नोएडा शाखा पर IAS GS फाउंडेशन का नया बैच 9 दिसंबर से शुरू:   अभी कॉल करें
ध्यान दें:

Mains Marathon

  • 22 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 पर्यावरण

    दिवस-32. कार्बन बाज़ार क्या है और इसका प्रचालन किस प्रकार होता है? भारत में घरेलू कार्बन बाज़ार स्थापित करने से संबंधित लाभों एवं चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • बताइये कि कार्बन बाज़ार क्या है और इसका प्रचालन किस प्रकार होता है?
    • भारत में कार्बन बाजार से संबंधित लाभों एवं चुनौतियों पर चर्चा कीजिये।
    • भारत के जलवायु लक्ष्यों और सतत विकास हेतु घरेलू कार्बन बाज़ार की क्षमता पर बल देते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    कार्बन बाज़ार एक ऐसा तंत्र है जिसके तहत कार्बन उत्सर्जन पर मूल्य निर्धारित करके ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने पर बल दिया जाता है। यह इस सिद्धांत पर कार्य करता है कि यदि संगठनों को अपने कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये वित्तीय प्रोत्साहन मिलता है तो वे स्वच्छ एवं अधिक टिकाऊ प्रथाओं को अपनाने के लिये अधिक प्रेरित होंगे।

    कार्बन बाज़ार प्रणाली में निश्चित उद्योग क्षेत्र के तहत उत्सर्जित कार्बन की कुल मात्रा पर एक सीमा (या कैप) निर्धारित की जाती है। इस सीमा के अंदर कंपनियों को परमिट या भत्ते आवंटित किये जाते हैं। यदि कोई कंपनी अपने उत्सर्जन को आवंटित भत्ते से कम करती है तो वह अधिशेष भत्ते को उन कंपनियों को बेच सकती है जिन्होंने अपनी सीमा से अधिक उत्सर्जन किया है। इससे कार्बन भत्ते का व्यापार बाज़ार के माध्यम से होता है।

    भारत में ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) अधिनियम, 2022 के माध्यम से एक कार्बन बाज़ार पेश किया गया था।

    भारत में घरेलू कार्बन बाज़ार स्थापित करने के कुछ लाभ:

    • यह भारत को पेरिस समझौते के तहत अपने जलवायु परिवर्तन लक्ष्यों और प्रतिबद्धताओं को प्राप्त करने में मदद कर सकता है जैसे कि वर्ष 2005 के स्तर से वर्ष 2030 तक अपनी उत्सर्जन तीव्रता को 33-35% तक कम करना तथा वर्ष 2070 तक शुद्ध-शून्य उत्सर्जन तक पहुँचाना।
    • यह भारत को वर्ष 2030 तक 450 गीगावॉट क्षमता स्थापित करने और वर्ष 2030 तक विद्युत उत्पादन में गैर-जीवाश्म ईंधन की हिस्सेदारी 40% तक बढ़ाने के अपने नवीकरणीय ऊर्जा लक्ष्यों को पूरा करने में भी मदद कर सकता है।
    • यह कार्बन क्रेडिट की इष्टतम कीमत निर्धारित करके उत्सर्जन को कम करने के क्रम में कम लागत और अनुकूल तंत्र प्रदान करने में सहायक हो सकता है।
    • इससे स्वच्छ ऊर्जा एवं ऊर्जा दक्षता प्रौद्योगिकियों में नवाचार तथा निवेश को प्रोत्साहन मिल सकता है, जिससे आर्थिक विकास और रोज़गार सृजन के नए अवसर उपलब्ध हो सकते हैं।
    • इससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा मिल सकता है एवं जीवाश्म ईंधन (विशेष रूप से आयातित कोयले और तेल) पर इसकी निर्भरता को कम कर सकता है।
    • यह वायु प्रदूषण एवं संबंधित स्वास्थ्य जोखिमों को कम करके भारत की पर्यावरणीय गुणवत्ता के साथ सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है।
    • इससे कार्बन क्रेडिट के माध्यम से सरकार के लिये अतिरिक्त राजस्व प्राप्त हो सकता है जिसका उपयोग जलवायु वित्त या अन्य सामाजिक एवं पर्यावरणीय उद्देश्यों के लिये किया जा सकता है।

    भारत में घरेलू कार्बन बाज़ार स्थापित करने से संबंधित कुछ चुनौतियाँ:

    • कार्बन क्रेडिट की विश्वसनीयता सुनिश्चित करने के लिये विभिन्न संस्थाओं के उत्सर्जन और कटौती को मापने, रिपोर्ट करने एवं सत्यापित करने के लिये एक मज़बूत तथा पारदर्शी प्रणाली की आवश्यकता होती है।
    • उत्सर्जन में धोखाधड़ी, हेराफेरी या रिसाव को रोकने के लिये कार्बन बाज़ार नियमों की निगरानी तथा अनुपालन को लागू करने के लिये एक मज़बूत एवं स्वतंत्र निरीक्षण निकाय या नियामक की आवश्यकता होती है।
    • बाज़ार में पर्याप्त मांग तथा आपूर्ति पैदा करने के लिये कार्बन क्रेडिट के संभावित खरीदारों और विक्रेताओं के बीच उच्च स्तर की जागरूकता तथा भागीदारी की आवश्यकता होती है।
    • प्रतिस्पर्धात्मकता, समानता या विकास लक्ष्यों पर प्रतिकूल प्रभाव से बचने के लिये पर्यावरणीय प्रभावशीलता और कार्बन बाज़ार की आर्थिक दक्षता सुनिश्चित करने के बीच सावधानीपूर्वक संतुलन की आवश्यकता होती है।
    • इसे कुछ क्षेत्रों या संस्थाओं से प्रतिरोध का सामना करना पड़ सकता है जो कार्बन बाज़ार के कारण उच्च लागत वहन करने या प्रतिस्पर्धी नुकसान का सामना करने की संभावना रखते हैं।
    • ग्रीनवॉशिंग- कंपनियाँ अपने समग्र उत्सर्जन को कम करने या स्वच्छ प्रौद्योगिकियों में निवेश करने के बजाय केवल कार्बन फुटप्रिंट की भरपाई करके क्रेडिट खरीद सकती हैं।
    • इसके अलावा ऊर्जा संरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2022 में केंद्र को कार्बन क्रेडिट ट्रेडिंग योजना को निर्दिष्ट करने का अधिकार दिया गया है जिसमें कई कमियाँ हैं।
      • इस विधेयक में कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्रों के व्यापार के लिये उपयोग किये जाने वाले तंत्र के संबंध में स्पष्टता प्रदान नहीं है- जैसे वह कैप-एंड-ट्रेड योजनाओं की तरह होगा या किसी अन्य विधि का उपयोग करेगा और इस तरह के व्यापार को कौन नियंत्रित करेगा?
      • इसके साथ ही इसमें यह भी अनिश्चितता है कि क्या विद्युत मंत्रालय इस योजना को विनियमित करने के लिये उपयुक्त मंत्रालय है या पर्यावरण मंत्रालय द्वारा विनियमित किया जाना चाहिये?
      • यह विधेयक यह निर्दिष्ट नहीं करता है कि क्या पहले से मौजूद योजनाओं के तहत प्रमाणपत्र

    कार्बन क्रेडिट प्रमाणपत्रों के साथ विनिमेय होंगे और कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिये व्यापार योग्य होंगे?

    • भारत में दो प्रकार के व्यापार योग्य प्रमाणपत्र पहले से ही जारी किये जाते हैं-
      • नवीकरणीय ऊर्जा प्रमाणपत्र (RECs)
      • ऊर्जा बचत प्रमाणपत्र (ESCs)।

    भारत में घरेलू कार्बन बाज़ार की स्थापना ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने या अधिक टिकाऊ अर्थव्यवस्था में परिवर्तन के लिये एक शक्तिशाली उपकरण है। हालाँकि इससे कुछ चुनौतियाँ भी उत्पन्न होती हैं जिन पर सावधानीपूर्वक विचार करने तथा योजना बनाने की आवश्यकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इससे संबंधित लाभ अधिकतम हो। अच्छी तरह से डिज़ाइन किया हुआ तथा प्रबंधित कार्बन बाज़ार, आर्थिक विकास एवं नवाचार को बढ़ावा देते हुए जलवायु परिवर्तन से निपटने के भारत के प्रयासों में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

close
एसएमएस अलर्ट
Share Page
images-2
images-2
× Snow