08 Aug 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 का संक्षिप्त में परिचय दीजिये।
- अधिनियम के प्रमुख प्रावधानों का उल्लेख कीजिये।
- भारत में रियल एस्टेट क्षेत्र पर RERA के प्रभाव की पहचान कीजिये।
- रियल एस्टेट क्षेत्र के विनियमन में सुधार के लिये आगे की राह सुझाइये।
- उपयुक्त निष्कर्ष निकालें।
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परिचय:
RERA द्वारा भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र का पहला विनियामक है। यह अधिनियम 2016 में संसद द्वारा पारित किया गया था, ताकि स्पष्टता और निष्पक्ष व्यवहार अपनाया जा सके, जिससे खरीदारों के हितों की रक्षा हो सके एवं साथ ही अवैध बिल्डरों पर ज़ुर्माना भी लगाया जा सके। प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश का अपना विनियामक होगा और विनियामक के कामकाज को नियंत्रित करने के लिये नियमों का एक समूह होगा।
मुख्य बिंदु:
RERA के प्रमुख प्रावधान
- सुरक्षा:
- RERA अधिनियम में कहा गया है कि खरीदार और निवेशक का कम-से-कम 70% पैसा एक विशेष एस्क्रो खाते में जमा किया जाएगा।
- बाकी 70% राशि बिल्डरों को निर्माण और भूमि से संबंधित व्यय के लिये ही आवंटित की जाएगी।
- डेवलपर्स और बिल्डरों को बिक्री अनुबंध पर हस्ताक्षर होने से पहले संपत्ति पर अग्रिम भुगतान के रूप में 10% से अधिक का दावा करने की अनुमति नहीं है।
- वर्तमान परियोजनाओं का प्रकटीकरण:
- डेवलपर्स को अपने अन्य चालू परियोजनाओं के बारे में खरीदारों को सूचित करना आवश्यक है।
- इसके अलावा, उन्हें खरीदार की अनुमति के बिना योजना में बदलाव करने की अनुमति नहीं है।
- निष्पक्षता:
- RERA ने अनिवार्य किया है कि डेवलपर्स उच्च घनत्व वाले क्षेत्र के बजाय कारपेट एरिया के आधार पर संपत्ति बेचें।
- यदि परियोजना में देरी होती है, तो खरीदारों को अपने निवेश की पूरी राशि वसूलने का अधिकार है, या वे निवेश का विकल्प चुन सकते हैं और अपने निवेश पर मासिक रिटर्न प्राप्त कर सकते हैं।
- बिल्डरों को चल रही परियोजनाओं के लिये मूल स्वीकृत योजनाएँ और किये गए किसी भी परिवर्तन को प्रस्तुत करना होगा।
- एकत्रित राजस्व, निधि उपयोग, निर्माण समय-सीमा, पूर्णता और वितरण का विवरण किसी इंजीनियर, वास्तुकार या अभ्यासरत चार्टर्ड एकाउंटेंट द्वारा प्रामाणित किया जाना चाहिये।
- राज्य स्तरीय नियामक प्राधिकरण:
- RERA अधिनियम प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश के लिये अपना स्वयं का नियामक बनाना तथा नियामक के कामकाज को संचालित करने के लिये नियम बनाना अनिवार्य बनाता है।
- परियोजना पंजीकरण:
- आवासीय रियल एस्टेट परियोजनाओं को RERA के साथ पंजीकृत होना आवश्यक है, उसके बाद ही प्रमोटर उन्हें बेच या विपणन कर सकते हैं।
- परियोजना हस्तांतरण हेतु सहमति:
- यदि कोई प्रमोटर किसी रियल एस्टेट परियोजना में अपने अधिकांश अधिकारों और ज़िम्मेदारियों को किसी तीसरे पक्ष को हस्तांतरित या सौंपना चाहता है, तो उसे दो-तिहाई आवंटियों की लिखित सहमति तथा RERA का अनुमोदन प्राप्त करना होगा।
- पूर्व-पंजीकरण प्रतिबंध:
- डेवलपर्स विनियामक प्राधिकरण के साथ पंजीकरण कराए बिना किसी भी प्लॉट, अपार्टमेंट, घर, भवन या निवेश परियोजनाओं का विज्ञापन, बिक्री, प्रस्ताव, विपणन या बुकिंग नहीं कर सकते हैं।
- धन वापसी और मुआवज़ा:
- यदि प्रमोटर सहमत समय सीमा के भीतर डिलीवरी करने में चूक करता है, तो उसे RERA के मॉडल अनुबंध के आधार पर, अनुबंध में निर्दिष्ट पूर्व-सहमत ब्याज दर के साथ खरीदार द्वारा निवेश की गई पूरी राशि वापस करनी होगी।
- शिकायत निवारण:
- अगर खरीदार, प्रमोटर या एजेंट को परियोजना के संबंध में कोई शिकायत है, तो वे RERA में शिकायत दर्ज करा सकते हैं। अगर वे RERA के फैसले से खुश नहीं हैं, तो अपीलीय न्यायाधिकरण में भी शिकायत दर्ज कराई जा सकती है।
भारत में रियल एस्टेट क्षेत्र पर RERA का प्रभाव:
- जवाबदेही और विश्वास: RERA ने डेवलपर्स को विज्ञापन या बिक्री से पहले अपने परियोजना को नियामक प्राधिकरण के साथ पंजीकृत करने के लिये अनिवार्य बनाकर पारदर्शिता में वृद्धि है। इस पंजीकरण में परियोजना की योजनाओं, समय-सीमा और वित्तीय स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी शामिल हैं, जिससे घर खरीदने वालों के बीच विश्वास में वृद्धि हुई है।
- 1 जुलाई, 2024 तक 1,30,186 से अधिक रियल एस्टेट परियोजनाएँ और 88,461 एजेंट RERA के तहत पंजीकृत हैं तथा 32 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों ने नियामक प्राधिकरण स्थापित किये हैं।
- ऑनलाइन पोर्टल: राज्य RERA पोर्टल पंजीकृत परियोजनाओं के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करते हैं, जिससे खरीदार सूचित निर्णय ले सकते हैं। इससे बिल्डरों द्वारा धोखाधड़ी और गलत बयानी की संभावना काफी कम हो गई है।
- परियोजना की समय-सीमा: RERA परियोजना की समय-सीमा का सख्ती से पालन करने का आदेश देता है, जिसमे देरी के लिये दंड के प्रावधान भी शामिल है। डेवलपर्स को किसी भी देरी के लिये खरीदारों को मुआवज़ा देना चाहिये, जिससे परियोजना को समय पर पूरा करने में मदद मिलती है।
- डेवलपर्स के लिये निर्माण उद्देश्यों हेतु 70% धनराशि एस्क्रो खाते में बनाए रखने की आवश्यकता यह सुनिश्चित करती है कि खरीदारों से एकत्रित धन का दुरुपयोग और परियोजना में देरी न हो।
- उपभोक्ता अधिकार संरक्षण: RERA ने शिकायतों को दूर करने और यह सुनिश्चित करने के लिये कानूनी ढाँचा प्रदान करके घर खरीदारों को सशक्त बनाया है कि उनके निवेश सुरक्षित हैं। यदि डेवलपर वादे के अनुसार काम पूरा करने में विफल रहता है, तो खरीदारों को अब ब्याज सहित धन वापसी का अधिकार है।
- निष्पक्ष व्यवहार: यह अधिनियम डेवलपर्स को बिक्री समझौते पर हस्ताक्षर करने से पहले अग्रिम के रूप में संपत्ति की लागत का 10% से अधिक मांगने से रोकता है, जिससे खरीदारों को अनुचित व्यवहार से बचाया जा सके।
- 1,24,947 से अधिक शिकायतों के समाधान के साथ, 2022 में वैश्विक रियल एस्टेट पारदर्शिता सूचकांक में भारत की रैंकिंग सुधरकर 36वीं हो गई।
चुनौतियाँ और सुधार के क्षेत्र:
- असंगत अनुप्रयोग: RERA का कार्यान्वयन राज्यों में असंगत रहा है, कुछ राज्यों ने प्रमुख प्रावधानों को कमज़ोर कर दिया है। यह असंगतता कानून के एकसमान अनुप्रयोग को प्रभावित करती है और इसकी प्रभावशीलता को कम कर सकती है।
- क्षमता और संसाधन: कुछ राज्यों को RERA को पूरी तरह से संचालित करने के लिये क्षमता और संसाधनों के मामले में चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, जिससे इसका प्रवर्तन प्रभावित हो रहा है।
- नौकरशाही में देरी: कुछ राज्यों में पंजीकरण प्रक्रिया धीमी है, जिससे परियोजना शुरू होने में देरी हो रही है तथा डेवलपर्स के संचालन पर असर पड़ रहा है।
- डेवलपर अनुपालन: जबकि कई डेवलपर्स RERA नियमों का अनुपालन करते हैं, फिर भी कई गैर-अनुपालन के मामले दर्ज हैं, जिसके लिये सख्त प्रवर्तन और निगरानी की आवश्यकता है।
- बिक्री पर अल्पकालिक प्रभाव: RERA कार्यान्वयन के प्रारंभिक चरण में परियोजना की शुरुआत में देती हुई क्योंकि डेवलपर्स ने नए नियमों के साथ समायोजन किया। हालाँकि जैसे-जैसे सेक्टर अनुकूल होता जाएगा, इसमें स्थिरता आने की उम्मीद है।
- समायोजन अवधि: सेक्टर में एक समायोजन अवधि आई, जहाँ डेवलपर्स को अपनी प्रथाओं को नई कानूनी आवश्यकताओं के साथ संरेखित करना पड़ा, जिससे नई परियोजना लॉन्च की समय सीमा प्रभावित हुई।
RERA पर सर्वोच्च न्यायालय का फैसला:
- पूर्वव्यापी प्रभाव: सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि RERA उन चालू परियोजनाओं पर पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू होगा, जिनके पास अधिनियम के लागू होने के समय पूर्णता प्रमाण-पत्र नहीं थे, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि ये परियोजनाएँ RERA के प्रावधानों का अनुपालन करती हैं।
- निवेश की वसूली: गृह खरीदार भूमि राजस्व के बकाया के रूप में बिल्डरों से ब्याज सहित अपना निवेश वसूल सकते हैं, जिससे खरीदारों के वित्तीय हितों की रक्षा होगी तथा RERA के उपभोक्ता संरक्षण लक्ष्यों के साथ तालमेल होगा।
- अपील हेतु पूर्व-जमा: डेवलपर्स को RERA आदेश के विरुद्ध अपील करने से पहले कम-से-कम 30% ज़ुर्माना या आवंटियों को देय पूरी राशि जमा करनी होगी, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि केवल वास्तविक अपील ही दायर की जाएँ एवं खरीदारों के अधिकारों की रक्षा हो।
- उपभोक्ता संरक्षण: यह फैसला गृह खरीदारों की सुरक्षा करने, विवाद समाधान में तेज़ी लाने और राज्य सरकारों को अधिनियम के प्रावधानों को कमज़ोर करने से रोकने के RERA के उद्देश्य को स्पष्ट करता है।
रियल एस्टेट क्षेत्र के विनियमन में सुधार हेतु RERA की आगे की राह:
- हितधारक: फीडबैक एकत्र करने और वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का समाधान करने के लिये घर खरीदने वालों तथा हितधारकों के साथ नियमित बैठकें जारी रखनी चाहिये।
- पारदर्शिता बढ़ाएँ: सुनिश्चित करना कि RERA वेबसाइटें वार्षिक और त्रैमासिक रिपोर्ट सहित पूर्ण, सटीक तथा अद्यतित जानकारी प्रदान करना।
- प्रथाओं का मानकीकरण: सभी राज्य RERA में सूचना प्रसार और दस्तावेज़ीकरण सत्यापन के लिये मानकीकृत दिशा-निर्देश विकसित कीजिये।
- पूर्ण कार्यान्वयन: संशोधनों पर विचार करने, मौजूदा चुनौतियों का समाधान करने और प्रवर्तन में सुधार करने से पहले RERA के पूर्ण कार्यान्वयन पर ध्यान केंद्रित करना चाहिये।
- शिकायत निवारण को मज़बूत करना: शिकायतों को जल्दी और प्रभावी ढंग से हल करने के लिये RERA अधिकारियों और न्यायाधिकरणों की दक्षता में वृद्धि करना, जिससे लंबित मामलों तथा देरी में कमी आए।
निष्कर्ष:
रियल एस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, 2016 (RERA) ने पारदर्शिता, जवाबदेही और उपभोक्ता संरक्षण को बढ़ाकर भारत के रियल एस्टेट क्षेत्र में विनियमन में उल्लेखनीय सुधार किया है। 1 लाख से अधिक परियोजनाओं के पंजीकरण और असंख्य शिकायतों के समाधान के बावजूद, एकसमान कार्यान्वयन तथा प्रभावी शिकायत निवारण से संबंधित चुनौतियाँ बनी हुई हैं। आवास और शहरी मामलों का मंत्रालय इन मुद्दों को हल करने तथा अधिनियम की प्रभावशीलता को मज़बूत करने के लिये हितधारकों की भागीदारी एवं डेटा संग्रह पर ध्यान केंद्रित कर रहा है, ताकि रियल एस्टेट क्षेत्र पर इसका निरंतर प्रभाव सुनिश्चित हो सके।