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  • 26 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    दिवस-36. मैंग्रोव वनों के क्षरण में योगदान देने वाले कारकों पर चर्चा करने के साथ तटीय पारिस्थितिकी तंत्र की सुरक्षा में इनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • मैंग्रोव के बारे में संक्षेप में बताइये।
    • मैंग्रोव के क्षरण के कारणों पर चर्चा कीजिये।
    • तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण में इनकी भूमिका बताइये।
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    मैंग्रोव का आशय सघन वृक्ष या झाड़ी से है जिसका संबंध समुद्र तट के किनारे लवणीय जलमग्न क्षेत्र से होता है। UNEP के शोध से संकेत मिलता है कि वैश्विक मैंग्रोव का 35% से अधिक पहले से ही नष्ट हो चुका है और अभी भी 100% मैंग्रोव प्रजातियों एवं मैंग्रोव क्षेत्रों की 92% वनस्पतियों के लिये खतरे की स्थिति बनी हुई है।

    मैंग्रोव क्षेत्र में गिरावट के कारण:

    • वनों की कटाई और शहरीकरण: "ग्लोबल मैंग्रोव वॉच" परियोजना से पता चला है कि वर्ष 2000 से 2012 के बीच शहरी विस्तार एवं जलीय कृषि के कारण लगभग 20% वैश्विक मैंग्रोव कवर नष्ट हो गया था।
    • जलीय कृषि और कृषि विस्तार: मैंग्रोव क्षेत्रों में झींगा फार्मों तथा धान की कृषि का विस्तार होना।
      • खाद्य और कृषि संगठन (FAO) के अनुसार जलीय कृषि विस्तार के कारण थाईलैंड, वियतनाम और इंडोनेशिया जैसे देशों में मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान हुआ है।
    • प्रदूषण और औद्योगीकरण: औद्योगिक अपशिष्ट एवं प्रदूषकों के कारण जल की गुणवत्ता प्रभावित होना।
      • "मरीन पाॅल्यूशन बुलेटिन" पत्रिका में प्रकाशित एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत के शहरी और औद्योगिक क्षेत्रों में मैंग्रोव क्षेत्र भारी धातु संदूषण से ग्रस्त हैं।
    • जलवायु परिवर्तन और समुद्र के जल स्तर में वृद्धि: समुद्र के जल स्तर में वृद्धि होने से मैंग्रोव क्षेत्र को नुकसान पहुँच रहा है।
      • इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (IPCC) का अनुमान है कि इस सदी के अंत तक समुद्र का जल स्तर 1 मीटर तक बढ़ सकता है, जिससे विश्व भर में मैंग्रोव क्षेत्र प्रभावित होंगे।
    • आक्रामक प्रजातियाँ और रोग: आक्रामक प्रजातियाँ की स्थानीय मैंग्रोव प्रजातियों से प्रतिस्पर्धा होने से मैंग्रोव क्षेत्र को नुकसान पहुँच रहा है।
      • लाल मैंग्रोव वृक्ष (राइजोफोरा मैंगल) जैसी आक्रामक प्रजातियों ने फ्लोरिडा, संयुक्त राज्य अमेरिका में स्थानीय पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित कर दिया है।

    तटीय पारिस्थितिकी तंत्र के संरक्षण में भूमिका:

    • तटीय सुरक्षा: मैंग्रोव क्षेत्र, तूफान और तटीय कटाव के प्रति प्राकृतिक बाधाओं के रूप में कार्य करते हैं। ये तरंग ऊर्जा को अवशोषित कर तूफानों के प्रभाव को सीमित करते हैं।
      • हिंद महासागर में वर्ष 2004 के सुनामी के दौरान होने वाली क्षति को कम करने में मैंग्रोव ने महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
    • समृद्ध जैव विविधता: मैंग्रोव, दुर्लभ और स्थानिक प्रजातियों सहित विभिन्न प्रकार के पौधों एवं जंतुओं के लिये आवास प्रदान करते हैं।
      • "इकोलॉजी" पत्रिका में जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देने के क्रम में मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में पाई जाने वाली उच्च प्रजातियों की समृद्धि पर प्रकाश डाला गया है।
    • कार्बन पृथक्करण: मैंग्रोव क्षेत्र में काफी मात्रा में कार्बन संगृहीत रहती है जिससे जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को सीमित करने में मदद मिलती है।
      • ब्लू कार्बन इनिशिएटिव के अनुसार मैंग्रोव, कई स्थलीय वनों की तुलना में 2-4 गुना अधिक दर से कार्बन पृथक्करण करते हैं, जिससे ये क्षेत्र कार्बन भंडारण हेतु महत्त्वपूर्ण हो जाते हैं।

    मैंग्रोव क्षेत्र की सुरक्षा हेतु कुछ उपाय:

    • संरक्षित क्षेत्र और रिज़र्व: बांग्लादेश और भारत में सुंदरवन रिज़र्व फॉरेस्ट (जो यूनेस्को का विश्व धरोहर स्थल है) के अद्वितीय मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र को संरक्षित करने के लिये सख्त सुरक्षा उपाय किये गए हैं।
      • भारत ने मैंग्रोव क्षेत्रों की सुरक्षा के लिये ओडिशा में भितरकनिका मैंग्रोव और गुजरात में कच्छ की खाड़ी समुद्री राष्ट्रीय उद्यान जैसे संरक्षित क्षेत्र स्थापित किये हैं।
    • समुदाय-आधारित संरक्षण: थाईलैंड में समुदाय के नेतृत्व वाले "मैंग्रोव एक्शन प्रोजेक्ट" में स्थानीय समुदायों को मैंग्रोव के टिकाऊ प्रबंधन प्रयासों में संलग्न करने पर बल दिया जाता है।
      • मन्नार बायोस्फीयर रिज़र्व की खाड़ी में भारत, मैंग्रोव पुनर्बहाली कार्यशालाओं जैसी पहल के माध्यम से मैंग्रोव संरक्षण में सामुदायिक भागीदारी को बढ़ावा देता है।
    • विशेष योजनाएँ: भारत द्वारा MISHTI (“तटीय पर्यावास एवं ठोस आमदनी हेतु मैंग्रोव पहल”) और ‘मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र में सतत् जलीय कृषि’ (SAIME) जैसी पहलें शुरू की गई हैं।

    प्रत्येक वर्ष 26 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय मैंग्रोव पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण दिवस मनाया जाता है और इसका उद्देश्य " अद्वितीय, विशेष और कमज़ोर पारिस्थितिकी तंत्र" के रूप में मैंग्रोव पारिस्थितिकी प्रणालियों के महत्त्व के बारे में जागरूकता बढ़ाना तथा उनके स्थायी प्रबंधन, संरक्षण एवं उपयोग हेतु प्रयास करना है।

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