31 Jul 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | सामाजिक न्याय
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- NEET-UG विवाद का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम, 2024 की प्रभावशीलता की जाँच कीजिये।
- देश में निष्पक्ष परीक्षा प्रणाली स्थापित करने के लिये उपाय बताइये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
हाल ही में NEET-UG 2024 परीक्षा के पेपर लीक होने से देशभर में 24 लाख से ज़्यादा उम्मीदवार प्रभावित हुए हैं। यह भारत की परीक्षा प्रणाली पर पेपर लीक माफिया के महत्त्वपूर्ण प्रभाव को दर्शाता है। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने राष्ट्रीय पात्रता सह प्रवेश परीक्षा (NEET) में कथित अनियमितताओं को राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (NTA) की "संस्थागत विफलता" बताया। जवाब में सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 के तहत नियमों को आधिकारिक तौर पर अधिसूचित किया गया है।
मुख्य भाग:
सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम, 2024 भारत में परीक्षा कदाचार से निपटने में किस हद तक सक्षम है?
पक्ष में तर्क:
- कंप्यूटर आधारित परीक्षा:
- नियमावली में कंप्यूटर आधारित परीक्षा (CBT) के पूर्ण मानदंड निर्धारित किये गए हैं।
- इसमें अभ्यर्थियों के पंजीकरण, केंद्रों के आवंटन, प्रवेश-पत्र जारी करने से लेकर प्रश्न-पत्रों को खोलने एवं वितरित करने, उत्तरों के मूल्यांकन और अंतिम सिफारिशों तक की समस्त प्रक्रिया शामिल है।
- राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी की भूमिका:
- केंद्र सरकार की राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (National Recruitment Agency- NRA) हितधारकों के परामर्श से CBT के लिये मानदंड, मानक और दिशा-निर्देश तैयार करेगी। अंतिम रूप दिये जाने के बाद इन मानदंडों को केंद्र द्वारा अधिसूचित किया जाएगा।
- मानदंडों में भौतिक एवं डिजिटल अवसंरचना, SOPs, कैंडिडेट चेक-इन, बायोमीट्रिक पंजीकरण, सुरक्षा, निरीक्षण और पोस्ट-एग्जाम गतिविधियाँ शामिल होंगी।
- केंद्र समन्वयक:
- केंद्र/राज्य सरकार, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों, विश्वविद्यालयों या अन्य सरकारी संगठनों के सदस्य केंद्र समन्वयक के रूप में नियुक्त किये जाएँगे।
- केंद्र समन्वयक विभिन्न सेवा प्रदाताओं और परीक्षा प्राधिकरण की गतिविधियों के समन्वय के लिये तथा परीक्षा के लिये सभी मानदंडों, मानकों एवं दिशा-निर्देशों के अनुपालन की देखरेख के लिये सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण का प्रतिनिधि होगा।
- सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरणों को परिभाषित करना:
- सार्वजनिक परीक्षा (अनुचित साधनों की रोकथाम) अधिनियम, 2024 की धारा 2(k) ‘सार्वजनिक परीक्षा’ को अधिनियम की अनुसूची में सूचीबद्ध “सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरण द्वारा आयोजित कोई भी परीक्षा’’ के रूप में परिभाषित करती है।
- अनुसूची में सार्वजनिक परीक्षा प्राधिकरणों की सूची दी गई है जिनमें UPSC, SSC, RRBs, IBPS, NTA और केंद्र सरकार के अन्य मंत्रालय/विभाग शामिल हैं।
- अनुचित साधनों का प्रयोग:
- अधिनियम की धारा 3 में 15 ऐसी कार्रवाइयों की सूची दी गई है जिन्हें “आर्थिक या अनुचित लाभ के लिये” सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों का उपयोग करने के समान माना गया हैं।
- इसमें प्रश्न-पत्र लीक करना, उत्तर पुस्तिकाओं से छेड़छाड़ करना और अनधिकृत समाधान उपलब्ध कराना शामिल है।
- नए नकल विरोधी (एंटी-चीटिंग) कानून में गैर-ज़मानती प्रावधान:
- इस अधिनियम में चीटिंग या नकल पर अंकुश लगाने के लिये न्यूनतम तीन से पाँच वर्ष के कारावास के दंड का तथा धोखाधड़ी के संगठित अपराधों में शामिल लोगों के लिये पाँच से दस वर्ष के कारावास और न्यूनतम एक करोड़ रुपए के ज़ुर्माने का प्रावधान है।
विपक्ष में तर्क:
- मौजूदा नकल विरोधी कानून:
- आलोचकों का तर्क है कि केवल कठोर दंड से नकल पर रोक नहीं लगेगी, क्योंकि मौजूदा कानूनों के तहत इस तरह के अपराध पहले से ही दंडनीय हैं।
- कई राज्यों में एंटी-चीटिंग कानून मौजूद हैं, लेकिन नकल फिर भी जारी है जो इनकी सीमित प्रभावशीलता को दर्शाता है।
- राजस्थान, आंध्र प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात और उत्तराखंड ऐसे राज्यों में शामिल हैं।
- संगठित चीटिंग/नकल का प्रचलन:
- राजनीतिक संबंध रखने वाले संगठित अपराधियों द्वारा नकल को बढ़ावा दिया जाता है, जिससे कानूनों का प्रवर्तन जटिल हो जाता है।
- नकल के नए-नए तरीके और हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारियाँ मौजूदा चुनौती को उजागर करती हैं।
- इसके उदाहरणों में IIT प्रवेश परीक्षा में रूसी हैकर्स द्वारा सेंध लगाना और अभ्यर्थियों द्वारा नकल के लिये ब्लूटूथ डिवाइस का उपयोग करना शामिल है।
- दंडात्मक उपायों पर ध्यान केंद्रित करना:
- कुछ आलोचकों का मानना है कि परीक्षा कदाचार में संलग्न लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई पर अधिक ध्यान केंद्रित करने से शिक्षा, पाठ्यक्रम, मूल्यांकन विधियों और छात्रों के लिये सहायता प्रणालियों में प्रणालीगत सुधारों की आवश्यकता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
- लोगों के भरोसे की कमी:
- परीक्षाओं की निष्पक्षता और विश्वसनीयता में आम लोगों का भरोसा कम हो रहा है, जिसके कारण विरोध प्रदर्शन, मुकदमेबाज़ी तथा विभिन्न हितधारकों की ओर से सुधार की मांग बढ़ रही है।
- परीक्षा परिणामों पर विवाद और विरोध (जैसे- रेलवे भर्ती परीक्षा) ध्यान दिलाते हैं कि परीक्षा प्रणाली में जारी समस्याओं का प्रभावी ढंग से समाधान किया जाना चाहिये।
- राज्य सरकारों का विवेक:
- यद्यपि इस अधिनियम का उद्देश्य राज्यों के लिये एक मॉडल प्रस्तुत करना है, तथापि राज्य सरकारों को प्राप्त विवेकाधिकार के कारण विभिन्न राज्यों में इसके कार्यान्वयन में भिन्नता प्रकट हो सकती है।
- इससे सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों के प्रयोग को रोकने में कानून की प्रभावशीलता कमज़ोर पड़ सकती है।
भारत में निष्पक्ष परीक्षा प्रणाली सुनिश्चित करने के लिये कौन-से कदम उठाए जाने चाहिये?
- राष्ट्रीय परीक्षा अखंडता परिषद का गठन:
- देश भर में सभी प्रमुख परीक्षाओं के संचालन की देखरेख करने तथा एक समान मानकों और अभ्यासों को सुनिश्चित करने के लिये सरकार को एक राष्ट्रीय परीक्षा अखंडता परिषद (National Examination Integrity Council- NEIC) के गठन पर विचार करना चाहिये।
- यह परिषद परीक्षा प्रक्रियाओं की प्रभावशीलता का आकलन करने तथा सुधार के क्षेत्रों की पहचान करने के लिये नियमित लेखापरीक्षण कर सकती है।
- दोषरहित एवं पूर्ण मानक प्रचालन प्रक्रिया (Standard Operating Procedures- SOP) और उनके अनुपालन के रूप में सुदृढ़ शासन स्थापित किया जाना चाहिये।
- पारदर्शी भर्ती और जवाबदेही:
- यह सुनिश्चित किया जाए कि परीक्षा निकायों में प्रमुख पद योग्यता एवं निष्ठा के आधार पर भरे जाएँ, ताकि भ्रष्टाचार और मिलीभगत की संभावना कम हो।
- प्रतिशोध के भय के बिना कदाचार की रिपोर्टिंग को प्रोत्साहित करने के लिये एक सुदृढ़ मुखबिर संरक्षण तंत्र (whistleblower protection mechanisms) स्थापित किया जाए।
- ऑन-डिमांड टेस्टिंग:
- GRE के समान ऑन-डिमांड कंप्यूटर-बेस्ड टेस्टिंग मॉडल की ओर आगे बढ़ा जाए, जहाँ छात्र अपनी सुविधानुसार अपनी परीक्षाओं का समय निर्धारित कर सकते हैं। इससे एक ही दिन में लाखों लोगों के लिये परीक्षा आयोजित करने का बोझ कम हो जाएगा और पेपर लीक का जोखिम भी कम हो जाएगा।
- प्रत्येक विषय के लिये प्रश्नों का एक बड़ा समूह विकसित किया जाए, ताकि तंत्र प्रत्येक अभ्यर्थी के लिये अद्वितीय प्रश्नपत्र तैयार कर सके और नकल के अवसरों को न्यूनतम किया जा सके।
- डिजिटल सुरक्षा उपाय:
- प्रश्न-पत्र सेट करने से लेकर परिणाम घोषित करने तक परीक्षा प्रक्रियाओं का अपरिवर्तनीय रिकॉर्ड बनाने के लिये ब्लॉकचेन का उपयोग किया जाए। इससे किसी भी तरह की हेरफेर का आसानी से पता लगाया जा सकेगा।
- प्रश्न-पत्रों और अभ्यर्थियों की सूचना को अनधिकृत पहुँच से बचाने के लिये अत्याधुनिक एन्क्रिप्शन तकनीकों का उपयोग किया जाए।
- कठोर प्रवर्तन:
- परीक्षा के दौरान बेहतर पर्यवेक्षण सुनिश्चित करने के लिये निरीक्षक-छात्र अनुपात को कम किया जाए।
- सार्वजनिक परीक्षा अधिनियम, 2024 को सख्ती से लागू किया जाना चाहिये, जिसमें कदाचार के लिये ज़ुर्माना, कारावास और भविष्य की परीक्षाओं में बैठने पर आजीवन प्रतिबंध जैसे कठोर दंड का प्रावधान होना चाहिये।
- सुरक्षित परिवहन और भंडारण:
- भौतिक परीक्षा सामग्री के परिवहन के लिये हेरफेर-रोधी पैकेजिंग और GPS ट्रैकिंग का उपयोग किया जाए। भंडारण सुविधाएँ अत्यधिक सुरक्षित होनी चाहिये और उन पर 24/7 निगरानी होनी चाहिये।
- सभी परीक्षा केंद्रों में सीसीटीवी कैमरे लगाए जाएँ ताकि सभी गतिविधियों की व्यापक कवरेज सुनिश्चित हो सके। किसी भी विवाद या कदाचार के आरोपों के मामले में रिकॉर्ड किये गए फुटेज की समीक्षा की जानी चाहिये।
- पोस्ट-एग्जाम प्रक्रियाएँ:
- डबल-ब्लाइंड मूल्यांकन प्रक्रिया (double-blind evaluation processes) लागू की जाए, जहाँ कई परीक्षक स्वतंत्र रूप से उत्तर पुस्तिकाओं की ग्रेडिंग करें। इससे पक्षपात और त्रुटियों की संभावना कम हो जाएगी।
- परीक्षा परिणाम से संबंधित विसंगतियों या शिकायतों के त्वरित समाधान के लिये एक समर्पित प्रकोष्ठ की स्थापना की जाए।
- परीक्षा का दबाव कम करना:
- मूल्यांकन प्रक्रिया के अंग के रूप में सतत् मूल्यांकन, परियोजना कार्य और साक्षात्कार को शामिल करते हुए एकदिवसीय परीक्षाओं पर अत्यधिक निर्भरता को कम किया जाए।
- NEP 2020 लर्निंग मूल्यांकन को योगात्मक दृष्टिकोण (जो मुख्य रूप से रटकर याद करने की परख करता है) को एक ऐसे अधिक नियमित, रचनात्मक एवं योग्यता-आधारित प्रणाली से प्रतिस्थापित करने का लक्ष्य रखता है जो विश्लेषण, आलोचनात्मक चिंतन एवं वैचारिक स्पष्टता जैसे उच्च-क्रम कौशल का मूल्यांकन करता है।
- सांस्कृतिक और शैक्षिक बदलाव:
- परीक्षाओं में ईमानदारी के महत्त्व के प्रसार के लिये छात्रों, शिक्षकों और परीक्षा अधिकारियों हेतु नैतिकता एवं सत्यनिष्ठा पर कार्यशालाएँ तथा सेमिनार आयोजित किये जाएँ।
- परीक्षा कदाचार के दुष्परिणामों को उजागर करने और निष्पक्षता एवं कठोर श्रम की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये जागरूकता अभियान शुरू किये जाएँ।
निष्कर्ष:
बेहतर निगरानी, सुदृढ़ शासन ढाँचे और व्यापक हितधारक संलग्नता के माध्यम से हर स्तर पर सत्यनिष्ठा की संस्कृति को बढ़ावा देकर परीक्षाओं की पवित्रता की रक्षा की जा सकती है। यह दृष्टिकोण न केवल लाखों छात्रों की आकांक्षाओं की रक्षा करेगा, बल्कि भारत की शैक्षिक नींव को भी सुदृढ़ करेगा, जिससे अधिक न्यायसंगत एवं योग्यता आधारित समाज का मार्ग प्रशस्त होगा।