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दिवस- 21: कौशल विकास में निवेश करना, हमारे देश के भविष्य में निवेश करना है। व्याख्या कीजिये। (150 शब्द)

31 Jul 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | सामाजिक न्याय

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • कौशल विकास की संक्षिप्त परिभाषा दीजिये तथा उसका महत्त्व भी बताइए।
  • भारत में कौशल विकास में निवेश की आवश्यकता पर चर्चा कीजिये।
  • उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।

परिचय:

कौशल विकास से तात्पर्य किसी व्यक्ति की क्षमताओं और योग्यताओं को पहचानने, बढ़ाने तथा परिष्कृत करने की प्रक्रिया से है, ताकि वह विशिष्ट कार्यों या गतिविधियों को प्रभावी ढंग से कर सके। इसमें विभिन्न प्रकार के प्रशिक्षण, शिक्षा और व्यावहारिक अनुभव शामिल हैं, जिनका उद्देश्य व्यक्तियों को अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के लिये आवश्यक कौशल से लैस करना है। कौशल विकास में निवेश करना राष्ट्रीय विकास के लिये महत्त्वपूर्ण है क्योंकि यह सीधे आर्थिक विकास, सामाजिक समानता और वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा में योगदान देता है।

मुख्य बिंदु:

भारत में कौशल विकास में निवेश की आवश्यकता:

  • आर्थिक विकास: एक अच्छी तरह से प्रशिक्षित कार्यबल उत्पादकता, नवाचार और प्रतिस्पर्द्धात्मकता को बढ़ाता है तथा विभिन्न क्षेत्रों के समग्र विकास में योगदान देता है।
    • सेंटर फॉर इकोनॉमिक्स एंड बिज़नेस रिसर्च के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था वर्ष 2030 तक 7.3 ट्रिलियन डॉलर और वर्ष 2035 तक 10 ट्रिलियन डॉलर तक पहुँचने की ओर अग्रसर है।
  • रोज़गार सृजन: रोज़गार के अवसर उत्पन्न करने के लिये कुशल कार्यबल आवश्यक है। कौशल विकास पहल रोज़गार चाहने वालों और नियोक्ताओं के बीच के अंतर को कम कर सकती है तथा आर्थिक स्थिरता को बढ़ावा दे सकती है।
    • भारत कौशल रिपोर्ट 2023 युवाओं के बीच समग्र रोज़गार क्षमता में सुधार का संकेत देती है, जो 46.2% से बढ़कर 50.3% हो गई है।
  • नवीकरणीय ऊर्जा और हरित प्रौद्योगिकियाँ: नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र भारत के सतत् विकास एजेंडे में सबसे आगे है, जो वर्ष 2030 तक 500 गीगावाट क्षमता के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य से प्रेरित है।
    • इसमें 3.5 मिलियन से अधिक नौकरियाँ सृजित करने का वादा किया गया है, जिसके लिये सौर, पवन और ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकियों में कुशल कार्यबल की आवश्यकता होगी।
  • कृत्रिम बुद्धिमत्ता और मशीन लर्निंग: भारत का एआई बाज़ार, जिसके वर्ष 2025 तक 7.8 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, उद्योगों को नया आकार दे रहा है तथा कार्य के नए प्रतिमान गढ़ रहा है।
    • भारत एआई मिशन एक सराहनीय शुरुआत है, लेकिन एआई की गतिशील प्रकृति निरंतर अपस्किलिंग और पुनर्प्रशिक्षण की मांग करती है।
  • इंटरनेट ऑफ थिंग्स और स्मार्ट सिटीज़: IoT और स्मार्ट सिटी पहलों का अभिसरण भारत को अधिक कुशल भविष्य की ओर ले जा रहा है।
    • वर्ष 2025 तक IoT बाज़ार 9.28 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने और 100 स्मार्ट शहरों की योजना के साथ, IoT प्रोग्रामिंग, डेटा सुरक्षा तथा एकीकृत शहरी नियोजन में कौशल की मांग बढ़ रही है।
    • स्मार्ट सिटीज़ मिशन ने इस वृद्धि को उत्प्रेरित किया है, लेकिन बहु-विषयक कौशल विकास कार्यक्रमों की अत्यधिक आवश्यकता है।
  • इलेक्ट्रिक वाहन और सतत् गतिशीलता: वर्ष 2030 तक 30% इलेक्ट्रिक वाहनों का भारत का महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य ऑटोमोटिव क्षेत्र में क्रांति लाएगा, जिससे संभावित रूप से 10 मिलियन प्रत्यक्ष नौकरियाँ उत्पन्न होंगी।
    • इस परिवर्तन के लिये बैटरी प्रौद्योगिकी, चार्जिंग अवसंरचना और स्वायत्त प्रणालियों में विशेषज्ञ कार्यबल की आवश्यकता है।
  • जैव प्रौद्योगिकी और औषधि विज्ञान: भारत का जैव प्रौद्योगिकी उद्योग, जिसके वर्ष 2025 तक 150 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने का अनुमान है, एक बड़ी सफलता के मुहाने पर खड़ा है।
    • कोविड-19 महामारी ने जीनोमिक्स, बायोइन्फॉर्मेटिक्स और वैक्सीन विकास में कुशल कार्यबल की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता को रेखांकित किया है।
    • जैव प्रौद्योगिकी विभाग ने उद्योग भागीदारों के साथ सहयोगी कार्यक्रम शुरू किये हैं, लेकिन इस क्षेत्र को अधिक मज़बूत कौशल विकास पारिस्थितिकी तंत्र की आवश्यकता है।
  • अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी और उपग्रह संचार: भारत की अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था, जो वर्ष 2025 तक 13 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुँचने वाली है, निजी क्षेत्र के साथ एक नए युग में प्रवेश कर रही है।
    • इस विस्तार से उपग्रह डिज़ाइन, अंतरिक्ष कचरा प्रबंधन और पुन: प्रयोज्य अंतरिक्ष परिसंपत्तियों में कौशल की मांग उत्पन्न होगी।
  • साइबर सुरक्षा: भारत में प्रत्येक वर्ष 18 मिलियन से ज़्यादा साइबर हमले होते हैं, ऐसे में साइबर सुरक्षा के महत्त्व को कम करके नहीं आँका जा सकता।
    • इसलिये भारत को एथिकल हैकिंग, नेटवर्क सुरक्षा और साइबर फोरेंसिक में कुशल पेशेवरों की तत्काल आवश्यकता है।
  • 3D प्रिंटिंग और एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग: भारत का 3D प्रिंटिंग बाज़ार वर्ष 2023 से 2030 तक 20.3% की उच्च CAGR से बढ़ने का अनुमान है।
    • यह उद्योगों में विनिर्माण प्रक्रियाओं में क्रांतिकारी बदलाव लाने के लिये तैयार है। यह उभरता हुआ क्षेत्र कंप्यूटर-सहायता प्राप्त डिज़ाइन (CAD) मॉडलिंग, सामग्री विज्ञान और एडिटिव मैन्युफैक्चरिंग के लिये गुणवत्ता नियंत्रण में विशेषज्ञता की मांग करता है।
  • क्वांटम कंप्यूटिंग: क्वांटम प्रौद्योगिकी और अनुप्रयोगों पर राष्ट्रीय मिशन को 8,000 करोड़ रुपए आवंटित किये गए हैं, जो क्वांटम प्रौद्योगिकी के प्रति भारत की प्रतिबद्धता तथा इस नवीन विषय में महत्त्वपूर्ण प्रगति को दर्शाता है।
    • इस क्षेत्र में क्वांटम एल्गोरिदम, क्रिप्टोग्राफी और त्रुटि सुधार में अत्यधिक विशिष्ट कौशल की आवश्यकता होती है।
  • नवोन्मेष और उद्यमिता: भारत में 111 यूनिकॉर्न हैं, जिनकी कुल कीमत 349.67 बिलियन अमेरिकी डॉलर है। यह नवोन्मेष और उद्यमिता को बढ़ावा देने में कुशल जनशक्ति की महत्त्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
  • वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा: वैश्वीकरण के साथ, भारत को अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में प्रभावी रूप से प्रतिस्पर्द्धा करने के लिये कुशल कार्यबल की आवश्यकता है। एक अच्छी तरह से प्रशिक्षित कार्यबल वैश्विक आपूर्ति शृंखलाओं में भारत की स्थिति को बढ़ा सकता है तथा विदेशी निवेश आकर्षित कर सकता है।
    • वित्त वर्ष 2023-24 में देश में कुल FDI प्रवाह 70.95 बिलियन अमेरिकी डॉलर है।
  • सामाजिक सशक्तीकरण: कौशल विकास हाशिये पर पड़े समुदायों, विशेषकर महिलाओं और वंचित समूहों को सशक्त बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्हें कौशल प्रदान करके, भारत समावेशिता को बढ़ावा दे सकता है तथा सामाजिक-आर्थिक विषमताओं को कम कर सकता है।
    • वर्ष 2022-23 में महिला श्रम शक्ति भागीदारी दर बढ़कर 37% हो गई।

निष्कर्ष:

भारत के वैश्विक आर्थिक महाशक्ति बनने की यात्रा के लिये कुशल जनशक्ति महत्त्वपूर्ण है। शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार, उद्योग-अकादमिक सहयोग को बढ़ावा देना, व्यावसायिक प्रशिक्षण को बढ़ावा देना और नीतिगत सहायता प्रदान करके, भारत अपनी कुशल जनशक्ति क्षमता का प्रभावी ढंग से उपयोग कर सकता है, जिससे आर्थिक विकास तथा वैश्विक प्रतिस्पर्द्धा को बढ़ावा मिलेगा।