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                  24 Aug 2023
                  
                    
                      सामान्य अध्ययन पेपर 2                    
                    
                      अंतर्राष्ट्रीय संबंध                    
                  
                  
दिवस-34. BRICS देशों से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने के लिये, भारत को किसी भी कट्टर विचारधारा को छोड़कर प्रगतिशील कदम उठाने की आवश्यकता है। विश्लेषण कीजिये। (250 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- BRICS के लक्ष्य और उद्देश्य बताते हुए शुरुआत कीजिये।
 - BRICS देशों के भीतर कुछ चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
 - चर्चा कीजिये कि भारत अपनी पिछली विचारधारा को त्यागकर अंतर को कैसे कम सकता है?
 - तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
 
BRICS विश्व की अग्रणी उभरती अर्थव्यवस्थाओं, ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन तथा दक्षिण अफ्रीका के समूह का संक्षिप्त रूप है। यह विश्व के पाँच सबसे बड़े विकासशील देशों को एक साथ लाता है, जो वैश्विक आबादी का 41%, वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 24% और वैश्विक व्यापार का 16% प्रतिनिधित्व करते हैं।
यह संगठन एक उभरती हुई निवेश सीमा और पर्याप्त वैश्विक प्रभाव दोनों का गठन करता है। BRICS, विशेष रूप से काफी भू-राजनीतिक अस्थिरता वाले समय के दौरान, भारत के लिये रणनीतिक रूप से महत्त्वपूर्ण है।
BRICS देशों के भीतर चुनौतियाँ:
- विविध राजनीतिक संरचनाएँ और मूल्य: जबकि ब्राज़ील, भारत तथा दक्षिण अफ्रीका लोकतांत्रिक हैं, चीन और रूस नहीं हैं।
- BRICS के भीतर वित्तीय प्रणालियों की संरचना, आय के स्तर, शिक्षा, असमानता, स्वास्थ्य चुनौतियाँ भी काफी भिन्न हैं, जिससे उनके लिये एकजुट आवाज़ में बोलना और कार्रवाई में समन्वय करना कठिन हो जाता है।
 
 - विभिन्न भू-राजनीतिक एजेंडा: ब्राज़ीलिया घोषणापत्र में वैश्विक आर्थिक एवं वित्तीय प्रशासन पर धारणाएँ साझा की गईं। हालाँकि, प्रत्येक देश द्वारा उनकी व्याख्या विशिष्ट परिस्थितियों में उसके राष्ट्रीय हित पर निर्भर करती है।
- संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के विस्तार पर, BRICS ने एक बार फिर उस फॉर्मूलेशन पर कायम रहकर अपनी असहमति को स्पष्ट किया जो ब्राज़ील, भारत और दक्षिण अफ्रीका की "संयुक्त राष्ट्र में बड़ी भूमिका निभाने की आकांक्षा" का समर्थन करने वाले चीन एवं रूस से आगे जाने से इनकार करता है।
 - इसके अलावा, चीन-पाक धुरी भारत के लिये चीन के साथ पूर्ण सहयोग करने में हमेशा बाधा बनी रहेगी। चीन द्वारा भारत की NSG सदस्यता अस्वीकार करना इसका उदाहरण है।
 
 - सदस्य देशों के दीर्घकालिक आर्थिक लक्ष्य अलग-अलग हैं: हालाँकि सदी की शुरुआत के बाद से पाँच देशों ने अपनी संयुक्त आर्थिक शक्ति में अत्यधिक वृद्धि की है, लेकिन हिस्सेदारी असंतुलित है। वैश्विक उत्पादन में ब्राज़ील, रूस और दक्षिण अफ्रीका की हिस्सेदारी वर्ष 2000 के बाद से घट गई है।
- उनकी संयुक्त जनसंख्या के मानवता का 40% होने के बावजूद, अंतर-ब्रिक्स व्यापार अभी भी विश्व व्यापार का केवल 15% है।
 - ब्राज़ील ने चीनी उत्पादन को लेकर भारत के खिलाफ WTO में मामला दायर किया है।
 
 - भू-राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता: परस्पर विरोधी हित और क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता एकीकृत कार्रवाई में बाधा बन सकती है।
- भारत-चीन सीमा विवाद समूह के भीतर विश्वास और सहयोग को प्रभावित कर रहा है।
 - दक्षिण चीन सागर में चीन के क्षेत्रीय दावों तथा सैन्य निर्माण ने अन्य BRICS सदस्यों, विशेष रूप से भारत और दक्षिण अफ्रीका के साथ तनाव पैदा कर दिया है, जो नेविगेशन की स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं।
 - दक्षिण चीन सागर में चीन के क्षेत्रीय दावों तथा सैन्य निर्माण को लेकर अन्य BRICS देशों में, विशेषकर भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच, तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई है जो नेविगेशन की स्वतंत्रता का समर्थन करते हैं।
 
 - सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: सुरक्षा मुद्दों पर असहमति सामूहिक प्रयासों को कमज़ोर कर सकती है।
- सदस्य देशों के बीच आतंकवाद से निपटान के दृष्टिकोण में अंतर।
 - राज्य नियंत्रण हेतु चीन की प्राथमिकता और ब्राज़ील की अधिक ओपन एवं विकेंद्रीकृत इंटरनेट की मांग में विरोधाभास है।
 - अमेरिका और रूस के साथ अपने संबंधों को संतुलित करने वाले भारत के सुरक्षा विकल्प संभवतः BRICS के भीतर उसकी भूमिका को प्रभावित कर सकते हैं।
 
 - संस्थागत निष्क्रियता: सहयोग के लिये प्रभावी तंत्र स्थापित करना धीमा और कठिन हो सकता है।
- नौकरशाही बाधाओं के कारण आकस्मिक आरक्षित व्यवस्था (Contingent Reserve Arrangement) के संचालन में देरी।
 
 - रूस के साथ यूक्रेन संकट: BRICS का प्राथमिक एजेंडा पश्चिम के प्रभुत्व वाली अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को पुनः संतुलित करना था।
 
भारत BRICS देशों की चुनौतियों को दूर कर सकता है:
- द्विपक्षीय कूटनीति: चिंताओं को दूर करने तथा मज़बूत संबंध बनाने के लिये व्यक्तिगत BRICS सदस्यों के साथ सीधी और निजी बातचीत में शामिल होकर।
- रक्षा समझौतों और क्षेत्रीय संघर्षों जैसे संवेदनशील मुद्दों को सुलझाने के लिये रूस के साथ भारत की उच्च-स्तरीय राजनयिक भागीदारी।
 
 - गठबंधन निर्माण: सामान्य हितों को आगे बढ़ाने तथा संभावित प्रतिद्वंद्विता को संतुलित करने के लिये BRICS के भीतर गठबंधन बनाकर।
- भारत अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों में अधिक प्रतिनिधित्व के लिये सामूहिक रूप से समर्थन करने के लिये दक्षिण अफ्रीका और ब्राज़ील के साथ साझेदारी कर रहा है।
 
 - साझा सुरक्षा हित: विश्वास और सहयोग बनाने के लिये आतंकवाद विरोधी या साइबर सुरक्षा जैसे साझा सुरक्षा चिंताओं के क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करके।
- भारत साइबर खतरों से निपटान हेतु संयुक्त पहल स्थापित करने के लिये साथी BRICS सदस्यों के साथ सहयोग कर रहा है।
 
 - रणनीतिक संरेखण: जलवायु परिवर्तन या संयुक्त राष्ट्र सुधार जैसे विशिष्ट वैश्विक मुद्दों पर BRICS देशों, जहाँ हित मिलते हैं, के साथ तालमेल बिठाकर।
- अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर जलवायु वार्ता के लिये एक आम दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने के लिये चीन और रूस के साथ सहयोग करना।
 
 - कूटनीतिक अनुकूलता: जटिल रिश्तों को सुलझाने तथा विवादास्पद मुद्दों पर बातचीत करने के लिये कूटनीति का उपयोग करके।
- सीमा विवादों के प्रबंधन के लिये चीन के साथ बातचीत में शामिल होने का भारत का दृष्टिकोण।
 
 - बहुपक्षीय संस्थान: विकास चुनौतियों का समाधान करने तथा सहयोग बढ़ाने के लिये न्यू डेवलपमेंट बैंक जैसे बहुपक्षीय प्लेटफार्मों का उपयोग करके।
- भारत और अन्य सदस्य देशों के विकास लक्ष्यों के अनुरूप NDB परियोजनाओं में योगदान देना।
 
 - आर्थिक व्यावहारिकता: परस्पर निर्भरता को बढ़ावा देने तथा राजनीतिक मतभेदों को कम करने के लिये आर्थिक सहयोग और व्यापार संबंधों को प्राथमिकता देकर।
- भू-राजनीतिक तनाव के बावजूद चीन के साथ व्यापार बढ़ाने के भारत के प्रयास।
 
 
BRICS शिखर सम्मेलन 2021 में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि "ब्रिक्स ने कई सफलताओं का अनुभव किया हैं। हमारा एक दूसरे पर प्रत्यय एवं विश्वास बढ़ रहा है। G20 और संयुक्त राष्ट्र दोनों के लिये सुधार आवश्यक है। इस स्थिति में BRICS की भूमिका और भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है।" इन दोनों संगठनों में BRICS देश महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।"