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02 Aug 2024
सामान्य अध्ययन पेपर 2
अंतर्राष्ट्रीय संबंध
दिवस- 23: भारत-यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA ) समझौता दोनों पक्षों के लिये संभावित गेम-चेंजर के रूप में भूमिका निभा सकता है। टिप्पणी कीजिये। (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत- यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) समझौते का संक्षिप्त में परिचय दीजिये।
- समझौते की मुख्य विशेषताओं का उल्लेख कीजिये।
- भारत-ईएफटीए समझौते का महत्त्व बताइये।
- समझौते के मुख्य मुद्दों की पहचान कीजिये।
- समझौते की सफलता सुनिश्चित करने के लिये आगे की राह सुझाइये।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
15 वर्षों तक चले समझौता वार्ता के बाद भारत ने हाल ही में यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (European Free Trade Association- EFTA) के साथ एक व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (Trade and Economic Partnership Agreement- TEPA) पर हस्ताक्षर किये हैं। वर्तमान में EFTA में चार गैर-ईयू (non-EU) देश शामिल हैं– आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्ज़रलैंड। यह समझौता दोनों पक्षों के लिये एक संभावित ‘गेम-चेंजर’ सिद्ध हो सकता है, जो आर्थिक विकास, रोज़गार अवसर और द्विपक्षीय संबंधों को सुदृढ़ करने में आशाजनक भूमिका निभा सकता है।
मुख्य बिंदु:
समझौते की मुख्य बातें:
- EFTA ने अगले 15 वर्षों में भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के स्टॉक को 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक बढ़ाने के लिये निवेश को बढ़ावा देने और ऐसे निवेशों के माध्यम से भारत में 1 मिलियन प्रत्यक्ष रोज़गार के सृजन की सुविधा प्रदान करने की प्रतिबद्धता जताई है।
- उल्लेखनीय है कि इस समझौते के तहत FTAs के इतिहास में पहली बार लक्ष्य-उन्मुख निवेश को बढ़ावा देने और रोज़गार सृजन करने के लिये कानूनी प्रतिबद्धता जताई गई है।
- EFTA अपनी 92.2% टैरिफ लाइनों की पेशकश कर रहा है जो भारत के 99.6% निर्यात को कवर करता है।
- भारत अपनी 82.7% टैरिफ लाइनों की पेशकश कर रहा है, जो 95.3% EFTA निर्यात को कवर करता है, जिसमें 80% से अधिक आयात सोना (gold) का है। सोने पर प्रभावी शुल्क अछूता बना रहेगा।
- EFTA का बाज़ार पहुँच प्रस्ताव 100% गैर-कृषि उत्पाद को कवर करता और संसाधित कृषि उत्पाद (PAP) पर टैरिफ रियायत की पेशकश की गई है।
- भारत ने EFTA को 105 उप-क्षेत्रों की पेशकश की है और स्विट्ज़रलैंड से 128, नॉर्वे से 114, लिकटेंस्टीन से 107 और आइसलैंड से 110 उप-क्षेत्रों में प्रतिबद्धताएँ प्राप्त की हैं।
भारत-EFTA समझौता के महत्त्व:
- निवेश को बढ़ावा:
- 15 वर्षों में EFTA देशों से प्रत्याशित 100 बिलियन अमेरिकी डॉलर का FDI भारत के आधारभूत संरचना के विकास, तकनीकी उन्नति और रोज़गार सृजन के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- TEPA अवसंरचना एवं कनेक्टिविटी, विनिर्माण, मशीनरी, फार्मास्यूटिकल्स, रसायन, खाद्य प्रसंस्करण, परिवहन एवं लॉजिस्टिक्स, बैंकिंग एवं वित्तीय सेवा और बीमा जैसे क्षेत्रों में घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित कर ‘मेक इन इंडिया’ तथा ‘आत्मनिर्भर भारत’ को गति प्रदान करेगा।
- व्यापार विस्तार:
- TEPA आईटी सेवाओं, व्यावसायिक सेवाओं, व्यक्तिगत, सांस्कृतिक, खेल एवं मनोरंजक सेवाओं, अन्य शिक्षा सेवाओं, ऑडियो-विज़ुअल सेवाओं आदि क्षेत्रों में हमारी सेवाओं के निर्यात को प्रोत्साहित करेगा।
- बाज़ार पहुँच:
- भारत-EFTA मुक्त व्यापार समझौते के तहत भारतीय ग्राहकों को कम कीमत पर घड़ी, चॉकलेट, बिस्कुट जैसे उच्च गुणवत्तापूर्ण स्विस उत्पादों तक पहुँच प्राप्त होगी क्योंकि भारत व्यापार समझौते के तहत 10 वर्षों की अवधि में इन वस्तुओं पर सीमा शुल्क को चरणबद्ध तरीके से समाप्त कर देगा।
- भू-राजनीतिक महत्त्व:
- यह समझौता यूरोप के साथ भारत के आर्थिक संबंधों को मज़बूत करता है और एक अधिक बहुध्रुवीय वैश्विक व्यापार परिदृश्य को बढ़ावा देता है। इससे किसी एक व्यापारिक भागीदार पर निर्भरता कम हो जाती है और भारत को रणनीतिक लाभ प्राप्त होता है।
- ज्ञान साझेदारी और नवाचार:
- यह समझौता ज्ञान साझेदारी और संयुक्त अनुसंधान उद्यमों को बढ़ावा दे सकता है, जिससे भारत के प्रौद्योगिकीय विकास में तेज़ी आएगी।
- यह प्रीसिज़न इंजीनियरिंग, स्वास्थ्य विज्ञान, नवीकरणीय ऊर्जा, नवाचार और अनुसंधान एवं विकास (R&D) में अग्रणी वैश्विक प्रौद्योगिकियों तक प्रौद्योगिकी सहयोग एवं पहुँच की सुविधा प्रदान करेगा।
- भविष्य के सौदों के लिये टेम्पलेट:
- भारत और EFTA के बीच TEPA का सफल कार्यान्वयन यूके जैसे अन्य यूरोपीय देशों तथा संभावित रूप से यूरोपीय संघ के साथ भविष्य के व्यापार समझौतों के लिये एक टेम्पलेट या नमूने के रूप में कार्य कर सकता है।
- सतत् विकास:
- TEPA व्यापार और निवेश में सतत् विकास अभ्यासों को बढ़ावा देने संबंधी प्रावधानों को शामिल करता है। यह पर्यावरण के प्रति जागरूक विकास सुनिश्चित करता है और वैश्विक संवहनीय लक्ष्यों के साथ संरेखित है।
भारत-EFTA समझौते में संबद्ध प्रमुख मुद्दे:
- FTA से अपवर्जन:
- भारत ने कृषि और डेयरी जैसे संवेदनशील क्षेत्रों को महत्त्वपूर्ण टैरिफ कटौती से बाहर रखा है। डेयरी, सोया, कोयला और संवेदनशील कृषि उत्पादों जैसे क्षेत्रों को अपवर्जन सूची में रखा गया है जहाँ इन वस्तुओं पर कोई शुल्क रियायत नहीं होगी।
- FTA के तहत का भारत को अब तक का सबसे बड़ा निर्यात सोने का रहा है, जो मुख्यतः स्विट्ज़रलैंड से प्राप्त होता है। सोने पर प्रभावी शुल्क अछूता बना रहेगा।
- इससे कुछ EFTA निर्यातकों के लाभ सीमित हो सकते हैं।
- 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कानूनी प्रतिबद्धता:
- यदि 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर की प्रतिबद्धता पूरी नहीं होती है (यदि प्रस्तावित निवेश किन्हीं कारणों से नहीं आता है) तो समझौते में प्रावधान है कि भारत इन चार देशों को प्राप्त शुल्क रियायतों को पुनः संतुलित या निलंबित कर सकता है।
- डेटा एक्सक्लूसिविटी:
- समझौते में एक अतिरिक्त IP बाधा—यानी डेटा एक्सक्लूसिविटी (Data Exclusivity- DE), पेश करने का प्रस्ताव है, जो संभावित रूप से एक निर्धारित अवधि के लिये नई दवाओं, बायोलॉजिक्स और निवारक HIV थेरेपी के जेनेरिक संस्करणों के निर्माण में (यहाँ तक कि दवाओं पर पेंटेंट नहीं हो तो भी) देरी का कारण बन सकता है।
- प्रस्तावित डेटा एक्सक्लूसिविटी प्रावधान, जिस पर EFTA देशों ने बल दिया है, घरेलू जेनेरिक दवा निर्माताओं को मूल पेटेंट धारकों द्वारा किये गए प्री-क्लिनिकल परीक्षणों एवं नैदानिक परीक्षणों के डेटा का उपयोग करने से अवरुद्ध कर देगा।
- आय स्तर में अंतर:
- भारत (2,500 अमेरिकी डॉलर) और EFTA देशों (60,000-70,000 अमेरिकी डॉलर) के बीच प्रति व्यक्ति आय में बहुत बड़ा अंतर है।
- इसलिये इस FTA को भारत को समान अवसर प्रदान करने के तरीकों एवं साधनों पर विचार करना होगा।
- गैर-टैरिफ बाधाएँ (Non-Tariff Barriers- NTBs):
- भिन्न-भिन्न उत्पाद मानकों और तकनीकी नियमों जैसी गैर-टैरिफ बाधाओं को सुव्यवस्थित करना अत्यंत आवश्यक है। मौजूद विसंगतियाँ माल निर्यात का प्रयास करने वाले व्यवसायों के लिये बाधाएँ उत्पन्न कर सकती हैं, क्योंकि उन्हें प्रत्येक बाज़ार में नियमों का पालन करने के लिये उत्पादों को संशोधित करने की आवश्यकता हो सकती है।
- घरेलू प्रतिरोध:
- कुछ भारतीय क्षेत्र, विशेष रूप से वे जो EFTA आयात से प्रतिस्पर्द्धा का सामना कर रहे हैं, रोज़गार हानि या अनुचित प्रतिस्पर्द्धा के बारे में चिंता व्यक्त कर सकते हैं।
भारत-EFTA समझौते की सफलता सुनिश्चित करने के लिये आगे की राह:
- साझा आधार ढूँढ़कर विषमताओं को संबोधित करना:
- निवेश सुरक्षा: इस समझौते में निवेश की सुरक्षा के प्रावधान शामिल होने चाहिये, जिससे व्यवसायों के लिये एक-दूसरे के बाज़ारों में निवेश एवं परिचालन हेतु अनुकूल माहौल सुनिश्चित हो सके।
- चरणबद्ध कटौती: कृषि जैसे संवेदनशील क्षेत्रों के लिये भारत चरणबद्ध टैरिफ कटौती पर विचार कर सकता है, ताकि घरेलू उत्पादकों को समायोजित होने और अधिक प्रतिस्पर्द्धी बन सकने का समय मिल सके।
- मुआवज़ा पैकेज: प्रभावित उद्योगों के लिये उपयुक्त मुआवज़ा पैकेज चिंताओं को कम कर सकते हैं और आवश्यक पुनर्गठन के लिये सहायता प्रदान कर सकते हैं।
- विवाद समाधान तंत्र: व्यापार से संबंधित किसी भी विवाद को संबोधित करने और व्यापार संघर्षों में वृद्धि को रोकने के लिये एक प्रभावी विवाद समाधान तंत्र की स्थापना करना महत्त्वपूर्ण है।
- दक्षता को सुव्यवस्थित कर विनियामक अंतराल को दूर करना:
- गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करना: तकनीकी विनियमों, मानकों और सीमा शुल्क प्रक्रियाओं जैसी गैर-टैरिफ बाधाओं को कम करने के प्रयास किये जाने चाहिये जो व्यापार प्रवाह में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं।
- पारस्परिक मान्यता समझौते (MRAs): विशिष्ट उत्पाद श्रेणियों के लिये MRAs स्थापित करने से यह सुनिश्चित हो सकता है कि एक देश के मानकों को पूरा करने वाले उत्पाद दूसरे देश द्वारा स्वतः स्वीकार कर लिये जाते हैं।
- संयुक्त तकनीकी समितियाँ: तकनीकी विनियमों में सामंजस्य स्थापित करने के लिये समर्पित संयुक्त समितियों के निर्माण से प्रक्रिया में तेज़ी आ सकती है और स्थिरता को बढ़ावा मिल सकता है।
- विकास के लिये साधन प्रदान कर क्षमता निर्माण:
- प्रशिक्षण और कौशल विकास: नई व्यापार व्यवस्था पर सीमा शुल्क अधिकारियों और व्यवसायों के लिये प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करने से सुचारु कार्यान्वयन सुनिश्चित होगा।
- अवसंरचना का उन्नयन: सीमा शुल्क अवसंरचना और लॉजिस्टिक्स नेटवर्क का उन्नयन व्यापार की मात्रा में प्रत्याशित वृद्धि के कुशलतापूर्वक प्रबंधन में सक्षम हो सकेगा।
- एक साझा दृष्टिकोण के साथ सहयोग को बढ़ावा देना:
- नियमित हितधारक संवाद: सरकारों, व्यवसायों और नागरिक समाज के बीच नियमित संवाद बनाए रखने से विद्यमान एवं आसन्न चिंताओं को दूर किया जा सकता है तथा पारदर्शिता सुनिश्चित की जा सकती है।
- ज्ञान साझाकरण कार्यक्रम: सर्वोत्तम अभ्यासों और तकनीकी प्रगति जैसे क्षेत्रों में ज्ञान के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने से दोनों क्षेत्रों को लाभ प्राप्त हो सकता है।
निष्कर्ष:
यह समझौता एक सुदृढ़ एवं अधिक एकीकृत साझेदारी बनाने का एक अनूठा अवसर प्रस्तुत करता है जो दोनों पक्षों को लाभान्वित करेगा और भविष्य के व्यापार समझौतों के लिये एक सकारात्मक मिसाल पेश करेगा। चूँकि भारत और EFTA देश इस रोमांचक यात्रा पर आगे बढ़ रहे हैं, सहयोगात्मक प्रयासों, खुले संचार तथा एक फलती-फूलती आर्थिक साझेदारी के लिये साझा दृष्टिकोण पर ध्यान केंद्रित बना रहना चाहिये।