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  • 21 Aug 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    दिवस- 39: हितों के टकराव की उपस्थिति वास्तविक टकराव की तरह ही नुकसानदेह हो सकती है। सरकारी कर्मचारियों के निर्णय लेने में हितों का टकराव कैसे प्रकट होता है, और उन्हें इससे निपटने के लिए कौन सी रणनीति अपनानी चाहिये? (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • हितों के टकराव के बारे में संक्षिप्त में परिचय दीजिये।
    • निर्णय लेने में हितों के टकराव की अभिव्यक्ति का उल्लेख कीजिये।
    • हितों के टकराव से निपटने के लिये रणनीति बताएँ।
    • उचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    सार्वजनिक सेवा में हितों के टकराव से जनता का भरोसा और शासन की अखंडता को काफी नुकसान पहुँच सकता है। वर्ष 2022 की OECD रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार के 30% मामलों में हितों के टकराव एक प्रमुख कारक थे। ये टकराव तब प्रकट होते हैं जब व्यक्तिगत हित या रिश्ते संभावित रूप से किसी लोक सेवक के निर्णयों को प्रभावित करते हैं या प्रभावित करते प्रतीत होते हैं, जिससे पक्षपातपूर्ण या अनैतिक परिणाम सामने आते हैं।

    निर्णय लेने में हितों के टकराव की अभिव्यक्ति:

    • पक्षपातपूर्ण निर्णय लेना: लोक सेवक सार्वजनिक हित के बजाय अपने व्यक्तिगत या वित्तीय हितों को लाभ पहुँचाने वाले निर्णयों का पक्ष ले सकते हैं।
      • उदाहरण के लिये, उन कंपनियों को अनुबंध प्रदान करना जिनमें उनकी हिस्सेदारी हो।
    • नीति कार्यान्वयन में समझौता: व्यक्तिगत हितों के कारण नीतियों को कमज़ोर किया जा सकता है या उनका चयनात्मक क्रियान्वयन किया जा सकता है, जिससे उनकी प्रभावशीलता कम हो सकती है।
    • सार्वजनिक विश्वास की हानि: हितों के टकराव की स्थिति भी सरकारी संस्थाओं में जनता के विश्वास को खत्म कर सकती है, क्योंकि नागरिक निर्णयों को भ्रष्ट या स्वार्थपूर्ण मान सकते हैं।
    • संगठनात्मक मनोबल में कमी: जब किसी विभाग के भीतर हितों का टकराव होता है, तो इससे कर्मचारियों में असंतोष पैदा हो सकता है, जिससे समग्र मनोबल और उत्पादकता में कमी आ सकती है।

    हितों के टकराव से निपटने की रणनीतियाँ:

    • हितों का अनिवार्य प्रकटीकरण:
      • संयुक्त राज्य अमेरिका में, सरकार में नैतिकता अधिनियम के तहत सरकारी अधिकारियों को अपने वित्तीय और व्यावसायिक हितों का सालाना खुलासा करना ज़रूरी है। यह अभ्यास संभावित विवादों को पहचानने (इससे पहले कि वे निर्णय लेने को प्रभावित कर सकें) में मदद करता है।
        • प्रासंगिकता: अनिवार्य प्रकटीकरण पारदर्शिता सुनिश्चित करता है साथ ही संभावित विवादों का शीघ्र पता लगाने में मदद करता है, जिससे सक्रिय प्रबंधन संभव तथा निर्णयों में पूर्वाग्रह का जोखिम कम होता है।
    • निर्णय लेने से इनकार:
      • ऑस्ट्रेलिया में, APS आचार संहिता के अनुसार सरकारी कर्मचारियों को ऐसे निर्णयों से दूर रहना चाहिये, जहाँ व्यक्तिगत हित उनकी निष्पक्षता को प्रभावित कर सकते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि निर्णय व्यक्तिगत लाभ के बजाय योग्यता के आधार पर लिये जाएँ।
        • प्रासंगिकता: निर्णय लेने की प्रक्रिया में व्यक्तिगत हितों के प्रभाव की संभावना को दूर करके, निर्णय लेने की प्रक्रिया की सत्यनिष्ठा को बनाए रखने में मदद मिलती है। यह लोक सेवकों की निष्पक्षता में जनता के भरोसे को सुनिश्चित करता है।
    • स्वतंत्र निरीक्षण और प्रवर्तन:
      • फ्राँस का सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता के लिये उच्च प्राधिकरण (HATVP) सार्वजनिक अधिकारियों के वित्तीय हितों की देखरेख करता है, जिसके पास जाँच करने और अनुपालन लागू करने का अधिकार है। यह स्वतंत्र निकाय सुनिश्चित करता है कि संघर्षों की पहचान और निष्पक्ष रूप से उनका समाधान किया जाए।
        • प्रासंगिकता: स्वतंत्र निरीक्षण निकाय हितों के टकराव की निगरानी और समाधान, जवाबदेही को सुदृढ़ करने तथा अनैतिक व्यवहार को रोकने के लिये एक तटस्थ मंच प्रदान करते हैं।
    • नियमित प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम:
      • सिंगापुर का लोक सेवा प्रभाग सार्वजनिक सेवकों को हितों के टकराव से निपटने के लिये निरंतर प्रशिक्षण और स्पष्ट दिशा-निर्देश प्रदान करता है। सार्वजनिक सेवा के भीतर सत्यनिष्ठा की संस्कृति को बनाए रखने में यह महत्त्वपूर्ण रहा है।
        • प्रासंगिकता: निरंतर शिक्षा और जागरूकता के कार्यक्रम सार्वजनिक कर्मचारियों को हितों के टकराव को पहचानने तथा उनके समाधान हेतु आवश्यक जानकारी एवं क्षमताएँ प्रदान करते हैं। यह सेवा में नैतिक मानकों की एक सुसंगत समझ को बढ़ावा देता है।
    • घोषणाओं तक सार्वजनिक पहुँच:
      • कनाडा का हित संघर्ष अधिनियम के तहत सरकारी अधिकारियों को किसी भी निजी हित को सार्वजनिक रूप से घोषित करना आवश्यक है, जिससे पारदर्शिता बढ़ती है और सार्वजनिक जाँच की अनुमति मिलती है। यह पारदर्शिता जनता का विश्वास बनाए रखने में मदद करती है।
        • प्रासंगिकता: घोषणाओं को सार्वजनिक करने से सामाजिक निगरानी की अनुमति मिलती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सार्वजनिक अधिकारियों को उनके कार्यों के लिये जवाबदेह ठहराया जाता है। यह उन्हें सार्वजनिक जाँच के दायरे में लाकर संभावित संघर्षों के लिये निवारक के रूप में भी कार्य करता है।

    निष्कर्ष:

    सार्वजनिक सेवा में सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिये हितों के टकराव को संबोधित करना महत्त्वपूर्ण है। जबकि पारदर्शिता, त्याग, नैतिक दिशा-निर्देशों का पालन और स्वतंत्र निरीक्षण प्रभावी रणनीतियाँ हैं, असली चुनौती लोक सेवकों के बीच सत्यनिष्ठा की संस्कृति को बढ़ावा देने में है। इसके लिये निरंतर शिक्षा, मज़बूत नेतृत्व और सार्वजनिक सेवा मूल्यों के प्रति प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है।

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