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दिवस-42. दवा-परीक्षण प्रक्रिया में पशुओं का उपयोग एक विवादास्पद मुद्दा है जिसमें गंभीर नैतिक चिंताएँ शामिल हैं। पशुओं पर दवाओं के परीक्षण को कम करने या प्रतिस्थापित करने के लिये कौन से वैकल्पिक तरीके उपलब्ध हैं? वैज्ञानिक प्रयोगों में पशुओं के प्रति नैतिक मानकों और मानवीय व्यवहार को सुनिश्चित करने के लिये कुछ उपाय बताइये। (250 शब्द)

02 Sep 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • पशु नैतिकता का परिचय देते हुए उत्तर की शुरुआत कीजिये।
  • पशु परीक्षण को कम करने या बदलने के लिये उपलब्ध चुनौतियों या नैतिक चिंताओं और संबंधित वैकल्पिक तरीकों की व्याख्या कीजिये।
  • वैज्ञानिक प्रयोगों में पशुओं के प्रति नैतिक मानकों और मानवीय व्यवहार को सुनिश्चित करने के लिये कुछ उपाय सुझाइये।
  • नैतिकता और वैज्ञानिक मूल्यांकन का संतुलन बनाते हुए आगे की राह सुझाइये।

उत्तर:

  • नैतिक पशु अनुसंधान से तात्पर्य वैज्ञानिक अध्ययनों में जानवरों के उपयोग से है, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाता है कि जानवरों के साथ मानवीय व्यवहार किया जाए और उनके कल्याण की रक्षा की जाए।
  • इसमें जानवरों को होने वाले संभावित नुकसान के साथ अनुसंधान के लाभों को संतुलित करना और जानवरों को होने वाले किसी भी क्षति या पीड़ा को कम करना शामिल है।

कई नैतिक चिंताएँ शामिल हैं:

  • समानता का व्यवहार: पशु अधिकार पैरोकारी दृढ़ता के साथ यह तर्क देते हैं कि गैर-मानव (जानवरों) की नैतिक स्थिति मनुष्यों के समान है तथा ये उपचार की समानता के हकदार हैं।
  • अमानवीय व्यवहार: जानवरों के साथ प्रायः मानवीय व्यवहार नहीं किया जाता है, परिवहन, आवास और प्रयोगात्मक प्रक्रियाओं सहित संपूर्ण अनुसंधान प्रक्रिया के दौरान उनके साथ गलत व्यवहार किया जाता है।
  • पशु अधिकारों की अनदेखी: पशु अधिकार अधिवक्ताओं का तर्क है कि जानवरों के अंतर्निहित अधिकार हैं और उनका उपयोग मानवीय उद्देश्यों के लिये नहीं किया जाना चाहिये। उनका तर्क है कि जानवरों को भी जीने अधिकार होता है।
  • स्वतंत्रता न देना, जीवन और पीड़ा से मुक्ति, अनुसंधान में जानवरों का उपयोग इन अधिकारों का उल्लंघन करता है।
  • पशु संकट: हमें जानवरों के संकट पर विचार करना चाहिये। अगर इंसानों में कोई वस्तु दर्दनाक मानी जाती है, तो उसे जानवरों में भी दर्दनाक माना जाना चाहिये।

पशु प्रयोग के पक्ष में तर्क:

  • जानवरों में इंसानों की संज्ञानात्मक क्षमताएँ नहीं होती हैं।
  • पशु प्रयोगों से मनुष्यों को होने वाले लाभ इन प्रयोगों से पशुओं को होने वाले नुकसान की भरपाई कर देते हैं।

वैकल्पिक परीक्षण विधियाँ:

  • शरीर के विशिष्ट अंगों का परीक्षण करना, जिन्हें "ऑर्गेनोइड्स" या "मिनी-ऑर्गन्स" कहा जाता है।
  • "ऑर्गन-ऑन-ए-चिप" जैसी लोकप्रिय तकनीक का उपयोग करना, जिसके द्वारा शरीर के अंदर रक्त प्रवाह का परीक्षण किया जाता है।
  • इंकजेट बायोप्रिंटर जैसी एडिटिव विनिर्माण तकनीकें हमें प्रयोगशाला में मानव ऊतक या अंग प्रणाली के पुनः निर्माण के निकट पहुँचाती हैं।

पशु अनुसंधान हेतु दिशा निर्देश:

सभी के प्रति सहानुभूति:

  • अनुसंधान के माध्यम ज्ञान में वृद्धि होनी चाहिये और प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से, मनुष्यों तथा अन्य जानवरों के स्वास्थ्य एवं कल्याण को लाभ पहुँचाने की क्षमता विकसित होनी चाहिये।

न्यूनतम उपयोग:

  • वैध परिणाम प्राप्त करने के लिये न्यूनतम संख्या में जानवरों को शामिल किया जाना चाहिये।
  • दर्द और परेशानी को कम करना: शोधकर्त्ताओं को ऐसी प्रक्रिया का उपयोग करना चाहिये जो जानवरों के दर्द और परेशानी को कम कर सके तथा उनके कल्याण को अधिकतम कर सके।

IT टूल्स का उपयोग करना:

  • क्या हम इसके बजाय गणितीय मॉडल या कंप्यूटर सिमुलेशन जैसे गैर-पशु विकल्पों का उपयोग कर सकते हैं? इस पर भी विचार किया जाना चाहिये।

पशुओं के प्रति नैतिक मानक और मानवीय व्यवहार सुनिश्चित करने के उपाय:

  • हाल ही में भारत सरकार द्वारा पारित नवीन औषधि और नैदानिक ​​परीक्षण नियम (वर्ष 2023) में एक संशोधन का उद्देश्य अनुसंधान करना अर्थात् मूलतः दवा परीक्षण में जानवरों के उपयोग को प्रतिस्थापित करना है।
  • यह संशोधन शोधकर्त्ताओं को नई दवाओं की सुरक्षा एवं प्रभावकारिता का परीक्षण करने के लिये गैर-पशु और मानव-प्रासंगिक तरीकों का उपयोग करने के लिये अधिकृत करता है, जिसमें 3D ऑर्गेनोइड, ऑर्गन-ऑन-चिप तथा उन्नत कम्प्यूटेशनल तरीकों जैसी तकनीकें शामिल हैं।
  • 3R के सिद्धांतों को लागू करना: कमी, शोधन और प्रतिस्थापन, जिसे अनुसंधान में जानवरों के उपयोग से संबंधित प्रोटोकॉल (विशिष्टि) पर लागू किया जा सकता है।
  • पशु कल्याण के लिये मज़बूत कानूनी ढाँचा निर्मित करना।

आगे की राह

  • एक शोध परियोजना शुरू करने से पूर्व प्रयोगों की पूर्ण रूप से योजना निर्मित की जानी चाहिये, जिसे अच्छी तरह से डिज़ाइन किया जाना चाहिये और जानवरों के अनावश्यक उपयोग से बचना चाहिये।
  • पशु प्रयोगों की विश्वसनीयता और प्रतिलिपि प्रस्तुत करने हेतु योग्यता पर भी विचार किया जाना चाहिये।
  • वैज्ञानिकों के बीच पशु प्रयोगों के विकल्पों के बारे में अधिक जागरूकता और उन्नत मॉडलिंग प्रौद्योगिकियों तक आसान पहुँच बनाना चाहिये।