दिवस-35. जम्मू और कश्मीर को विशेष दर्जा प्रदान करने वाले भारत के संविधान के अनुच्छेद 370 के महत्व और दायरे पर चर्चा कीजिये। वर्ष 2019 में इस अनुच्छेद के निरस्त होने के बाद से इस राज्य के राजनीतिक एवं कानूनी परिदृश्य में किस प्रकार परिवर्तन आया है? (250 शब्द)
25 Aug 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 2 | राजव्यवस्था
हल करने का दृष्टिकोण:
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भारत के संविधान का अनुच्छेद 370 जम्मू और कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा प्रदान करने से संबंधित था, जिसके द्वारा इस राज्य को अपने संविधान, ध्वज एवं आंतरिक मामलों के संबंध में स्वायत्तता प्राप्त हुई थी। यह अनुच्छेद वर्ष 1947 में भारत के विभाजन के बाद जम्मू और कश्मीर रियासत के भारतीय संघ में विलय की सुविधा के लिये एक अस्थायी एवं संक्रमणकालीन व्यवस्था के रूप में तैयार किया गया था। इस अनुच्छेद द्वारा रक्षा, विदेशी मामलों तथा संचार जैसे कुछ मामलों को छोड़कर, जम्मू-कश्मीर को अपना संविधान, अपना झंडा और विधायी एवं प्रशासनिक स्वायत्तता प्रदान की थी।
अनुच्छेद 370 का महत्त्व और दायरा:
अनुच्छेद 370 द्वारा प्रदान की गई विशेष स्थिति का राजनीतिक और कानूनी दोनों रूपों से महत्त्व था। इसने सुनिश्चित किया कि जम्मू-कश्मीर राज्य का अपने आंतरिक मामलों पर काफी हद तक नियंत्रण हो, जिसका उद्देश्य इस क्षेत्र की आबादी की विशिष्ट सांस्कृतिक, सामाजिक और धार्मिक पहचान को संरक्षित करना था। इसके अतिरिक्त अनुच्छेद 370, जम्मू-कश्मीर के महाराजा द्वारा हस्ताक्षरित विलय पत्र का महत्त्वपूर्ण आधार था, जिसने भारतीय संघ में इस राज्य के एकीकरण हेतु कानूनी आधार प्रदान किया था।
अनुच्छेद 370 को निरस्त करना और इसका प्रभाव:
अगस्त 2019 में भारत सरकार ने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया तथा इस राज्य को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों - जम्मू और कश्मीर एवं लद्दाख में विभाजित कर दिया। इस कदम का इस क्षेत्र के राजनीतिक एवं कानूनी परिदृश्य पर दूरगामी प्रभाव पड़ा:
अनुच्छेद 370 के निरस्त होने से जम्मू-कश्मीर के राजनीतिक और कानूनी परिदृश्य में काफी बदलाव आया है। इसके समर्थकों का तर्क है कि इससे एकता एवं विकास को बढ़ावा मिलेगा जबकि आलोचक इस क्षेत्र की पहचान और स्वायत्तता पर इसके प्रभाव के बारे में चिंता व्यक्त करते हैं। इस कदम के संभावित परिणाम भारत एवं अंतर्राष्ट्रीय मंच पर चर्चा का विषय बने हुए हैं।