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  • 09 Aug 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    दिवस- 29: भारत जैसे देशों के लिये अंतरिक्ष पर्यटन में भागीदारी से संबंधित निहितार्थों का विश्लेषण कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • अंतरिक्ष पर्यटन का संक्षिप्त में परिचय दीजिये।
    • अंतरिक्ष पर्यटन में भाग लेने से भारत के लिये संभावित लाभों की पहचान कीजिये।
    • अंतरिक्ष पर्यटन से संबंधित चुनौतियाँ बताइये।
    • आगे की राह सुझाइये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    अंतरिक्ष पर्यटन विमानन का एक विशेष क्षेत्र है जो अंतरिक्ष में मनोरंजन, अवकाश या व्यावसायिक यात्रा के अनुभव प्रदान करता है। अंतरिक्ष यात्रा पृथ्वी से लगभग 100 किमी. ऊपर, कर्मन रेखा के बाद शुरू होता है, जो पृथ्वी के वायुमंडल को बाह्य अंतरिक्ष से अलग करती है।

    मुख्य बिंदु:

    अंतरिक्ष पर्यटन बाज़ार और संभावित लाभ

    • बाज़ार में तीव्र वृद्धि: अंतरिक्ष पर्यटन उद्योग के वर्ष 2022 में 695.1 मिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्यांकन से वर्ष 2030 तक 8,669.2 मिलियन अमेरिकी डॉलर तक 40.2% की वार्षिक दर से बढ़ने की उम्मीद है। वर्ष 2022 में उप-कक्षीय खंड में वृद्धि देखने को मिली है, जबकि कक्षीय खंड में सबसे तीव्र वृद्धि का अनुमान है।
    • इसरो की भूमिका और विशेषज्ञता: इसरो के सफल अंतरिक्ष मिशनों और लागत-कुशल कार्यक्रमों का लाभ उठाने से प्रतिस्पर्द्धी मूल्य निर्धारण तथा अंतरिक्ष पर्यटन हेतु पहुँच सुनिश्चित हो सकती है। इसरो 6 करोड़ रुपए प्रति ट्रिप की अनुमानित लागत के साथ एक पुन: प्रयोज्य अंतरिक्ष पर्यटन मॉड्यूल विकसित कर रहा है, जिसे वर्ष 2030 तक लॉन्च किये जाने की उम्मीद है।
    • सार्वजनिक-निजी भागीदारी: भारत अंतरिक्ष में सार्वजनिक-निजी सहयोग को बढ़ावा दे रहा है, जिसका उदाहरण न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) जैसी पहल और PSLV-C53 जैसी परियोजनाएँ हैं, जो निवेश आकर्षित करती हैं तथा नवाचार को बढ़ावा देती हैं।
    • भविष्य की संभावनाएँ: उम्मीद है कि वर्ष 2030 तक अंतरिक्ष पर्यटन अमीर लोगों को आकर्षित करेगा, जिसमें चंद्र मिशन और अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने की संभावना है। उद्योग अंतरिक्ष मलबे को कम करने के लिये पुन: प्रयोज्य रॉकेट पर ध्यान केंद्रित करने के साथ स्थिरता की ओर भी बढ़ रहा है।
    • तकनीकी और अन्वेषणात्मक विस्तार: उप-कक्षीय और कक्षीय उड़ानों से परे, कंपनियाँ चंद्र तथा गहरे अंतरिक्ष मिशनों को लक्ष्य बना रही हैं, जिसमें ISRO, NASA, ESA एवं अन्य जैसी संस्थाओं द्वारा अंतरिक्ष अन्वेषण में चल रहे विकास शामिल हैं।

    अंतरिक्ष पर्यटन की चुनौतियाँ

    अंतरिक्ष पर्यटन के समक्ष क्या चुनौतियाँ हैं?

    • पर्यावरणीय प्रभाव:
      • अंतरिक्ष यान एवं रॉकेट लॉन्च करने के लिये बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है और इससे काफी मात्रा में वायु तथा ध्वनि प्रदूषण हो सकता है।
      • ये उत्सर्जन जलवायु परिवर्तन में योगदान दे सकते हैं और वातावरण को हानि पहुँचा सकते हैं।
    • सुरक्षा चिंताएँ:
      • सुरक्षा प्रोटोकॉल के बावजूद भी दुर्घटना घटित होने का संकट हमेशा बना रहता है, जिसके परिणाम भयावह हो सकते हैं।
    • लागत:
      • वर्तमान में अंतरिक्ष पर्यटन एक महँगा उद्यम है जो केवल अमीरों के लिये ही सुलभ है। परिणामस्वरूप, बहुत से लोग अंतरिक्ष यात्रा का अनुभव नहीं कर पाएंगे, जिससे असमानता और अभिजात्यवाद की भावनाएँ उत्पन्न हो सकती हैं।
    • अंतरिक्ष मलबा:
      • अंतरिक्ष यान के प्रत्येक प्रक्षेपण से मलबा उत्पन्न होता है जो कई वर्षों तक कक्षा में रह सकता है और जैसे-जैसे अंतरिक्ष प्रक्षेपणों की संख्या में वृद्धि होती है, मलबे की मात्रा बढ़ती जाती है।
      • यह मलबा अन्य अंतरिक्ष यानों के लिये समस्या उत्पन्न कर सकता है।
    • संसाधन का क्षरण:
      • अंतरिक्ष यात्रा के लिये ऊर्जा, ईंधन और सामग्री सहित भारी मात्रा में संसाधनों की आवश्यकता होती है।
      • इन संसाधनों की कमी के दीर्घकालिक परिणाम हो सकते हैं तथा पर्यावरण एवं भावी पीढ़ियों के लिये संसाधनों की उपलब्धता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
    • कानूनी मुद्दे:
      • अंतरिक्ष पर्यटन के लिये कानूनी ढाँचा अभी भी प्रगति पर है, यदि कोई समस्या उत्पन्न होती है तो दायित्व के संबंध में अनिश्चितता उत्पन्न होती है।
      • इसे बाह्य अंतरिक्ष संधि भी कहा जाता है। यह एक बहुपक्षीय संधि है जो वर्ष 1967 में हस्ताक्षरित अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष कानून का आधार बनती है।

    निष्कर्ष:

    अंतरिक्ष पर्यटन का तीव्र से विस्तार हो रहा है, बढ़ती मांग और प्रौद्योगिकी में प्रगति के कारण इसमें उल्लेखनीय वृद्धि की उम्मीद है। इसरो के नवाचारों तथा सार्वजनिक-निजी भागीदारी द्वारा संचालित इस क्षेत्र में भारत का प्रवेश इसे वैश्विक मंच पर एक प्रमुख खिलाड़ी के रूप में स्थापित करता है। हालाँकि उद्योग को पर्यावरणीय प्रभावों, उच्च लागतों, सुरक्षा चिंताओं, अंतरिक्ष मलबे और कानूनी अनिश्चितताओं जैसी चुनौतियों का समाधान करना होगा। संभावित लाभों के साथ इन चुनौतियों का संतुलन बनाना अंतरिक्ष पर्यटन क्षेत्र में सतत् विकास और व्यापक पहुँच के लिये महत्त्वपूर्ण होगा।

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