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  • 30 Jul 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस- 20: ई-गवर्नेंस शासन व्यवस्था को अधिक संवेदनशील, कुशल एवं जवाबदेह बनाने पर केंद्रित है। टिप्पणी कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • ई-गवर्नेंस को परिभाषित करते हुए उत्तर की शुरूआत कीजिये।
    • ई-गवर्नेंस किस तरह से अधिक उत्तरदायी, कुशल और जवाबदेह सरकार बनाने पर केंद्रित है, सुझाइये।
    • ई-गवर्नेंस से जुड़ी कई चुनौतियों पर प्रकाश डालिये।
    • उपयुक्त रूप से निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय :

    ई-गवर्नेंस का तात्पर्य सरकारी निकायों द्वारा सेवाओं की पहुँच को बढ़ाने, नागरिकों के साथ जुड़ने और आंतरिक संचालन में सुधार करने के लिये डिजिटल तकनीकों तथा सूचना संचार तकनीकों (ICT) के उपयोग से है। जैसे-जैसे समाज तेज़ी से डिजिटल होते जा रहे हैं, ई-गवर्नेंस पारंपरिक शासन विधियों की चुनौतियों का समाधान करते हुए अधिक उत्तरदायी, कुशल एवं जवाबदेह सरकार बनाने पर केंद्रित है।

    मुख्य बिंदु:

    ई-गवर्नेंस

    • दक्षता :
      • सुव्यवस्थित प्रक्रियाएँ: ई-गवर्नेंस विभिन्न सरकारी प्रक्रियाओं, जैसे- परमिट, लाइसेंस और सामाजिक सेवाओं के लिये आवेदन, को स्वचालित करके नौकरशाही से संबंधित लालफीताशाही को कम करता है। ऑनलाइन सिस्टम सेवा वितरण को काफी तेज़ कर सकते हैं, जिससे यह नागरिकों के लिये अधिक सुविधाजनक हो जाता है।
        • डिजिटल इंडिया पहल का उद्देश्य सभी सरकारी सेवाओं को इलेक्ट्रॉनिक रूप से उपलब्ध कराना है, जैसे कि ई-डिस्ट्रिक्ट परियोजना, जो प्रमाण-पत्र और लाइसेंस जैसी विभिन्न सेवाएँ ऑनलाइन प्रदान करती है, जिससे सेवा वितरण में तेज़ी आती है।
      • लागत-प्रभावशीलता: भौतिक कागज़ी कार्रवाई की आवश्यकता और परिचालन लागत को कम करके, सेवाओं को समेकित करके, ई-गवर्नेंस सरकारों के लिये पर्याप्त लागत बचत का कारण बन सकता है। संसाधनों के इस कुशल आवंटन तथा सार्वजनिक सेवाओं को और बेहतर बनाने की दिशा में पुनर्निर्देशित किया जा सकता है।
        • प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) योजना के तहत सब्सिडी और लाभ सीधे लक्षित लाभार्थियों को प्रदान किया जाता है, जिससे लीकेज तथा धोखाधड़ी से जुड़ी प्रशासनिक लागत कम हो जाती है।
    • उत्तरदायित्त्व/जवाबदेहिता:
      • पारदर्शिता: ई-गवर्नेंस पहल द्वारा ओपन डेटा पोर्टल की स्थापना के माध्यम से पारदर्शिता सुनिश्चित की जाती है, जहाँ नागरिक सरकारी गतिविधियों, बजट और निर्णय लेने की प्रक्रियाओं के बारे में जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। यह खुलापन नागरिकों एवं सरकारी संस्थानों के बीच विश्वास को बढ़ाता है।
        • भारत में ओपन गवर्नमेंट डेटा (OGD) प्लेटफॉर्म नागरिकों को सरकारी डेटा और सांख्यिकी तक पहुँच प्रदान करता है, जिससे उनमें विश्वास बढ़ता है तथा वे सरकार को उसके कार्यों के लिये जवाबदेह ठहराने में सक्षम होते हैं।
      • निगरानी और मूल्यांकन: सरकार पर नज़र रखने में तकनीक अहम भूमिका निभाती है। ई-गवर्नेंस सिस्टम निगरानी तंत्र को सक्षम बनाता है जो अधिकारियों को उनके कार्यों के लिये जवाबदेह बनाता है, यह सुनिश्चित करता है कि वे अपनी ज़िम्मेदारियों को प्रभावी ढंग से पूरा करें।
        • भारत में सार्वजनिक वित्तीय प्रबंधन प्रणाली (PFMS) निधि उपयोग की वास्तविक समय निगरानी की अनुमति देती है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि सरकारी अधिकारी सार्वजनिक वित्त के प्रबंधन के लिये जवाबदेह हैं।
    • प्रतिक्रियाशीलता :
      • नागरिक सहभागिता: ई-गवर्नेंस सरकारों और नागरिकों के बीच संचार को बढ़ाता है, जिससे जनता की ज़रूरतों के आधार तथा समय पर प्रतिक्रिया संभव होती है। ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के ज़रिये नागरिक आसानी से अपनी राय व्यक्त कर सकते हैं और सहायता मांग सकते हैं, जिससे नागरिकों की सहभागिता बढ़ती है।
        • MyGov भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक अभिनव मंच है जो शासन में नागरिक भागीदारी को प्रोत्साहित करता है। यहाँ नागरिक अपने विचार साझा कर सकते हैं, नीतियों पर प्रतिक्रिया दे सकते हैं और विभिन्न सरकारी पहलों पर चर्चा में भाग ले सकते हैं।
      • फीडबैक तंत्र: ऑनलाइन सर्वेक्षण, सोशल मीडिया और नागरिक पोर्टल जैसे उपकरण वास्तविक समय की प्रतिक्रिया की सुविधा प्रदान करते हैं, जिससे सरकारें मुद्दों को तुरंत समझ कर उनका समाधान कर पाती हैं। यह तत्काल संवाद नागरिकों में शासन प्रक्रियाओं के बारे में स्वामित्व की भावना पैदा करती है।
        • स्वच्छ भारत मिशन के पास एक मोबाइल एप्लीकेशन है जो नागरिकों को अपने आस-पड़ोस में स्वच्छता से जुड़ी समस्याओं की रिपोर्ट करने की सुविधा प्रदान करता है। नागरिकों को अपनी चिंताएँ व्यक्त करने के लिये एक मंच प्रदान करके, सरकार स्वच्छता से जुड़ी समस्याओं पर अधिक प्रभावी ढंग से प्रतिक्रिया दे सकती है।

    चुनौतियाँ और सीमाएँ

    • डिजिटल डिवाइड: प्रौद्योगिकी और इंटरनेट तक असमान पहुँच आबादी के कुछ वर्गों को ई-गवर्नेंस पहलों से लाभान्वित होने से रोक सकती है। समावेशिता सुनिश्चित करने के लिये इस डिजिटल डिवाइड के उपयोग के प्रयास किये जाने चाहिये।
    • साइबर सुरक्षा: डेटा गोपनीयता और सुरक्षा से जुड़े जोखिम महत्त्वपूर्ण चिंताएँ हैं। उल्लंघन ई-गवर्नेंस सिस्टम में जनता के भरोसे को कमज़ोर कर सकता है, जिससे मज़बूत साइबर सुरक्षा उपायों को लागू करना ज़रूरी हो जाता है।
    • बदलाव पर विरोध: पारंपरिक तरीकों से अभ्यस्त सरकारी अधिकारी और संस्थान डिजिटल गवर्नेंस में बदलाव का विरोध कर सकते हैं। इस जड़ता को दूर करने के लिये प्रशिक्षण एवं जागरूकता कार्यक्रम आवश्यक हैं।

    निष्कर्ष:

    बुनियादी ढाँचे के विकास में निवेश, साइबर सुरक्षा उपायों को मज़बूत, अनुकूलनशीलता की संस्कृति को बढ़ावा देकर और नागरिक जागरूकता तथा सहभागिता को बढ़ाकर, सरकारें सफल ई-गवर्नेंस कार्यान्वयन के लिये अनुकूल वातावरण बना सकती हैं। जैसा कि पूर्व संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून ने स्पष्ट रूप से कहा था, "भविष्य उन लोगों का है जो सामान्यतः अच्छे को आगे बढ़ाने के लिये प्रौद्योगिकी की शक्ति का उपयोग कर सकते हैं।" डिजिटल प्रौद्योगिकियों का एकीकरण नागरिक सहभागिता को महत्त्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकता है, प्रक्रियाओं को सुव्यवस्थित कर सकता है तथा पारदर्शिता को बढ़ावा दे सकता है, जिससे अधिक समावेशी एवं भागीदारीपूर्ण शासन मॉडल का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।

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