23 Aug 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | आंतरिक सुरक्षा
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- जीवंत ग्राम कार्यक्रम के बारे में लिखते हुये परिचय दीजिये।
- चर्चा करें कि यह सीमा प्रबंधन में भारत की क्षमता को कैसे सुद्रढ़ करेगा।
- इसे क्रियान्वित करने में आने वाली कुछ समास्याओं पर चर्चा कीजिये।
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
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वाइब्रेंट विलेज प्रोग्राम एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसकी घोषणा केंद्रीय बजट 2022-23 (2025-26 तक) में उत्तरी सीमावर्ती गांवों के विकास के लिये की गई थी, जिससे चिन्हित किये गये सीमावर्ती गांवों में रहने वाले लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा। यह हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम और लद्दाख के सीमावर्ती क्षेत्रों को समाहित करेगा।
- इसमें 2,963 गाँव होंगे, जिनमें से 663 गांवों को पहले चरण में शामिल किया जायेगा। ज़िला प्रशासन द्वारा ग्राम पंचायतों की मदद से वाइब्रेंट विलेज एक्शन प्लान बनाये जायेंगे।
सीमा प्रबंधन में भारत की क्षमता को सुद्रढ़ करना :
- अवसंरचना विकास: सड़कों, पुलों और संचार तंत्र सहित मज़बूत अवसंरचना के निर्माण से दूरदराज़ के सीमावर्ती क्षेत्रों तक पहुँच में सुगमता आयेगी।
- जैसे जम्मू और कश्मीर के सीमावर्ती क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण सड़क नेटवर्क विकसित करने से सेना की तैनाती एवं रसद (सेना के पास मौजूद खान पान का स्टाक) की सुविधा हुई है तथा सुरक्षा प्रबंधन में सुधार हुआ है।
- आपातकालीन सेवाएँ और आपदा तैयारी: स्वास्थ्य सुविधाओं और आपदा प्रतिक्रिया तंत्र को मज़बूत करने से आपात स्थिति के दौरान समय पर सहायता सुनिश्चित होगी।
- जैसे भूस्खलन या भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं के बाद, कुशल बुनियादी ढाँचे के निर्माण से पूर्वोत्तर राज्यों जैसे सुदूर सीमावर्ती क्षेत्रों में राहत कार्य तेज़ी से किया जा सकता है।
- आजीविका के अवसर: सीमावर्ती समुदायों के लिये स्थायी आजीविका के अवसर उत्पन्न करने से उन्हें अवैध गतिविधियों में शामिल होने से रोका जा सकता है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता में योगदान मिलेगा।
- जैसे, अरुणाचल प्रदेश में बागवानी और जैविक खेती जैसी पहलों से न केवल आजीविका में सुधार हुआ है बल्कि विद्रोही गतिविधियों के प्रति रुझान भी कम हुआ है।
- जैसे, सिक्किम ऑर्गेनिक मिशन, सिक्किम राज्य की एक पहल है, जो पहाड़ी क्षेत्रों में जैविक खेती और टिकाऊ कृषि को बढ़ावा देता है, जिससे स्थानीय आबादी के लिये आर्थिक विकल्प उत्पन्न होते हैं।
- शिक्षा और कौशल विकास: शिक्षा और कौशल विकास पर ध्यान केंद्रित करने से स्थानीय आबादी सशक्त होगी, जिससे कट्टरपंथ के प्रति उनकी संवेदनशीलता कम हो जायेगी।
- जैसे, हिमाचल प्रदेश में, सीमावर्ती गांवों में शिक्षा पहल से न केवल साक्षरता दर में सुधार हुआ है, बल्कि सीमा पार तस्करी में भागीदारी भी हतोत्साहित हुई है।
- जैसे, हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विभाग ने भारत-चीन सीमा के साथ सुदूर पहाड़ी क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार और चिकित्सा सेवाओं तक पहुँच के लिये कार्यक्रम शुरू किये हैं।
- सीमा निगरानी और सुरक्षा: प्रौद्योगिकी और बेहतर बुनियादी ढाँचे की मदद से सीमा निगरानी बढ़ा कर घुसपैठ एवं अनधिकृत गतिविधियों को रोका जा सकता है।
- उन्नत निगरानी प्रणालियों के कार्यान्वयन से भारत-पाकिस्तान सीमा पर सतर्कता में सुधार हुआ है, जिससे घुसपैठ के प्रयासों पर रोक लगी है।
- सांस्कृतिक और पारिस्थितिक संरक्षण: यह कार्यक्रम उन पहलों का समर्थन करता है जो इन क्षेत्रों की अनोखी सांस्कृतिक विरासत और पारिस्थितिक संतुलन को संरक्षित करते हैं जिससे ज़िम्मेदारीपूर्ण पर्यटन और एवं पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा मिलता है।
- लद्दाख पारिस्थितिक विकास समूह (The Ladakh Ecological Development Group, - LEDeG) ) स्थायी पर्यटन को बढ़ावा देने और क्षेत्र पर संभावित नकारात्मक प्रभावों को कम करने के लिये लद्दाख की संस्कृति तथा पर्यावरण के संरक्षण के लिये काम करता है।
इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ:
- संवेदनशील सीमाओं से निकटता: लद्दाख में नियंत्रण रेखा (Line of Control,LoC)) के पास अवसंरचना निर्माण से कभी-कभी तनाव बढ़ जाता है और सुरक्षा संबंधी चिंताएँ बढ़ जाती हैं।
- घुसपैठ और आतंकवाद: विकास परियोजनाओं का दुरुपयोग घुसपैठियों या आतंकवादियों को देश में प्रवेश करने के लिये आड़ के रूप में किया जा सकता है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा पैदा हो सकता है।
- 2019 पुलवामा हमले में जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा कर्मियों के एक काफिले को निशाना बनाया गया, जो चुनौतीपूर्ण इलाकों में सुरक्षा बलों की कमज़ोरी को उजागर करता है।
- रणनीतिक सूचना लीक: भारत-चीन सीमा के पास सैन्य प्रतिष्ठानों के बारे में जानकारी लीक होने से राष्ट्रीय सुरक्षा से समझौता होने की चिंता बढ़ गई है।
- स्थानीय कट्टरपंथ और प्रभाव: हाशिए पर रहने वाली सीमावर्ती आबादी चरमपंथी समूहों के कट्टरपंथ या प्रभाव के प्रति संवेदनशील हो सकती है।
- भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में स्थानीय कट्टरपंथ और विद्रोही गतिविधियों की घटनाएँ देखी गई हैं, जिससे सुरक्षा गतिशीलता प्रभावित हुई है।
- सीमा पार तस्करी: विकास परियोजनाएँ अनजाने में सीमा पार से तस्करी को बढ़ावा दे सकती हैं।
- भारत-बांग्लादेश सीमा क्षेत्र में अपनी छिद्रपूर्ण प्रकृति और असमान विकास के कारण तस्करी के मामले देखे गए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने हमेशा कहा है कि सीमावर्ती गांव देश के आखिरी गांव नहीं बल्कि पहले गांव हैं। यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा है और गांवों को सुरक्षित रखे बिना हम अपनी सीमाओं को सुरक्षित नहीं रख सकते। वाइब्रेंट विलेज विकसित करने से देश की सीमा सुरक्षा में एक अतिरिक्त परत जुड़ जाएगी।