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Mains Marathon

  • 28 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भारतीय समाज

    दिवस-37. स्टार्ट-अप के प्रसार ने भारतीय समाज में युवाओं के बीच पारंपरिक कॅरियर प्रणाली और आकांक्षाओं को किस प्रकार प्रभावित किया है? चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण: 

    • भारत में स्टार्ट-अप के विकास के बारे में संक्षिप्त जानकारी देते हुए अपना उत्तर प्रारंभ कीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि स्टार्ट-अप्स ने भारतीय समाज में युवाओं के बीच पारंपरिक करियर प्रणाली और आकांक्षाओं को किस प्रकार प्रभावित किया है?
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    वर्ष 2014 में लगभग 350 की मामूली संख्या से लेकर वर्ष 2023 में 90,000 से अधिक स्टार्ट-अप के आंकड़े तक के सफर (जिसमें 100 से अधिक यूनिकॉर्न) में भारत के संपन्न स्टार्ट-अप पारिस्थितिकी तंत्र का प्रदर्शन होता है।

    • ये प्रभावशाली संख्याएँ एक महत्त्वपूर्ण सामाजिक बदलाव को दर्शाती हैं जिससे प्रदर्शित होता है कि राष्ट्र जोखिम लेने के लिए एक नई प्रवृत्ति को अपनाने और नवाचार के माहौल को बढ़ावा देने के लिए सक्षम है।

    पारंपरिक करियर प्रणाली पर स्टार्ट-अप का प्रभाव:

    • स्थिरता की धारणा में बदलाव: सरकारी नौकरियों को लंबे समय से स्थिर और सुरक्षित करियर विकल्प माना जाता था।
      • फ्लिपकार्ट, ओला जैसे सफल स्टार्ट-अप्स के उदय ने इस धारणा को चुनौती दी है कि केवल सरकारी नौकरियाँ ही करियर में स्थिरता प्रदान करती हैं।
    • पारंपरिक उद्योगों पर प्रभाव: स्टार्ट-अप्स पारंपरिक उद्योगों को बाधित करते हैं, जिससे पेशेवरों के बीच अनुकूलनशीलता और लचीलेपन की आवश्यकता होती है।
      • केस स्टडी: ओला और उबर ने परिवहन उद्योग को बदल दिया, जिससे पारंपरिक टैक्सी चालकों की आजीविका प्रभावित हुई।
    • गिग इकॉनमी का उदय: स्टार्ट-अप्स से गिग इकॉनमी में योगदान मिलने के साथ फ्रीलांस अवसर सृजित होते हैं जो पारंपरिक पूर्णकालिक रोज़गार मॉडल को चुनौती देते हैं।
      • उदाहरण: ज़ोमैटो और स्विगी जैसे खाद्य वितरण प्लेटफार्मों ने डिलीवरी भागीदारों के लिए काम के नए अवसर पैदा किए हैं।
    • सांस्कृतिक स्थानांतरण मानदंड: इंजीनियरिंग और चिकित्सा जैसे पारंपरिक करियर से जुड़ी प्रतिष्ठा को स्टार्ट-अप संस्थापकों एवं उनके प्रयासों द्वारा चुनौती मिल रही है।
      • फ्लिपकार्ट की तीव्र वृद्धि से पता चला कि ई-कॉमर्स उद्यम भी बड़े पैमाने पर सफलता हासिल कर सकते हैं।
    • प्रतिभाओं का विविधीकरण: स्टार्ट-अप्स पारंपरिक क्षेत्रों से परे प्रतिभावान लोगों को आकर्षित करते हैं, जिससे अंतर-विषयक सहयोग और कौशल को प्रोत्साहन मिलता है।
      • उदाहरण: स्थापित क्षेत्रों के इंजीनियर वित्तीय प्रौद्योगिकी में नवाचार करने के लिए PAYTM जैसे फिनटेक स्टार्ट-अप्स में शामिल हो रहे हैं।

    युवाओं की आकांक्षाओं पर स्टार्ट-अप्स का प्रभाव:

    • सामाजिक प्रभाव का समर्थन: वर्तमान में युवा सार्थक कार्यों के माध्यम से समाज में योगदान देने की इच्छा रखते हैं।
      • ज़ोमैटो और स्विगी जैसे स्टार्ट-अप ने न केवल खाद्य उद्योग को बदल दिया है बल्कि इनसे रोज़गार भी सृजित हुए हैं जिससे देश में सकारात्मक सामाजिक परिवर्तन लाने की आकांक्षाएँ उत्पन्न हुई हैं।
    • डिजिटल सशक्तीकरण: प्रौद्योगिकी-संचालित स्टार्ट-अप ने युवाओं को डिजिटल कौशल और अवसरों के संदर्भ में सशक्त बनाया है। "डिजिटल इंडिया" जैसी पहल ने युवाओं को तकनीक-प्रेमी उद्यमी बनने के लिए प्रोत्साहित किया है।
    • क्षेत्रीय प्रभाव: आकांक्षाएँ अक्सर क्षेत्रीय कारकों से प्रभावित होती थीं, जैसे पारिवारिक अपेक्षाएँ।
      • भारत के विभिन्न क्षेत्रों के स्टार्ट-अप की सफलता की कहानियों से विभिन्न पृष्ठभूमि के युवाओं को बड़े सपने देखने के लिए प्रोत्साहन मिलता है।
    • पारंपरिक मानदंडों पर निर्भरता में कमी: ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर रहने वाली जातियाँ, स्टार्ट-अप को पारंपरिक सामाजिक भूमिकाओं और आर्थिक सीमाओं से अलग होने के रास्ते के रूप में देख सकती हैं।
      • अमूल के सहकारी मॉडल ने निम्न जाति के किसानों को डेयरी उद्योग में भाग लेने, जाति-आधारित आर्थिक विभाजन को चुनौती देने और उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए सशक्त बनाया है।
    • वित्तीय स्वतंत्रता: स्टार्ट-अप से उत्पन्न अवसर महिलाओं को वित्तीय स्वतंत्रता प्राप्त करने और अपने परिवारों में योगदान करने का मौका प्रदान करते हैं।
      • उदाहरण: ऋचा कर का ज़िवामे (ऑनलाइन लिंग्रीज स्टोर), महिलाओं को विवेकपूर्ण और आत्मविश्वास से खरीदारी करने का अधिकार देता है।

     "स्टार्ट-अप इम्पैक्ट: यह इम्पैक्ट इन्वेस्टर्स काउंसिल (IIC) द्वारा संचालित भारत में स्टार्ट-अप के सामाजिक और आर्थिक प्रभाव का एक अध्ययन" है जिसमें देश के सामाजिक एवं आर्थिक दोनों परिदृश्यों में स्टार्ट-अप के प्रभाव का पता लगाया जाता है। यह शोध भारतीय संदर्भ में सामाजिक प्रगति की शक्ति और सतत विकास के उत्प्रेरक के रूप में नवाचार को प्रोत्साहित करता है।

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