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दिवस - 10: प्लेट विवर्तनिकी के प्रमुख सिद्धांतों की चर्चा करते हुए हिमालय के निर्माण में इसकी भूमिका की व्याख्या कीजिये। (150 शब्द)

18 Jul 2024 | सामान्य अध्ययन पेपर 1 | भूगोल

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत का संक्षिप्त में परिचय दीजिये।
  • प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के प्रमुख सिद्धांतों पर चर्चा कीजिये।
  • हिमालय के निर्माण में इसकी भूमिका की व्याख्या कीजिये।
  • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

परिचय:

प्लेट विवर्तनिकी एक वैज्ञानिक सिद्धांत है, जो पृथ्वी के स्थलमण्डल में बड़े पैमाने पर होने वाली गतियों की व्याख्या प्रस्तुत करता है। जो कई प्लेटों में विभाजित है जो उनके नीचे अर्द्ध-तरल दुर्बलमंडल पर तैरती हैं। यह सिद्धांत भूकंपों के वितरण, ज्वालामुखी गतिविधि, पर्वत निर्माण और महासागरीय तथा महाद्वीपीय विशेषताओं के निर्माण सहित विभिन्न भू-वैज्ञानिक घटनाओं की व्याख्या प्रस्तुत करने का प्रयास करता है।

मुख्य भाग:

प्लेट विवर्तनिकी सिद्धांत के प्रमुख सिद्धांत:

  • स्थलमण्डल प्लेट: पृथ्वी का बाहरी आवरण, जिसे स्थलमण्डल (लिथोस्फीयर) के नाम से जाना जाता है, कई बड़ी और छोटी प्लेटों में विभाजित है। ये प्लेटें अपने नीचे अर्द्ध-तरल दुर्बलमण्डल पर तैरती हैं, जो उन्हें गति प्रदान करती है।
  • प्लेट सीमाएँ: प्लेट सीमाओं को एक-दूसरे के सापेक्ष प्लेटों की गति के आधार पर तीन मुख्य प्रकारों में वर्गीकृत किया जाता है:
    • अपसारी सीमा: प्लेटें एक-दूसरे से दूर जाती हैं, जिससे एक नई भू-पर्पटी का निर्माण होता है। यह गतिविधियाँ अक्सर मध्य-महासागरीय कटकों पर देखने को मिलती है।
    • अभिसारी सीमा: प्लेटें एक-दूसरे की ओर बढ़ती हैं, जिससे भू-पर्पटी का विनाश या पुनर्चक्रण होता है। इसके परिणामस्वरूप पर्वत शृंखलाएँ, गहरे महासागरीय कटक तथा ज्वालामुखी जैसी गतिविधियों का निर्माण होता हैं।
    • परिवर्तन सीमा (ट्रांसफॉर्म बाउंड्री): प्लेटें क्षैतिज रूप से एक-दूसरे से आगे खिसकती हैं, जिससे दोषों के साथ भूकंप आते हैं।
  • प्लेटों की गति: प्लेटों की गति मेंटल संवहन प्रक्रिया द्वारा संचालित होती हैं, जहाँ गर्म पदार्थ ऊपर उठता है और ठंडा पदार्थ नीचे की ओर स्थानांतरित होता है, जिससे एक परिसंचरण पैटर्न का निर्माण होता है, जो प्लेटों की गति को संचालित करता है। अन्य बलों में स्लैब पुल (जहाँ एक सघन प्लेट मेंटल में डूब जाती है) तथा रिज़ पुश (जहाँ बढ़ता हुआ मैग्मा प्लेटों को अलग-अलग सीमाओं पर दबाव डालता है) शामिल हैं।
  • महाद्वीपीय विस्थापन और सागर नितल प्रसरण: प्लेट विवर्तनिकी में महाद्वीपीय विस्थापन जैसे पुराने सिद्धांत शामिल हैं, जो यह दर्शाते है की महाद्वीप आपस में जुड़े हुए थे, जिनका विखंडन हुआ और महाद्वीपीय विस्थापन के द्वारा अलग-अलग सीमाओं पर नई समुद्री परत का निर्माण हुआ।
  • पर्वतों का निर्माण और भूकंप: प्लेट विवर्तनिकी सीमाओं पर परस्पर क्रिया के परिणामस्वरूप पर्वतों, भूकंपों और ज्वालामुखी गतिविधि के निर्माण की व्याख्या करती है। प्लेटों के अभिसरण तथा परस्पर क्रिया से महत्त्वपूर्ण भू-वैज्ञानिक गतिविधियाँ देखने को मिलती हैं।

हिमालय के निर्माण में भूमिका:

  • प्लेटों का संपीडन: हिमालय का निर्माण भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट के बीच टकराव के परिणामस्वरूप हुआ था। यह प्रक्रिया लगभग 50 मिलियन वर्ष पहले शुरू हुई थी, जो अभी भी जारी है। अभिसारी सीमा पर इन प्लेटों के अभिसरण से महत्त्वपूर्ण भूगर्भीय गतिविधियों का निर्माण हुआ है।
  • महाद्वीपीय-महाद्वीपीय अभिसरण: महासागरीय-महासागरीय या महासागरीय-महाद्वीपीय अभिसरण के विपरीत, जिसमें आमतौर पर सबडक्शन और ज्वालामुखीय गतिविधियाँ शामिल होती है, दो महाद्वीपीय प्लेटों, जैसे कि भारतीय तथा यूरेशियन प्लेटों के बीच अभिसरण से मुख्य रूप से भू-पर्पटी संपीड़न, वलन एवं उत्थान जैसी गतिविधियाँ देखने को मिलती है। इस अभिसरण के कारण ही हिमालय पर्वत शृंखला का उत्थान हुआ है।
  • उत्थान और वलन: टकराव से उत्पन्न अत्यधिक दबाव के कारण भारतीय प्लेट और यूरेशियन प्लेट से आपस में टकराई, तो दो महाद्वीपीय प्लेटो के अभिसरण से टेथिस सागर के अवसाद एवं हल्की तलछटी चट्टानें ऊपर की ओर उठने लगी। परिणामी वलन पहाड़ों में माउंट एवरेस्ट जैसी विश्व की कुछ सबसे ऊँची चोटियाँ शामिल हैं।
  • प्लेट विवर्तनिकी गतिविधियाँ: प्लेट विवर्तनिकी गतिविधियों के कारण हिमालय का अभी भी विस्तार हो रहा है तथा इस प्रक्रिया के साथ-साथ इस क्षेत्र में लगातार भूकंपीय गतिविधियाँ भी देखने को मिलती हैं।
  • क्षेत्र पर प्रभाव: हिमालय के निर्माण से आस-पास के क्षेत्र पर गहरा प्रभाव पड़ा है, जिसमे जलवायु और मौसम के पैटर्न का प्रभावित होना, मानसूनी पवनों के लिये हिमालय का एक अवरोध के रूप में कार्य करना तथा गंगा एवं सिंधु जैसी प्रमुख नदियों का प्रभावित होना शामिल है।

निष्कर्ष:

प्लेट विवर्तनिकी का सिद्धांत पृथ्वी की सतह के निर्माण वाली गतिशील प्रक्रियाओं को समझने के लिये एक व्यापक रूपरेखा प्रदान करता है। हिमालय का निर्माण इस बात का एक प्रमुख उदाहरण है कि कैसे प्लेट विवर्तनिकी प्लेटों की टक्कर और परस्पर क्रिया के माध्यम से भू-वैज्ञानिक विशेषताओं का निर्माण कर सकता है। विवर्तनिकी गतिविधियों से हिमालय का आज भी विस्तार जारी है, जिससे यह भू-वैज्ञानिकों के लिये अध्ययन का एक महत्त्वपूर्ण क्षेत्र तथा अत्यधिक भू-वैज्ञानिक एवं पर्यावरणीय महत्त्व का क्षेत्र बन जाता है।