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  • 18 Jul 2024 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    दिवस - 10: महासागरीय धाराओं के निर्माण में कौन-से कारक शामिल हैं? महासागरीय धाराएँ क्षेत्रीय जलवायु, मछली ग्रहण और नेविगेशन को कैसे प्रभावित करती हैं? (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • महासागरीय धाराओं और पृथ्वी की जलवायु प्रणाली में उनके महत्त्व को परिभाषित कीजिये।
    • उनके निर्माण में योगदान देने वाले मुख्य कारकों को संक्षेप में रेखांकित कीजिये।
    • क्षेत्रीय जलवायु, मछली ग्रहण उद्योग और समुद्री धाराओं से प्रभावित क्षेत्रों के रूप में नौवहन के पहलुओं का उल्लेख कीजिये।
    • उपयुक्त निष्कर्ष लिखिये।

    परिचय:

    महासागरीय धाराएँ विभिन्न कारकों द्वारा उत्पन्न सतत्, पूर्वानुमानित, निश्चित मार्ग या दिशा में समुद्री जल का नियमित प्रवाह हैं। ये धाराएँ पृथ्वी की जलवायु को विनियमित करने, समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन करने और समुद्री नौवहन को सुविधाजनक बनाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। क्षेत्रीय जलवायु, मछली ग्रहण उद्योगों तथा नौवहन पर उनके प्रभाव को समझने के लिये उनके गठन एवं प्रभाव को समझना आवश्यक है।

    मुख्य भाग:

    महासागरीय धाराओं के निर्माण में योगदान देने वाले कारक

    • वायु का प्रारूप: वायु द्वारा धाराएँ तब उत्पन्न होती हैं जब सतही वायु समुद्र के ऊपर प्रवाहित होती हैं, जिससे वायु और समुद्री जल के बीच उत्पन्न होने वाला घर्षण बल जल को गति प्रदान करता है। प्राथमिक वायु में व्यापारिक पवनें (पूर्वी पवन), पश्चिमी पवनें एवं ध्रुवीय पूर्वी पवनें शामिल हैं।
      • उदाहरण: व्यापारिक पवनें भूमध्यरेखीय धाराओं को गति प्रदान करती हैं, जैसे अटलांटिक महासागर में उत्तरी भूमध्यरेखीय धारा, जबकि पश्चिमी पवनें प्रशांत महासागर में कुरोशियो धारा जैसी धाराओं को गतिमान बनाती हैं।
    • पृथ्वी का घूर्णन (कोरियोलिस प्रभाव) : पृथ्वी के घूर्णन के परिणामस्वरूप उत्पन्न कोरियोलिस प्रभाव के कारण जल उत्तरी गोलार्द्ध में जल की दिशा के दाईं ओर तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में बाईं ओर प्रवाहित होता है, जिससे समुद्री धाराओं के मार्ग निर्धारित होते हैं।
      • उदाहरण: इस विक्षेपण के कारण उत्तरी अटलांटिक वलय और दक्षिणी प्रशांत वलय का निर्माण होता हैं तथा वृहत महासागरीय धाराओं की बड़ी प्रणालियाँ उत्पन्न होती हैं।
    • तापमान और लवणता में अंतर (थर्मोहेलिन परिसंचरण) : थर्मोहेलिन परिसंचरण या वैश्विक कन्वेयर बेल्ट, तापमान और लवणता में भिन्नता के कारण जल का घनत्व में अंतर से संचालित होता है। ठंडा, खारा जल की सघनता अधिक होने के कारण ध्रुवीय क्षेत्रों में जल नीचे बैठ जाता है, जिससे एक गहरी समुद्री धारा उत्पन्न होती है।
      • उदाहरण: अटलांटिक मेरिडियनल ओवरटर्निंग सर्कुलेशन (AMOC) इस वैश्विक प्रणाली का एक प्रमुख घटक है, जो ऊष्मा को पुनर्वितरित करके जलवायु पैटर्न को प्रभावित करता है।
    • पृथ्वी की स्थलाकृति: पर्वतमाला, कटक और बेसिन सहित जल के नीचे की स्थलाकृति, अवरोधों या चैनलों का निर्माण करके समुद्री धाराओं की दिशा एवं गति को प्रभावित करती है।
      • उदाहरण: मध्य अटलांटिक कटक उत्तरी अटलांटिक धारा के प्रवाह को प्रभावित करते है, जबकि इंडोनेशियाई थ्रूफ्लो हिंद महासागर में धाराओं के वितरण को प्रभावित करता है।
    • ज्वार-भाटा: चंद्रमा और सूर्य के मध्य आकर्षण बल के कारण ज्वारीय धाराओं का निर्माण होता हैं जो ज्वार-भाटे के नियतकालिक उठने एवं गिरने के साथ प्रवाहित होती हैं।
      • उदाहरण: कनाडा में फंडी की खाड़ी जैसे तटीय क्षेत्रों में ज्वारीय धाराएँ प्रमुख हैं, जहाँ अत्यधिक ज्वारीय श्रेणियाँ द्वारा धाराएँ उत्पन्न होती हैं।

    महासागरीय धाराओं का प्रभाव:

    • क्षेत्रीय जलवायु: समुद्री धाराएँ वायु के तापमान और वर्षा के प्रतिरूप को परिवर्तित कर तटीय जलवायु को नियंत्रित करती हैं। गर्म धाराओं से तापमान में वृद्धि होती हैं, जबकि ठंडी धाराएँ उसे ठंडा करती हैं।
      • उदाहरण: गल्फ स्ट्रीम पश्चिमी यूरोप की जलवायु को गर्म करती है, जिससे सर्दियाँ हल्की होती हैं। इसके विपरीत, कैलिफोर्निया धारा उत्तरी अमेरिका के पश्चिमी तट की जलवायु को ठंडा करती है, जिससे तापमान और वर्षा में कमी आती है।
    • मछली ग्रहण उद्योग: धाराएँ पोषक तत्त्वों के परिवहन और मछली प्रवास प्रतिरूप को प्रभावित करके समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र को प्रभावित करती हैं। विशेष रूप से ऊपर उठने वाली धाराएँ पोषक तत्त्वों से भरपूर पानी को सतह पर लाती हैं, जिससे उच्च उत्पादकता एवं मछलियों की संख्या में वृद्धि होती है।
      • उदाहरण: पेरूवियन (हम्बोल्ट) जलधारा अपने अपवेलिंग के लिये प्रसिद्ध है, जो विश्व के सबसे अधिक उत्पादक मत्स्य पालन में से एक है। नामीबिया के तट से दूर बेंगुएला जलधारा भी अपने पोषक तत्त्वों से भरपूर जल के कारण एक महत्त्वपूर्ण मछली ग्रहण उद्योग का समर्थन करती है।
    • नौवहन: समुद्री धाराओं की समझ नौवहन के लिये महत्त्वपूर्ण है, जो ईंधन की खपत, यात्रा के समय और मार्ग नियोजन को प्रभावित करती है। नाविक अपनी यात्राओं को अनुकूलित तथा लागत में कमी लाने के लिये धाराओं का उपयोग करते हैं।
      • उदाहरण: गल्फ स्ट्रीम के उपयोग ने ऐतिहासिक रूप से तेज़ ट्रांसाटलांटिक क्रॉसिंग को सक्षम बनाया है। आधुनिक नाविक प्रतिकूल परिस्थितियों से बचने के लिये मार्ग की योजना बनाते समय अंटार्कटिक सर्कम्पोलर जैसी धाराओं को ध्यान में रखते हैं।

    निष्कर्ष:

    महासागरीय धाराएँ वैश्विक पर्यावरणीय और आर्थिक प्रणालियों से जटिल रूप से जुड़ी हुई हैं। ये जलवायु को नियंत्रित करती हैं तथा समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र का समर्थन एवं कार्बन भंडारण को प्रभावित करती हैं, साथ ही मछली ग्रहण उद्योग, समुद्री नेविगेशन व ऊर्जा उत्पादन को भी प्रभावित करती हैं। जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने, समुद्री संसाधनों को बनाए रखने और आर्थिक गतिविधियों को अनुकूलित करने के लिये इन धाराओं को समझना तथा प्रबंधित करना आवश्यक है। इन प्रणालियों के साथ महासागरीय धाराओं का परस्पर संबंध पृथ्वी के पर्यावरणीय और आर्थिक परिदृश्य को आकार देने में उनके महत्त्व को उजागर करता है।

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