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23 Aug 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 1
भूगोल
दिवस-33. अंडमान और निकोबार द्वीप की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए, हाल ही में प्रस्तावित विकास परियोजना के ग्रेट निकोबार की संवेदनशीलता से संबंधित संभावित प्रभावों का आकलन कीजिये? (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- ग्रेट निकोबार द्वीप की संवेदनशीलता का परिचय दीजिये।
- ग्रेट निकोबार क्षेत्र की पारिस्थितिकी पर प्रस्तावित विकास परियोजना के संभावित प्रभावों पर चर्चा कीजिये।
- इस परियोजना को पारिस्थितिकी रूप से व्यवहार्य बनाने के लिये संभावित उपाय बताइये?
- तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।
हाल ही में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEFCC) ने 72,000 करोड़ रुपए की मेगा बहु-विकास परियोजनाओं के लिये ग्रेट निकोबार द्वीप (GNI) में 130.75 वर्ग कि.मी. वन के डायवर्ज़न के लिये पर्यावरणीय मंज़ूरी दे दी है।
- बंगाल की खाड़ी में स्थित, ये द्वीप टेक्टोनिक प्लेट सीमाओं तथा मानसूनी जलवायु के निकट होने के कारण भूकंप, सुनामी, उष्णकटिबंधीय चक्रवात और समुद्र के स्तर में वृद्धि जैसे विभिन्न प्राकृतिक खतरों के संपर्क में हैं।
प्रस्तावित विकास परियोजना का संभावित प्रभाव:
- जैव विविधता पर प्रभाव: यह परियोजना कई कारणों से आलोचना में आ गई है, जिसमें क्षेत्र की समृद्ध जैव विविधता पर इसके प्रतिकूल प्रभावों और लुप्तप्राय प्रजातियों के आवासों को होने वाले नुकसान की चिंता भी शामिल है।
- यह परियोजना, तटीय विनियमन क्षेत्र- IA तथा IB और गैलाथिया की खाड़ी, जो पक्षियों के लिये घोंसला स्थल है, का हिस्सा है।
- इसके अलावा कछुओं के घोंसले वाले स्थानों, डॉल्फिन तथा अन्य प्रजातियों को ड्रेजिंग से नुकसान होगा।
- पर्यावरण और पारिस्थितिक चिंताएँ जैसे लुप्तप्राय प्रजातियों, प्रवाल भित्ति, मैंग्रोव आदि पर प्रभाव।
- नीति आयोग के अनुसार इस परियोजना के लिये 130 वर्ग कि.मी. (एथेंस, जॉर्जिया का लगभग आधा क्षेत्र) वन भूमि को हटाने तथा 8.5 लाख वृक्षों को काटने की आवश्यकता है।
- पारिस्थितिक रूप से समृद्ध द्वीप को वर्ष 1989 में बायोस्फीयर रिज़र्व घोषित किया गया था तथा वर्ष 2013 में यूनेस्को के मैन एंड बायोस्फीयर प्रोग्राम में शामिल किया गया था।
- यह आदिवासियों की आजीविका और संस्कृति को नुकसान पहुँचा सकता है, साथ ही वन अधिकार अधिनियम 2006 के तहत उनके वन अधिकारों से भी समझौता कर सकता है।
- इस द्वीप का 90% हिस्सा अंडमान और निकोबार आदिवासी जनजाति संरक्षण विनियमन, 1956 के तहत एक आदिवासी रिज़र्व के रूप में नामित है।
- भूकंप, भूमि धँसाव आदि जैसी आपदाओं के प्रति संवेदनशील क्षेत्र उच्च जोखिम वाले भूकंपीय क्षेत्र V श्रेणी में आता है।
- क्लीयरेंस मुद्दा:
- नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने ICTT पर रोक लगाने का आदेश दिया है तथा दी गई पर्यावरण मंज़ूरी की दोबारा जाँच के लिये एक समिति का गठन किया है।
- स्थानीय जनजातीय परिषद ने इस परियोजना के लिये NOC वापस ले ली क्योंकि उसे डर था कि उनके अधिकारों का उल्लंघन होगा।
- राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (NCST) ने वन अधिकार अधिनियम (FRA), 2006 के तहत वन मंज़ूरी में विसंगतियों का आरोप इस आधार पर लगाया कि यह परियोजना स्थानीय जनजातियों के लोगों के अधिकारों को प्रभावित करेगी तथा इस सम्बन्ध में NCST से परामर्श नहीं किया गया था।
परियोजना का महत्त्व:
- इस परियोजना के कई उद्देश्य हैं जैसे: रक्षा, रणनीतिक महत्त्व, राष्ट्रीय सुरक्षा एवं सार्वजनिक लाभ।
- बंगाल की खाड़ी तथा व्यापक हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता ने हाल ही में इस परियोजना को और भी आवश्यक बना दिया है।
- ग्रेट निकोबार द्वीप महत्त्वपूर्ण आर्थिक एवं सामरिक महत्त्व रखता है:
- हालाँकि इसमें पर्यटन की क्षमता है, सरकार का लक्ष्य आर्थिक तथा रणनीतिक लाभ के लिये इसके लाभप्रद स्थान का लाभ उठाना भी है।
- कोलंबो, पोर्ट क्लैंग (Port Klang) और सिंगापुर के बीच स्थित, यह द्वीप एक महत्त्वपूर्ण पूर्व-पश्चिम अंतर्राष्ट्रीय शिपिंग मार्ग पर स्थित है, जिसका उपयोग वैश्विक शिपिंग व्यापार के एक महत्त्वपूर्ण हिस्से द्वारा किया जाता है।
- प्रस्तावित अंतर्राष्ट्रीय कंटेनर ट्रांसशिपमेंट टर्मिनल (International Container Transshipment Terminal- ICTT) यह इस मार्ग पर चलने वाले मालवाहक ज़हाजों के लिये द्वीप को एक केंद्रीय बिंदु में बदल सकता है।
- नीति आयोग ने एक रिपोर्ट में कहा है कि प्रस्तावित बंदरगाह ग्रेट निकोबार को कार्गो ट्रांसशिपमेंट में एक प्रमुख खिलाड़ी बनकर क्षेत्रीय तथा वैश्विक समुद्री अर्थव्यवस्था में भाग लेने की अनुमति देगा।
इस परियोजना को पारिस्थितिक रूप से व्यवहार्य बनाने के उपाय:
- व्यापक पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA): इस परियोजना के संभावित पारिस्थितिक प्रभावों का आकलन करने के लिये एक संपूर्ण और अद्यतन EIA का संचालन करें।
- वैकल्पिक साइट मूल्यांकन: इस परियोजना के लिये वैकल्पिक साइटों का मूल्यांकन करें जिनका पारिस्थितिक प्रभाव कम हो सकता है।
- सतत् बुनियादी ढाँचा डिज़ाइन: सुनिश्चित करें कि बुनियादी ढाँचा चक्रवात तथा भूकंप जैसे प्राकृतिक खतरों का सामना करने, क्षति और व्यवधान के जोखिम को कम करने के लिये डिज़ाइन किया गया है।
- स्वदेशी ज्ञान का समावेश: निर्णय लेने की प्रक्रिया में स्वदेशी समुदायों से परामर्श करें तथा उन्हें शामिल करें।
- फॉरेस्ट ऑफसेटिंग: जैव विविधता ऑफसेटिंग उपायों को लागू करें, जहाँ परियोजना के कारण जैव विविधता के किसी भी नुकसान की भरपाई अन्य क्षेत्रों में संरक्षण प्रयासों के माध्यम से की जाती है।
ग्रेट निकोबार द्वीप इस परियोजना पर रोक लगाने तथा पर्यावरण मंज़ूरी की समीक्षा के लिये एक समिति गठित करने के NGT के आदेश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि परियोजना द्वीप तटीय विनियमन क्षेत्र 2019 और आदिवासी अधिकारों के अनुरूप है।