26 Aug 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता की संक्षिप्त परिभाषा से शुरुआत कीजिये।
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता के मुख्य घटकों पर चर्चा कीजिये। प्रशासनिक प्रथाओं में भावनात्मक बुद्धिमत्ता के अनुप्रयोग पर प्रकाश डालिये।
- निष्कर्ष हेतु, प्रशासनिक भूमिकाओं में भावनात्मक बुद्धिमत्ता को शामिल करने के दीर्घकालिक लाभों पर ज़ोर दीजिये।
|
मुख्य भाग:
भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) का तात्पर्य स्वयं और दूसरों की भावनाओं को पहचानने, समझने, प्रबंधित करने तथा प्रभावी ढंग से उपयोग करने की क्षमता से है। यह नेतृत्व और प्रशासन का एक महत्त्वपूर्ण पहलू है क्योंकि यह प्रत्यक्ष रूप से पारस्परिक संबंधों, निर्णय लेने की क्षमता एवं समग्र संगठनात्मक स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
मुख्य भाग:
भावनात्मक बुद्धिमत्ता के मुख्य घटक
- आत्म-जागरूकता: आत्म-जागरूकता में व्यक्ति की अपनी भावनाओं को पहचानना और समझना तथा विचारों एवं व्यवहार पर उनके प्रभाव को शामिल किया जाता है।
- इसमें आत्म-मूल्यांकन, आत्मविश्वास और भावनात्मक जागरूकता शामिल है।
- आत्म-नियमन: आत्म-नियमन से तात्पर्य अपनी भावनाओं को रचनात्मक तरीके से प्रबंधित और अपनी प्रतिक्रियाओं पर नियंत्रण बनाए रखना है।
- इसमें आत्म-नियंत्रण, अनुकूलनशीलता और अखंडता शामिल हैं।
- प्रेरणा: प्रेरणा में ऊर्जा, उत्साह और दृढ़ता के साथ लक्ष्यों को प्राप्त करने की इच्छा शामिल होती है।
- इसमें उपलब्धि प्राप्ति की चाह, प्रतिबद्धता और पहल शामिल हैं।
- सहानुभूति: सहानुभूति दूसरों की भावनाओं को समझने और साझा करने की क्षमता है, जिससे बेहतर पारंपरिक संपर्क तथा समर्थन प्राप्त होता है।
- इसमें संगठनात्मक जागरूकता और सेवा अभिविन्यास जैसे तत्त्व शामिल है।
- सामाजिक कौशल: सामाजिक कौशल में रिश्तों का प्रबंधन और प्रभावी ढंग से नेटवर्क बनाना शामिल है।
- इसमें संचार, संघर्ष प्रबंधन, नेतृत्व और प्रभाव शामिल हैं।
प्रशासनिक कार्यप्रणालियों में भावनात्मक बुद्धिमत्ता का प्रयोग
- टीम के सदस्यों में सुधार:
- टीम के सदस्यों की आवश्यकताओं और भावनाओं को समझने के लिये आत्म-जागरूकता एवं सहानुभूति का उपयोग करना तथा एक सहयोगी और सामंजस्यपूर्ण कार्य वातावरण को बढ़ावा देना।
- भारतीय पुलिस सेवा (IPS) में शामिल होने वाली पहली महिला किरण बेदी ने तिहाड़ जेल में जेल महानिरीक्षक के रूप में अपनी भावनात्मक बुद्धिमत्ता का उपयोग कर्मचारियों और कैदियों दोनों की भावनात्मक तथा मनोवैज्ञानिक ज़रूरतों को पूरा करके जेल के वातावरण को बेहतर बनाने के लिये किया।
- संचार माध्यमों को बढ़ाना:
- संचार चैनलों को बेहतर बनाने और सूचना के स्पष्ट, पारदर्शी आदान-प्रदान को सुनिश्चित करने के लिये सामाजिक कौशल का उपयोग करना।
- खुली बैठकें आयोजित करना, ताकि टीम के सदस्य स्वतंत्र रूप से अपने विचार और चिंताएँ व्यक्त कर सकें, इससे पारदर्शिता तथा आपसी समझ को बढ़ावा मिलेगा।
- आईएएस अधिकारी आर्मस्ट्रांग पाम ने क्राउडफंडिंग और व्यवसायों तथा स्थानीय नेताओं के योगदान का सहयोग प्राप्त कर मणिपुर को नगालैंड तथा असम से जोड़ने वाली 100 किलोमीटर लंबी सड़क का निर्माण करके उल्लेखनीय भावनात्मक बुद्धिमत्ता एवं संचार कौशल का प्रदर्शन किया।
- प्रभावी संघर्ष समाधान:
- संघर्षों को रचनात्मक तरीके से प्रबंधित करने और हल करने के लिये आत्म-नियमन तथा सामाजिक कौशल का उपयोग करना।
- गृह मंत्रालय के सचिव राजीव गौबा ने कोविड-19 महामारी के दौरान विविध दृष्टिकोणों को समझने और सहयोगात्मक चर्चाओं को सुविधाजनक बनाने के माध्यम से राज्य सरकारों तथा केंद्रीय अधिकारियों के बीच संघर्षों का प्रबंधन करके भावनात्मक बुद्धिमत्ता का उदाहरण प्रस्तुत किया।
- परिवर्तन और नवाचार को बढ़ावा देना:
- टीम के सदस्यों की चिंताओं का समाधान, समर्थन प्रदान करके तथा उच्च स्तर की सहभागिता और मनोबल बनाए रखकर परिवर्तन प्रबंधन प्रक्रिया का नेतृत्व करना।
- आईएएस संदीप नंदूरी ने तमिलनाडु में कैफे एबल का शुभारंभ किया, जिसे दिव्यांग व्यक्तियों द्वारा संचालित करने के लिये डिज़ाइन किया गया है, जिसका लक्ष्य उनका आत्मविश्वास, उद्यमशीलता की भावना और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देना है।
- सकारात्मक कार्य संस्कृति को बढ़ावा देना:
- सहानुभूति और सामाजिक कौशल का प्रयोग करके ऐसी कार्य संस्कृति विकसित करना, जो सहयोग, सम्मान तथा समग्र रोज़गार संतुष्टि को बढ़ावा दे।
- टीम-निर्माण गतिविधियों को क्रियान्वित करना, जो पारस्परिक संबंधों को बेहतर बनाएँ और अधिक समावेशी तथा सहायक कार्य संस्कृति का निर्माण करें।
- स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत के बाद आईएएस अधिकारियों ने विभिन्न टीम-निर्माण गतिविधियों को क्रियान्वित कर सकारात्मक कार्य संस्कृति का निर्माण किया।
निष्कर्ष:
भावनात्मक बुद्धिमत्ता प्रभावी प्रशासन के लिये अभिन्न अंग है, क्योंकि यह टीमों को प्रबंधित करने, संघर्षों को नेविगेट करने और सकारात्मक संगठनात्मक संस्कृति को बढ़ावा देने की क्षमता को बढ़ाती है। भावनात्मक बुद्धिमत्ता के घटकों को समझने और लागू करने से- आत्म-जागरूकता, आत्म-नियमन, प्रेरणा, सहानुभूति और सामाजिक कौशल - प्रशासक अपनी भूमिकाओं में अपने निर्णय लेने, रिश्तों और समग्र प्रभावशीलता में सुधार कर सकते हैं। प्रशासनिक प्रथाओं में भावनात्मक बुद्धिमत्ता को शामिल करने से टीम का प्रदर्शन बेहतर होता है, कर्मचारी की संतुष्टि में वृद्धि होती है और कार्य का माहौल अधिक सामंजस्यपूर्ण होता है।