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16 Aug 2024
सामान्य अध्ययन पेपर 3
आंतरिक सुरक्षा
दिवस-35: भारत में पार-राष्ट्रीय संगठित अपराध की प्रमुख विशेषताओं एवं निहितार्थों का परीक्षण कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- पार-राष्ट्रीय संगठित अपराध (TOC) और इसकी वैश्विक प्रकृति को परिभाषित कीजिये।
- विश्वव्यापी संगठित अपराध की मुख्य विशेषताओं पर चर्चा करें।
- भारत में अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध के निहितार्थों की व्याख्या करें।
- उपयुक्त निष्कर्ष निकालें।
परिचय:
संगठित अपराध को एक साथ कार्य करने वाले समूहों या नेटवर्क द्वारा की जाने वाली अवैध गतिविधियों के रूप में परिभाषित किया जाता है, जिसमें अक्सर वित्तीय या भौतिक लाभ प्राप्त करने के लिये हिंसा, भ्रष्टाचार या संबंधित क्रियाएँ शामिल होती हैं। पार-राष्ट्रीय संगठित अपराध (TOC) तब होता है जब गतिविधियाँ या समूह कई देशों में संचालित होते हैं।
मुख्य बिंदु:
पार-राष्ट्रीय संगठित अपराध अवैध गतिविधियों की एक विस्तृत शृंखला को चिह्नित करता है:
- धन शोधन/मनी लॉन्ड्रिंग: इसका अभिप्राय अवैध रूप से अर्जित आय को छिपाना या उसके स्रोतों को बदलना है ताकि वह वैध स्रोतों से उत्पन्न प्रतीत हो। अपराधी, आपराधिक गतिविधियों से प्राप्त आय को कानूनी स्रोत के माध्यम से वैध धन में परिवर्तित कर देते हैं।
- एक वर्ष में वैश्विक स्तर पर धन शोधन की अनुमानित राशि वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product- GDP) का 2% से 5% या 800 बिलियन अमेरिकी डाॅलर से 2 ट्रिलियन अमेरिकी डाॅलर है।
- नशीले पदार्थों की तस्करी: यह अपराधियों के लिये व्यवसाय का सबसे आकर्षक रूप बना हुआ है।
- अनुमान है कि वैश्विक नशीले पदार्थों की तस्करी लगभग 650 अरब अमेरिकी डॉलर की है, जो कुल अवैध अर्थव्यवस्था में 30% का योगदान करती है।
- मानव तस्करी: एक वैश्विक अपराध जहाँ पुरुषों, महिलाओं और बच्चों का उपयोग यौन या श्रम-आधारित शोषण के लिये किया जाता है।
- विश्व भर में मानव तस्करी से होने वाला वार्षिक लाभ लगभग 150 बिलियन डॉलर है।
- ये विश्व भर में अनुमानित 25 मिलियन लोगों को शिकार बनाते हैं, जिनमें से 80% जबरन श्रम और 20% यौन तस्करी में शामिल हैं।
- प्रवासियों की तस्करी: यह एक सुव्यवस्थित व्यवसाय है जो तस्करी द्वारा लोगों को आपराधिक नेटवर्क, समूहों और मार्गों के माध्यम से विश्व भर में ले जाता है।
- वर्ष 2009 में लैटिन अमेरिका से उत्तरी अमेरिका में 3 मिलियन प्रवासियों की अवैध तस्करी के माध्यम से तस्करों ने 6.6 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक कमाए थे।
- अवैध आग्नेयास्त्रों की तस्करी: इसमें हथियारों, विस्फोटकों और गोला-बारूद के अवैध व्यापार की तस्करी शामिल है, जो अक्सर पार-देशीय आपराधिक संगठनों से जुड़ी अवैध गतिविधियों की एक विस्तृत शृंखला का हिस्सा होता है।
- आग्नेयास्त्रों के अवैध व्यापार से वैश्विक स्तर पर लगभग 170 मिलियन डॉलर से 320 मिलियन डॉलर की वार्षिक आय होती है।
- प्राकृतिक संसाधनों की तस्करी: इसमें खनिज और ईंधन जैसे गैर-नवीकरणीय संसाधनों तथा वन्यजीवन (विदेशी बाज़ारों में निर्यात के लिये चमड़ा व शरीर के अंग), वानिकी एवं मत्स्य पालन जैसे नवीकरणीय संसाधनों (Renewable Resources) आदि का व्यापार शामिल है।
- अंतर्राष्ट्रीय संगठनों द्वारा इस व्यापार को अक्सर "पर्यावरणीय अपराध" कहा जाता है।
- वर्ष 2010 में सिर्फ एशिया में हाथी के दाँत, गैंडे के सींग और बाघ के अंगों की बिक्री अनुमानित 75 मिलियन अमेरिकी डॉलर की थी।
- नकली दवाएँ: इनमें नकली दवाएँ तथा कानूनी और विनियमित आपूर्ति शृंखलाओं से हटाई गई दवाएँ भी शामिल हैं।
- लोगों के स्वास्थ्य को बेहतर करने के बजाय, नकली दवाओं (Fraudulent Medicines) के सेवन से रोगियों की मृत्यु हो सकती है या घातक संक्रामक रोगों के इलाज के लिये उपयोग की जाने वाली दवाओं के प्रति प्रतिरोध उत्पन्न हो सकता है।
- साइबर अपराध और पहचान की चोरी: अपराधी निजी डेटा चुराने, बैंक खातों तक पहुँचने और धोखाधड़ी से भुगतान कार्ड विवरण प्राप्त करने के लिये इंटरनेट का उपयोग करते हैं।
भारत में पार-राष्ट्रीय संगठित अपराध के निहितार्थ:
- सीमा सुरक्षा: तस्करी के लिये भारत की विस्तृत और प्राय: अपर्याप्त निगरानी वाली सीमाओं का दुरुपयोग किया जाता है।
- लश्कर-ए-तैयबा (LET), जैश-ए-मोहम्मद (JEM), हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी (HUM) और हरकत-उल-मुजाहिदीन (LOC) जैसे पाकिस्तान स्थित समूह नियंत्रण रेखा (LOC) के पार से जम्मू-कश्मीर के भीतर आतंकवादी गतिविधियों में संलिप्त रहते हैं।
- आतंकवाद: कुछ TOC समूह आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े हुए हैं, जो अपने नेटवर्क का उपयोग चरमपंथी आंदोलनों को वित्तपोषित करने और समर्थन देने के लिये करते हैं।
- भारत के विभिन्न भागों में आतंकवादी संगठन विभिन्न माध्यमों से धन एकत्रित करते हैं, जिनमें फारस की खाड़ी के दानदाता, राज्य प्रायोजक, संचालक और हवाला प्रणाली शामिल हैं।
- साइबर अपराध की घटनाओं में वृद्धि: वर्ष 2024 में, भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) ने साइबर अपराध में चिंताजनक वृद्धि की सूचना दी, जिसमें औसतन 7,000 दैनिक शिकायतें थीं।
- बढ़ी हुई हिंसा: TOC से जुड़ी आपराधिक गतिविधियाँ हिंसा और अपराध दर में वृद्धि में योगदान करती हैं।
- NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2022 में पूरे भारत में मानव तस्करी के कुल 2,250 मामले दर्ज किये गए और 6,036 पीड़ितों की पहचान की गई, जिनमें 2,878 बच्चे तथा 1,059 लड़कियाँ थीं।
- भ्रष्टाचार: TOC नेटवर्क अक्सर रिश्वतखोरी और भ्रष्टाचार में लिप्त रहते हैं, जिससे जनता का विश्वास तथा संस्थाओं की प्रभावशीलता कम होती है।
- ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2023 के लिये भ्रष्टाचार बोध सूचकांक में 180 देशों में से भारत 93वें स्थान पर है।
- राजस्व की हानि: अवैध गतिविधियाँ सरकार को कर राजस्व से वंचित और वैध व्यवसायों को कमज़ोर करती हैं।
- क्राइम इन इंडिया रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि सरकारी अधिकारियों ने वर्ष 2022 में कुल 342 करोड़ रुपए से अधिक मूल्य के नकली भारतीय रूपए के नोट (FICN) ज़ब्त किये।
- प्रवर्तन में कठिनाइयाँ: कानून प्रवर्तन एजेंसियों को अंतर्राष्ट्रीय परिचालनों से निपटने में सीमित संसाधनों और क्षेत्राधिकार संबंधी बाधाओं से जूझना पड़ता है।
निष्कर्ष:
भारत में अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध एक बहुआयामी मुद्दा है जिसका सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और समाज पर दूरगामी प्रभाव पड़ता है। इस चुनौती से निपटने के लिये एक व्यापक दृष्टिकोण की आवश्यकता है जिसमें कानूनी ढाँचे को मज़बूत करना, अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ाना और लक्षित कानून प्रवर्तन रणनीतियों में निवेश करना शामिल है। इन पहलुओं से निपटकर, भारत अपने राष्ट्रीय हितों की बेहतर सुरक्षा कर सकता है और स्थिरता को बढ़ावा दे सकता है।