दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का संक्षिप्त में परिचय दीजिये।
- उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील भौगोलिक क्षेत्रों पर चर्चा कीजिये।
- भेद्यता के कारणों का परीक्षण कीजिये।
- प्रभावी शमन रणनीतियाँ सुझाइये।
- उपयुक्त निष्कर्ष दीजिये।
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परिचय:
उष्णकटिबंधीय चक्रवात, जिन्हें उनके स्थान के आधार पर हरिकेन या टाइफून के रूप में भी जाना जाता है, यह गर्म उष्णकटिबंधीय महासागरों में उत्पन्न कम वायुमंडलीय दबाव वाले तीव्र गोलाकार तूफान होते हैं तेज़ हवाएँ और भारी बारिश इनकी मुख्य विशेषता हैं। जलवायु, महासागरीय तथा भौगोलिक कारकों के संयोजन के कारण कुछ भौगोलिक क्षेत्र इन चक्रवातों के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
मुख्य भाग :
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के प्रति सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्र
- उत्तरी अटलांटिक महासागर
- प्रभावित क्षेत्र: उत्तरी अटलांटिक महासागर, कैरेबियन सागर, मैक्सिको की खाड़ी और संयुक्त राज्य अमेरिका का पूर्वी तट।
- उदाहरण: कैटरीना, हार्वे और मारिया जैसे हरिकेन ।
- उत्तर-पश्चिमी प्रशांत महासागर
- प्रभावित क्षेत्र: उत्तर-पश्चिमी प्रशांत महासागर, जिसमें दक्षिण-पूर्व एशिया, जापान और पश्चिमी प्रशांत के कुछ भाग शामिल हैं।
- उल्लेखनीय उदाहरण: हैयान और युतु जैसे टाइफून।
- दक्षिण-पश्चिमी हिंद महासागर
- प्रभावित क्षेत्र: अफ्रीका के पूर्व में हिंद महासागर, जिसमें मेडागास्कर, मॉरीशस और मोज़ाम्बिक का पूर्वी तट शामिल है।
- उल्लेखनीय उदाहरण: इडाई और एलोइस जैसे चक्रवात।
- दक्षिण प्रशांत महासागर
- प्रभावित क्षेत्र: दक्षिण प्रशांत महासागर, जिसमें फिजी, टोंगा और न्यू कैलेडोनिया के कुछ हिस्से शामिल हैं।
- उल्लेखनीय उदाहरण: विंस्टन और गीता जैसे चक्रवात।
भेद्यता के कारण
- पर्यावरण संबंधी परिस्थितियाँ
- गर्म महासागरीय जल: उष्णकटिबंधीय चक्रवात का निर्माण कम-से-कम 27 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले गर्म महासागरीय जल पर होता हैं। ये जल चक्रवात के निर्माण के लिये आवश्यक ऊष्मा और नमी प्रदान करते हैं।
- उच्च आर्द्रता: निम्न और मध्य क्षोभमंडल में उच्च आर्द्रता अतिरिक्त नमी प्रदान करती है, जिससे चक्रवात की तीव्रता बढ़ जाती है।
- भौगोलिक स्थिति
- उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र: चक्रवात आमतौर पर, जहाँ समुद्र की सतह का तापमान चक्रवात के निर्माण के लिये अनुकूल होता है, दोनों गोलार्द्धों में 5° और 20° अक्षांश के बीच विकसित होते हैं, इन अक्षांशों के भीतर के क्षेत्र सबसे अधिक संवेदनशील होते हैं।
- महासागरीय धाराएँ: उत्तरी अटलांटिक में गल्फ स्ट्रीम या उत्तर-पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में कुरोशियो धारा जैसी गर्म महासागरीय धाराएँ समुद्र की सतह के तापमान को बढ़ाने और चक्रवात गतिविधियों में योगदान करती हैं।
- निम्न तटीय क्षेत्र: तटीय क्षेत्र, विशेष रूप से कम ऊँचाई वाले, चक्रवातों के कारण आने वाले तूफान और बाढ़ के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं। उदाहरण के लिये बांग्लादेश तथा वियतनाम जैसे देशों के डेल्टा क्षेत्र विशेष रूप से संवेदनशील हैं।
- पर्यावरणीय परिस्थितियाँ:
- कम ऊँचाई पर स्थित ऊर्ध्वाधर पवन: उष्णकटिबंधीय चक्रवातों को विकसित होने के लिये कम ऊँचाई पर ऊर्ध्वाधर पवन (विभिन्न ऊँचाइयों पर वायु की गति और दिशा में अंतर) की आवश्यकता होती है। अधिक ऊँचाई पर पवन चक्रवाती संरचना को बाधित कर सकती है, जबकि कम ऊँचाई पर स्थित पवन इसकी तीव्रता को बढ़ाती है।
- उच्च नमी: वायुमंडल में उच्च नमी वाले क्षेत्र चक्रवात के निर्माण का कारण बन सकते हैं और मौजूदा प्रणालियों को मज़बूत कर सकते हैं।
शमन उपाए/रणनीतियाँ
- प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली: चक्रवातों के प्रभाव को कम करने के लिये सटीक पूर्वानुमान और समय पर चेतावनी हेतु उन्नत मौसम विज्ञान प्रणालियों का विकास करना।
- भवन संहिता और बुनियादी ढाँचा: चक्रवात-रोधी निर्माण सुनिश्चित करने के लिये भवन संहिताओं को, विशेष रूप से संवेदनशील तटीय और द्वीप क्षेत्रों में लागू करना ।
- तटीय सुरक्षा: तूफानी लहरों और बाढ़ से बचाव के लिये समुद्री दीवारें, तटबंध एवं अन्य तटीय सुरक्षा का निर्माण करना।
- सामुदायिक तत्परता: निकासी योजनाओं, चक्रवात के लिये रणनीतियों पर समुदायों को शिक्षित और प्रशिक्षित करने के माध्यम से कमज़ोरियों को कम करना तथा लचीलापन को बढ़ाना।
निष्कर्ष:
उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के प्रति भौगोलिक क्षेत्रों की संवेदनशीलता जलवायु, महासागरीय और भौगोलिक कारकों के संयोजन से प्रभावित होती है। प्रारंभिक चेतावनी प्रणालियों, लचीले बुनियादी ढाँचे तथा सामुदायिक उपायों के माध्यम से इन कमज़ोरियों को दूर करके, उष्णकटिबंधीय चक्रवातों के प्रभाव को काफी हद तक कम किया जा सकता है।