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  • 12 Aug 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    दिवस- 31: भारत की विभिन्न महत्त्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकियाँ कौन-सी हैं? इन प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में आने वाली चुनौतियों पर चर्चा करते हुए इनके प्रभावी समाधान बताइये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों के बारे में संक्षिप्त परिचय दीजिये।
    • भारत में महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियों का उल्लेख कीजिये।
    • इन प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में आने वाली चुनौतियों के बारे में बताइये।
    • इन चुनौतियों से निपटने के लिये समाधान सुझाइये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    भारत में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्लॉकचेन, क्वांटम कंप्यूटिंग और जैव प्रौद्योगिकी सहित महत्त्वपूर्ण प्रौद्योगिकियाँ विभिन्न क्षेत्रों में महत्त्वपूर्ण प्रगति को बढ़ावा दे रही हैं। भारत ने उल्लेखनीय प्रगति की है और स्वयं को तकनीकी नवाचार, अनुसंधान तथा अनुप्रयोग में अग्रणी के रूप में स्थापित किया है। सरकार की पहल एवं निवेश ने इन क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा दिया है, जिससे देश की वैश्विक तकनीकी स्थिति में सुधार हुआ है।

    मुख्य बिंदु:

    भारत में महत्त्वपूर्ण एवं उभरती हुई प्रौद्योगिकियाँ

    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग (ML) और रोबोटिक्स:
      • AI: कृत्रिम बुद्धिमत्ता वह तकनीक है जो कंप्यूटर और मशीनों को मानवीय बुद्धिमत्ता तथा समस्या-समाधान क्षमताओं का अनुकरण करने को सक्षम बनाती है।
      • ML: मशीन लर्निंग (ML) कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) और कंप्यूटर विज्ञान की एक शाखा है जो डेटा तथा एल्गोरिदम का उपयोग करके AI को मनुष्यों के सीखने के तरीके की नकल करने को सक्षम बनाती है, जिससे धीरे-धीरे इसकी सटीकता में सुधार होता है।
      • रोबोटिक्स: रोबोटिक्स इंजीनियरिंग और कंप्यूटर विज्ञान की एक शाखा है जिसमें रोबोट की अवधारणा, डिज़ाइन, निर्माण तथा संचालन शामिल है। रोबोटिक्स क्षेत्र का उद्देश्य बुद्धिमत्ता के साथ विभिन्न तरीकों से मनुष्यों की सहायता करने वाली मशीनें विकसित करना है।
      • AI, ML और रोबोटिक्स स्वचालन को बढ़ावा देकर, निर्णय लेने में सुधार करके तथा उत्पादकता बढ़ाकर स्वास्थ्य सेवा, वित्त एवं विनिर्माण जैसे क्षेत्रों को बदल रहे हैं।
    • 5G और अगली पीढ़ी का संचार: 5G तकनीक की शुरूआत से कनेक्टिविटी में क्रांतिकारी बदलाव आने की उम्मीद है, जिससे तेज़ इंटरनेट स्पीड, निम्न विलंबता और स्मार्ट शहरों तथा IoT पारिस्थितिकी तंत्रों को सहयोग मिलेगा।
    • ब्लॉकचेन और साइबर सुरक्षा: ब्लॉकचेन सुरक्षित और पारदर्शी रिकॉर्ड रखने की सुविधा प्रदान करता है, जबकि साइबर सुरक्षा खतरों से बचाने में महत्त्वपूर्ण है क्योंकि भारत सेवाओं को डिजिटल बनाता है तथा डेटा गोपनीयता में वृद्धि करता है।
      • ब्लॉकचेन: ब्लॉकचेन एक वितरित प्रणाली है जिसे कंप्यूटर के नेटवर्क पर क्रिप्टोकरेंसी में लेन-देन रिकॉर्ड को सुरक्षित तथा विकेंद्रीकृत करने के लिये साझा किया जाता है। क्रिप्टोकरेंसी से परे, ब्लॉकचेन डेटा अपरिवर्तनीयता सुनिश्चित करता है, जिसका अर्थ है कि एक बार रिकॉर्ड किये जाने के बाद, डेटा को परिवर्तित नहीं किया जा सकता है।
    • क्वांटम कंप्यूटिंग और उन्नत सामग्री: क्वांटम कंप्यूटिंग में जटिल समस्याओं को तेज़ी से हल करने की क्षमता है, जबकि नैनो प्रौद्योगिकी सहित उन्नत सामग्रियों में अनुसंधान विभिन्न क्षेत्रों में नवाचारों को बढ़ावा दे रहा है।
      • क्वांटम कंप्यूटर: क्वांटम कंप्यूटिंग अत्याधुनिक कंप्यूटर विज्ञान का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र है, जो क्वांटम यांत्रिकी के अद्वितीय गुणों का उपयोग करके सबसे शक्तिशाली शास्त्रीय कंप्यूटरों की क्षमता से परे समस्याओं को हल करता है।
    • जैव प्रौद्योगिकी, जीनोमिक्स और कृषि जैव प्रौद्योगिकी: जैव प्रौद्योगिकी, जीनोमिक्स और कृषि जैव प्रौद्योगिकी में प्रगति स्वास्थ्य सेवा, व्यक्तिगत चिकित्सा, फसल सुधार तथा खाद्य सुरक्षा को बढ़ा रही है।
    • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी: भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम उपग्रह प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष अन्वेषण और पृथ्वी अवलोकन तथा संचार सेवाओं में अनुप्रयोगों पर केंद्रित है।
    • अक्षय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी: भारत अक्षय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक मोबिलिटी में अग्रणी है, जो संधारणीय ऊर्जा तथा परिवहन को बढ़ावा देने के लिये सौर, पवन एवं बैटरी प्रौद्योगिकी पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।
    • एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग (3डी प्रिंटिंग): 3डी प्रिंटिंग तेज़ी से प्रोटोटाइपिंग और कस्टमाइज़ेशन के माध्यम से विनिर्माण में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही है, जो एयरोस्पेस, हेल्थकेयर तथा ऑटोमोटिव जैसे उद्योगों को प्रभावित कर रही है।
    • नैनो टेक्नोलॉजी: नैनो टेक्नोलॉजी दवा वितरण, निदान और स्वास्थ्य सेवा तथा कृषि जैसे क्षेत्रों में नई सामग्रियों के विकास में प्रगति में योगदान दे रही है।
    • इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT): IoT कृषि, स्वास्थ्य सेवा और शहरी विकास में स्मार्ट समाधान सक्षम कर रहा है, कनेक्टेड डिवाइस तथा सेंसर के माध्यम से दक्षता एवं निर्णय लेने में सुधार कर रहा है।
      • IoT: इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) भौतिक उपकरणों, वाहनों और अन्य भौतिक वस्तुओं के एक नेटवर्क को संदर्भित करता है जो सेंसर, सॉफ्टवेयर तथा नेटवर्क कनेक्टिविटी के साथ एम्बेडेड होते हैं, जो उन्हें डेटा एकत्र एवं साझा करने की अनुमति देते हैं।

    इन प्रौद्योगिकियों के विकास से संबंधित चुनौतियाँ:

    • कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग (ML) और रोबोटिक्स:
      • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा: बड़ी मात्रा में व्यक्तिगत डेटा को संभालते समय मज़बूत डेटा सुरक्षा सुनिश्चित करना।
      • बुनियादी ढाँचे की सीमाएँ और कौशल की कमी: उच्च लागत और अपर्याप्त कंप्यूटिंग संसाधन, साथ ही कुशल पेशेवरों की कमी।
    • 5G और अगली पीढ़ी का संचार:
      • बुनियादी ढाँचे का विकास और विनियामक मुद्दे: जटिल कानूनी ढाँचे और स्पेक्ट्रम आवंटन के अलावा, 5जी बुनियादी ढाँचे की तैनाती में उच्च लागत तथा लॉजिस्टिक समस्याएँ आती हैं।
      • साइबर सुरक्षा संबंधी जोखिम: 5G नेटवर्क के विस्तार के साथ साइबर हमलों के प्रति संवेदनशीलता में वृद्धि।
    • ब्लॉकचेन और साइबर सुरक्षा:
      • मापनीयता और विनियामक अनिश्चितता:: ब्लॉकचेन सिस्टम के समक्ष चुनौतियाँ और ब्लॉकचेन अनुप्रयोगों के लिये स्पष्ट विनियमनों की कमी।
      • साइबर सुरक्षा संबंधी खतरे: ब्लॉकचेन सिस्टम को साइबर हमलों से बचाने के लिये उन्नत उपायों की आवश्यकता।
    • क्वांटम कंप्यूटिंग और उन्नत सामग्री:
      • उच्च लागत और तकनीकी जटिलता: उच्च अनुसंधान एवं विकास व्यय और स्थिर क्वांटम सिस्टम तथा उन्नत सामग्री विकसित करने में आने वाली कठिनाइयाँ।
      • सीमित विशेषज्ञता: इन उन्नत क्षेत्रों में अनुसंधान सुविधाओं और विशेषज्ञों की कमी।
    • जैव प्रौद्योगिकी, जीनोमिक्स और कृषि जैव प्रौद्योगिकी:
      • विनियामक बाधाएँ और नैतिक चिंताएँ: आनुवंशिक संशोधनों से संबंधित जटिल अनुमोदन संबंधी प्रक्रियाएँ और नैतिक मुद्दे।
      • बुनियादी ढाँचा और निवेश: जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान और विकास के लिये अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा तथा वित्तपोषण।
    • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी:
      • अंतरिक्ष मिशन की लागत और तकनीकी संबंधी चुनौतियाँ: अंतरिक्ष अन्वेषण और उपग्रह प्रक्षेपण में उच्च लागत तथा तकनीकी कठिनाइयाँ।
      • अंतर्राष्ट्रीय प्रतिस्पर्द्धा: अमेरिका और चीन जैसे अन्य अंतरिक्ष-प्रवेश करने वाले देशों के साथ तीव्र प्रतिस्पर्द्धा।
    • नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युत गतिशीलता:
      • उच्च आरंभिक लागत और बुनियादी ढाँचे की सीमाएँ: नवीकरणीय ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये महत्त्वपूर्ण अग्रिम निवेश तथा अपर्याप्त बुनियादी ढाँचा।
      • नियामक और नीतिगत चुनौतियाँ: अपनाने में सहायता के लिये सुसंगत नीतियों और प्रोत्साहनों की आवश्यकता।
    • एडिटिव मैन्यूफैक्चरिंग (3डी प्रिंटिंग):
      • सामग्री लागत और तकनीकी कौशल: विशेष सामग्री की उच्च लागत और कुशल तकनीशियनों की आवश्यकता।
      • सीमित अनुप्रयोग क्षेत्र: विभिन्न विनिर्माण प्रक्रियाओं में 3D प्रिंटिंग को लागू करने संबंधी चुनौतियाँ।
    • नैनो प्रौद्योगिकी:
      • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ और विनियामक ढाँचे: संभावित स्वास्थ्य और पर्यावरणीय जोखिम, साथ ही नैनो प्रौद्योगिकी के लिये अपर्याप्त विनियमन।
      • उच्च लागत: नैनो प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के लिये महँगी अनुसंधान और उत्पादन प्रक्रियाएँ।
    • इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT):
      • सुरक्षा मुद्दे और अंतरसंचालनीयता: साइबर हमलों के प्रति संवेदनशीलता और विभिन्न IoT उपकरणों के बीच संगतता सुनिश्चित करने संबंधी चुनौतियाँ।
      • डेटा गोपनीयता: IoT उपकरणों द्वारा एकत्र किये गए डेटा की गोपनीयता से संबंधी चिंताएँ।

    इन चुनौतियों से निपटने के लिये प्रभावी समाधान

    कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI), मशीन लर्निंग (ML) और रोबोटिक्स:

    • डेटा गोपनीयता और सुरक्षा:
      • सख्त डेटा संरक्षण कानून और मानकों को लागू करना: अंतर्निहित गोपनीयता सुविधाओं के साथ सुरक्षित AI सिस्टम विकसित करना।
        • व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक का उद्देश्य डेटा गोपनीयता मानकों को बढ़ाना है। राष्ट्रीय AI रणनीति में सुरक्षित AI विकास के लिये दिशा-निर्देश शामिल हैं।
    • बुनियादी ढाँचे की सीमाएँ और कौशल की कमी:
      • सार्वजनिक-निजी भागीदारी के माध्यम से AI और रोबोटिक्स बुनियादी ढाँचे में निवेश करना; पेशेवरों को कुशल बनाने के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं शैक्षिक पहल स्थापित करना।
        • इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय की डिजिटल इंडिया पहल में AI इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश शामिल है। राष्ट्रीय कौशल विकास मिशन के माध्यम से कौशल विकास कार्यक्रमों एवं शैक्षणिक संस्थानों के साथ साझेदारी को बढ़ावा दिया जाता है।

    5G और अगली पीढ़ी का संचार:

    • बुनियादी ढाँचा विकास और नियामक मुद्दे:
      • स्पेक्ट्रम आवंटन और बुनियादी ढाँचे की तैनाती के लिये नियामक प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित करना; 5जी बुनियादी ढाँचे के विकास के लिये सब्सिडी या प्रोत्साहन प्रदान करना।
        • राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति (NDCM) 2018 का उद्देश्य स्पेक्ट्रम आवंटन को सुव्यवस्थित कर 5जी बुनियादी ढाँचे का समर्थन करना है। सरकार के 5जी परीक्षणों को प्रोत्साहन तथा सब्सिडी का भी समर्थन प्राप्त है।
    • साइबर सुरक्षा जोखिम:
      • 5G नेटवर्क के लिये व्यापक साइबर सुरक्षा मानकों का विकास और प्रवर्तन करना; 5G के लिये उन्नत सुरक्षा प्रौद्योगिकियों पर अनुसंधान का समर्थन करना।
        • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति और साइबर स्वच्छता केंद्र पहल भारत में साइबर सुरक्षा उपायों एवं अनुसंधान को बढ़ाने पर केंद्रित है।

    ब्लॉकचेन और साइबर सुरक्षा:

    • मापनीयता और विनियामक अनिश्चितता:
      • ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के लिये स्पष्ट और सहायक नियम बनाएँ; ब्लॉकचेन प्रणालियों की मापनीयता तथा दक्षता में सुधार के लिये अनुसंधान में निवेश करना।
        • वित्त मंत्रालय और अन्य विनियामक निकाय ब्लॉकचेन विनियमन पर कार्य कर रहे हैं। राष्ट्रीय ब्लॉकचेन रणनीति का उद्देश्य ब्लॉकचेन विकास के लिये एक रूपरेखा प्रदान करना है।
    • साइबर सुरक्षा खतरे:
      • ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी के लिये विशिष्ट राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा ढाँचे की स्थापना करना: सुरक्षा उपायों को बढ़ाने के लिये सरकार और निजी क्षेत्रों के बीच सहयोग को प्रोत्साहित करना।
        • राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा केंद्र और गृह मंत्रालय के अंतर्गत विभिन्न पहल ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी को सुरक्षित करने तथा निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने पर केंद्रित हैं।

    क्वांटम कंप्यूटिंग और उन्नत सामग्री:

    • उच्च लागत और तकनीकी जटिलता:
      • सरकारी अनुदान और सब्सिडी के माध्यम से क्वांटम कंप्यूटिंग और उन्नत सामग्री अनुसंधान के लिये वित्त पोषण में वृद्धि करना, ज्ञान साझा करने तथा लागत कम करने के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा देना।
        • विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (DST) और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी मंत्रालय क्वांटम कंप्यूटिंग अनुसंधान के लिये वित्त मुहैया कराते हैं। वैश्विक नवाचार एवं प्रौद्योगिकी गठबंधन जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को समर्थन प्रदान किया जाता है।
    • सीमित विशेषज्ञता:
      • क्वांटम कंप्यूटिंग और उन्नत सामग्रियों पर केंद्रित शैक्षिक कार्यक्रमों तथा शोध संस्थानों में निवेश करना; इन क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल करने के लिये इंटर्नशिप एवं शोध फेलोशिप को समर्थन प्रदान करना।
        • क्वांटम प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोग पर राष्ट्रीय कार्यक्रम (N-PQT) का उद्देश्य क्वांटम प्रौद्योगिकियों में विशेषज्ञता एवं बुनियादी ढाँचे का विकास करना है।

    जैव प्रौद्योगिकी, जीनोमिक्स और कृषि जैव प्रौद्योगिकी:

    • विनियामक बाधाएँ और नैतिक चिंताएँ:
      • जैव प्रौद्योगिकी उत्पादों के लिये विनियामक अनुमोदन प्रक्रिया को सरल और त्वरित बनाना; आनुवंशिक संशोधनों तथा जैव प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों हेतु नैतिक दिशा-निर्देश एवं रूपरेखा स्थापित करना।
        • जैव प्रौद्योगिकी उद्योग अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) विनियामक और नैतिक ढाँचे के विकास का समर्थन करती है। जेनेटिक इंजीनियरिंग मूल्यांकन समिति (GEAC) विनियमन एवं अनुमोदन की देख-रेख करती है।
    • बुनियादी ढाँचा और निवेश:
      • जैव प्रौद्योगिकी स्टार्टअप और अनुसंधान पहलों के लिये वित्तीय प्रोत्साहन तथा सहायता प्रदान करना, अत्याधुनिक अनुसंधान सुविधाओं एवं बुनियादी ढाँचे में निवेश करना।
        • अटल नवप्रवर्तन मिशन (AIM) और जैवप्रौद्योगिकी नवप्रवर्तन अनुसंधान सहायता परिषद (BIRAC) जैवप्रौद्योगिकी अनुसंधान तथा स्टार्टअप के लिये वित्तपोषण एवं सहायता प्रदान करते हैं।

    अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी:

    • अंतरिक्ष मिशन की लागत और तकनीकी चुनौतियाँ:
      • अंतरिक्ष अनुसंधान और मिशनों के लिये सरकारी वित्तपोषण में वृद्धि करना, लागत तथा तकनीकी विशेषज्ञता साझा करने के लिये निजी कंपनियों के साथ साझेदारी को बढ़ावा देना।
        • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) को सरकार से पर्याप्त धनराशि प्राप्त होती है तथा भारतीय अंतरिक्ष नीति 2023 जैसी पहलों का उद्देश्य निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना है।
    • अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिता:
      • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को मज़बूत करना और वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान पहलों में भाग लेना; घरेलू अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी उद्योगों के विकास को समर्थन देने के लिये नीतियाँ विकसित करना।
        • भारत NASA, ESA और अन्य अंतरिक्ष एजेंसियों के साथ समझौतों के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान में भाग लेता है। अंतरिक्ष गतिविधियाँ संबंधी विधेयक जैसी नीतियाँ घरेलू अंतरिक्ष उद्योग के विकास को बढ़ावा देती हैं।

    नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युत गतिशीलता:

    • उच्च प्रारंभिक लागत और बुनियादी ढाँचे की सीमाएँ:
      • नवीकरणीय ऊर्जा परियोजनाओं तथा इलेक्ट्रिक वाहनों के लिये सब्सिडी या कर प्रोत्साहन प्रदान करना; चार्जिंग अवसंरचना तथा नवीकरणीय ऊर्जा सुविधाओं के निर्माण में निवेश करना।
        • प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा और उत्थान महाभियान (पीएम-कुसुम) तथा हाइब्रिड एवं इलेक्ट्रिक वाहनों को तेज़ी से अपनाने व विनिर्माण (फेम) योजनाएँ वित्तीय प्रोत्साहन एवं सब्सिडी प्रदान करती हैं।
    • विनियामक और नीतिगत चुनौतियाँ:
      • नवीकरणीय ऊर्जा और विद्युत गतिशीलता के लिये सुसंगत तथा सहायक नीतियों को लागू करना; निवेश और स्पष्ट दीर्घकालिक लक्ष्य एवं नियामक ढाँचे स्थापित करना।
        • जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (NAPCC) और राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (NEMMP) नियामक ढाँचे तथा दीर्घकालिक लक्ष्य प्रदान करती हैं।

    एडिटिव मैन्यूफैक्चरिंग (3डी प्रिंटिंग):

    • सामग्री लागत और तकनीकी कौशल:
      • 3D मुद्रण के लिये लागत प्रभावी सामग्रियों और प्रौद्योगिकियों में अनुसंधान का समर्थन करना; 3D मुद्रण तकनीशियनों तथा इंजीनियरों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं प्रमाणन विकसित करना।
        • विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (DST) उन्नत सामग्रियों पर शोध को वित्तपोषित करता है। 3D प्रिंटिंग के लिये कौशल विकास कार्यक्रमों को स्किल इंडिया मिशन जैसी पहलों के माध्यम से समर्थन दिया जाता है।
    • सीमित आवेदन क्षेत्र:
      • 3D मुद्रण के अनुप्रयोगों की सीमा का विस्तार करने के लिये अनुसंधान में निवेश करना, नए उपयोगों की खोज करने के लिये उद्योग सहयोग को बढ़ावा देना तथा विभिन्न क्षेत्रों में 3D मुद्रण को एकीकृत करना।
        • मेक इन इंडिया पहल 3D प्रिंटिंग अनुप्रयोगों के विस्तार के लिये अनुसंधान और उद्योग सहयोग का समर्थन करती है।

    नैनो प्रौद्योगिकी:

    • सुरक्षा संबंधी चिंताएँ और नियामक ढाँचे:
      • नैनो प्रौद्योगिकी अनुप्रयोगों के लिये व्यापक सुरक्षा दिशा-निर्देश और विनियम विकसित करना, नैनोमटेरियल के स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय प्रभावों पर अनुसंधान हेतु वित्त प्रदान करना।
      • राष्ट्रीय नैनो प्रौद्योगिकी पहल (NNI) और विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी विभाग (DST) नैनो प्रौद्योगिकी के लिये अनुसंधान को वित्त प्रदान करते हैं एवं सुरक्षा संबंधी दिशा-निर्देश विकसित करते हैं।
    • उच्च मूल्य:
      • नैनो प्रौद्योगिकी अनुसंधान एवं विकास को समर्थन प्रदान करने हेतु अनुदान एवं सब्सिडी प्रदान करना, नैनो प्रौद्योगिकी परियोजनाओं के वित्तीय भार को साझा करने के लिये सार्वजनिक-निजी भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
        • प्रौद्योगिकी विकास बोर्ड (TDB) और DST नैनो प्रौद्योगिकी अनुसंधान तथा सार्वजनिक-निजी सहयोग के लिये वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं।

    इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT):

    • सुरक्षा संबंधी मुद्दे और अंतर-संचालनीयता:
      • IoT डिवाइस सुरक्षा और अंतर-संचालनीयता हेतु मानक तथा प्रोटोकॉल स्थापित करना, IoT सिस्टम के लिये सुरक्षित संचार प्रोटोकॉल के विकास का समर्थन करना।
        • इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय की राष्ट्रीय IoT नीति IoT डिवाइस के लिये सुरक्षा मानकों एवं अंतर-संचालनीयता पर केंद्रित है।
    • डाटा गोपनीयता:
      • IoT डेटा संग्रह और उपयोग के लिये सख्त डेटा गोपनीयता विनियमन लागू करना, IoT उपकरणों में डेटा सुरक्षा को बढ़ाने वाली प्रौद्योगिकियों एवं प्रथाओं को बढ़ावा देना।
        • व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक IoT उपकरणों और डेटा उपयोग के लिये डेटा गोपनीयता संबंधी चिंताओं एवं विनियमों को संबोधित करता है।

    निष्कर्ष:

    भारत ने महत्त्वपूर्ण और उभरती हुई तकनीकें विकसित की हैं, जिनमें कई उद्योगों में क्रांति लाने, नवाचार तथा विस्तार को बढ़ावा देने की क्षमता है। भले ही अभी भी उच्च लागत, लालफीताशाही और कुशल श्रमिकों की कमी जैसी समस्याएँ हैं, लेकिन सक्रिय सरकारी पहल तथा निवेश प्रगति के मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। भारत इन तकनीकों का उपयोग सतत् विकास एवं वैश्विक नेतृत्व हेतु महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह अपने तकनीकी बुनियादी ढाँचे व ज्ञान में सुधार करता रहता है।

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