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21 Jul 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
दिवस-5: 20वीं सदी में राष्ट्रीय सीमाओं के पुनर्निर्धारण की प्रक्रिया का परीक्षण कीजिये। राष्ट्रीय सीमाओं के पुनर्निर्धारण में योगदान देने वाले प्रमुख कारक क्या थे और इसने भू-राजनीति को कैसे प्रभावित किया? (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- परिचय: 20वीं शताब्दी में राष्ट्रीय सीमाओं के पुनर्निर्धारण की घटना का संक्षेप में परिचय दीजिये।
- मुख्य भाग: उन प्रमुख कारकों पर चर्चा कीजिये जिन्होंने राष्ट्र की सीमाओं के पुनर्निर्धारण की प्रक्रिया में योगदान दिया और भू-राजनीति पर इसके प्रभाव का उल्लेख किया।
- निष्कर्ष: चर्चा किये गए मुख्य बिंदुओं का सारांश देकर अपना उत्तर समाप्त कीजिये।
परिचय:
20वीं सदी एक परिवर्तनकारी युग था जिसमें राष्ट्रीय सीमाओं का व्यापक रूप से पुनर्निर्धारण किया गया। यह प्रक्रिया असंख्य कारकों से प्रभावित थी, जिनमें उपनिवेशवाद से मुक्ति, विश्व युद्ध, जातीय और राष्ट्रवादी आंदोलन तथा महाशक्तियों द्वारा की जा रही राजनीति शामिल थी। जैसे-जैसे नए राष्ट्र-राज्यों का उदय हुआ और पुराने साम्राज्य ढहते गए, भू-राजनीतिक परिदृश्य को नया आकार मिला, जिसके दीर्घकालिक परिणाम सामने आए।
मुख्य भाग:
इस प्रक्रिया में योगदान देने वाले कुछ प्रमुख कारक थे:
- दो विश्व युद्धों के परिणामस्वरूप साम्राज्यों का पतन हुआ, नए राष्ट्र-राज्यों का उदय हुआ और विजयी शक्तियों के बीच क्षेत्रों का पुनर्वितरण हुआ।
- उपनिवेशीकरण आंदोलन जिसके कारण कई पूर्व उपनिवेश अपने यूरोपीय शासकों से स्वतंत्र हुए, विशेषकर एशिया और अफ्रीका में।
- शीत युद्ध ने दुनिया को दो वैचारिक गुटों में विभाजित कर दिया और राष्ट्रों के बीच नए गठबंधन और संघर्ष पैदा किये।
- सोवियत संघ और यूगोस्लाविया के विघटन ने पूर्वी यूरोप और मध्य एशिया में कई नए गणराज्यों और क्षेत्रों को जन्म दिया।
राष्ट्रीय सीमाओं के पुनर्निर्धारण का भू-राजनीति पर गहरा प्रभाव पड़ा, क्योंकि इसने शक्ति संतुलन, संघर्षों की प्रकृति और राष्ट्रों के बीच सहयोग के पैटर्न को बदल दिया। कुछ प्रभाव इस प्रकार थे:
- राष्ट्रों के बीच शांति, सुरक्षा और सहयोग को बढ़ावा देने के लिये संयुक्त राष्ट्र, नाटो, यूरोपीय संघ, आसियान आदि जैसे नए अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का निर्माण।
- परमाणु प्रसार, आतंकवाद, जातीय संघर्ष, मानवाधिकारों का उल्लंघन, पर्यावरणीय मुद्दे आदि जैसी नई चुनौतियों का उदय, जिसके लिये वैश्विक प्रतिक्रियाओं और समाधानों की आवश्यकता थी।
- नए कारकों का उद्भव, जैसे गैर-राज्य अभिनेता, अंतर्राष्ट्रीय निगम, नागरिक समाज समूह आदि जिन्होंने राष्ट्रों के अंतर्राष्ट्रीय संबंधों और नीतियों को प्रभावित किया।
- संचार, परिवहन, सूचना आदि जैसी नई तकनीकों का विकास, जिसने राष्ट्रीय सीमाओं के पार विचारों, वस्तुओं और लोगों के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाया।
निष्कर्ष`:
20वीं सदी में राष्ट्रीय सीमाओं के पुनर्निर्धारण की प्रक्रिया एक जटिल और गतिशील घटना थी जिसमें राष्ट्रवाद, साम्राज्यवाद, उपनिवेशवाद से मुक्ति, युद्ध, क्रांतियाँ, संधियाँ और अंतर्राष्ट्रीय संगठन जैसे विभिन्न कारक शामिल थे। राष्ट्रीय सीमाओं के पुनर्निर्धारण का भू-राजनीति पर महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ा, जैसे नए राज्यों का निर्माण, गठबंधन बदलना, संघर्ष , सहयोग को बढ़ावा देना, पहचान को आकार देना और वैश्विक व्यवस्था को प्रभावित करना।