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  • 22 Aug 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 केस स्टडीज़

    दिवस- 40: 

    युवा और सक्रिय भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी अमित को उसकी ईमानदारी, समर्पण एवं चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बेहतर प्रबंधन के लिये जाना जाता है। उसकी प्रतिष्ठा को देखते हुए, उसे एक सुदूर एवं आदिवासी बहुल ज़िले में (जहाँ अवैध लकड़ी की तस्करी बड़े पैमाने पर हो रही थी) वन प्रभाग में नियुक्त किया गया। यहाँ पर तस्कर स्थानीय पदाधिकारियों तथा आदिवासी बाहुल्य लोगों के साथ मिलकर जंगलों का अतिदोहन करने एवं कीमती पेड़ों को काटने के साथ लकड़ी की कालाबाज़ारी कर रहे थे। इस ऑपरेशन को प्रभावशाली लोगों का समर्थन प्राप्त था। इसके साथ ही स्थानीय आदिवासी लोगों को या तो तस्करों का समर्थन करने के लिये मजबूर किया गया या चुप रहने के लिये रिश्वत दी गई।

    इस क्षेत्र में आने के बाद अमित ने जल्द ही इस स्थिति की गंभीरता एवं भ्रष्टाचार के जटिल संजाल को समझ लिया। अपनी जाँच के माध्यम से उसने पाया कि उसके कार्यालय के कुछ कर्मचारी इस तस्करी रैकेट में शामिल थे। इस क्रम में अमित ने निर्णायक कार्रवाई करने का फैसला किया, छापे मारे और अवैध रूप से काटी गई लकड़ी को जब्त किया। इस त्वरित कार्रवाई से तस्करों में भय का माहौल बना क्योंकि इसके पूर्व के अधिकारियों ने प्रत्यक्ष टकराव से परहेज किया था।

    इसकी प्रतिक्रया में आदिवासी विद्रोहियों द्वारा समर्थित तस्करों ने अमित एवं उसके परिवार (जिसमें उसकी पत्नी और एक छोटा बच्चा भी शामिल था) को धमकाना शुरू कर दिया। इस क्रम में उसके परिवार का पीछा किया जाने लगा तथा उसे परेशान किया जाने लगा, जिससे उसे काफी मानसिक तनाव हुआ। स्थिति तब चरम पर पहुँच गई जब एक जाने-माने गुंडे ने अमित से उसके कार्यालय में जाकर कहा कि वह इसमें हस्तक्षेप न करे नहीं तो फिर उसका वही हश्र होगा जो दस साल पहले तस्करों द्वारा मारे गए एक पूर्व अधिकारी का हुआ था।

    उपर्युक्त परिदृश्य में:

    (a) इस स्थिति से निपटने में अमित के पास उपलब्ध विभिन्न विकल्पों को बताइये।
    (b) सूचीबद्ध प्रत्येक विकल्प का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिये।
    (c) आपके अनुसार उपर्युक्त विकल्पों में से कौन सा विकल्प अमित के लिये सबसे उपयुक्त होगा और क्यों?

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • अमित की स्थिति का संक्षिप्त परिचय लिखिये।
    • अमित के लिये उपलब्ध विकल्पों का उल्लेख कीजिये।
    • उपलब्ध विकल्पों के पक्ष और विपक्ष बताइये।
    • अमित के लिये उपलब्ध उपयुक्त विकल्प के औचित्य को बताइये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    अमित, एक भारतीय वन सेवा (IFS) अधिकारी जो अपनी अडिग सत्यनिष्ठा और सुदृढ़ नैतिक सिद्धांतों के लिये जाना जाता है, अवैध लकड़ी की तस्करी से त्रस्त एक दूर-दराज़ के आदिवासी बहुल ज़िले में एक कठिन चुनौती का सामना करता है। स्थानीय पदाधिकारियों, आदिवासियों और यहाँ तक ​​कि अपने स्वयं के कर्मचारियों से संबंधित भ्रष्टाचार के एक गहरे नेटवर्क का सामना करते हुए अमित की कानून को बनाए रखने की प्रतिबद्धता का परीक्षण किया जाता है।

    मुख्य भाग:

    (a) अमित के लिये उपलब्ध विभिन्न विकल्प:

    • कोई कार्रवाई न करना और परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करना:
      जाँच से परे अपने परिवार की सुरक्षा को प्राथमिकता देना, जिससे तस्करी जारी रहे।
    • बढ़ी हुई सुरक्षा के साथ छापेमारी जारी रखना:
      अपनी छापेमारी और जाँच जारी रखते हुए अपने तथा अपने परिवार के लिये अतिरिक्त सुरक्षा का अनुरोध करते हुए तस्करों के विरुद्ध प्रयासों को तेज़ करना।
    • उच्च अधिकारियों से सहायता प्राप्त करना:
      वन विभाग और राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों से संपर्क करना, धमकियों के बारे में रिपोर्ट करना और तस्करी नेटवर्क को खत्म करने के लिये हस्तक्षेप का अनुरोध करना।
    • स्थानीय जनजातियों के साथ जुड़ना और उनकी चिंताओं का समाधान करना:
      जनजातीय समुदायों के साथ मिलकर कार्य करना ताकि उनकी समस्याओं को समझा जा सके और तस्करों के प्रति उनके समर्थन को कम किया जा सके, जिससे तस्करी के कार्यों को अलग-थलग किया जा सके।
    • भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों के साथ सहयोग करना:
      अपने कार्यालय के कर्मचारियों और स्थानीय पदाधिकारियों की संलिप्तता की जाँच हेतु भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों को शामिल करना ताकि एक स्वच्छ और जवाबदेह प्रशासनिक व्यवस्था सुनिश्चित हो सके।

    (b) प्रत्येक विकल्प का आलोचनात्मक मूल्यांकन:

    • कोई कार्रवाई न करना और परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करना:
      • फायदे: व्यक्तिगत और पारिवारिक खतरों में तत्काल कमी, जिससे शारीरिक सुरक्षा सुनिश्चित होती है।
      • नुकसान: नैतिक समझौता, कर्त्तव्य पूरा करने में विफलता, सार्वजनिक विश्वास की हानि, अवैध गतिविधियों का जारी रहना और पर्यावरण एवं समुदाय को संभावित दीर्घकालिक नुकसान। यह विकल्प सत्यनिष्ठा और उत्तरदायी सिद्धांतों के विपरीत है।
    • सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत करने के साथ छापेमारी जारी रखना:
      • फायदे: कर्त्तव्य, साहस और ईमानदारी के मूल्यों को बनाए रखना। पर्यावरण संरक्षण और सार्वजनिक सेवा के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है। सुरक्षा व्यवस्था को मज़बूत करने से व्यक्तिगत जोखिम कम होते हैं।
      • नुकसान: सुरक्षा उपायों के बावजूद अमित और उसके परिवार के लिये जोखिम बढ़ जाता है, गंभीर प्रतिशोध के साथ संघर्ष के बढ़ने की संभावना होती है। कुछ आदिवासी समुदाय भी अलग-थलग पड़ सकते हैं, जो इसे अपनी आजीविका पर सीधा हमला मान सकते हैं।
    • उच्च अधिकारियों से सहायता लेना:
      • फायदे: संस्थागत शक्ति और संसाधन एकत्रित करता है, ज़िम्मेदारी साझा करके व्यक्तिगत जोखिम कम करता है। तस्करी नेटवर्क पर अधिक समन्वित और शक्तिशाली कार्रवाई की संभावना होती है।
      • नुकसान: नौकरशाही विलंब और राजनीतिक प्रभाव, भ्रष्टाचार या भय के कारण संभावित निष्क्रियता।
    • स्थानीय जनजातियों से संबंधित और उनकी चिंताओं का समाधान करना:
      • फायदे: जनजातीय समुदायों के साथ विश्वास का निर्माण होता है, तस्करों के लिये उनके समर्थन के मूल कारणों को संबोधित करता है। कार्रवाई में सहानुभूति और करुणा दीर्घकालिक स्थायी समाधान की ओर ले जा सकती है।
      • नुकसान: समय लेने वाला और तत्काल परिणाम नहीं दे सकता। इसके लिये गहन चिंतन और संवाद कौशल की आवश्यकता होती है। तस्करों द्वारा हेरफेर का जोखिम जो अधिक रिश्वत या धमकियों के साथ प्रतिकार कर सकते हैं।
    • भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों के साथ सहयोग करना:
      • फायदे: अपने ही रैंक के समान भ्रष्टाचार के मुद्दे से निपटना, एक साफ-सुथरी और प्रेरित टीम सुनिश्चित करता है। ईमानदारी और कानून के शासन के महत्त्व के बारे में एक सुदृढ़ संदेश प्रेषित करता है।
      • नुकसान: विभाग के भीतर अविश्वास उत्पन्न हो सकता है, संचालन धीमा हो सकता है, इसमें शामिल लोगों से प्रतिक्रिया भड़क सकती है। इसके लिये शामिल एजेंसियों से मज़बूत साक्ष्य और सहयोग की भी आवश्यकता होती है।

    (c) अमित के सामने सबसे उपयुक्त विकल्प और औचित्य:

    अमित के सामने सबसे उपयुक्त विकल्प विकल्प 3, 4 और 5 का मिश्रण है- जो उच्च अधिकारियों से समर्थन, स्थानीय लोगों के साथ संबंध और भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियों के साथ सहयोग करके नैतिक नेतृत्व में संलग्न होना है।

    औचित्य:

    • नैतिक नेतृत्व और सत्यनिष्ठा (नैतिकता):
      • कर्त्तव्य और विधिक शासन के प्रति अमित का पालन नैतिकता के अनुरूप है, जो परिणामों की परवाह किये बिना नैतिक सिद्धांतों का पालन करने के महत्त्व पर ज़ोर देता है।
      • व्यक्तिगत खतरे के बावजूद भी सत्यनिष्ठा के साथ कार्य करने की उनकी प्रतिबद्धता, लोकसेवा में आवश्यक नेतृत्व को दर्शाती है, जहाँ प्राथमिक कर्त्तव्य कानून को बनाए रखना और लोकहित में सेवा करना है।
    • नैतिक साहस और प्रभावी नैतिकता:
      • धमकियों के बावजूद तस्करों का सामना करने का अमित का निर्णय प्रभावी नैतिकता को दर्शाता है, जो नैतिक स्वरूप के विकास पर केंद्रित है।
      • नैतिक साहस का प्रदर्शन करके, अमित बहादुरी और दृढ़ता जैसे गुणों को दर्शाता है, जो भ्रष्टाचार तथा आपराधिक गतिविधियों से निपटने में लोक सेवकों के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। उनके कार्यों ने लोक प्रशासन में एक प्रभावी नेता होने के मानकों को स्थापित किया।
    • उपयोगितावादी दृष्टिकोण:
      • उपयोगितावादी सिद्धांत अमित के कार्यों को बड़ी संख्या में लोकहित पर ध्यान केंद्रित करके उचित ठहराता है। तस्करी के संचालन को बाधित करके और जंगल को संरक्षित करके, अमित पर्यावरण और समुदाय के दीर्घकालिक हित को सुनिश्चित करता है। उनके कार्यों के लाभ तत्काल परिणामों से परे हैं, स्थिरता जो न्याय को बढ़ावा देते हैं, जो व्यापक सार्वजनिक हित के लिये आवश्यक हैं।
    • भावनात्मक बुद्धिमत्ता और सहानुभूति (देखभाल संबंधी नैतिकता):
      • आदिवासी समुदाय के साथ अमित का जुड़ाव देखभाल संबंधी नैतिकता को दर्शाता है, जो दूसरों की आवश्यकताओं और चिंताओं को समझने एवं संबोधित करने पर ज़ोर देता है। आदिवासी नेताओं के साथ विश्वास और सहयोग बनाने के लिये सहानुभूति और भावनात्मक बुद्धिमत्ता का उपयोग करके, अमित न केवल तस्करों के साथ उनकी भागीदारी के मूल कारणों को संबोधित करता है, बल्कि संघर्ष को हल करने के लिये एक सहकारी दृष्टिकोण को बढ़ावा देते हुए सांप्रदायिक बंधन को भी सुदृढ़ करता है।

    निष्कर्ष:

    अमित की स्थिति लोक सेवा में नैतिक साहस और नैतिक निर्णय लेने के महत्त्व को रेखांकित करती है। तस्करों का सामना करने और कानून को बनाए रखने का विकल्प चुनकर, अमित इमैनुअल कांट के नैतिक दर्शन के अनुरूप है, जो परिणामों की परवाह किये बिना कर्त्तव्य तथा उचित रूप से कार्य करने की नैतिक अनिवार्यता पर ज़ोर देता है। उनके कार्य व्यापक हितों के प्रति प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करते हैं, यह दर्शाते हैं कि कैसे सिद्धांतबद्ध नेतृत्व जड़ जमाए हुए भ्रष्टाचार को खत्म कर सकता है और सार्वजनिक संसाधनों को संरक्षित कर सकता है।

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