नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

Mains Marathon

  • 29 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 4 सैद्धांतिक प्रश्न

    दिवस-38. तनाव प्रबंधन और आत्म-जागरूकता जैसे कारकों पर विचार करते हुए बताइये कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता, स्वस्थ जीवन शैली को अपनाने और बनाए रखने में कैसे योगदान देती है? (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भावनात्मक बुद्धिमत्ता के बारे में संक्षिप्त जानकारी देकर उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) स्वस्थ जीवन शैली को अपनाने और बनाए रखने में कैसे मदद करता है।
    • EI को कैसे शामिल किया जाए इस पर चर्चा कीजिये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    भावनात्मक बुद्धिमत्ता (EI) से तात्पर्य अपनी और दूसरों की भावनाओं को पहचानने, समझने, प्रबंधित करने एवं प्रभावी ढंग से उपयोग करने की क्षमता से है। इसमें भावनाओं को सटीक रूप से समझना, सोच को सुविधाजनक बनाने के लिये भावनाओं का उपयोग करना, भावनाओं के अर्थ को समझना तथा व्यक्तिगत विकास एवं स्वस्थ संबंधों हेतु भावनाओं को प्रबंधित करना शामिल है।

    स्वस्थ जीवन शैली को अपनाने और बनाए रखने को बढ़ावा देने में EI महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है:

    • तनाव प्रबंधन: एक IAS अधिकारी को आपदा प्रबंधन के दौरान उच्च दबाव वाली स्थितियों का सामना करना पड़ता है। तनाव पैदा करने वालों की पहचान करने और भावनाओं को प्रबंधित करने की उनकी क्षमता प्रभावी निर्णय लेने में सहायता करती है।
      • उदाहरण: जब एक उच्च-तनावपूर्ण कार्य समय सीमा का सामना करना पड़ता है, तो भावनात्मक रूप से बुद्धिमान व्यक्ति शांत और केंद्रित रहने के लिये गहरी सांस लेने का अभ्यास कर सकता है।
    • आत्म-जागरूकता: EI आत्म-जागरूकता को बढ़ाता है, व्यक्तियों को उनकी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पहचानने में सहायता करता है।
      • आत्म-जागरूकता: EI आत्म-जागरूकता को बढ़ाता है, व्यक्तियों को उनकी शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पहचानने में सहायता करता है।
    • प्रेरणा: भावनात्मक बुद्धिमत्ता बाहरी दबावों के बजाय व्यक्तिगत संतुष्टि के लिये स्वस्थ जीवन शैली अपनाने और बनाए रखने की आंतरिक प्रेरणा को बढ़ावा देती है।
      • उदाहरण: मज़बूत भावनात्मक बुद्धिमत्ता वाला कोई व्यक्ति वर्कआउट रूटीन पर कायम रह सकता है क्योंकि वह उपलब्धि की भावना और मनोदशा में वृद्धि का आनंद लेता है।
    • स्व-नियमन: भावनात्मक बुद्धिमत्ता व्यक्तियों को दीर्घकालिक लाभों के लिये तत्काल संतुष्टि का विरोध करने, स्वस्थ आदतों में योगदान करने में मदद करती है। यह आवेगों पर बेहतर नियंत्रण करने में सक्षम बनाता है, जिससे अस्वास्थ्यकर प्रलोभनों के आगे झुकने की संभावना कम हो जाती है।
      • उदाहरण: मज़बूत भावनात्मक बुद्धिमत्ता वाला कोई व्यक्ति अपने दीर्घकालिक स्वास्थ्य लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करते हुए देर रात को अस्वास्थ्यकर स्नैक्स खाने की इच्छा का विरोध कर सकता है।
    • लचीलापन निर्माण: भावनात्मक बुद्धिमत्ता लचीलेपन को बढ़ावा देती है, जिससे व्यक्ति अपनी स्वास्थ्य यात्रा में असफलताओं से उबरने में सक्षम होते हैं।
      • उदाहरण: वजन घटाने में असफलता उच्च भावनात्मक बुद्धिमत्ता वाले किसी व्यक्ति को हतोत्साहित नहीं करती है, क्योंकि वे अपनी प्रगति पर ध्यान केंद्रित करते हैं और अपने दृष्टिकोण को अनुकूलित करते हैं।
    • प्रभावी संचार: भावनात्मक बुद्धिमत्ता आवश्यकताओं और चिंताओं को व्यक्त करने, रिश्तों को बेहतर बनाने में सहायता करती है जो एक स्वस्थ जीवन शैली का समर्थन करती है।
      • उदाहरण: परिवार के सदस्यों के साथ आहार संबंधी प्राथमिकताओं पर खुलकर चर्चा करने से यह सुनिश्चित होता है कि भोजन स्वास्थ्य लक्ष्यों के अनुरूप हो।
    • सामाजिक समर्थन: मज़बूत भावनात्मक बुद्धिमत्ता व्यक्तियों को मित्रों और परिवार से समर्थन मांगने तथा प्रदान करने में मदद करती है, जिससे जीवनशैली में बदलाव अधिक सुदृढ़ हो जाते हैं।
      • उदाहरण: भावनात्मक रूप से सहायक दोस्तों के साथ फिटनेस लक्ष्यों को साझा करने से वर्कआउट पार्टनरशिप हो सकती है जो प्रतिबद्धता को बढ़ाती है।

    भावनात्मक बुद्धिमत्ता को शामिल करने की मार्गदर्शिका:

    • सचेतनता का अभ्यास करना: अपनी भावनाओं और विचारों की नियमित रूप से जाँच करें तथा बिना किसी आलोचना के उनका अवलोकन करें।
    • एक दैनिकी रखना: अपने भावनात्मक पैटर्न में अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिये विभिन्न स्थितियों में अपनी भावनाओं, ट्रिगर्स और प्रतिक्रियाओं को लिखें।
    • अनुभवों पर विचार करना: बातचीत या घटनाओं के बाद एक पल रुकें तथा आकलन करें कि आपको कैसा महसूस हुआ और क्यों?
    • गहरी साँस लेने का अभ्यास करना: अपने तंत्रिका तंत्र को शांत करने के लिये तनाव के क्षणों में गहरी, धीमी साँसें लें।
    • सक्रिय रूप से सुनना: जब दूसरे बोलें तो पूरा ध्यान दें, न केवल उनके शब्दों पर बल्कि उनकी भावनाओं और शारीरिक भाषा पर भी ।
    • अपने आपको उनके स्थान पर रख कर देखें: दूसरों के दृष्टिकोण और भावनाओं को समझने की कोशिश करें, भले ही आप उनसे सहमत न हों।
    • स्पष्ट रूप से संवाद करें: गलतफहमी से बचने के लिये अपने विचारों तथा भावनाओं को ईमानदारी और सम्मानपूर्वक व्यक्त करें।

    पोषित जीवन की यात्रा में भावनात्मक बुद्धिमत्ता और स्वस्थ जीवनशैली के बीच सामंजस्य एक शक्तिशाली गठबंधन बनाता है। जैसे-जैसे आत्म-जागरूकता तथा सहानुभूति तनाव प्रबंधन एवं संबंध निर्माण में जुड़ती है, व्यक्ति वास्तव में समृद्ध अस्तित्व प्राप्त करते हुए शारीरिक व भावनात्मक रूप से विकसित होने के लिये खुद को सशक्त बनाते हैं।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow