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दिवस- 33: भारत में आपदा प्रबंधन से संबंधित ढाँचे पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

14 Aug 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आपदा प्रबंधन

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • भारत में आपदा प्रबंधन ढाँचे की आवश्यकता का संक्षेप में व्याख्या कीजिये।
  • भारत में आपदा प्रबंधन से संबंधित ढाँचे पर चर्चा कीजिये।
  • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

भारत, विभिन्न स्तरों पर अनेक प्राकृतिक तथा मानव-निर्मित आपदाओं के प्रति संवेदनशील है। देश का 58.6 प्रतिशत भूभाग मध्यम से बहुत उच्च तीव्रता वाले भूकंपों के प्रति संवेदनशील है, 40 मिलियन हेक्टेयर (भूमि का 12 प्रतिशत) से अधिक क्षेत्र बाढ़ और नदी अपरदन के प्रति संवेदनशील है, 7,516 किलोमीटर लंबी तटरेखा में से लगभग 5,700 किलोमीटर क्षेत्र चक्रवातों एवं सुनामी के प्रति संवेदनशील है, कृषि योग्य 68 प्रतिशत क्षेत्र सूखे के प्रति संवेदनशील है तथा पहाड़ी क्षेत्रों में भूस्खलन व हिमस्खलन का खतरा बना रहता है। जिसके लिये देश में एक मज़बूत आपदा प्रबंधन ढाँचे की स्थापना आवश्यक है।

मुख्य बिंदु:

भारत में आपदा प्रबंधन से संबंधित प्रमुख ढाँचा:

  • आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005: आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (Disaster Management Act of 2005) ने भारत में राष्ट्रीय, राज्य और ज़िला स्तर पर आपदा प्रबंधन के लिये विधिक एवं संस्थागत ढाँचा प्रदान किया है।
    • जबकि आपदा प्रबंधन का प्राथमिक उत्तरदायित्व राज्यों पर है, केंद्र सरकार लॉजिस्टिक्स और वित्तीय सहायता प्रदान करने के माध्यम से राज्य सरकारों के प्रयासों का समर्थन करती है।
  • आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 के तहत संस्थागत ढाँचा:
    • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (National Disaster Management Authority- NDMA): यह प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में गठित शीर्ष निकाय है जो आपदा प्रबंधन के लिये नीति, योजना और दिशा-निर्देश तैयार करने के लिये ज़िम्मेदार है।
      • NDMA प्राकृतिक और मानवजनित, दोनों प्रकार की आपदाओं से निपटता है तथा प्रवर्तन एवं कार्यान्वयन का समन्वय करता है।
    • राष्ट्रीय कार्यकारी समिति (National Executive Committee- NEC): यह NDMA की सहायता करती है, जिसके अध्यक्ष केंद्रीय गृह सचिव होते हैं और इसमें कई सचिव एवं अधिकारी शामिल होते हैं।
      • यह आपदा प्रबंधन के लिये राष्ट्रीय योजना तैयार करती है और उसकी निगरानी करती है तथा आपदा की स्थिति में प्रतिक्रियाओं का समन्वय करती है।
    • राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (State Disaster Management Authority- SDMA): इसके अध्यक्ष संबंधित राज्य के मुख्यमंत्री होते हैं। यह राज्यस्तरीय आपदा प्रबंधन नीतियों एवं योजनाओं के निर्माण, कार्यान्वयन के समन्वय और राज्य विकास योजनाओं में शमन उपायों को एकीकृत करने के लिये ज़िम्मेदार है।
    • ज़िला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (District Disaster Management Authority- DDMA): इसका नेतृत्व ज़िला कलेक्टर द्वारा किया जाता है, जबकि सह-अध्यक्ष के रूप में एक निर्वाचित प्रतिनिधि शामिल होता है।
      • यह ज़िला-स्तरीय आपदा प्रबंधन योजनाएँ तैयार करता है और उनका क्रियान्वयन करता है तथा राष्ट्रीय एवं राज्य नीतियों का अनुपालन सुनिश्चित कराता है।
  • स्थानीय प्राधिकरण: इसमें पंचायती राज संस्थाएँ (PRIs), नगर निकाय, ज़िला एवं छावनी बोर्ड और नगर नियोजन प्राधिकरण शामिल हैं। यह क्षमता निर्माण, राहत, पुनर्वास और आपदा प्रबंधन योजनाएँ तैयार करने के लिये ज़िम्मेदार है।

  • मुख संस्थान:
    • राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (National Institute of Disaster Management- NIDM): यह क्षमता विकास, प्रशिक्षण, अनुसंधान और दस्तावेज़ीकरण पर ध्यान केंद्रित करता है।
      • यह संस्थान NDMA के दिशा-निर्देशों के तहत कार्य करता है और आपदा प्रबंधन के लिये ‘उत्कृष्टता केंद्र’ (Centre of Excellence) स्थापित करता है।
    • राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (National Disaster Response Force- NDRF): यह रासायनिक, जैविक, रेडियोलॉजिकल और परमाणु आपात स्थितियों सहित प्राकृतिक एवं मानवजनित आपदाओं के लिये विशेष प्रतिक्रिया बल है।
      • यह NDMA के निर्देशन में कार्य करता है और इसके आठ बटालियन विभिन्न स्थानों पर तैनात हैं।
  • विभिन्न समितियाँ:
    • प्राकृतिक आपदा प्रबंधन पर मंत्रिमंडल समिति (Cabinet Committee on Management of Natural Calamities- CCMNC): यह प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन की देखरेख करती है, निवारक उपाय सुझाती है और जन जागरूकता को बढ़ावा देती है।
  • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिबद्धताएँ:
    • आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिये सेंदाई फ्रेमवर्क (Sendai Framework for Disaster Risk Reduction- SFDRR): इसे मार्च 2015 में आपदा जोखिम न्यूनीकरण पर तीसरे संयुक्त राष्ट्र विश्व सम्मेलन के दौरान अंगीकृत किया गया था और भारत भी इसका हस्ताक्षरकर्त्ता है।
      • भारत व्यवस्थित एवं सतत् प्रयासों के माध्यम से इस ढाँचे के तहत निर्धारित सात लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये समर्पित है।
    • ह्योगो फ्रेमवर्क फॉर एक्शन’ (Hyogo Framework for Action- HFA): इसे आपदा के कारण जीवन और आर्थिक एवं पर्यावरणीय संपत्तियों की हानि को कम करने के लिये विश्व स्तर पर अपनाया गया है तथा भारत भी इसका हस्ताक्षरकर्त्ता है।
      • HFA ने तीन रणनीतिक लक्ष्य और पाँच प्राथमिक कार्य क्षेत्र निर्धारित किये हैं, जो आपदा जोखिम न्यूनीकरण को सतत् विकास नीतियों, क्षमता निर्माण, तैयारी एवं भेद्यता न्यूनीकरण में एकीकृत करने पर केंद्रित हैं।

निष्कर्ष:

भारत का आपदा प्रबंधन ढाँचा व्यापक है, जिसमें तैयारी से लेकर पुनर्प्राप्ति तक सभी पहलू शामिल हैं। हालाँकि अधिक प्रभावी और अनुकूल प्रणाली सुनिश्चित करने के लिये संस्थानों को मज़बूत करने, क्षमता बढ़ाने तथा तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने की आवश्यकता है। इन चुनौतियों का समाधान करके, भारत आपदाओं के जोखिमों को बेहतर ढंग से कम कर सकता है। नीतियों और प्रथाओं का निरंतर विकास देश में स्थायी आपदा प्रबंधन को प्राप्त करने के लिये महत्त्वपूर्ण होगा।