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18 Aug 2023
सामान्य अध्ययन पेपर 1
इतिहास
दिवस-29. भारत की आजादी के बाद मणिपुर द्वारा एक स्वतंत्र राज्य के दर्जे की मांग क्यों की गई और किस कारण से इसका भारत में विलय हुआ था? (150 शब्द)
उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण:
- मणिपुर राज्य की अवस्थिति के बारे में बताते हुए भारत में इसके एकीकरण की प्रक्रिया की चर्चा कीजिये।
- चर्चा कीजिये कि मणिपुर ने भारत से स्वतंत्र दर्जा की मांग क्यों की थी।
- भारत में इसके विलय के कारणों पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष लिखिये।
मणिपुर भारत के उत्तर पूर्वी भाग में स्थित एक राज्य है। 21 जनवरी, 1972 को यह भारतीय संघ का पूर्ण राज्य बन गया। पूर्ण राज्य बनने से पहले, मणिपुर एक केंद्रशासित प्रदेश था।
- अपनी ऐतिहासिक संप्रभुता, विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान और स्वशासन की आकांक्षाओं के कारण भारत की स्वतंत्रता के बाद इसने एक स्वतंत्र राज्य के दर्जे की मांग की। हालाँकि कई कारकों से अंततः भारत में इसका विलय हुआ।
स्वतंत्रता की प्रारंभिक आकांक्षा:
- ऐतिहासिक संप्रभुता: ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन से पहले मणिपुर का एक संप्रभु राज्य होने का इतिहास था। इसके लोगों में एक स्वतंत्र इकाई के रूप में अपनी ऐतिहासिक पहचान पर गर्व था।
- वर्ष 1891 में खोंगजोम के युद्ध से ब्रिटिश औपनिवेशिक ताकतों के खिलाफ मणिपुर के प्रतिरोध से स्वायत्तता प्राप्त करने के लिए इसकी मज़बूत इच्छा का प्रदर्शन हुआ।
- सांस्कृतिक विशिष्टता: मणिपुर की अद्वितीय सांस्कृतिक विरासत, विशिष्ट भाषा और परंपराएँ हैं जो इसे शेष भारत से अलग करती हैं। यहाँ के लोगों ने महसूस किया कि स्वतंत्रता बनाए रखने से उनकी सांस्कृतिक पहचान बेहतर ढंग से संरक्षित रहेगी।
- मणिपुरी महिलाओं के नेतृत्व में वर्ष 1904 के नुपी लाल आंदोलन के दौरान विशिष्ट संस्कृति और जीवन शैली की रक्षा के लिये इनके दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन हुआ।
- स्वशासन: ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन का अनुभव करने के बाद, मणिपुरी लोग अपने शासन और प्रशासन पर नियंत्रण हासिल करने के लिये दृढ़ संकल्पित थे। उन्होंने एक ऐसी सरकार स्थापित करने की मांग की जो उनके हितों का प्रतिनिधित्व करती हो तथा स्थानीय स्वायत्तता सुनिश्चित करती हो।
भारत में विलय के कारक:
- भू-राजनीतिक परिवर्तन: द्वितीय विश्व युद्ध के बाद भू-राजनीतिक परिदृश्य तेजी से बदल रहा था और मणिपुर के एक स्वतंत्र राष्ट्र होने के विचार को अंतर्राष्ट्रीय संबंधों की जटिलताओं के कारण चुनौतियों का सामना करना पड़ा था।
- वैश्विक राजनीतिक परिदृश्य से बड़े राष्ट्र-राज्यों के गठन के कारण सुरक्षा और स्थिरता के क्रम में भारत के साथ जुड़ने से मणिपुर के फैसले पर प्रभाव पड़ा था।
- सुरक्षा संबंधी चिंताएँ: चीन और म्यांमार जैसे पड़ोसी देशों के साथ, मणिपुर को सुरक्षा खतरों का सामना करना पड़ा था। इन्हें ऐसा प्रतीत हुआ कि भारत के साथ जुड़ने से बाहरी दबावों के विरुद्ध एक मज़बूत सुरक्षा मिलेगी।
- वर्ष 1962 के भारत-चीन युद्ध के दौरान इस क्षेत्र के रणनीतिक महत्त्व पर प्रकाश पड़ने के कारण मणिपुर की स्वतंत्रता आकांक्षाओं का पुनर्मूल्यांकन हुआ।
- रियासतों का एकीकरण: रियासतों को भारतीय संघ में एकीकृत करने के भारत के प्रयासों ने मणिपुर की स्थिति को प्रभावित किया। इस क्रम में विलय पत्र पर हस्ताक्षर करने से भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बने।
- मणिपुर के महाराजा बोधचंद्र ने वर्ष 1949 में विलय पत्र पर हस्ताक्षर किये थे जिससे इस क्षेत्र के भारतीय संघ में एकीकरण के बारे में चर्चा शुरू हुई।
- लोकतांत्रिक मूल्य और शासन: भारतीय संविधान के तहत लोकतांत्रिक शासन और नागरिक स्वतंत्रता की सुरक्षा मिलने से मणिपुर के लोगों को विश्वास हुआ था कि भारत का हिस्सा होने से उनके लोगों के लिये अधिक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होगा।
- मणिपुर की राज्य संविधान समिति ने वर्ष 1947 में एक संविधान का मसौदा तैयार किया, जिसमें लोकतांत्रिक स्वशासन की इच्छा को दर्शाया गया था।
- लोगों की आकांक्षाएँ: समय के साथ मणिपुर में जनता की भावना पूर्ण स्वतंत्रता से हटकर भारत के अंदर एक ऐसी विशेष स्थिति की मांग हेतु प्रेरित हुई जो इसकी विशिष्ट पहचान और स्वायत्तता का सम्मान करती हो।
- जैसे भारत के साथ सहयोगात्मक संबंधों की वकालत करने वाले रिशांग कीशिंग जैसे नेताओं ने मणिपुर के लोगों की बदलती आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित किया।
अंततः अक्टूबर 1949 में मणिपुर ने भारत सरकार के साथ विलय समझौते पर हस्ताक्षर किये, जिसके परिणामस्वरूप इसे एक केंद्रशासित प्रदेश के रूप में और बाद में भारतीय संघ के तहत एक पूर्ण राज्य के रूप में शामिल किया गया। स्वतंत्रता की आकांक्षा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारकों में निहित थी लेकिन शासन, सुरक्षा तथा विकास की व्यावहारिक चुनौतियों ने भारत के साथ विलय के मणिपुर के निर्णय को आकार देने में भूमिका निभाई थी।