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दिवस-31. अनौपचारिक क्षेत्र का प्रभुत्व भारत में रोज़गार के अवसरों की गुणवत्ता को किस प्रकार प्रभावित करता है? (150 शब्द)

21 Aug 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | अर्थव्यवस्था

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

हल करने का दृष्टिकोण:

  • भारत के अनौपचारिक क्षेत्र के बारे में बताइये।
  • चर्चा कीजिये कि इसका रोजगार की गुणवत्ता पर क्या प्रभाव पड़ता है?
  • भारतीय अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने के लिये क्या उपाय किये जा सकते हैं?
  • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

भारत में अनौपचारिक क्षेत्र की आर्थिक गतिविधियों और रोजगार में प्रमुख भूमिका है। यह क्षेत्र औपचारिक नियमों के दायरे से बाहर होने के कारण इसमें अक्सर कानूनी मान्यता, सामाजिक सुरक्षा और औपचारिक अनुबंधों का अभाव होता है।

आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (2019-20) से पता चला कि भारत के कुल कार्यबल का लगभग 93.4% हिस्सा अनौपचारिक क्षेत्र से संबंधित है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2019-20 में इस बात पर प्रकाश डाला गया है कि अनौपचारिक क्षेत्र की भारत के सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में लगभग 70% और रोजगार में 80% की भूमिका है।

रोज़गार की गुणवत्ता पर अनौपचारिक क्षेत्र का प्रभाव:

  • सुरक्षा का अभाव: औपचारिक अनुबंधों और कानूनी सुरक्षा के अभाव के कारण अनौपचारिक क्षेत्र की नौकरियों में आमतौर पर सुरक्षा का अभाव होता है, जिससे रोज़गार अनिश्चित होता है।
    • PLFS (2019-20) के अनुसार भारत का 90% से अधिक कार्यबल अनौपचारिक क्षेत्र में संलग्न है।
  • सीमित सामाजिक लाभ: अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिकों की अक्सर स्वास्थ्य बीमा, पेंशन और बेरोज़गारी लाभ जैसे सामाजिक लाभों तक पहुँच की कमी होती है, जिससे उनका कल्याण प्रभावित होता है।
    • ILO के अनुसार, भारत की कार्यशील उम्र की आबादी में से केवल 12% को ही सामाजिक सुरक्षा लाभ प्राप्त है।
  • कम वेतन: अनौपचारिक क्षेत्र की नौकरियाँ आमतौर पर औपचारिक क्षेत्र की तुलना में कम वेतन देती हैं, जिससे गरीबी और आय असमानता को बढ़ावा मिलता है।
    • श्रम ब्यूरो के अनुसार 2019-20 में अनौपचारिक मज़दूरों के लिये औसत दैनिक वेतन लगभग 322 रुपये था।
  • सीमित कौशल वृद्धि: अनौपचारिक क्षेत्र की नौकरियों में अक्सर कौशल विकास एवं प्रशिक्षण के अवसरों की कमी होती है, जिससे श्रमिकों की कौशल वृद्धि तथा विकास क्षमता प्रभावित होती है।
  • अनियमित कार्य स्थितियाँ: अनौपचारिक क्षेत्र के कार्यस्थलों में अक्सर उचित सुरक्षा नियमों, कार्य स्थितियों और श्रम सुरक्षा का अभाव होता है, जिससे श्रमिकों को कमज़ोर स्वास्थ्य एवं सुरक्षा जोखिमों का सामना करना पड़ता है।
  • आर्थिक असंतुलन के प्रति संवेदनशीलता: सुरक्षा एवं नौकरी की स्थिरता की कमी के कारण अनौपचारिक क्षेत्र के श्रमिक आर्थिक असंतुलन जैसे कि COVID-19 महामारी, के प्रति अधिक संवेदनशील होते हैं।
  • कॅरियर में प्रगति का अभाव: अनौपचारिक क्षेत्र की नौकरियों में आमतौर पर करियर में उन्नति या कौशल विविधीकरण के सीमित अवसर होते हैं, जिससे पेशेवर विकास में बाधा आती है।

भारतीय अर्थव्यवस्था को औपचारिक बनाने के उपाय:

  • डिजिटल वित्तीय समावेशन: डिजिटल इंडिया अभियान ने वित्तीय समावेशन को सुविधाजनक बनाया है, जिसके तहत वर्ष 2021 तक 41 करोड़ (410 मिलियन) से अधिक जन-धन खाते खोले गए।
  • कौशल विकास कार्यक्रम: राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के अनुसार विभिन्न कौशल विकास पहलों के तहत 3.5 करोड़ (35 मिलियन) से अधिक लोगों को प्रशिक्षित किया गया है।
  • औपचारिक ऋण तक पहुँच: प्रधानमंत्री मुद्रा योजना द्वारा ऋण वितरण को सुविधाजनक बनाया गया। इसके तहत वर्ष 2021 तक 22.8 लाख करोड़ रुपये के साथ छोटे व्यवसायों को सहायता प्रदान की गई।
  • सामाजिक सुरक्षा योजनाएँ: प्रधानमंत्री श्रम योगी मानधन (PMSYM) योजना में वर्ष 2021 तक 44 लाख (4.4 मिलियन) से अधिक असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को शामिल किया गया।
  • GST कार्यान्वयन: वस्तु एवं सेवा कर (GST) के द्वारा कई अप्रत्यक्ष करों को प्रतिस्थापित किया गया, जिससे औपचारिक कर संरचना को बढ़ावा मिला।
  • ई-गवर्नेंस पहल: डिजिटल इंडिया पहल ने नौकरशाही बाधाओं को कम करते हुए विभिन्न सरकारी सेवाओं को डिजिटल बना दिया है।
  • MSME का औपचारिककरण: MSME क्षेत्र भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 30% योगदान देता है और इससे कार्यबल बड़े हिस्से को रोज़गार मिलता है।
    • उद्यम पंजीकरण पोर्टल सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यमों को पंजीकृत करने तथा औपचारिक बनाने की प्रक्रिया को सरल बनाता है।
  • वित्तीय साक्षरता कार्यक्रम: RBI का "ग्राहक जागरूकता अभियान" लोगों को विभिन्न वित्तीय उत्पादों और सेवाओं के बारे में शिक्षित करता है।

आर्थिक सर्वेक्षण 2022-23 का निष्कर्ष यह है कि भारत की अर्थव्यवस्था एवं रोज़गार में अनौपचारिक क्षेत्र की महत्त्वपूर्ण भूमिका के आलोक में इस क्षेत्र में व्यापक नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता है। इस क्षेत्र को औपचारिक करने से नौकरी की गुणवत्ता बढ़ाने, सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ भारत में सतत् आर्थिक विकास को बढ़ावा देने में सहायता मिलेगी।