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29 Aug 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
दिवस-38. आधुनिक समय में सक्रियता पर सोशल मीडिया के प्रभाव की, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रिंट मीडिया की भूमिका से तुलना कीजिये? (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारतीय स्वतंत्रता संग्राम से लेकर आधुनिक युग तक के संचार माध्यमों के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- आधुनिक समय के सोशल मीडिया और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रिंट मीडिया की भूमिका की उदाहरण सहित तुलना कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
संचार माध्यमों के विकास ने समाज में सक्रियता के तरीकों को महत्त्वपूर्ण रूप से आकार दिया है, आधुनिक युग में सोशल मीडिया तथा भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रिंट मीडिया दोनों ने जनमत को जुटाने और प्रभावित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- अपनी प्रकृति और पहुँच में विशिष्ट होते हुए भी इन माध्यमों ने सामाजिक आंदोलनों को आकार देने तथा परिवर्तन को बढ़ावा देने में योगदान दिया।
- इस तुलना से इस बात पर प्रकाश पड़ता है कि आधुनिक समय की सक्रियता पर सोशल मीडिया का प्रभाव भारत की स्वतंत्रता के दौरान प्रिंट मीडिया की भूमिका से किस प्रकार भिन्न है।
पहलू आधुनिक समाज की सक्रियता पर सोशल मीडिया का प्रभाव भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रिंट मीडिया की भूमिका जागरूकता और जनमत जुटाना सोशल मीडिया के माध्यम से "दिल्ली भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन" को गति मिली। "बंदे मातरम" जैसे समाचार पत्रों ने ब्रिटिश अत्याचारों पर प्रकाश डाला, जिससे आंदोलन में सक्रियता को बढ़ावा मिला। संकट प्रतिक्रिया ट्विटर और फेसबुक ने वर्ष 2020 के प्रवासी संकट के दौरान नागरिक नेतृत्व वाले राहत प्रयासों में सहायता की। समाचार पत्रों ने अकाल और सामाजिक अन्याय के बारे में जानकारी देने के साथ इस संदर्भ में कार्रवाई का आग्रह किया। हाशिये पर मौजूद समुदाय #MeTooIndia अभियान ने महिलाओं की आवाज को बुलंद करते हुए यौन उत्पीड़न के मुद्दों पर प्रकाश डाला। "हरिजन नामक समाचार पत्र द्वारा हाशिए पर स्थित लोगों की आवाज़ों को संबोधित करते हुए दलित अधिकारों की वकालत की गई। सरकारी कार्रवाई का आग्रह #SaveAarey जैसे ऑनलाइन अभियानों ने पर्यावरण संबंधी मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाई। "अमृत बाज़ार पत्रिका" जैसे समाचार पत्रों ने स्वशासन के आह्वान पर प्रकाश डाला। तत्काल प्रसार दिल्ली भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के दौरान संदेशों का तेजी से प्रसार हुआ। "बंदे मातरम्" के माध्यम से आंदोलन का क्रमिक प्रसार हुआ। विभिन्न लोगों की आवाज़ों को शामिल करना "जस्टिसफॉरनिर्भया" अभियान में देशभर से प्रत्येक समुदाय के लोगों ने आवाजें उठाईं। "नवजीवन" में गांधीजी के संदेश का प्रसार किया गया। तत्काल प्रतिक्रया वर्ष 2020 के प्रवासी संकट के दौरान फेसबुक पर यह मुद्दा उठाए जाने से वास्तविक समय में लोगों की सहभागिता को बढ़ावा मिला। पत्रों के माध्यम से संपादकों के बीच दोतरफा विमर्श को बढ़ावा मिला। दृश्य प्रभाव और समन्वय इंस्टाग्राम पर जलवायु परिवर्तन अभियानों में इन्फोग्राफिक्स का प्रभाव। व्यंग्य और संदेश हेतु समाचार पत्रों में राजनीतिक कार्टूनों का उपयोग। सूचना सत्यापन व्हाट्सएप पर गलत सूचना फैलने के दौरान सत्यापन संबंधी चुनौतियाँ। तथ्यों की पुष्टि करने और विश्वसनीय समाचार प्रस्तुत करने में संपादकीय निरीक्षण। कार्रवाई हेतु प्रोत्साहन ऑनलाइन याचिकाओं से "#SaveAarey" अभियान जैसी सरकारी कार्रवाई को प्रोत्साहन मिलता है। प्रिंट मीडिया अभियानों के माध्यम से ब्रिटिश वस्तुओं के बहिष्कार का आह्वान। निष्कर्षतः आधुनिक समय में समाज की सक्रियता पर सोशल मीडिया का प्रभाव और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में प्रिंट मीडिया की भूमिका, दोनों ही संचार एवं आंदोलन के इतिहास में परिवर्तनकारी अध्याय का प्रतिनिधित्व करते हैं। जहाँ सोशल मीडिया से अभूतपूर्व वैश्विक पहुँच और वास्तविक समय में लोगों की सहभागिता को बढ़ावा मिलता है वहीं प्रिंट मीडिया ने भारत के इतिहास में निर्णायक क्षण के दौरान संदेशों को आकार देने एवं प्रसारित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
दोनों ही माध्यमों में समाज और आंदोलनों को आकार देने में संचार के स्थायी महत्त्व को रेखांकित करते हुए, परिवर्तन को उत्प्रेरित करने के लिये सूचना प्रसार की शक्ति का उपयोग किया है।