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  • 22 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस-32. भारत के विकास एवं लोकतंत्र के लिये सुशासन का क्या महत्त्व है? भारत में शासन से संबंधित प्रमुख मुद्दों एवं चुनौतियों का विश्लेषण करते हुए उनमें सुधार हेतु उपाय सुझाइये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भारत के विकास एवं लोकतंत्र के संदर्भ में सुशासन के महत्त्व पर प्रकाश डालिये।
    • भारत के विकास और लोकतंत्र के लिये सुशासन क्यों महत्त्वपूर्ण है, इसके प्रमुख कारणों पर विस्तार से चर्चा कीजिये?
    • भारत के समक्ष आने वाले मुख्य शासन संबंधी मुद्दों एवं चुनौतियों पर चर्चा करने के साथ इनके समाधान हेतु उपाय बताइये।
    • मुख्य बिंदुओं को संक्षेप में बताते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    सुशासन का आशय सार्वजनिक संस्थानों द्वारा सार्वजनिक मामलों के संचालन और सार्वजनिक संसाधनों के प्रबंधन के उस तरीके से है जो पारदर्शी, जवाबदेह, प्रभावी एवं लोगों की ज़रूरतों तथा आकांक्षाओं के अनुकूल हो। भारत के विकास और लोकतंत्र के लिये सुशासन आवश्यक है क्योंकि इससे आर्थिक विकास, सामाजिक कल्याण, पर्यावरणीय स्थिरता एवं मानवाधिकारों को बढ़ावा मिलता है।

    सुशासन के कुछ लाभ:

    • इससे सरकार और उसकी नीतियों में नागरिकों का विश्वास बढ़ सकता है, जिससे राजनीतिक व्यवस्था की वैधता और स्थिरता में सुधार हो सकता है।
      • विश्व बैंक की एक रिपोर्ट के अनुसार सुशासन, सार्वजनिक नीतियों की प्रभावशीलता को बढ़ाने के साथ संकट के जोखिमों को कम कर सकता है।
    • इससे निर्णय लेने और कार्यान्वयन प्रक्रियाओं में विभिन्न हितधारकों (विशेष रूप से हाशिये पर और कमज़ोर समूहों) की भागीदारी व समावेशन को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे लोक सेवाओं एवं नीतियों की जवाबदेही तथा समानता को बढ़ावा मिल सकता है।
      • UNDP की एक रिपोर्ट के अनुसार सहभागी शासन लोगों, विशेषकर महिलाओं को अपनी ज़रूरतों और प्राथमिकताओं के बारे में आवाज उठाने के लिये सशक्त बना सकता है तथा सरकार को उसके प्रदर्शन के लिये जवाबदेह बना सकता है।
    • यह विधि का शासन एवं मानवाधिकारों की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है, जिससे सत्ता के दुरुपयोग और भ्रष्टाचार को रोका जा सकता है तथा लोगों के हितों एवं सम्मान की रक्षा हो सकती है।
      • ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की एक रिपोर्ट के अनुसार सुशासन भ्रष्टाचार को कम कर सकता है एवं लोकतंत्र तथा मानव विकास की गुणवत्ता में सुधार कर सकता है।
    • इससे सार्वजनिक क्षेत्र में नवाचार तथा दक्षता को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे सार्वजनिक सेवाओं और नीतियों की गुणवत्ता एवं प्रभावशीलता में सुधार हो सकता है।
      • नीति आयोग की "नवाचार तथा डिजिटल परिवर्तन हेतु सुशासन" शीर्षक वाली एक रिपोर्ट के अनुसार सुशासन स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि, ऊर्जा आदि जैसे विभिन्न क्षेत्रों में नवाचार और डिजिटल परिवर्तन को सक्षम कर सकता है एवं उत्पादकता व प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ा सकता है।

    हालाँकि, भारत को सुशासन प्राप्त करने में कई मुद्दों और चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जैसे:

    • सार्वजनिक संस्थानों में निहित स्वार्थों और राजनीतिक प्रभुत्व से सार्वजनिक अधिकारियों एवं नीतियों की जवाबदेही तथा पारदर्शिता कमज़ोर हो सकती है जिससे हितों के टकराव को बढ़ावा मिल सकता है।
    • लोक प्रशासन में व्यावसायिकता की कमी के परिणामस्वरूप सार्वजनिक सेवाओं एवं नीतियों की खराब गुणवत्ता, कार्यान्वयन, निगरानी और मूल्यांकन हो सकता है जिससे लोगों को समय पर गुणवत्तापूर्ण सेवाओं को प्रदान करने में बाधा आ सकती है।
      • PwC इंडिया की "नए भारत हेतु सिविल सेवकों को सशक्त बनाना" शीर्षक वाली एक रिपोर्ट के अनुसार सभी स्तरों पर सिविल सेवकों की क्षमता बढ़ाने के लिये उनके क्षमता निर्माण, कौशल विकास, प्रदर्शन प्रबंधन एवं प्रोत्साहन प्रणाली में सुधार करने की आवश्यकता है।
    • कानूनों और विनियमों के कमज़ोर प्रवर्तन (जो सार्वजनिक अधिकारियों तथा निजी हितधारकों के बीच गैर-अनुपालन की संस्कृति पैदा कर सकता है) से कानूनी प्रणाली की विश्वसनीयता एवं प्रभावशीलता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
      • एक रिपोर्ट के अनुसार न्याय वितरण में देरी, मामलों की लंबितता, न्यायिक बुनियादी ढांचे की कमी, जनशक्ति का अभाव एवं संसाधनों की कमी इत्यादि से आम लोगों के लिये न्याय तक पहुँच प्रभावित होती है।
        • भारतीय न्यायपालिका में किसी मामले को निपटाने में लगने वाला औसत समय 10 वर्ष से अधिक है।
        • मार्च 2023 तक भारतीय न्यायालयों में 3.5 करोड़ से अधिक मामले लंबित थे।
    • सार्वजनिक मामलों में नागरिकों (विशेष रूप से गरीबों और हाशिये पर रहने वाले समूहों) के बीच जागरूकता एवं भागीदारी के निम्न स्तर से नीति निर्माण तथा कार्यान्वयन प्रक्रियाओं में इनकी भागीदारी में कमी आ सकती है जिससे सूचना व शिकायत निवारण तंत्र तक उनकी पहुँच सीमित हो सकती है।

    भारत में शासन व्यवस्था में सुधार हेतु किये जा सकने वाले कुछ उपाय:

    • कर अनुपालन एवं सार्वजनिक सेवाओं में सुधार के लिये डिजिटल पहचान प्रणाली लागू करना: भारत ने पहले ही आधार डिजिटल ID कार्यक्रम लागू कर दिया है, जो 99% वयस्क आबादी को कवर करता है तथा इसका उपयोग सरकारी सब्सिडी, लाभ और सेवाएँ प्रदान करने के लिये किया जाता है। कर प्रवर्तन तथा अनुपालन को बढ़ाने के साथ-साथ कल्याणकारी कार्यक्रमों में धोखाधड़ी एवं भ्रष्टाचार को कम करने के लिये इस प्रणाली का और अधिक लाभ उठाया जा सकता है।
    • भूमि प्रबंधन प्रणालियों में भ्रष्टाचार को कम करने के लिये ब्लॉकचेन तकनीक का उपयोग करना: भूमि पंजीकरण के मामले में भारत सबसे भ्रष्ट क्षेत्रों में से एक है, जिसमें अनुमानित तौर पर सालाना 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर की रिश्वत दी जाती है। ब्लॉकचेन तकनीक भूमि लेन-देन का एक सुरक्षित, पारदर्शी और अपरिवर्तनीय रिकॉर्ड बनाने में मदद कर सकती है, जिससे इसमें भ्रष्टाचार को कम किया जा सकता है।
      • भारत के कुछ राज्य जैसे आंध्र प्रदेश और तेलंगाना, ने पहले ही भूमि रिकॉर्ड के लिये ब्लॉकचेन तकनीक का प्रयोग शुरू कर दिया है।
    • सार्वजनिक सेवा वितरण व नीति निर्धारण में सुधार के लिये आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और बिग डेटा एनालिटिक्स का उपयोग करना, AI एवं बिग डेटा सरकारी एजेंसियों को विभिन्न स्रोतों, जैसे सेंसर, कैमरा, उपग्रह, सोशल मीडिया आदि से बड़ी मात्रा में डेटा एकत्र करने, संसाधित करने तथा उनका विश्लेषण करने में मदद कर सकता है।
      • उदाहरण के लिये स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन (NDHM) लॉन्च किया है, जिसका उद्देश्य एक ऐसा डिजिटल स्वास्थ्य पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है जो सभी नागरिकों को सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज प्रदान करता हो।
    • नीति निर्माण प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी और फीडबैक को बढ़ाने के लिये ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म का उपयोग करना। ई-गवर्नेंस प्लेटफॉर्म सरकारी एजेंसियों को विभिन्न चैनलों जैसे वेबसाइट, मोबाइल ऐप, सोशल मीडिया आदि के माध्यम से नागरिकों के साथ संवाद करने में मदद कर सकते हैं। ये प्लेटफॉर्म नागरिकों को समय और लागत को कम करते हुए सूचना, सेवाओं तथा शिकायत निवारण तंत्र तक ऑनलाइन पहुँचने में सक्षम बना सकते हैं।
      • उदाहरण के लिये MyGov प्लेटफॉर्म एक नागरिक-केंद्रित पोर्टल है जिसका उद्देश्य लोगों को राष्ट्रीय महत्त्व के विभिन्न मुद्दों पर सरकार से जुड़ने के लिये सशक्त बनाना है।
    • सरकारी डेटा और प्रणालियों की अखंडता एवं गोपनीयता की रक्षा के लिये साइबर सुरक्षा उपाय लागू करना। जैसे-जैसे सरकार शासन के उद्देश्यों के लिये अधिक डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाती है, उसे दुर्भावनापूर्ण साइबर हमलों के बढ़ते जोखिम का भी सामना करना पड़ता है जो सरकारी डेटा और सिस्टम को बाधित करने तथा क्षति पहुँचाने की कोशिश कर सकते हैं। साइबर सुरक्षा उपायों में एन्क्रिप्शन, फायरवॉल, एंटीवायरस सॉफ्टवेयर इत्यादि तकनीकी समाधान के साथ ही इससे संबंधित नीतियाँ, विनियम, मानक, ऑडिट इत्यादि जैसे कानून और संस्थागत ढाँचे शामिल हैं।
      • भारत सरकार ने साइबर सुरक्षा मुद्दों से निपटने के लिये विभिन्न एजेंसियों और पहलों की स्थापना की है जैसे कि राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा समन्वयक (NCSC), भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In) तथा राष्ट्रीय महत्त्वपूर्ण सूचना अवसंरचना संरक्षण केंद्र (NCIIPC) आदि।
    • सरकारी एजेंसियों की जवाबदेही और पारदर्शिता में सुधार के लिये ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली स्थापित करना। ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली से नागरिकों को वेब पोर्टल, मोबाइल ऐप या टोल-फ्री नंबरों के माध्यम से विभिन्न सरकारी सेवाओं या योजनाओं के संबंध में शिकायत, सुझाव या प्रतिक्रिया दर्ज करने की अनुमति मिलती है।
      • भारत में ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणालियों के कुछ उदाहरणों में केंद्रीकृत लोक शिकायत निवारण और निगरानी प्रणाली (CPGRAMS), प्रधानमंत्री कार्यालय का लोक शिकायत पोर्टल एवं महाराष्ट्र का आपले सरकार पोर्टल शामिल हैं।
    • सरकारी जानकारी तक पारदर्शिता एवं पहुँच बढ़ाने हेतु डेटा प्लेटफॉर्म स्थापित करना। ये प्लेटफॉर्म सरकारी कार्यों की पारदर्शिता एवं जवाबदेही में सुधार करने में मदद कर सकते हैं, साथ ही विभिन्न हितधारकों के बीच नवाचार और सहयोग को बढ़ावा दे सकते हैं।
      • भारत में ओपन डेटा प्लेटफॉर्म के कुछ उदाहरणों में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय का राष्ट्रीय डेटा रिपोजिटरी (NDR) तथा स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय का राष्ट्रीय स्वास्थ्य डेटा पोर्टल शामिल हैं।
    • शहरी प्रशासन एवं सेवा वितरण की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिये स्मार्ट सिटी पहल की शुरुआत करना। स्मार्ट सिटी पहल का उद्देश्य शहरी क्षेत्रों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार के लिये डिजिटल प्रौद्योगिकियों, डेटा एनालिटिक्स के साथ इसमें नागरिक भागीदारी को बढ़ाना है। ये पहल यातायात भीड़, वायु प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन, जल आपूर्ति, ऊर्जा दक्षता इत्यादि जैसी विभिन्न चुनौतियों का समाधान करने में मदद कर सकती हैं।
      • स्मार्ट सिटी मिशन भारत में स्मार्ट सिटी पहल का उदाहरण है जिसके तहत देश भर के 100 शहरों को शामिल किया गया है।

    भारत के विकास और लोकतंत्र के लिये सुशासन महत्त्वपूर्ण कारक है क्योंकि इससे लोगों के लिये आर्थिक, सामाजिक कल्याण को बढ़ावा मिलने के साथ पर्यावरणीय एवं मानवाधिकार क्षेत्रों में सुधार हो सकता है। हालाँकि भारत को सुशासन प्राप्त करने में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है जैसे भ्रष्टाचार, अक्षमता और सीमित नागरिक भागीदारी। इसलिये भारत में शासन के संस्थागत, प्रशासनिक, कानूनी और नागरिक पहलुओं में सुधार के लिये आवश्यक उपाय करना अनिवार्य है। ऐसा करके भारत विकास क्षेत्र में अपनी पूरी क्षमता का उपयोग कर सकता है।

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