिता, पारदर्शी, उत्तरदायी, प्रभावी और कुशल, न्यायसंगत तथा समावेशी और यह विधि के शासन पर आधारित होता है।

    सुशासन को एक समग्र अवधारणा के रूप में मान्यता मिल रही है तथा सतत् विकास सुनिश्चित करने के क्रम में लोगों, ग्रह तथा समृद्धि की आवश्यकताओं के बीच संतुलन बनाना आवश्यक है।

    मुख्य भाग:

    लोगों, ग्रह और समृद्धि के बीच संतुलन

    • लोग:
      • सुशासन में समावेशिता, समानता और न्याय को प्राथमिकता दी जाती है। इससे सुनिश्चित होता है कि सभी व्यक्तियों, विशेष रूप से हाशिये पर स्थित समूहों को, बुनियादी सेवाओं, अवसरों और अधिकारों तक पहुँच मिले, जिससे सामाजिक स्थिरता एवं मानवीय गरिमा को बढ़ावा मिल सके।
    • प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY): गृह निर्माण और सुधार हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करके इस योजना द्वारा आवास की कमी को दूर किया जाता है, जिससे जीवन स्थितियों में सुधार के साथ सामाजिक समानता को बढ़ावा मिलता है।
    • महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (MGNREGA): यह ग्रामीण गरीबों के लिये सुरक्षा जाल प्रदान करता है, उनकी आजीविका का समर्थन करता है तथा ग्रामीण-शहरी प्रवास को कम करता है, जिससे सामाजिक स्थिरता के साथ आर्थिक सुरक्षा में योगदान मिलता है।
    • ग्रह:
      • सुशासन द्वारा पर्यावरण संरक्षण को प्रोत्साहन (यह मानते हुए कि दीर्घकालिक समृद्धि ग्रह के स्वास्थ्य पर निर्भर करती है) मिलता है। इसमें जलवायु परिवर्तन का समाधान करने, जैवविविधता की रक्षा करने और प्राकृतिक संसाधनों के सतत् उपयोग को बढ़ावा देने वाली नीतियों को लागू करना शामिल है।
    • मिशन लाइफ (पर्यावरण के लिये जीवनशैली): इसका उद्देश्य पर्यावरण अनुकूल प्रक्रियाओं को रोज़मर्रा की जिंदगी में एकीकृत करके पर्यावरणीय स्थिरता के लिये एक जन-केंद्रित पहल करना है, इस प्रकार इससे जलवायु परिवर्तन के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में योगदान मिलता है।
    • राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP): इसका उद्देश्य शहरी वायु प्रदूषण को कम करना, कणीय पदार्थ को कम करना और लोक स्वास्थ्य में सुधार करना है, जिससे पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता प्रदर्शित होती है।
    • समृद्धि:
      • सुशासन से ज़िम्मेदार आर्थिक नीतियों को बढ़ावा मिलता है जो न केवल समृद्धि को बढ़ावा देती हैं बल्कि यह भी सुनिश्चित करती हैं कि लाभ समान रूप से वितरित हो, जिससे गरीबी और असमानता में कमी आ सके।
        • स्टार्टअप इंडिया तथा डिजिटल इंडिया जैसे प्रोग्राम आर्थिक विकास और नवाचार को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं एवं इनसे सुनिश्चित होता है कि समृद्धि धारणीय व समावेशी प्रक्रियाओं के माध्यम से प्राप्त की जाए।

    लोगों, ग्रह और समृद्धि के बीच संतुलन बनाने में चुनौतियाँ:

    • संसाधन आवंटन में संघर्ष :
      • औद्योगिक विकास को पर्यावरण संरक्षण के साथ संतुलित करने से प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव पड़ सकता है और पर्यावरणीय क्षरण हो सकता है, जिससे हाशिये पर स्थित समुदायों और पारिस्थितिकी स्वास्थ्य दोनों पर असर पड़ सकता है।
    • नीति कार्यान्वयन और दक्षता :
      • कार्यान्वयन में अकुशलता, नौकरशाही विलंब और भ्रष्टाचार से इनकी प्रभावशीलता कमज़ोर होने के साथ सामाजिक समानता तथा आर्थिक सुरक्षा प्रभावित हो सकती है।
    • आर्थिक विकास बनाम पर्यावरणीय स्थिरता :
      • बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं जैसी आर्थिक विकास पहल से अक्सर पर्यावरण संरक्षण लक्ष्यों के साथ टकराव होता है, जिससे समृद्धि को बढ़ावा देते हुए पारिस्थितिक संतुलन बनाए रखने में चुनौतियाँ उत्पन्न होती हैं।
    • सार्वजनिक भागीदारी और तकनीकी असमानताएँ :
      • सार्वजनिक सहभागिता का निम्न स्तर तथा डिजिटल अवसंरचना और प्रौद्योगिकी संसाधनों तक असमान पहुँच, सामाजिक, पर्यावरणीय एवं आर्थिक उद्देश्यों में संतुलन स्थापित करने वाली नीतियों की समावेशिता व प्रभावशीलता में बाधा उत्पन्न कर सकती है।

    निष्कर्ष:

    सुशासन से लोगों, ग्रह और समृद्धि की ज़रूरतों के बीच संतुलन होता है, जो सतत् विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये महत्त्वपूर्ण है। इस संतुलन को बढ़ाने के लिये भारत को सामाजिक सुरक्षा संजाल का विस्तार करना चाहिये, शिक्षा और कौशल को प्रोत्साहित करना चाहिये, जलवायु उपायों को उन्नत करना चाहिये, नवाचार को बढ़ावा देना चाहिये, समावेशी नीतियों को बढ़ावा देना चाहिये और पारदर्शिता तथा सहयोगी शासन में सुधार करना चाहिये।

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