14 Aug 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आपदा प्रबंधन
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भगदड़ को परिभाषित कीजिये तथा इसके निहितार्थों का उल्लेख कीजिये।
- भारत में भगदड़ में योगदान देने वाले कारकों का विश्लेषण कीजिये।
- ऐसी घटनाओं को कम करने में वर्तमान आपदा प्रबंधन रणनीतियों की प्रभावशीलता का मूल्यांकन कीजिये।]
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
भगदड़ भीड़ का एक आवेगपूर्ण सामूहिक आंदोलन है जिसके परिणामस्वरूप लोग अक्सर घायल और उनकी मौतें होती हैं। यह अक्सर किसी खतरे की आशंका, भौतिक स्थान की हानि और संतुष्टिदायक कुछ पाने की सामूहिक इच्छा के कारण होता है। भारत में धार्मिक त्योहारों, सार्वजनिक कार्यक्रमों या राजनीतिक रैलियों के दौरान होने वाली भगदड़ अक्सर दुखद जीवन हानि का कारण बनती है और प्रभावी भीड़ प्रबंधन रणनीतियों की आवश्यकता को उजागर करती है।
मुख्य बिंदु:
भारत में भगदड़ में योगदान देने वाले कारक:
- भीड़भाड़: भगदड़ का एक मुख्य कारण भीड़भाड़ है, जहाँ सीमित स्थानों पर लोगो का घनत्व अधिक होता।
- इलाहाबाद में वर्ष 2013 के कुंभ मेले में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ होने के कारण जानलेवा भगदड़ मच गई थी।
- बुनियादी ढाँचे पर प्रभाव: यह भौतिक बुनियादी ढाँचे जैसे कि बैरियर और भवनों को क्षति पहुँचा सकता है। बुनियादी ढाँचे की मरम्मत और उन्नयन से जुड़ी लागतों का वहन करना चुनौतीपूर्ण हो जाता है।
- वर्ष 2012 में पटना में गंगा नदी के तट पर अदालत घाट पर छठ पूजा के दौरान एक अस्थायी पुल के ढह जाने से मची भगदड़ में लगभग 20 लोग मारे गए और कई घायल हो गए।
- योजना और समन्वय का अभाव: कई मामलों में कार्यक्रम आयोजकों, कानून प्रवर्तन और आपदा प्रबंधन एजेंसियों के बीच अपर्याप्त योजना तथा समन्वय के कारण अराजकता उत्पन्न होती है।
- वर्ष 2024 के हाथरस भगदड़ में अपर्याप्त योजना और समन्वय के कारण 110 से अधिक मौतें हुईं।
- अफवाहें और भय: अफवाहों या आग लगने या झूठे अलार्म जैसी छोटी-मोटी घटनाओं से अचानक होने वाले भय, भीड़ की अनियंत्रित गतिविधि का कारण बन सकती है।
- वर्ष 2013 में, मध्य प्रदेश के दतिया ज़िले में रतनगढ़ मंदिर के पास नवरात्रि उत्सव के दौरान भगदड़ में 15 लोग मारे गए और 100 से ज़्यादा लोग घायल हो गए। भगदड़ की शुरुआत इस अफवाह से हुई थी कि जिस नदी के पुल को श्रद्धालु पार कर रहे थे, वह ढहने वाला है।
- अपर्याप्त कानून प्रवर्तन: पर्याप्त कानून प्रवर्तन कर्मियों की कमी या भीड़ नियंत्रण में अपर्याप्त प्रशिक्षण भगदड़ की गंभीरता में महत्त्वपूर्ण योगदान दे सकता है।
- वर्ष 2011 में, केरल के इडुक्की ज़िले के पुलमेडु में घर जा रहे तीर्थयात्रियों को एक जीप ने टक्कर मार दी थी, जिससे भगदड़ में कम-से-कम 104 सबरीमाला भक्त मारे गए और 40 से अधिक घायल हो गए थे।
- सांस्कृतिक और सामाजिक कारक: धार्मिक या राजनीतिक आयोजनों के दौरान लीगों की भावनात्मक और उत्साही प्रकृति से भगदड़ की संभावना बढ़ जाती है। इन आयोजनों में भाग लेने वालों की संख्या अक्सर मौजूदा प्रबंधन क्षमताओं पर भारी पड़ जाती है।
- वर्ष 2015 में गोदावरी नदी के तट पर एक प्रमुख स्नान स्थल पर भगदड़ के कारण 27 तीर्थयात्रियों की मौत हो गई तथा 20 लोग घायल हो गए, जहाँ आंध्र प्रदेश के राजमुंदरी में 'पुष्करम' उत्सव के उद्घाटन के दिन भक्तों की भारी भीड़ जमा हुई थी।
भगदड़ को नियंत्रित करने के लिये भारत की पहल:
- यातायात और भीड़ प्रबंधन: NDMA त्योहारों के दौरान यातायात को नियंत्रित करने, मार्ग मानचित्र प्रदर्शित करने और पैदल यात्रियों के प्रवाह को नियंत्रित करने के लिये बैरिकेड्स का उपयोग करने की सलाह देता है।
- सुरक्षा उपाय: अपराधों को रोकने के लिये CCTV निगरानी और पुलिस की मौजूदगी बढ़ाने पर ज़ोर देते हुए, NDMA ने आयोजकों से अनधिकृत पार्किंग तथा स्टॉल का प्रभावी ढंग से प्रबंधन करने का आग्रह किया।
- चिकित्सा संबंधी तैयारियाँ: NDMA ने एंबुलेंस को स्टैंडबाय पर रखने और चिकित्सा कर्मचारियों को तैयार रखने की सिफारिश की है, साथ ही नज़दीकी अस्पतालों को स्पष्ट संकेत भी दिये हैं।
- भीड़ से सुरक्षा के सुझाव: सभा के दौरान उपस्थित लोगों को निकास मार्गों और शांत व्यवहार के बारे में शिक्षित करते हुए, NDMA ने भगदड़ की स्थिति से निपटने के लिये तैयारियों पर ज़ोर दिया है।
- अग्नि सुरक्षा: NDMA सुरक्षित विद्युत वायरिंग, LPG सिलेंडर के उपयोग की निगरानी तथा आग से बचाव के लिये आतिशबाज़ी के साथ सावधानी बरतने पर प्रकाश डालता है।
- आपदा जोखिम न्यूनीकरण: NDMA आपदा न्यूनीकरण के लिये संयुक्त राष्ट्र अंतर्राष्ट्रीय रणनीति (UNISDR) के सहयोग से एशियाई मंत्रिस्तरीय सम्मेलन जैसे सरकारी पहलों और आगामी सम्मेलनों का समर्थन करता है, जिसमें आपदा के लचीलेपन पर ध्यान केंद्रित किया जाता है तथा सेंदाई फ्रेमवर्क (Sendai Framework) को मान्यता दी जाती है।
- सामुदायिक उत्तरदायित्व: NDMA आपदा निवारण में सामूहिक उत्तरदायित्व को रेखांकित करता है तथा उत्सव के आयोजनों के दौरान सुरक्षा को बढ़ावा देता है।
भगदड़ को रोकने के लिये किये जाने वाले प्रयास:
- वास्तविक समय घनत्व निगरानी (Real-time Density Monitoring): वास्तविक समय में भीड़ घनत्व की निगरानी के लिये सेंसर (थर्मल, LiDAR) का एक नेटवर्क तैनात कर सकते हैं। यह डेटा, भीड़ के बढ़ने का अनुमान लगाने और प्रारंभिक चेतावनियों को ट्रिगर करने के लिये AI मॉडल में फीड किया जा सकता है।
- टिकट अथवा रिस्टबैंड में रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन (RFID) टैग लगाना प्रारंभ करना। यह भीड़ की आवाजाही पर वास्तविक समय में नज़र रखने, भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों की पहचान करने और डिस्प्ले के माध्यम से लक्षित संचार को सक्षम बनाने की अनुमति प्रदान करता है।
- वास्तविक समय में भीड़ की निगरानी के साथ-साथ विसंगति का पता लगाने के लिये उच्च-रिज़ॉल्यूशन कैमरों तथा थर्मल इमेजिंग से लैस ड्रोन का उपयोग करना। ये बड़ी स्क्रीन पर शांतिदायक संदेश या घोषणाएँ भी प्रदर्शित कर सकते हैं।
- इंटेलिजेंट लाइटिंग सिस्टम: भीड़-प्रतिक्रियाशील प्रकाश व्यवस्था लागू करना जो आंदोलन या शांत स्थितियों का मार्गदर्शन करने हेतु भीड़ घनत्व के आधार पर चमक एवं रंग को समायोजित कर सकती है।
- बायोल्यूमिनसेंट सामग्रियों से युक्त रास्ते के साथ वॉक-वे को लागू करना जो आपात स्थिति के मामले में स्वचालित रूप से उज्ज्वल चमकते हैं। यह गति को निर्देशित कर सकते है और साथ ही कम रोशनी वाली स्थितियों में घबराहट को भी कम कर सकता है।
- इंटरैक्टिव संचार डिस्प्ले: इंटरैक्टिव डिस्प्ले स्थापित करना जो वास्तविक समय में प्रतीक्षा समय, निकासी मार्ग और आवश्यक जानकारी को कई भाषाओं में दिखाएँ।
- अभियान: लोगों को भीड़ सुरक्षा प्रोटोकॉल और साथ-ही-साथ बड़ी सभाओं के दौरान उचित व्यवहार के बारे में शिक्षित करने के लिये जन जागरूकता अभियान चलाना।
निष्कर्ष:
भीड़ आपदाओं को रोकने के लिये एक सहयोगी दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है। सरकार और जनता को बड़ी सभाओं के लिये सुरक्षित वातावरण बनाने हेतु मिलकर कार्य करना चाहिये। भीड़ प्रबंधन से जुड़े जोखिमों को कम करने और इसमें शामिल सभी व्यक्तियों की सुरक्षा तथा भलाई सुनिश्चित करने के लिये बेहतर संचार, सामुदायिक सहभागिता और साझा ज़िम्मेदारी आवश्यक घटक हैं।