Mains Marathon

दिवस- 40: 

प्रिया (एक नव नियुक्त ज़िला शिक्षा अधिकारी) को ऐसे ज़िले में नियुक्त किया गया है, जहाँ स्थानीय आबादी में पारंपरिक मान्यताएँ तथा रीति-रिवाज़ गहराई से समाहित हैं। कार्यभार संभालने के कुछ समय बाद प्रिया ने बालिकाओं की शिक्षा के प्रति गाँव के बुजुर्गों का प्रबल प्रतिरोध देखा। बुजुर्गों का मानना था कि बालिकाओं को बुनियादी साक्षरता से परे शिक्षित करना अनावश्यक है और इससे उनकी पारंपरिक भूमिकाओं को चुनौती मिलने से सामाजिक अस्थिरता पैदा हो सकती है। उनका तर्क था कि लड़कियों को घर में ही रहने के साथ घरेलू ज़िम्मेदारियों पर ध्यान देना चाहिये और इनकी कम उम्र में ही शादी कर देनी चाहिये। हालाँकि यहाँ युवा पीढ़ी द्वारा बालिकाओं की शिक्षा के महत्त्व को समझा जाता है और उनका मानना ​​है कि यह उनके सशक्तीकरण के साथ समुदाय की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार हेतु आवश्यक है। उनका तर्क है कि बालिकाओं को शिक्षा एवं रोज़गार के अवसरों में बालकों के समान अवसर मिलने चाहिये। इन दृष्टिकोणों में इस अंतर से समुदाय में तनाव होने के साथ गाँव की बैठकों, स्थानीय निकायों तथा सामाजिक समारोहों में तीखी बहस देखने को मिली है। एक दिन प्रिया को एक ऐसी घटना के बारे में बताया जाता है जिसमें बालिकाओं के एक समूह को स्कूल जाते समय परेशान किया गया था। इस घटना से गाँव के विभिन्न समूहों के बीच संघर्षों को जन्म मिलने के साथ कानून एवं व्यवस्था की गंभीर स्थिति पैदा हो गई। गाँव के बुजुर्गों ने गहन विचार-विमर्श के बाद बालिकाओं के स्कूल जाने पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया तथा उन परिवारों का सामाजिक बहिष्कार करने की धमकी दी जो अपनी बेटियों को स्कूल भेजना जारी रखेंगे।

उपर्युक्त परिदृश्य में:

(a) बालिकाओं की शिक्षा को जारी रखने एवं उनकी सुरक्षा से संबंधित चिंताओं का समाधान करने हेतु प्रिया को कौन से कदम उठाने चाहिये?
(b) बालिकाओं की शिक्षा को जारी रखने तथा गाँव में विभिन्न समुदायों के बीच सद्भाव को बढ़ावा देने हेतु गाँव के वृद्धजनों के पितृसत्तात्मक रवैये को प्रिया किस प्रकार बदल सकती है?

22 Aug 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | केस स्टडीज़

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • प्रिया की स्थिति के बारे में संक्षिप्त परिचय लिखिये।
  • बालिकाओं की शिक्षा और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को सुनिश्चित करने के लिये प्रिया द्वारा उठाने योग्य कदमों का उल्लेख कीजिये।
  • पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण को संबोधित करने और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिये प्रिया द्वारा उठाए जा सकने वाले कदमों को बताइये।
  • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

ज़िला शिक्षा अधिकारी के रूप में प्रिया को गहराई में समाहित पितृसत्तात्मक मानसिकता का सामना करना पड़ता है, जो बालिकाओं की शिक्षा का विरोध करती है तथा पारंपरिक मान्यताओं और आधुनिक आकांक्षाओं के बीच तनाव उत्पन्न करती है। इस मामले में बालिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने, उनकी शिक्षा के अधिकार को कायम रखने तथा समाज में जड़ जमाये दृष्टिकोणों को संबोधित करने के बीच एक कमज़ोर संतुलन बनाना आवश्यक है।

मुख्य भाग:

(a) प्रिया बालिकाओं की शिक्षा जारी रखने के लिये सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिये निम्नलिखित कदम उठाएगी:

  • तत्काल सुरक्षा उपाय:
    • सुरक्षा बढ़ाना: बालिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिये स्कूल आने-जाने के मार्गों पर गश्त करने के लिये स्थानीय पुलिस या सामुदायिक स्वयंसेवकों को तैनात करना।
    • सुरक्षित परिवहन: यात्रा से संबंधित जोखिमों को कम करने के लिये स्कूल बसों जैसे सुरक्षित परिवहन विकल्पों की व्यवस्था करना।
    • विधिक कार्रवाई: उत्पीड़न के लिये ज़िम्मेदार लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्यवाही आरंभ करना ताकि यह स्पष्ट संदेश दिया जा सके कि इस प्रकार का व्यवहार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
  • बालिकाओं की शिक्षा के लिये सामुदायिक समर्थन बनाना:
    • संवाद की मेज़बानी करना और प्रभावशाली लोगों को शामिल करना: बालिकाओं की शिक्षा के बारे में चिंताओं को दूर करने और उन्हें पुनः संबोधित करने के लिये गाँव के बुज़ुर्गों के साथ बैठकें आयोजित करना, इसे सामुदायिक सामर्थ्य के रूप में प्रस्तुत करना।
      • बालिकाओं की शिक्षा का समर्थन करने के लिये स्थानीय रूप से प्रभावशाली व्यक्तियों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों को शामिल करना, जिससे पारंपरिक और आधुनिक मूल्यों के बीच प्रभावी रूप से सेतु निर्मित हो सके।
    • जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना और महिलाओं को सशक्त बनाना: कार्यशालाएँ और जागरूकता कार्यक्रम चलाना, जो बालिकाओं की शिक्षा को सामुदायिक विकास, आर्थिक प्रगति तथा सामाजिक सद्भाव से जोड़ते हैं।
      • महिलाओं के लिये कौशल विकास कार्यक्रम आरंभ करना और दूसरों को प्रेरित करने एवं दृष्टिकोण में बदलाव करने के लिये सफल स्थानीय महिलाओं के बारे में बताना।
  • स्कूल के बुनियादी ढाँचे में सुधार:
    • निकटवर्ती स्कूल स्थापित करना: स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर गाँवों के नज़दीक अधिक स्कूलों की स्थापना करना, जिससे बालिकाओं को कम दूरी तय करनी पड़े।
    • स्कूल सुरक्षा में वृद्धि: मौजूदा स्कूलों में सुरक्षा और सुविधाओं में सुधार करना, जैसे कि बाड़ लगाना, अच्छी रोशनी वाले परिसर तथा बालिकाओं के लिये अलग से स्वच्छता सुविधाएँ प्रदान करना ताकि सुरक्षित वातावरण सुनिश्चित हो सके।

(b) पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण को संबोधित करने और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिये प्रिया द्वारा उठाए जाने वाले कदम:

  • नीति सुदृढ़ीकरण: शिक्षा के लिये विधिक अनिवार्यता की पुष्टि करना और इसे बाधित करने के परिणामों की रूपरेखा तैयार करना, इन नीतियों को लागू करने के लिये स्थानीय अधिकारियों के साथ मिलकर कार्य करना।
  • संस्थागत समर्थन: सामाजिक दबाव का सामना करने वाले परिवारों के लिये कानूनी सहायता, मनोवैज्ञानिक परामर्श और आर्थिक प्रोत्साहन समेत सहायता प्रणाली स्थापित करना, यह सुनिश्चित करते हुए कि वे अपनी बेटियों को स्कूल भेजना जारी रखें।
  • वृद्धिशील परिवर्तन: बुनियादी साक्षरता कार्यक्रमों जैसे गैर-धमकीयुक्त शैक्षिक पहलों से शुरुआत करना और धीरे-धीरे विश्वास निर्माण के साथ व्यापक स्तर पर शिक्षित करना।
  • अंतर-पीढ़ीगत संवाद: युवा पीढ़ी और बुज़ुर्गों के बीच संरचित संवादों का आयोजन करना, प्रिया या तटस्थ तीसरे पक्ष की मध्यस्थता से, ताकि समझ को बढ़ावा मिले और शिक्षा तक सामान्य लोगों की पहुँच हो।
  • सामुदायिक परियोजनाएँ: सामुदायिक परियोजनाएँ आरंभ करना, जहाँ दोनों पीढ़ियाँ एक साथ कार्य करें, साझा लक्ष्यों और बालिकाओं को शिक्षित करने के सामूहिक लाभ पर ज़ोर देना।
  • स्थानीय संदेश: स्थानीय मुहावरों, कहानियों और सांस्कृतिक संदर्भों का उपयोग करके जागरूकता अभियान बनाना, ताकि बालिकाओं की शिक्षा के महत्त्व को इस प्रकार से संप्रेषित किया जा सके, जो बुज़ुर्गों के साथ प्रतिध्वनित हो।
  • रोल मॉडल: शिक्षा से लाभान्वित होने वाली स्थानीय महिलाओं को उजागर करना, उन्हें रोल मॉडल के रूप में पेश करना, जो समाज में सकारात्मक योगदान देते हुए सांस्कृतिक मूल्यों को बनाए रखती हैं।

निष्कर्ष:

प्रिया का दृष्टिकोण, सामाजिक प्रगति के लिये शिक्षा के साधन के रूप में जॉन डेवी के दर्शन पर आधारित है, जो पितृसत्तात्मक दृष्टिकोण को बदलने में धैर्य, सांस्कृतिक संवेदनशीलता और समावेशी संवाद के महत्त्व पर ज़ोर देता है।

बालिकाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करके तथा शिक्षा और सहयोग के माध्यम से धीरे-धीरे मानसिकता में बदलाव लाकर, प्रिया एक समतामूलक समाज का निर्माण कर सकती है जो अपने सभी सदस्यों की शिक्षा को महत्त्व देता है तथा उसे बढ़ावा देता है।