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22 Jul 2024
सामान्य अध्ययन पेपर 2
राजव्यवस्था
दिवस- 13: समान नागरिक संहिता का व्यक्तिगत स्वायत्तता, व्यक्तिगत संबंधों और सामाजिक गतिशीलता पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। आलोचनात्मक रूप से परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- समान नागरिक संहिता का संक्षिप्त परिचय दीजिये।
- व्यक्तिगत स्वायत्तता, व्यक्तिगत संबंधों और सामाजिक गतिशीलता के लिये इसके निहितार्थों पर प्रकाश डालिये।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।
परिचय:
समान नागरिक संहिता (UCC) सभी नागरिकों के लिये चाहे वे किसी भी धर्म के हों, विवाह, तलाक, उत्तराधिकार और गोद लेने जैसे व्यक्तिगत मामलों को नियंत्रित करने वाले कानूनों के एक समूह को संदर्भित करता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 44 में राष्ट्रीय एकीकरण और समानता को बढ़ावा देने के लिये समान नागरिक संहिता के कार्यान्वयन की परिकल्पना की गई है।
मुख्य बिंदु:
UCC का व्यक्तिगत स्वायत्तता, व्यक्तिगत संबंधों और सामाजिक गतिशीलता पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
व्यक्तिगत स्वायत्तता पर प्रभाव
- लैंगिक समानता: UCC का उद्देश्य व्यक्तिगत कानूनों में लैंगिक-असमानताओं को खत्म करना है, जिससे विवाह, तलाक और उत्तराधिकार के मामलों में महिलाओं के लिये समान अधिकार सुनिश्चित हो सकें।
- वर्तमान में विभिन्न धर्मों में उत्तराधिकार के संबंध में अलग-अलग कानून हैं।
- व्यक्तिगत स्वतंत्रता: एक समान कानूनी ढाँचा प्रदान करके, UCC नागरिकों को धार्मिक बाधाओं के बिना व्यक्तिगत निर्णय लेने की अनुमति देकर व्यक्तिगत स्वायत्तता को बढ़ाता है।
- अंतर-धार्मिक विवाह के मामलों में व्यक्तियों को अक्सर कानूनी जटिलताओं का सामना करना पड़ता है। एक UCC व्यक्तिगत पसंद का सम्मान करते हुए इन प्रक्रियाओं को सरल बना सकता है।
- सांस्कृतिक संवेदनशीलता: समान नागरिक संहिता (UCC) को लागू करना विभिन्न समुदायों की सांस्कृतिक और धार्मिक प्रथाओं का उल्लंघन माना जा सकता है, जिससे संभावित रूप से प्रतिरोध उत्पन्न हो सकता है।
- पर्सनल लॉ या व्यक्तिगत कानून धार्मिक रीति-रिवाज़ों से गहराई से जुड़ा हुआ हैं। उदाहरण के लिये मुस्लिम कानून के तहत बहुविवाह की प्रथा सामान्य है, लेकिन हिंदू कानून के तहत नहीं। समान नागरिक संहिता ऐसी धार्मिक प्रथाओं के साथ टकराव पैदा कर सकती है।
व्यक्तिगत संबंधों पर प्रभाव:
- विवाह और तलाक: एक समान कानून विवाह और तलाक की प्रक्रिया को सरल बना सकते हैं तथा इसमें शामिल सभी पक्षों के लिये निष्पक्षता एवं न्याय सुनिश्चित कर सकते हैं।
- विभिन्न धर्मों में तलाक से संबंधित कानून काफी अलग-अलग हैं। हिंदू विवाह अधिनियम, मुस्लिम पर्सनल लॉ और ईसाई विवाह अधिनियम में तलाक के लिये अलग-अलग प्रावधान हैं।
- मुस्लिम कानून में तीन तलाक (Instant Divorce) एक विवादास्पद प्रथा रही है।
- अभिरक्षा और दत्तक ग्रहण: बाल अभिरक्षा और दत्तक ग्रहण पर कानूनों को मानकीकृत करने से यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि माता-पिता के धर्म की परवाह किये बिना बच्चे के सर्वोत्तम हितों को प्राथमिकता दी जाए।
- हिंदू दत्तक ग्रहण एवं भरण-पोषण अधिनियम के तहत दत्तक ग्रहण संबंधी कानून मुस्लिम कानून के तहत दत्तक ग्रहण संबंधी कानूनों से भिन्न हैं।
सामाजिक गतिशीलता पर प्रभाव:
- विविधता में एकता: UCC का उद्देश्य एक सुसंगत कानूनी ढाँचा तैयार करना तथा एकता तथा राष्ट्रीय एकीकरण की भावना को बढ़ावा देना है।
- सभी नागरिक समान कानूनों द्वारा शासित होंगे, समान नागरिक संहिता धार्मिक या सांप्रदायिक पहचानों पर राष्ट्रीय पहचान को मज़बूत कर सकती है।
- भेदभाव उन्मूलन: एक समान कानून धर्म, जाति या लिंग के आधार पर भेदभाव को समाप्त करने में मदद कर सकते हैं, जिससे सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा मिलेगा।
- विभिन्न धर्मों के लिये अलग-अलग उत्तराधिकार कानून सामाजिक असमानताओं को जन्म दे सकते हैं। एक समान नागरिक संहिता सभी नागरिकों के लिये समान उत्तराधिकार सुनिश्चित कर सकती है।
- सांस्कृतिक बहुलवाद: भारत एक विविधतापूर्ण देश है, जिसमें विभिन्न धर्म और संस्कृतियाँ निहित हैं। समान नागरिक संहिता से सांस्कृतिक बहुलवाद कमज़ोर हो सकता है।
- समान नागरिक संहिता (UCC ) पर संवाद अक्सर इस बात पर ध्यान आकर्षित करता है कि अल्पसंख्यक समुदायों के रीति-रिवाज़ों और प्रथाओं पर बहुसंख्यक समुदाय के रीति-रिवाज़ों तथा प्रथाओं को आरोपित किया जा सकता है।
- राजनीतिक संवेदनशीलता: समान नागरिक संहिता का कार्यान्वयन एक राजनीतिक रूप से संवेदनशील मुद्दा रहा है, जिसके कारण अक्सर सांप्रदायिक तनाव पैदा होता है।
- राजनीतिक दल चुनावी लाभ के लिये समुदायों का ध्रुवीकरण हेतु समान नागरिक संहिता (UCC ) पर वाद-विवाद का लाभ उठा सकते हैं, जिससे इसके उद्देश्यपूर्ण कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न हो सकती है।
निष्कर्ष:
समान नागरिक संहिता का भारत में व्यक्तिगत स्वायत्तता, व्यक्तिगत संबंधों और सामाजिक गतिशीलता पर गहरा प्रभाव पड़ता है। जबकि यह व्यक्तिगत अधिकारों को बढ़ाने तथा सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने का वादा करता है, यह सांस्कृतिक संवेदनशीलता एवं राजनीतिक स्वीकृति से संबंधित चुनौतियाँ भी पेश करता है। यूसीसी के सफल कार्यान्वयन के लिये एक संतुलित दृष्टिकोण आवश्यक है , जो समानता व निष्पक्षता के लिये भारत की विविधता का सम्मान करता हो।