Mains Marathon

दिवस-4: सरदार वल्लभभाई पटेल ने अनुनय और दबाव दोनों का उपयोग करते हुए कुशलतापूर्वक तथा कूटनीतिक रूप से सैकड़ों रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत करने में सफलता प्राप्त की। चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

11 Jul 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | इतिहास

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण :

  • सरदार वल्लभभाई पटेल और भारत के प्रथम उप-प्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री के रूप में उनकी भूमिका का संक्षिप्त में परिचय दीजिये।
  • रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत करने के लिये पटेल की अनुनय-विनय और दबाव की नीति पर चर्चा कीजिये।
  • इस उपलब्धि के सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव पर प्रकाश डालिये।
  • निष्कर्ष के तौर पर इस बात पर ज़ोर दीजिये कि भारतीय संघ में एकीकरण के प्रयास के रूप में पटेल ने भारत के इतिहास की आधारशिला रखी।

भूमिका:

सरदार वल्लभभाई पटेल, जिन्हें "भारत के लौह पुरुष" के नाम से जाना जाता है, ने स्वतंत्रता के बाद भारत के राजनीतिक एकीकरण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रथम उप-प्रधानमंत्री और गृह मंत्री के रूप में, पटेल ने कूटनीति तथा रणनीतिक दबाव का उपयोग करते हुए 500 से अधिक रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत करने में सफलता हासिल की।

मुख्य भाग:

रियासतों को एकीकृत करने के लिये पटेल की अनुनय और दबाव की रणनीति:

  • विलय-पत्र: विलय-पत्र एक कानूनी दस्तावेज़ था, जो रियासतों की रक्षा, संचार और विदेशी मामलों जैसे कुछ क्षेत्रों में स्वायत्तता बनाए रखते हुए भारतीय संघ में शामिल होने की अनुमति प्रदान करता था।
    • पटेल ने अपने सचिव वी.पी. मेनन के साथ मिलकर रियासतों के शासकों को विलय-पत्र पर हस्ताक्षर करने के लिये राजी किया, जिससे उनकी रियासतों का भारत में विलय सुनिश्चित हुआ। 15 अगस्त, 1947 तक अधिकांश रियासतें भारत में शामिल हो चुकी थीं।
  • व्यक्तिगत कूटनीति: पटेल ने शासकों के साथ सीधे संवाद किया, उनकी देशभक्ति की भावना को जाग्रत किया और संयुक्त भारत में शामिल होने के लाभों पर प्रकाश डाला।
  • आर्थिक और प्रशासनिक प्रोत्साहन: उन्होंने शासकों को उनके सहयोग को सुरक्षित करने के लिये प्रिवी पर्स (वार्षिक भुगतान) और व्यक्तिगत विशेषाधिकारों की गारंटी सहित विभिन्न प्रोत्साहनों की पेशकश की।
  • आश्वासन: पटेल ने शासकों को आश्वस्त किया कि भारतीय संघ के भीतर उनके हितों की रक्षा की जाएगी, जिससे उनकी स्थिति और शक्ति खोने का डर दूर हो गया।
  • सैन्य दबाव: ऐसे शासक जो अनुनय- विनय से राजी नहीं हुए वहाँ पटेल ने सैन्य बल का उपयोग किया। उदाहरण के लिये जूनागढ़ और हैदराबाद के एकीकरण में प्रतिरोध को दबाने तथा एकीकरण सुनिश्चित करने के लिये सैन्य बल का सहारा लिया गया था।
  • राजनीतिक कूटनीति: पटेल ने राजनीतिक अलगाव को एक उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया, शासकों को यह विश्वास दिलाया कि स्वतंत्रता उन्हें एक बड़े और मज़बूत भारतीय संघ के बीच कमज़ोर तथा अलग-थलग कर देगी।

इस उपलब्धि का सामाजिक-राजनीतिक प्रभाव:

  • राजनीतिक एकीकरण: रियासतों के एकीकरण ने अंग्रेज़ों के विखंडित राजनीतिक परिदृश्य को समाप्त कर दिया, जिससे एक एकीकृत और सुसंगत भारतीय राज्य का गठन हुआ।
  • केंद्रीकृत प्रशासन: एक केंद्रीकृत प्रशासन की स्थापना की गई, जिसके द्वारा पूरे देश में एक समान शासन और कानून प्रवर्तन की सुविधा प्रदान गई की, जिससे क्षेत्रीय असमानताओं में कमी आई।
  • लोकतांत्रिक शासन: रियासतें, जो पहले वंशानुगत राजाओं द्वारा शासित थीं, उन्हें लोकतांत्रिक शासन के अंतर्गत लाया गया।
  • चुनावी भागीदारी: पूर्ववर्ती रियासतों के नागरिकों को चुनाव सहित लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं में भाग लेने का अधिकार प्राप्त हुआ, जिससे एक अधिक समावेशी राजनीतिक व्यवस्था में योगदान मिला।
  • विशेषाधिकारों का उन्मूलन: एकीकरण ने रियासतों के सामंती विशेषाधिकारों को समाप्त कर दिया, जिससे असमानता और उत्पीड़न को बनाए रखने वाली पदानुक्रमित सामाजिक संरचनाओं को समाप्त कर दिया गया।
  • आम लोगों का सशक्तीकरण: रियासतों के शासन के अंत ने आम लोगों को अधिक सामाजिक और आर्थिक अधिकार प्रदान करके सशक्त बनाया, इस प्रकार एक अधिक समतावादी समाज को बढ़ावा दिया गया।
  • सांस्कृतिक एकीकरण: एकीकरण ने क्षेत्रीय, भाषायी और सांस्कृतिक मतभेदों से ऊपर उठकर राष्ट्रीय पहचान एवं एकता की भावना को बढ़ावा दिया।

निष्कर्ष:

सरदार वल्लभभाई पटेल की कूटनीति और दबाव का रणनीतिक उपयोग रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत करने में सहायक था। उनके प्रयासों ने भारत की राजनीतिक तथा प्रशासनिक एकता सुनिश्चित की, जो राष्ट्र की स्थिरता एवं विकास के लिये महत्त्वपूर्ण थी। एक एकीकरण के रूप में पटेल ने भारत के इतिहास की आधारशिला विकसित की, जो राष्ट्र के एकीकरण में उनके अद्वितीय योगदान को दर्शाती है।