06 Aug 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
- भारत की अर्थव्यवस्था और समाज में कृषि के महत्त्व का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- भारतीय कृषि में कुछ परिवर्तनकारी डिजिटल प्रौद्योगिकियों का उल्लेख कीजिये।
- कृषि में डिजिटल प्रौद्योगिकियों के एकीकरण से संबंधित चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
भारतीय कृषि क्षेत्र लगभग 42.3% आबादी को आजीविका सहायता प्रदान करता है जिसका वर्तमान मूल्यों पर देश के सकल घरेलू उत्पाद में 18.2% का योगदान है। डिजिटल प्रौद्योगिकियों के एकीकरण के साथ भारत का कृषि क्षेत्र एक महत्त्वपूर्ण परिवर्तन से गुजर रहा है, जो किसानों के नेटवर्क के निर्माण और सेवा एवं सलाहकार प्रदाताओं के साथ निरंतर संपर्क बनाए रखने को सक्षम बना रहा है।
मुख्य बिदु:
भारतीय कृषि में परिवर्तनकारी डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ:
- कृषि में डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना (DPI): DPI फसल योजना और स्वास्थ्य के लिये प्रासंगिक सूचना सेवाओं, कृषि इनपुट, ऋण तथा बीमा तक बेहतर पहुँच, फसल आकलन में सहायता, बाज़ार आसूचना तथा कृषि-तकनीक उद्योग एवं स्टार्ट-अप के विकास के लिये समर्थन के माध्यम से समावेशी, किसान-केंद्रित समाधान सक्षम करेगा।
- एग्री स्टैक: इस पहल का उद्देश्य किसानों और कृषि पर केंद्रित विभिन्न सरकारी लाभ योजनाओं की योजना एवं कार्यान्वयन को सरल बनाना है। यह तीन मूलभूत रजिस्ट्री की विशेषता वाले प्रमुख डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचनाओं (DPI) में से एक है: किसानों की रजिस्ट्री, भू-संदर्भित गाँव के नक्शे और बोई गई फसल की रजिस्ट्री, साथ ही कई अतिरिक्त सहायक रजिस्ट्री।
- तीन आधारभूत रजिस्ट्रियाँ किसानों को किसान आईडी, जियो-टैग्ड फार्म प्लॉट और बोई गई फसल की जानकारी के रूप में डिजिटल रूप से प्रमाणिक पहचान तथा गैर-अस्वीकार्य डिजिटल संपत्तियाँ उपलब्ध कराएंगी।
- कृषि निर्णय सहायता प्रणाली (Krishi-DSS): कृषि निर्णय सहायता प्रणाली (कृषि-डीएसएस) का उद्देश्य प्रासंगिक भू-स्थानिक और गैर-भू-स्थानिक डेटा, जैसे- रिमोट-सेंसिंग डेटा, विदर डेटा, मृदा डेटा, क्रॉप सिग्नेचर लाइब्रेरी, रिजर्वायर डेटा, ग्राउंडफ्लोर डेटा तथा सरकारी योजनाओं से संबंधित डेटा को एक मानकीकृत रूप में एकीकृत एवं संग्रहीत करना है।
- कृषि मैपर: सभी भूमि-आधारित योजनाओं के लिये एक भू-स्थानिक मोबाइल एप्लिकेशन, जो जियो-फेसिंग (बहुभुज निर्माण / अक्षांश-देशांतर) को सक्षम बनाता है, जिसमें सर्वेक्षण/निरीक्षण के वर्तमान स्थान से जियोटैग की गई तस्वीरें भी शामिल होती हैं।
- गहन मृदा उर्वरता और प्रोफाइल मैपिंग: यह सुनिश्चित करने के लिये कि मृदा स्वास्थ्य से जुड़े हस्तक्षेप उचित हैं
- डिजिटल सामान्य फसल अनुमान सर्वेक्षण: यादृच्छिक रूप से चयनित भूखंडों पर क्रॉप-कटिंग प्रयोगों के माध्यम से फसल की पैदावार को सटीक रूप से मापता है।
- ई-नाम: राष्ट्रीय कृषि बाज़ार (E-NAM) एक अखिल भारतीय इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग पोर्टल है जो कृषि वस्तुओं के लिये एकीकृत राष्ट्रीय बाज़ार बनाने के लिये मौजूदा APMC मंडियों को जोड़ता है।
- कृषि विपणन योजनाओं के लिये एकीकृत योजना (एगमार्कनेट): राज्य, सहकारी और निजी क्षेत्र के निवेशों को सब्सिडी सहायता प्रदान करके कृषि विपणन बुनियादी ढाँचे के निर्माण को बढ़ावा देना। (एगमार्कनेट) पोर्टल के माध्यम से सेवाएँ प्रदान की जाती हैं जो एकल खिड़की से कृषि विपणन से संबंधित जानकारी प्रदान करके किसानों, उद्योग, नीति निर्माताओं और शैक्षणिक संस्थानों जैसे विभिन्न हितधारकों की ज़रूरतों को पूरा करती हैं।
- यह देश भर में फैले कृषि उपज बाज़ारों में वस्तुओं की दैनिक आवक और कीमतों की वेब-आधारित सूचना प्रवाह की सुविधा प्रदान करता है।
- कृषि मशीनीकरण पर उप मिशन (SMAM): इस योजना के माध्यम से किसानों को सशक्त बनाने के लिये कृषि मशीनीकरण से संबंधित विभिन्न गतिविधियों जैसे- कस्टम हायरिंग केंद्र, फार्म मशीनरी बैंक, हाईटेक हब की स्थापना और विभिन्न कृषि मशीनरी आदि के वितरण के लिये विभिन्न राज्यों को धन जारी किया है।
- एग्रीटेक स्टार्टअप: डिजिटल कृषि की ओर भारत का अभियान एक संपन्न पारिस्थितिकी तंत्र द्वारा समर्थित है, जिसमें कृषि और संबंधित क्षेत्रों में 1,000 से अधिक कृषि-तकनीक स्टार्टअप शामिल हैं, जिनमें से 387 महिलाओं के नेतृत्व वाली पहल हैं।
कृषि-प्रौद्योगिकी से संबद्ध प्रमुख मुद्दे
- सीमित डिजिटल साक्षरता:
- डिजिटलीकरण की ओर भारत की प्रगति के बावजूद किसानों की एक बड़ी संख्या डिजिटल साक्षरता और प्रौद्योगिकी तक पहुँच का अभाव रखती है, जिससे कृषि-प्रौद्योगिकी समाधानों को अपनाना चुनौतीपूर्ण है।
- उच्च अग्रिम लागत:
- कई कृषि-प्रौद्योगिकी समाधानों के लिये उल्लेखनीय अग्रिम निवेश की आवश्यकता होती है, जो छोटे किसानों के लिये एक प्रमुख बाधा सिद्ध हो सकती है जिनके पास निवेश करने के लिये पर्याप्त संसाधन नहीं होते हैं।
- सीमित अवसंरचना:
- बिजली और इंटरनेट कनेक्टिविटी जैसी बुनियादी अवसंरचना की सीमित उपलब्धता कृषि-प्रौद्योगिकी समाधानों के अंगीकरण तथा प्रभावशीलता को बाधित कर सकती है।
निष्कर्ष:
डिजिटल अवसंरचना में निवेश करके और किसानों को इन तकनीकों को अपनाने में सहायता करके, भारत एक अधिक समृद्ध तथा सतत् कृषि भविष्य का निर्माण कर सकता है। डिजिटल कृषि मिशन 2021-2025 का उद्देश्य एआई, रिमोट सेंसिंग एवं ड्रोन जैसी उन्नत तकनीकों के माध्यम से कृषि को आधुनिक बनाना है। कृषि में यह तकनीकी उन्नति भारत को "आत्मनिर्भर भारत" बनने की दिशा में महत्त्वपूर्ण क्षमता रखती है।