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Mains Marathon

  • 28 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस-37. जल जीवन मिशन, ग्रामीण क्षेत्रों में जल की गुणवत्ता और प्रदूषण से संबंधित मुद्दों का समाधान कैसे करता है? परीक्षण कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • जल जीवन मिशन के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि जल जीवन मिशन ग्रामीण क्षेत्रों में जल की गुणवत्ता और प्रदूषण के मुद्दों को कैसे हल करता है?
    • इस योजना से संबंधित महत्त्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा कीजिये।
    • आगे की राह बताइये।

    जल जीवन मिशन (JJM) भारत सरकार की एक महत्त्वपूर्ण पहल है जिसका उद्देश्य देश के प्रत्येक ग्रामीण घर में पाइप से शुद्ध जल की आपूर्ति प्रदान करना है। यह मिशन अगस्त 2019 में शुरू किया गया था और इसका लक्ष्य वर्ष 2024 तक देश के सभी ग्रामीण घरों तक नल के जल की पहुँच सुनिश्चित करना है।

    • यह जल की गुणवत्ता और संदूषण के मुद्दों के समाधान पर ज़ोर देता है।

    यह मिशन जल से जुडी चिंताओं का समाधान किस प्रकार करता है:

    • जल स्रोत का संरक्षण: JJM स्थानीय जल स्रोतों जैसे तालाबों, झीलों और भूजल पुनर्भरण संरचनाओं की सुरक्षा एवं कायाकल्प पर बल देता है। इससे जल स्रोतों की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद मिलती है।
      • उदाहरण: राजस्थान में इस मिशन ने जोहड़ों (तालाबों) जैसे पारंपरिक जल निकायों की बहाली का समर्थन किया है, जिससे भूजल स्तर में सुधार हुआ है और जल की गुणवत्ता बेहतर हुई है।
    • जल गुणवत्ता परीक्षण और निगरानी: संदूषण के मुद्दों की पहचान करने के लिए नियमित जल गुणवत्ता परीक्षण किया जाता है। राष्ट्रीय जल जीवन मिशन के तहत यह सुनिश्चित करने के लिए जल गुणवत्ता परीक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित करने पर बल दिया गया है कि जल, निर्धारित मानकों को पूरा करता हो।
      • उदाहरण: उत्तर प्रदेश में जल की गुणवत्ता की नियमित निगरानी करने और सुधारात्मक कार्रवाई करने के लिए जल परीक्षण प्रयोगशालाएँ स्थापित की गई हैं।
    • तकनीकी हस्तक्षेप: यह मिशन सुरक्षित पेयजल सुनिश्चित करने के लिए क्लोरीनीकरण, निस्पंदन और कीटाणुशोधन जैसी उचित जल उपचार प्रौद्योगिकियों के उपयोग को बढ़ावा देता है।
      • उदाहरण: बिहार के गाँवों में सामुदायिक जल शोधन संयंत्रों की स्थापना से निवासियों को उपचारित जल उपलब्ध कराने में मदद मिली है।
    • क्षमता निर्माण और जागरूकता: इसके तहत समुदायों को स्वच्छ जल के उपयोग और स्वच्छता बनाए रखने के महत्त्व के बारे में शिक्षित किया जाता है। यह उन्हें जल आपूर्ति प्रणालियों के प्रबंधन और रखरखाव में सक्रिय रूप से भाग लेने का अधिकार देता है।
      • उदाहरण: असम में इस मिशन के तहत जल की गुणवत्ता के प्रबंधन की क्षमता बढ़ाने के लिए ग्राम जल और स्वच्छता समितियों के लिए प्रशिक्षण सत्र आयोजित किए हैं।
    • अन्य कार्यक्रमों के साथ अभिसरण: उचित स्वच्छता और ठोस अपशिष्ट प्रबंधन सुनिश्चित करने के लिए JJM का स्वच्छ भारत मिशन और मनरेगा जैसी कई अन्य सरकारी योजनाओं के साथ समन्वय किया गया है, जो अप्रत्यक्ष रूप से जल की गुणवत्ता के सुधार में योगदान देते हैं।
      • उदाहरण: मध्य प्रदेश में मनरेगा के साथ इस मिशन के एकीकरण से भूजल प्रदूषण को रोकने के लिए जल निकासी प्रणालियों का निर्माण हुआ है।
    • गुणवत्ता नियंत्रण उपाय: यह सुनिश्चित करने के लिए कि बुनियादी ढाँचे का निर्माण मानकों के अनुसार किया गया है, जल आपूर्ति परियोजनाओं के कार्यान्वयन के दौरान कड़े गुणवत्ता नियंत्रक उपाय किए जाते हैं।
      • उदाहरण: जल आपूर्ति प्रणालियों की निर्माण गुणवत्ता बनाए रखने के लिए ओडिशा जैसे राज्यों में गुणवत्ता जाँच की जाती है।

    इस योजना के कार्यान्वयन में आने वाली समस्याएँ:

    • फंडिंग और बजट आवंटन: अपर्याप्त बजट आवंटन, इस मिशन के समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन में बाधा उत्पन्न कर सकता है।
      • ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे कुछ राज्यों को पूरी ग्रामीण आबादी को कवर करने और जल आपूर्ति प्रणालियों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त धन हासिल करने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा है।
    • बुनियादी ढाँचा और तकनीकी चुनौतियाँ: जल आपूर्ति बुनियादी ढाँचे का निर्माण, विशेष रूप से दूरदराज़ और भौगोलिक रूप से चुनौतीपूर्ण क्षेत्रों में, तकनीकी रूप से जटिल तथा समय लेने वाला हो सकता है।
      • उदाहरण: हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के कुछ हिस्सों (जैसे पहाड़ी क्षेत्रों) में पाइपलाइन बिछाने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
    • जल स्रोत स्थिरता: जल स्रोतों की स्थिरता सुनिश्चित करना और समय के साथ उनकी गुणवत्ता बनाए रखना एक चुनौती हो सकती है।
      • उचित पुनर्भरण तंत्र के बिना भूजल के अत्यधिक दोहन से जल स्तर में कमी आ सकती है।
    • जल गुणवत्ता एवं रखरखाव: रिसाव, संदूषण होने के साथ निगरानी की कमी जैसे कारकों से निरंतर जल गुणवत्ता बनाए रखना चुनौतीपूर्ण है।
      • स्रोत पर उपचार के बावजूद यदि उचित स्वच्छता प्रथाओं का पालन नहीं किया जाता है, तो प्रवाह के दौरान जल दूषित हो सकता है।

    आगे की राह:

    • उन्नत फंडिंग और संसाधन आवंटन: केंद्र और राज्य सरकारों को इस मिशन के समय पर और प्रभावी कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त धन आवंटित करना चाहिये।
    • प्रौद्योगिकी और नवाचार: वास्तविक समय पर निगरानी, डेटा विश्लेषण और निर्णय लेने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाने के साथ चुनौतियों से निपटने के लिए नवीन समाधान खोजने पर बल देना आवश्यक है।
      • उदाहरण: जल स्रोतों की सटीक पहचान करने और वितरण नेटवर्क का मानचित्रण करने के लिए रिमोट सेंसिंग तथा भौगोलिक सूचना प्रणाली (GIS) लागू करना, जैसा कि आंध्र प्रदेश में देखा गया है।
    • क्षमता निर्माण और प्रशिक्षण: स्थानीय समुदायों, तकनीशियनों और सरकारी अधिकारियों के तकनीकी कौशल एवं प्रबंधन क्षमताओं को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रमों में निवेश करना।
      • उदाहरण: ग्राम-स्तरीय समितियों के लिए जल गुणवत्ता परीक्षण और रखरखाव पर नियमित कार्यशालाएँ आयोजित करना, जैसा कि केरल में किया गया है।
    • सामुदायिक सहभागिता और स्वामित्व: जल आपूर्ति प्रणालियों की योजना, निष्पादन और रखरखाव में समुदायों के बीच सक्रिय भागीदारी एवं स्वामित्व को बढ़ावा देना।
      • उदाहरण: महाराष्ट्र में इस मिशन ने महिला स्वयं सहायता समूहों को जल आपूर्ति बुनियादी ढाँचे को प्रभावी ढंग से प्रबंधित और संचालित करने के लिए सशक्त बनाया है।
    • व्यवहार परिवर्तन संचार (BCC): स्वच्छ जल, स्वच्छता प्रथाओं और स्वच्छता के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए व्यापक BCC अभियान शुरू करना।
      • उदाहरण: उत्तर प्रदेश में समुदायों को सुरक्षित जल प्रबंधन के साथ प्रदूषण के खतरों के बारे में शिक्षित करने के लिए लक्षित अभियान चलाया जाना।
    • जलवायु अनुकूलन योजना: जल आपूर्ति परियोजनाओं को डिज़ाइन और कार्यान्वित करते समय जल की उपलब्धता एवं गुणवत्ता पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव पर विचार करना।
      • उदाहरण: संवेदनशील क्षेत्रों में ऐसी प्रणालियाँ डिज़ाइन करना जो बाढ़ या सूखे जैसी चरम मौसम की घटनाओं का सामना कर सकें, जैसा कि असम में किया गया है।

    इन सिफारिशों को लागू करके और सफल उदाहरणों से सीखकर, जल जीवन मिशन से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने के साथ निरंतर प्रगति सुनिश्चित की जा सकती है और भारत के प्रत्येक ग्रामीण परिवार को स्वच्छ तथा सुरक्षित पेयजल उपलब्ध कराने के लक्ष्य को प्राप्त किया जा सकता है।

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