-
26 Jul 2024
सामान्य अध्ययन पेपर 2
राजव्यवस्था
दिवस- 17: भारत का नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (CAG) संभवतः भारत के संविधान का सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकारी है। टिप्पणी कीजिये (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण :
- भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) का संक्षिप्त में परिचय दीजिये।
- भारत में CAG के महत्त्व और उल्लेखनीय योगदान का उल्लेख कीजिये।
- CAG के समक्ष आने वाली चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
- अंत में CAG के अधिकार को मज़बूत करने के उपाय सुझाइये।
परिचय:
भारत का संविधान (अनुच्छेद 148) भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG) के एक स्वतंत्र कार्यालय का प्रावधान करता है। वह भारतीय लेखा परीक्षा और लेखा विभाग का प्रमुख होता है। वह सार्वजनिक वित्त का संरक्षक होता है तथा केंद्र एवं राज्य दोनों स्तरों पर देश की संपूर्ण वित्तीय प्रणाली को नियंत्रित करता है। उसका कर्त्तव्य वित्तीय प्रशासन के क्षेत्र में भारत के संविधान व संसद के कानूनों को बनाए रखना है।
मुख्य बिंदु :
CAG का महत्त्व
- वित्तीय जवाबदेहिता: CAG सभी सरकारी व्ययों का ऑडिट करता है तथा यह सुनिश्चित करता है कि सार्वजनिक वित्त का उपयोग कुशलतापूर्वक और लक्षित उद्देश्यों के लिये जाए। यह निरीक्षण वित्तीय अनियमितताओं की पहचान करने और संसाधनों के दुरुपयोग को रोकने में मदद करता है।
- 2G स्पेक्ट्रम मामला (2010): 2G स्पेक्ट्रम लाइसेंसों के आवंटन पर CAG की रिपोर्ट में अनियमितताओं और पारदर्शिता की कमी के कारण राजस्व की भारी हानि पर प्रकाश डाला गया, जिसके कारण महत्त्वपूर्ण सार्वजनिक एवं राजनीतिक परिणाम सामने आए।
- पारदर्शिता: सरकारी वित्त पर निष्पक्ष रिपोर्ट प्रदान करके, CAG पारदर्शिता को बढ़ावा देता है और जनता तथा विधायकों को सरकार के प्रति जवाबदेह बनाने का अवसर प्रदान करता है।
- कोयला आवंटन घोटाला (2012): CAG के ऑडिट में कोयला ब्लॉकों के आवंटन में अनियमितताएँ सामने आईं, जिससे सरकारी कोष को भारी नुकसान होने का अनुमान लगाया गया। इस रिपोर्ट के कारण व्यापक बहस हुई और इसमें शामिल पक्षों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई।
- जनहित: CAG के ऑडिट से अक्सर महत्त्वपूर्ण वित्तीय कुप्रबंधन और भ्रष्टाचार उजागर होता है, जिससे जनहित की रक्षा एवं बेहतर प्रशासन सुनिश्चित होता है।
- राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन (NRHM) घोटाला (2014): NRHM पर CAG की रिपोर्ट ने धन के बड़े पैमाने पर दुरुपयोग और योजना के अनुचित कार्यान्वयन को उजागर किया, जिसके फलस्वरूप प्रशासन में सुधार हुआ।
- लोक लेखा समिति के सदस्य :
- वह संसद की लोक लेखा समिति के मार्गदर्शक, मित्र और दार्शनिक के रूप में कार्य करता है।
- CAG राष्ट्रपति को तीन ऑडिट रिपोर्ट प्रस्तुत करता है- विनियोग खातों पर ऑडिट रिपोर्ट, वित्त खातों पर ऑडिट रिपोर्ट और सार्वजनिक उपक्रमों पर ऑडिट रिपोर्ट। राष्ट्रपति इन रिपोर्टों को संसद के दोनों सदनों के समक्ष रखते हैं। इसके बाद लोक लेखा समिति उनकी जाँच करती है तथा अपने निष्कर्षों की रिपोर्ट संसद को देती है।
- अनुचित लेखा परीक्षक : इस कानूनी और नियामक लेखा परीक्षा के अलावा, CAG अनुचित लेखा परीक्षा भी कर सकता है अर्थात् वह सरकारी व्यय की 'बुद्धिमत्ता, विश्वसनीयता तथा मितव्ययिता' पर गौर कर सकता है एवं ऐसे व्यय की बर्बादी व अपव्यय पर टिप्पणी कर सकता है।
चुनौतियाँ और आलोचनाएँ:
- सीमित प्रवर्तन शक्ति: हालाँकि CAG अनियमितताओं को उजागर कर सकता है, लेकिन उसके पास सुधारात्मक कार्रवाई लागू करने की शक्ति नहीं है, उसे अपनी रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई करने के लिये अन्य सरकारी निकायों पर निर्भर रहना पड़ता है।
- धन के मुद्दे पर कोई नियंत्रण नहीं:
- भारत के संविधान में CAG को नियंत्रक और महालेखा परीक्षक दोनों माना गया है। हालाँकि व्यवहार में CAG केवल महालेखा परीक्षक की भूमिका निभा रहा है, नियंत्रक की नहीं।
- दूसरे शब्दों में समेकित निधि CAG के अधिकार क्षेत्र के अधीन नहीं है और कई विभाग CAG की स्पष्ट सहमति के बिना धन निकालने के लिये स्वतंत्र हैं। CAG केवल लेखापरीक्षा चरण के दौरान, व्यय किये जाने के बाद ही शामिल होता है।
- सरकारी अनिच्छा: ऐसे कई उदाहरण हैं जहाँ सरकार CAG की सिफारिशों को लागू करने में धीमी या अनिच्छुक रही है, जिससे इसके निष्कर्षों का प्रभाव कम हो गया है।
- राजनीतिकरण की आलोचना: कई बार, CAG को अपनी रिपोर्टों में पक्षपात के आरोपों के साथ-साथ राजनीतिकरण के रूप में देखे जाने के लिये आलोचना का सामना करना पड़ा है।
निष्कर्ष:
एक स्वतंत्र इकाई के रूप में CAG शासन में वित्तीय जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यही कारण है कि डॉ. बी.आर. अंबेडकर ने कहा था कि CAG भारत के संविधान के तहत सबसे महत्त्वपूर्ण अधिकारी होगा। CAG की स्वतंत्रता, क्षमता तथा सार्वजनिक सहभागिता को मज़बूत करके इसकी प्रभावशीलता को और बढ़ाया जा सकता है, जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि यह भारतीय संवैधानिक ढाँचे में जवाबदेही का एक स्तंभ बना रहे।