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  • 24 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 विज्ञान-प्रौद्योगिकी

    दिवस-34. ISRO ने हाल के दिनों में एक प्रमुख अंतरिक्ष शक्ति के रूप में भारत की स्थिति को मज़बूत किया है। चर्चा कीजिये कि भारत अपनी अंतरिक्ष शक्ति का उपयोग वाणिज्यिक लाभ तथा राष्ट्रीय हितों की पूर्ति जैसे दोहरे उद्देश्यों को पूरा करने हेतु किस प्रकार कर सकता है। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • उत्तर की शुरुआत इसरो के विषय में संक्षेप में लिखते हुए कीजिये।
    • चर्चा कीजिये कि किस प्रकार इसरो ने भारत को एक अग्रणी अंतरिक्ष शक्ति बना दिया है?
    • चर्चा कीजिये कि भारत अपने व्यावसायिक लाभ और राष्ट्रीय हित को बढ़ाने के लिये अंतरिक्ष शक्ति का उपयोग किस प्रकार कर सकता है?
    • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

    "सितारों के बीच ऊँची उड़ान भरते हुए, भारत नवाचार और अन्वेषण की सीमाओं को आगे बढ़ाते हुए एक दुर्जेय अंतरिक्ष शक्ति के रूप में उभर रहा है।" - नरेंद्र मोदी, (प्रधान मंत्री, भारत)

    • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की स्थापना 15 अगस्त 1969 को हुई थी, यह देश के अंतरिक्ष अनुसंधान, अन्वेषण तथा उपग्रहों के विकास के लिये उत्तरदायी है।

    भारत को एक अग्रणी अंतरिक्ष शक्ति के रूप में उभारने में इसरो की भूमिका:

    • चंद्र अन्वेषण: वर्ष 2008 और 2023 के इसरो के चंद्रयान मिशन, चंद्रमा के बारे में हमारी समझ में वृद्धि करने में निर्णायक हैं।
    • मार्स ऑर्बिटर मिशन: यह वर्ष 2013 में लॉन्च किया गया था, मंगलयान ने भारत को मंगल ग्रह की कक्षा में पहुँचने वाली चौथी अंतरिक्ष एजेंसी बना दिया और अपने पहले ही प्रयास में ऐसा करने वाली पहली एजेंसी बन गई, यह इसरो की उन्नत अंतरिक्ष नेविगेशन क्षमताओं को प्रदर्शित करती है।
    • स्वदेशी उपग्रह प्रक्षेपण यान: इसरो द्वारा ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान (PSLV) और जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट प्रक्षेपण यान (GSLV) का विकास विश्वसनीय प्रक्षेपण यान को डिज़ाइन करने, इनका निर्माण करने तथा लॉन्च करने की भारत की क्षमता को प्रदर्शित करता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: अन्य देशों के लिये उपग्रहों के प्रक्षेपण, जैसे वर्ष 2017 में एक ही मिशन में 104 उपग्रहों का वाणिज्यिक प्रक्षेपण, इसरो की क्षमता का स्पष्ट उदाहरण है।
    • नेविगेशन और संचार: इसरो की एक क्षेत्रीय उपग्रह नेविगेशन प्रणाली, जिसे नेविगेशन विद इंडियन कांस्टेलेशन (NavIC) प्रणाली कहा जाता है, ने नेविगेशन और पोजिशनिंग सेवाओं में भारत की आत्मनिर्भरता में वृद्धि की है।
    • मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम: इसरो का गगनयान मिशन, जिसका लक्ष्य भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजना है, मानव अंतरिक्ष उड़ान और तकनीकी उन्नति में भारत की आकांक्षाओं को दर्शाता है।

    महान उपलब्धियाँ हासिल करने में भारत की अंतरिक्ष शक्ति से लाभ:

    व्यापारिक लाभ:

    • वाणिज्यिक उपग्रह प्रक्षेपण सेवाएँ: इसरो के PSLV और GSLV जैसे लागत प्रभावी प्रक्षेपण वाहन अंतर्राष्ट्रीय ग्राहकों को वाणिज्यिक उपग्रह प्रक्षेपण सेवाएँ प्रदान करते हैं।
      • एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन द्वारा किये जाने वाले विदेशी उपग्रहों के वाणिज्यिक प्रक्षेपण, राजस्व उत्पन्न करने में काफी मदद करते हैं, साथ ही इससे भारत के अंतरिक्ष उद्योग की प्रतिष्ठा में भी वृद्धि हो रही है।
    • उपग्रह संचार सेवाएँ: घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बाज़ारों में दूरसंचार तथा ब्रॉडबैंड सेवाएँ प्रदान करने के लिये भारत के उन्नत संचार उपग्रहों का उपयोग किया जा सकता है।
      • संचार उपग्रहों की GSAT शृंखला विश्वसनीय कनेक्टिविटी सेवाएँ प्रदान करने में सक्षम है।
      • यह टेली-एजुकेशन और टेली-मेडिसिन के लिये पैन-अफ्रीकी ई-नेटवर्क परियोजना के माध्यम से अफ्रीकी देशों के साथ सहयोग करने में बहुत मदद कर सकता है।
    • अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: विशेषज्ञता और संसाधनों का लाभ उठाने के लिये भारत संयुक्त अंतरिक्ष मिशन, उपग्रह प्रक्षेपण तथा अनुसंधान परियोजनाओं पर अन्य देशों के साथ सहयोग करके लाभ उठा सकता है।
      • मेघा-ट्रॉपिक्स उपग्रह का उपयोग करके भारत द्वारा उष्णकटिबंधीय जलवायु और मौसम का अध्ययन करने में फ्राँस के साथ सहयोग।
    • अंतरिक्ष पर्यटन और अनुसंधान: भारत उभरते अंतरिक्ष पर्यटन बाज़ार का लाभ उठाने के लिये निजी कंपनियों के साथ अंतरिक्ष पर्यटन और अनुसंधान सहयोग के अवसरों की तलाश कर सकता है।
      • सबऑर्बिटल अथवा ऑर्बिटल पर्यटन सेवाएँ प्रदान करने के लिये निजी अंतरिक्ष उड़ान, कंपनियों के साथ साझेदारी की दिशा में एक महत्त्वपूर्ण कदम हो सकता है।
      • अंतरिक्ष मिशन और प्रौद्योगिकी विकास पर संयुक्त अरब अमीरात जैसे देशों के साथ सहयोग।
    • वैज्ञानिक अनुसंधान और अन्वेषण: राष्ट्रीय अनुसंधान उद्देश्यों के लिये मूल्यवान डेटा एकत्रित करने और वैश्विक वैज्ञानिक ज्ञान में योगदान देने हेतु वैज्ञानिक मिशन की शुरुआत की जा सकती है।
      • चंद्र और मंगल ग्रह के अन्वेषण के लिये क्रमशः चंद्रयान एवं मंगलयान मिशन इसके नवीन उदाहरण हैं।

    राष्ट्रीय हित के लिये:

    • रिमोट सेंसिंग अनुप्रयोग: भारत कृषि, वानिकी, आपदा प्रबंधन, शहरी नियोजन और अन्य के लिये डेटा सेवाएँ प्रदान करने के लिये रिमोट सेंसिंग उपग्रहों का उपयोग कर सकता है।
      • विस्तृत जानकारी और विविध अनुप्रयोगों हेतु कार्टोसैट शृंखला जैसे उपग्रहों को लॉन्च किया जा सकता है।
    • संसाधन प्रबंधन के लिये पृथ्वी अवलोकन: कृषि उद्देश्यों के लिये जल संसाधनों का अनुवीक्षण और प्रबंधन करने तथा जलापूर्ति की समस्या का समाधान करने में मदद।
    • रणनीतिक निगरानी और सुरक्षा: सुरक्षा और प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाने के लिये सीमावर्ती क्षेत्रों व संवेदनशील क्षेत्रों की निगरानी के लिये उपग्रहों का उपयोग।
    • उद्योगों को बेहतर बनाने में सैटेलाइट डेटा का उपयोग: फसल स्वास्थ्य एवं संसाधन प्रबंधन का आकलन करने में सहायता हेतु सैटेलाइट इमेज़री और डेटा का इस्तेमाल।

    अंतरिक्ष शक्ति के रूप में भारत का उदय इसकी तकनीकी शक्ति, रणनीतिक दृष्टि तथा अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का प्रमाण है। नवीन मिशनों, लागत प्रभावी समाधानों और अन्वेषण के प्रति प्रतिबद्धता के माध्यम से भारत ने वैश्विक स्तर पर अंतरिक्ष क्षेत्र में अपनी स्थिति मज़बूत की है, प्रगति की है जिसने वैज्ञानिक उन्नति व राष्ट्रीय प्रतिष्ठा दोनों में योगदान दिया है।

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