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  • 21 Aug 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    दिवस- 39: चर्चा कीजिये कि बौद्धिक और नैतिक योग्यताओं के साथ-साथ समानुभूति और करुणा किस प्रकार प्रमुख चुनौतियों को हल करने तथा निर्णायक निर्णय लेने में सिविल सेवकों की प्रभावशीलता में योगदान करती है। इनके प्रभाव को उदाहरण के साथ स्पष्ट कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • सहानुभूति और करुणा, बौद्धिक तथा नैतिक दक्षताओं के बारे में संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • चुनौतियों को हल करने और निर्णय लेने में सहानुभूति तथा करुणा एवं बौद्धिक व नैतिक योग्यताओं के बारे में चर्चा कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    बौद्धिक और नैतिक योग्यताओं के साथ सहानुभूति तथा करुणा, महत्त्वपूर्ण चुनौतियों का समाधान करने एवं निर्णायक निर्णय लेने में सिविल सेवक की प्रभावशीलता के लिये महत्त्वपूर्ण हैं। ये गुण सिविल सेवकों को जटिल परिस्थितियों से निपटने, प्रतिस्पर्द्धी हितों को संतुलित करने और ऐसी नीतियों को लागू करने में सक्षम बनाते हैं जो न केवल प्रभावी हों बल्कि न्यायसंगत तथा मानवीय भी हों।

    सहानुभूति और करुणा:

    • हितधारकों की ज़रूरतों को समझना: सहानुभूति से सिविल सेवकों को हाशिये पर पड़े समूहों सहित विभिन्न हितधारकों के दृष्टिकोण और ज़रूरतों को समझने में मदद मिलती है। यह समझ अधिक समावेशी और निष्पक्ष निर्णय लेने की ओर ले जाती है।
      • उदाहरण के लिये, आपदा प्रबंधन के दौरान, एक सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण यह सुनिश्चित कर सकता है कि राहत उपायों में सबसे कमज़ोर आबादी को प्राथमिकता दी जाए।
      • नेतृत्व में सहानुभूति के महत्त्व को शोध द्वारा भी उजागर किया गया है जो यह दर्शाता है कि जो प्रबंधक सहानुभूतिपूर्ण नेतृत्व का अभ्यास करते हैं, उन्हें उनके वरिष्ठों द्वारा बेहतर प्रदर्शन करने वाले के रूप में देखा जाता है।
        • यह सार्वजनिक सेवा में सहानुभूति के व्यापक लाभ को दर्शाता है, जहाँ सभी हितधारकों की आवश्यकताओं को समझने और उनका समाधान करने से अधिक प्रभावी शासन का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
    • विश्वास और सहयोग का निर्माण: करुणा सरकार और जनता के बीच विश्वास को बढ़ाती है। जब सिविल सेवक करुणा के साथ कार्य करते हैं, तो उन्हें सरकारी पहलों के लिये जनता का सहयोग एवं समर्थन मिलने की अधिक संभावना होती है।
      • उदाहरण के लिये, COVID-19 महामारी के दौरान, सार्वजनिक स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा सहानुभूतिपूर्ण संचार और नीतियाँ स्वास्थ्य उपायों के साथ जनता के अनुपालन को प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण थीं।
        • एक नेतृत्व कौशल के रूप में सहानुभूति मानवीय अंत:क्रियाओं को बढ़ाती है तथा अधिक प्रभावी संचार को बढ़ावा देती है, जो सकारात्मक परिणाम प्राप्त करने के लिये सार्वजनिक सेवा में महत्त्वपूर्ण है।

    बौद्धिक क्षमता:

    • विश्लेषणात्मक निर्णय लेना: बौद्धिक क्षमता सिविल सेवकों को जटिल डेटा का विश्लेषण करने और विभिन्न नीति विकल्पों के परिणामों का पूर्वानुमान लगाने की क्षमता से लैस करती है। यह कौशल ऐसे समाधान तैयार करने में आवश्यक है जो नवोन्मेषी और प्रभावी दोनों हों।
      • उदाहरण के लिये, सिंगापुर में, सिविल सेवकों ने आवास और परिवहन जैसी शहरी चुनौतियों से निपटने के लिये डेटा-संचालित दृष्टिकोण का उपयोग किया है, जिसके परिणामस्वरूप अत्यधिक कुशल और रहने योग्य शहरों का विकास हुआ हैं।
    • रणनीतिक योजना: बौद्धिक क्षमता दीर्घकालिक रणनीतिक योजना बनाने में सक्षम बनाती है, जो सतत् विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है। जो सिविल सेवक आलोचनात्मक और रणनीतिक रूप से सोच सकते हैं, वे जलवायु परिवर्तन या आर्थिक अस्थिरता जैसी चुनौतियों का सामना करने के लिये बेहतर स्थिति में होते हैं।

    नैतिक योग्यता:

    • सत्यनिष्ठा को बनाए रखना: नैतिक योग्यता यह सुनिश्चित करती है कि सिविल सेवक ईमानदारी, पारदर्शिता और जवाबदेही के सिद्धांतों का पालन करें। भ्रष्टाचार को रोकने और यह सुनिश्चित करने के लिये यह आवश्यक है कि सार्वजनिक संसाधनों का उपयोग आम लोगों की भलाई के लिये किया जाए।
      • उदाहरण के लिये, न्यूज़ीलैंड की सार्वजनिक सेवा एक मज़बूत नैतिक ढाँचे द्वारा निर्देशित है जो सत्यनिष्ठा पर ज़ोर देती है, जिसके परिणामस्वरूप वहाँ वैश्विक स्तर पर भ्रष्टाचार का स्तर सबसे कम है।
    • हितों में संतुलन: नैतिक क्षमता सिविल सेवकों को विभिन्न हितधारकों के हितों में संतुलन बनाने की अनुमति देती है, साथ ही यह सुनिश्चित करती है कि निर्णय व्यापक सामाजिक मूल्यों के अनुरूप हों।
      • यह संतुलन उन स्थितियों में महत्त्वपूर्ण है जहाँ हितों में टकराव हो, जैसे कि आधारभूत परियोजनाओं के लिये भूमि अधिग्रहण, जहाँ विकास की ज़रूरतों को प्रभावित समुदायों के अधिकारों के विरुद्ध मापा जाना चाहिये।

    प्रभाव को दर्शाने वाले उदाहरण:

    • भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS) में सुधार: भारत की सार्वजनिक वितरण प्रणाली में सुधार, जिसका उद्देश्य खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करना है, शासन में नैतिक योग्यता की भूमिका को प्रदर्शित करता है।
      • नैतिक सिद्धांतों के प्रति प्रतिबद्धता से प्रेरित होकर सिविल सेवकों ने पारदर्शिता और दक्षता में सुधार हेतु आधार-आधारित बायोमेट्रिक प्रणाली जैसे प्रौद्योगिकी-संचालित समाधान प्रस्तुत किये, जिससे भ्रष्टाचार में उल्लेखनीय कमी आई।
    • नॉर्वे की आव्रजन नीति: नॉर्वे की आव्रजन नीति का दृष्टिकोण एक उदाहरण है, जहाँ सहानुभूति, बौद्धिक क्षमता और नैतिक विचारों को प्रभावी ढंग से संतुलित किया गया है।
      • सिविल सेवकों ने ऐसी नीतियाँ बनाई हैं जो सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने के लिये कठोर होने के साथ-साथ शरणार्थियों के प्रति दयालु भी हैं तथा मानवीय व्यवहार एवं एकीकरण समर्थन सुनिश्चित करती हैं।
    • जापान का आपदा प्रबंधन: जापान में सरकार की आपदा प्रबंधन रणनीतियाँ, विशेष रूप से वर्ष 2011 के भूकंप और सुनामी के बाद, इस बात का उदाहरण हैं कि सहानुभूति एवं बौद्धिक योग्यता एक साथ कैसे कार्य कर सकती हैं।
      • प्रभावित समुदायों के प्रति सिविल सेवकों की सहानुभूतिपूर्ण प्रतिक्रिया और बड़े पैमाने पर राहत प्रयासों के समन्वय में उनकी क्षमता ने आपदा के प्रभाव को कम किया तथा शीघ्र पुनर्वास में सहायता प्रदान की है।

    निष्कर्ष:

    सहानुभूति और करुणा, जब बौद्धिक तथा नैतिक योग्यताओं के साथ संयुक्त होती हैं, तो सिविल सेवकों को ऐसे निर्णय लेने में सक्षम बनाती हैं, जो न केवल प्रभावी होते हैं बल्कि न्यायपूर्ण एवं मानवीय भी होते हैं। ये गुण सुनिश्चित करते हैं कि सार्वजनिक नीतियाँ व्यापक कल्याण हेतु कार्य करें, सभी नागरिकों की ज़रूरतों को पूरा करने जे साथ-साथ सार्वजनिक सेवा की अखंडता को बनाए रखें। सहानुभूति एक आवश्यक कौशल है जो प्रदर्शन और निर्णय लेने में सुधार करता है, जैसा कि नेतृत्व पर शोध से पता चलता है तथा यह सार्वजनिक प्रशासन में विशेष रूप से मूल्यवान है।

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