Mains Marathon

दिवस-35: भारत में प्रभावी सीमा प्रबंधन से संबंधित चुनौतियों को बताते हुए आवश्यक रणनीतियों पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

16 Aug 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आंतरिक सुरक्षा

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • भारत में सीमा प्रबंधन के महत्त्व का संक्षेप में परिचय दीजिये।
  • भारत की विस्तृत भूमि और समुद्री सीमाओं द्वारा उत्पन्न विविध चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
  • भारत में प्रभावी सीमा प्रबंधन के लिये आवश्यक रणनीतियों की व्याख्या कीजिये।
  • उपर्युक्त निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

सीमा प्रबंधन एक सुरक्षा कार्य है जिसका उद्देश्य हमारी सीमाओं को सुरक्षित रखना और भारत से दूसरे देशों में माल तथा लोगों की आवाजाही में शामिल जोखिमों से हमारे देश की रक्षा करना है। भारत की भू-सीमा 15,106.7 किलोमीटर है और द्वीप क्षेत्रों सहित 7,516.6 किलोमीटर लंबी तटरेखा है।

मुख्य बिंदु:

भारतीय सीमाओं के प्रबंधन में विविध चुनौतियाँ:

  • भारत-पाक सीमा चुनौतियाँ:
    • सीमा पार आतंकवाद: यह भारत और पाकिस्तान के बीच मतभेद के प्रमुख कारणों में से एक है।
    • घुसपैठ: पाकिस्तान में राजनीतिक अस्थिरता और संकट भी सीमा पार से घुसपैठ तथा आतंकवाद के कारण खतरों में वृद्धि का कारण बनता है।
  • भारत-चीन सीमा चुनौतियाँ:
    • यह विवादित बनी हुई है और पिछले कुछ वर्षों में दोनों देशों के बीच टकराव के प्रमुख बिंदुओं में से एक है।
    • चीनी घुसपैठ और टकराव अधिक हो गए हैं तथा इससे दो एशियाई दिग्गजों के बीच पूर्ण संघर्ष की आशंका है।
  • भारत-बांग्लादेश सीमा चुनौतियाँ:
    • अवैध अप्रवास: सीमा की छिद्रपूर्णता के कारण, भारत में अवैध अप्रवासियों का आना प्राथमिक चुनौती रही है।
    • तस्करी: भारतीय सीमा के इस हिस्से में एक बड़ी चुनौती हथियारों, गोला-बारूद और ड्रग्स की तस्करी है।
  • भारत-नेपाल सीमा चुनौतियाँ:
    • तस्करी: खुली सीमाएँ भारत में ड्रग्स, चोरी के वाहनों , हथियारों और गोला-बारूद की तस्करी जैसी अवैध गतिविधियों को बढ़ावा देती हैं।
    • आतंकवाद: हाल ही में असामाजिक तत्त्व और आतंकवादी संगठन भी भारत में कम-से-कम प्रतिरोध के लिये इस खुली सीमा का उपयोग कर रहे हैं।
  • भारत-म्याँमार सीमा चुनौतियाँ:
    • मादक पदार्थों की तस्करी: विद्रोही बड़े पैमाने पर मादक पदार्थों की तस्करी में शामिल हैं, खासकर मणिपुर में मोरेह और उत्तरी थाईलैंड, लाओस एवं म्याँमार को कवर करने वाले गोल्डन ट्राएंगल जैसे क्षेत्रों में।
    • उग्रवाद: खुली सीमा और जनजातीय समुदाय के बीच अंतर-जातीय संबंध के कारण उग्रवादियों को सीमा सुरक्षा बलों से बच निकलने में सहायता मिलती है।
  • लंबी तटरेखा: भारत की तटरेखा 7,000 किमी. से अधिक लंबी है, जो इसे समुद्री डकैती, आतंकवाद, तस्करी, अवैध रूप से मछली पकड़ने और पर्यावरण क्षरण जैसे विभिन्न खतरों के प्रति संवेदनशील बनाती है।
    • भारत को अपनी तटीय और अपतटीय परिसंपत्तियों, जैसे तेल एवं गैस प्रतिष्ठानों, मछली ग्रहण मैदानों तथा बंदरगाहों को इन खतरों से बचाने की आवश्यकता है।
  • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शून्य-संचय प्रतिस्पर्द्धा:
    • हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शक्तिशाली देशों के बीच कथित शून्य-संचय प्रतिस्पर्द्धा को विशेष रूप से भारतीय हितों के लिये खतरे के रूप में पहचाना गया है।

भारत में प्रभावी सीमा प्रबंधन के लिये आवश्यक रणनीतियाँ:

  • बुनियादी ढाँचे का विकास: सीमा सुरक्षा को बढ़ाने के लिये, सभी मौसमों के अनुकूल सड़कों और एकीकृत चेक पोस्ट (ICP) सहित मज़बूत बुनियादी ढाँचे की आवश्यकता है। बेहतर बुनियादी ढाँचे से बेहतर गश्त, बलों की तेज़ी से आवाजाही और सीमा क्षेत्रों के अधिक कुशल प्रबंधन की सुविधा मिलेगी।
    • उदाहरण के लिये, वर्ष 2014 से 2022 की अवधि में चीन सीमा क्षेत्रों में निर्मित सड़कों की लंबाई (6,806 किमी.) वर्ष 2008-2014 (3,610 किमी.) के बीच निर्मित सड़कों की लंबाई से लगभग दोगुनी है।
  • प्रौद्योगिकी का उपयोग: प्रभावी सीमा निगरानी के लिये ड्रोन, सैटेलाइट इमेज़री, थर्मल सेंसर और रडार जैसी उन्नत निगरानी तकनीकों को अपनाना महत्त्वपूर्ण है। ये तकनीकें घुसपैठ और अवैध गतिविधियों का वास्तविक समय पर पता लगाने में मदद कर सकती हैं, जिससे त्वरित कार्रवाई की जा सकती है।
    • भारत-पाकिस्तान सीमा (10 किलोमीटर) और भारत-बांग्लादेश सीमा (61 किलोमीटर) पर लगभग 71 किलोमीटर क्षेत्र को कवर करने वाली व्यापक एकीकृत सीमा प्रबंधन प्रणाली (CIBMS) की दो पायलट परियोजनाएँ पूरी हो चुकी हैं।
  • सीमा बलों को मज़बूत बनाना:
  • सीमा सुरक्षा बलों को आधुनिक उपकरण, बेहतर प्रशिक्षण और बेहतर कल्याणकारी उपाय उपलब्ध कराए जाने चाहिये। इससे उनकी परिचालन क्षमता और मनोबल बढ़ेगा, जिससे वे सीमा प्रबंधन की चुनौतियों से अधिक प्रभावी ढंग से निपट सकेंगे।
  • सीमा पार सहयोग (CBC): इसमें मानव तस्करी, हथियार या ड्रग्स की तस्करी, आतंकवादी खतरे आदि जैसे मुद्दों के लिये सीमा सुरक्षा हेतु पड़ोसी देशों के बीच सूचना साझाकरण तथा सहयोगात्मक दृष्टिकोण शामिल है।
  • सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास: सरकार ने आवश्यक सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढाँचे और पर्याप्त सुरक्षा के प्रावधान को सुविधाजनक बनाने के लिये वर्ष 1987 में सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम (BADP) शुरू किया।
    • अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, उत्तराखंड और केंद्रशासित प्रदेश लद्दाख के उत्तरी सीमा से सटे 19 ज़िलों के चुनिंदा गाँवों के व्यापक विकास के लिये वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम (VVP) शुरू किया गया।

निष्कर्ष:

भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के लिये प्रभावी सीमा प्रबंधन महत्त्वपूर्ण है। लेकिन एक समग्र दृष्टिकोण के साथ जिसमें बुनियादी ढाँचा का विकास, तकनीकी में उन्नति, सामुदायिक जुड़ाव और कूटनीतिक प्रयास शामिल हैं, इन चुनौतियों पर काबू पाने के लिये भारत की सीमाओं की सुरक्षा एवं संरक्षा सुनिश्चित करने के लिये एक समन्वित और व्यापक रणनीति आवश्यक है।