दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- परिचय: रियासतों की पृष्ठभूमि के बारे में संक्षेप में बताते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- मुख्य भाग: इन राज्यों को भारतीय संघ में एकीकृत करने में शामिल चुनौतियों का उल्लेख कीजिये और इस एकीकरण में सरदार पटेल और वी.पी. मेनन की भूमिका तथा उनकी उपलब्धियों पर चर्चा कीजिये।
- निष्कर्ष: एकीकरण प्रक्रिया की उपलब्धियों का सारांश प्रस्तुत कीजिये और रियासतों के सफल एकीकरण में पटेल और मेनन द्वारा निभाई गई महत्त्वपूर्ण भूमिकाओं को बताइये।
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परिचय:
1947 में भारत को ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से स्वतंत्रता मिलने के बाद, भारतीय संघ में रियासतों के एकीकरण ने महत्त्वपूर्ण चुनौतियाँ प्रस्तुत कीं। भारतीय उपमहाद्वीप के लगभग एक-तिहाई हिस्से वाली रियासतों पर देशी राजाओं और राजकुमारों का शासन था, जिन्हें ब्रिटिश शासन के तहत कुछ हद तक स्वायत्तता प्राप्त थी। इन 562 राज्यों को भारतीय संघ में एकीकृत करने की प्रक्रिया में कुशल बातचीत और कूटनीति की आवश्यकता थी। सरदार वल्लभभाई पटेल और वी.पी. मेनन ने इस ऐतिहासिक कार्य में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मुख्य भूमिका:
इन राज्यों को एकीकृत करने में मुख्य चुनौतियाँ थीं:
- स्वतंत्रता की मांग: कुछ रियासतें, जैसे त्रावणकोर, हैदराबाद और जम्मू-कश्मीर स्वतंत्र रहना चाहती थीं या संप्रभु दर्जा चाहती थीं। वे भारत या पाकिस्तान में शामिल होने के अनिच्छुक थे।
- पाकिस्तान में शामिल होने की मांग: जूनागढ़, भोपाल और जोधपुर जैसी कुछ रियासतों में मुस्लिम शासक या बड़ी मुस्लिम आबादी थी और वे पाकिस्तान में शामिल होने के इच्छुक थे।
- राजनीतिक एकीकरण के बाद प्रशासनिक एकीकरण की समस्याएँ: रियासतों द्वारा भारत के साथ विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने के बाद भी उनके प्रशासन, राजस्व, न्यायपालिका, पुलिस और सेना के भारतीय संघ में विलय संबंधी मुद्दे थे। विभिन्न राज्यों के लोगों के बीच किसान असंतोष, सांप्रदायिक विभाजन, भाषाई विविधता और क्षेत्रीय आकांक्षाएं जैसी सामाजिक-सांस्कृतिक समस्याएं भी थीं।
इन राज्यों को एकीकृत करने में सरदार पटेल और वी.पी. मेनन की भूमिका:
भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृहमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल को राज्य मंत्रालय के सचिव वी.पी. मेनन की सहायता से रियासतों को एकीकृत करने का कठिन कार्य सौंपा गया था। उन्होंने विभिन्न तरीकों का इस्तेमाल किया जैसे:
- अनुनय और कूटनीति: पटेल ने राजाओं की देशभक्ति, व्यावहारिकता और जिम्मेदारी की भावना को बढ़ावा दिया और उन्हें आश्वस्त किया कि भारत में शामिल होना उनके सर्वोत्तम हित में है। उन्होंने उनके एकीकरण के बदले में उन्हें कुछ विशेषाधिकार जैसे प्रिवी पर्स, उपाधियाँ और निवास की भी पेशकश की।
- सैन्य बल का उपयोग: सरदार पटेल ने इन राज्यों को एकीकृत करने के लिये कैरट एंड स्टिक दृष्टिकोण का उपयोग किया। जब अनुनय विफल हो गया या जब कुछ राज्यों में कोई बाहरी खतरा या आंतरिक विद्रोह हुआ तो उन्होंने सैन्य बल का प्रयोग किया। उदाहरण के लिये, जब जूनागढ़ के नवाब ने पाकिस्तान में शामिल होने का फैसला किया तो उन्होंने जूनागढ़ पर कब्ज़ा करने के लिये भारतीय सेना भेजी। उन्होंने हैदराबाद के विरुद्ध भी पुलिस कार्रवाई शुरू की जब उसके निज़ाम ने भारत में शामिल होने से इनकार कर दिया और रज़ाकारों के हिंसक आंदोलन का समर्थन किया।
- जनमत संग्रह: पटेल ने लोगों की लोकतांत्रिक इच्छा का सम्मान किया और उन्हें कुछ मामलों में जनमत संग्रह के माध्यम से अपने भाग्य का फैसला करने की अनुमति दी। उदाहरण के लिये, उन्होंने सौराष्ट्र (पूर्व में काठियावाड़) में यह निर्णय लेने के लिये जनमत संग्रह कराया कि क्या इसे बॉम्बे के साथ विलय करना चाहिये या एक अलग राज्य बनाना चाहिये।
निष्कर्ष:
आजादी के बाद रियासतों का भारतीय संघ में एकीकरण एक चुनौतीपूर्ण कार्य था, लेकिन सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व और वी.पी. मेनन की विशेषज्ञता के तहत इसे सफलतापूर्वक पूरा किया गया। उनकी सावधानीपूर्वक योजना, बातचीत कौशल और राष्ट्रीय एकता के प्रति प्रतिबद्धता, रियासतों को भारतीय संघ के दायरे में लाने और एकजुट भारत के भविष्य को सुरक्षित करने में महत्त्वपूर्ण थी।