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  • 02 Sep 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    दिवस-42. जलवायु परिवर्तन से विश्व के महासागरों के भौतिक और जैविक गुण विभिन्न तरीकों से प्रभावित हो रहे हैं। समुद्री जल और समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रमुख प्रभावों पर चर्चा करते हुए इनके शमन हेतु कुछ उपाय बताइये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • जलवायु परिवर्तन विश्व के महासागरों के भौतिक और जैविक गुणों को विभिन्न तरीकों से कैसे प्रभावित कर रहा है, इस प्रकार अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
    • यह भी बताइये कि जलवायु परिवर्तन का समुद्री जल और समुद्री पारिस्थितिक तंत्र पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
    • इसे कम करने के लिये कुछ उपाय और सरकारी हस्तक्षेप सुझाइये।
    • भविष्य के दृष्टिकोण को एकीकृत करते हुए आगे की राह सुझाइये।

    वर्तमान में बढ़ते उत्सर्जन से उत्पन्न लगभग 90 प्रतिशत ऊष्मा को समुद्र ने अवशोषित कर लिया है। जैसे-जैसे अत्यधिक ऊष्मा व ऊर्जा समुद्र में ऊष्णता उत्पन्न करती है, वैसे-वैसे तापमान में परिवर्तन से जलवायु परिवर्तन के अद्वितीय व्यापक प्रभाव देखे जाते हैं, जिसमें बर्फ का पिघलना, समुद्र के स्तर में वृद्धि, समुद्र की गर्म लहरें और समुद्र का अम्लीकरण शामिल है।

    ये परिवर्तन अंततः भौतिक और जैविक दोनों घटकों समेत समुद्री जैव विविधता पर स्थायी प्रभाव डालते हैं।

    महासागर और समुद्री संसाधनों पर प्रभाव:

    1. महासागरीय पारिस्थितिकी तंत्र में परिवर्तन:

    • इसका तापमान क्षेत्र में रहने वाली प्रजातियों को प्रभावित करता है, जो अम्लीकरण का कारण बनता है।
    • किसी प्रजाति पर प्रभाव संपूर्ण पारिस्थितिकी तंत्र पर असर डाल सकता है। उदाहरण के लिये, प्लवक, विभिन्न समुद्री खाद्य शृंखलाओं के तल पर रहने वाले छोटे जीव जलीय तापमान तथा ऑक्सीजन सांद्रता के प्रति संवेदनशील होते हैं। यदि जल बहुत अधिक गर्म हो जाए तो वे मर भी सकते हैं।
    • व्हेल जैसी खाद्य शृंखला के जानवरों को भोजन की कमी का सामना करना पड़ सकता है।

    2. अधिक सामान्य और गंभीर चरम समुद्री घटनाएँ:

    • जल का बढ़ता तापमान, अम्लीकरण और कम ऑक्सीजन का स्तर, प्राकृतिक समुद्री चक्र के साथ मिलकर चरम समुद्री घटनाएँ उत्पन्न कर सकता है।
    • समुद्री गर्म लहरें, मृत क्षेत्र और मूंगा विरंजन इन घटनाओं के कुछ उदाहरण हैं, जिनके गंभीर होने का अनुमान है।

    3. समुद्री मत्स्य पालन पर प्रभाव:

    • मत्स्य आबादी के आकार और वितरण में जलवायु-संचालित परिवर्तनों के कारण कुछ क्षेत्रों में वाणिज्यिक तथा मनोरंजक समुद्री मत्स्य पालन का उच्च जोखिम है।
    • कुछ मत्स्य प्रजातियों ने जलवायु परिवर्तन के परिप्रेक्ष्य में पहले ही अपनी भौगोलिक सीमा परिवर्तित कर दी है। उदाहरण के लिये, स्थानीय महासागर का तापमान बढ़ने के कारण पोलक और कॉड उत्तर की ओर शीत जल की ओर बढ़ रहे हैं।
    • नवीन क्षेत्रों में मत्स्यों की आवाजाही उस पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित करती है, जहाँ वे जाती हैं। इससे जलीय क्षेत्र में यह भ्रम भी उत्पन्न हो सकता है कि मछली पकड़ने के नियम यहाँ लागू होते हैं या नहीं।

    कम करने के उपाय:

    • अनुकूल मत्स्य प्रबंधन:
      मछली पकड़ने वाले पेशेवर और सरकारी अधिकारी अत्यधिक मत्स्याग्रहण से बचने के लिये नीतियों एवं प्रथाओं को बदलकर लोगों को जलवायु परिवर्तन के अनुकूल होने में सहायता कर सकते हैं।
    • मत्स्य पालन में विविधता लाना:
      एक्वाकल्चर या समुद्री भोजन (सी फूड) की खेती, जलवायु परिवर्तन के विरुद्ध लचीलापन उत्पन्न करने में सहायता करती है।
    • कार्बन उत्सर्जन कम करना:
      कार्बन उत्सर्जन को न्यूनतम करने की ओर कदम जैसे कि नवीकरणीय ऊर्जा का उपयोग करना, ऊर्जा की खपत में कमी करना, सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करना और अपशिष्ट उत्पादन को कम करना समुद्र के तापमान एवं अम्लीकरण को कम करने में सहायता कर सकता है।
    • बेहतर समुद्री उपयोग के माध्यम से स्थिरता:
      यदि जलवायु परिवर्तन शमन में योगदान देने वाले समुद्री क्षेत्रों को अवरोधित न करें तो समुद्री स्थानिक योजनाएँ देशों को निम्न-कार्बन समाधानों में स्थानांतरित होने में सहायता कर सकती हैं।
    • ज़िम्मेदारीपूर्वक मनोरंजन करना:
      सैलानियों के लिओये आवश्यक है कि मूंगा चट्टानों की रक्षा में सहायता करें, नौका विहार करते समय सावधान रहें ताकि लंगर प्रवाल भित्तियों या समुद्री घास को नुकसान न हो, गोताखोरी या स्नॉर्केलिंग करते समय कभी भी मूंगा चट्टानों को न छुएं, इसके अतिरिक्त उन रसायनों वाले सनस्क्रीन का उपयोग करने से बचें जो समुद्री जीवन को नुकसान पहुँचा सकते हैं।

    सरकारी हस्तक्षेप:

    • अवैध मत्स्याग्रहण का सामना:
      सरकारों को अवैध, असूचित एवं अनियमित मत्स्याग्रहण के समाधान के लिये उपाय लागू करने चाहिये, जैसे मछली पकड़ने की गतिविधियों की निगरानी करना और उल्लंघन के लिये सख्त दंड का प्रावधान करना।
    • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग बढ़ाएँ:
      विश्व महासागरों की सुरक्षा के लिये अंतर्राष्ट्रीय सहयोग और समन्वय की आवश्यकता है। सरकारों को जलवायु परिवर्तन पर संयुक्त राष्ट्र फ्रेमवर्क कन्वेंशन (UNFCCC) जैसे अंतर्राष्ट्रीय समझौतों और नियमों को स्थापित करने तथा लागू करने के लिये मिलकर कार्य करना चाहिये।

    एक एकीकृत महासागर नियोजन दृष्टिकोण देशों को कुशल और प्रभावी जलवायु प्रतिक्रियाओं को तैयार करने तथा SDG 14, जल के नीचे जीवन के लक्ष्य को प्राप्त करने में सहायता करता है, इसलिये सतत् विकास के लिये महासागरों, समुद्रों व समुद्री संसाधनों का संरक्षण एवं निरंतर उपयोग करें।

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