दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- भारत के लिये रणनीतिक खनिज के रूप में लिथियम के महत्त्व और इसके भंडार और उत्पादन की वर्तमान स्थिति को संक्षिप्त रूप से बताते हुए अपने उत्तर की शुरुआत कीजिये।
- भारत में लिथियम भंडार की खोज के महत्त्व पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए इसके खनन और उपयोग में आने वाली प्रमुख चुनौतियों को बताइये।
- उचित निष्कर्ष दीजिये।
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लिथियम एक दुर्लभ और मूल्यवान धातु है जिसका उपयोग बैटरी, इलेक्ट्रिक वाहन, इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस और चिकित्सा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है। इसे एक महत्त्वपूर्ण खनिज माना जाता है क्योंकि यह स्वच्छ ऊर्जा, आत्मनिर्भरता और आर्थिक विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये आवश्यक है।
- वर्तमान में भारत के पास लिथियम का घरेलू भंडार बहुत सीमित है और यह अनुमानतः जम्मू और कश्मीर में 5.9 मिलियन टन है। यह अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया और चिली जैसे देशों से आयात पर बहुत अधिक निर्भर है।
भारत में लिथियम भंडार की खोज का महत्त्व:
- भारत में लिथियम भंडार की खोज से इसके घरेलू उत्पादन को बढ़ावा मिलने के साथ आयात पर निर्भरता में कमी हो सकती है।
- नीति आयोग के अनुसार इलेक्ट्रिक वाहनों और नवीकरणीय ऊर्जा की बढ़ती लोकप्रियता के कारण भारत में लिथियम बैटरी की मांग वर्ष 2018 के 2.9 GWh से बढ़कर वर्ष 2030 तक 132 GWh हो जाने की उम्मीद है।
- भारत में लिथियम भंडार की खोज से प्रतिस्पर्धी और टिकाऊ बैटरी उद्योग विकसित करने में मदद मिल सकती है जो परिवहन, विद्युत्, दूरसंचार और रक्षा जैसे विभिन्न क्षेत्रों के लिये महत्त्वपूर्ण है।
- इस रिपोर्ट के अनुसार अपने बड़े घरेलू बाज़ार, कुशल कार्यबल और नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र के आलोक में बैटरी विनिर्माण में वैश्विक स्तर पर भारत द्वारा प्रमुख भूमिका निभाने की क्षमता है।
- भारत में लिथियम भंडार की खोज से अन्य देशों (जिनके लिथियम संसाधनों को सुरक्षित करने के क्रम में समान हित और चुनौतियाँ हैं) के साथ सहयोग और साझेदारी के नए अवसर भी खुल सकते हैं।
- भारत लिथियम खनन और प्रसंस्करण में संयुक्त उद्यम स्थापित करने, प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और क्षमता निर्माण के क्रम में अर्जेंटीना, बोलीविया और चिली जैसे देशों के साथ सक्रिय रूप से समन्वय कर रहा है।
भारत में लिथियम भंडार के खनन से संबंधित चुनौतियाँ:
- लिथियम के खनन की प्रमुख चुनौतियों में से एक इसका संभावित पर्यावरणीय प्रभाव है। इससे पारिस्थितिकी तंत्र पर विपरीत प्रभाव पड़ सकता है। लिथियम खनन से मृदा क्षरण, जल की कमी, प्रदूषण, जैव विविधता की हानि और जलवायु परिवर्तन जैसे नकारात्मक प्रभाव उत्पन्न हो सकते हैं।
- उदाहरण के लिये लिथियम के खनन से मृदा को नुकसान पहुँचने के साथ यह वायु प्रदूषण का कारण बनता है और इसके परिणामस्वरूप मृदा क्षरण, जल की कमी, जैव विविधता की हानि, पारिस्थितिकी तंत्र को नुकसान होने के साथ ग्लोबल वार्मिंग में वृद्धि हो सकती है।
- लिथियम मुख्य रूप से स्पोड्यूमिन युक्त पेगमाटाइट चट्टानों (जटिल भूवैज्ञानिक प्रकृति की) में पाया जाता है, जिसके निष्कर्षण के लिये विशेष खनन तकनीकों और प्रक्रियाओं की आवश्यकता होती है।
- लिथियम निष्कर्षण के पारंपरिक तरीके या तो ऊर्जा-गहन या समय लेने वाले या दोनों हैं। लिथियम खनन को अधिक कुशल और टिकाऊ बनाने के लिये बेहतर तकनीक और नवाचार की आवश्यकता है।
- उदाहरण के लिये लिथियम निष्कर्षण के पारंपरिक तरीकों में या तो कठोर चट्टान का खनन या सौर वाष्पीकरण प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं। कठोर चट्टान के खनन की प्रक्रिया में लिथियम यौगिकों को निकालने के लिये इसके अयस्क-युक्त चट्टानों को पीसना और संसाधित करना शामिल होता है। इस विधि के लिये बहुत अधिक जीवाश्म ईंधन और जल की आवश्यकता होती है जिससे बड़ी मात्रा में अपशिष्ट उत्पन्न होता है।
- सौर वाष्पीकरण की प्रक्रिया में भूमिगत भंडारों से लिथियम युक्त जल को निकालकर बड़े तालाबों में संग्रहित किया जाता है और सूर्य के प्रकाश की उपस्थिति में इसका कई महीनों तक वाष्पीकरण होता रहता है।
भारत में लिथियम भंडार की खोज का देश की अर्थव्यवस्था और सतत् विकास के संदर्भ में काफी महत्त्व है। इसमें खनन से संबंधित पर्यावरणीय प्रभाव और बुनियादी ढाँचे के विकास जैसी चुनौतियाँ मौजूद हैं लेकिन भारत नीतिगत पहल और सहयोग के माध्यम से इन चुनौतियों का समाधान करने में सक्रिय रहा है। लिथियम उद्योग के सफल विकास से भारत की ऊर्जा सुरक्षा को बढ़ावा मिलने,आयात निर्भरता में कमी आने और विद्युत गतिशीलता को बढ़ावा मिलने के साथ स्वच्छ ऊर्जा को अपनाने में सहायता मिल सकती है।