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दिवस-28: लिथियम-आयन बैटरी के विकास ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में कैसे क्रांति ला दी है? (150 शब्द)

17 Aug 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 3 | विज्ञान-प्रौद्योगिकी

दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर

दृष्टिकोण

  • ली-आयन बैटरियों के बारे में लिखकर परिचय दीजिए।
  • चर्चा करें कि कैसे ली-आयन बैटरियों के विकास ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में क्रांति ला दी है।
  • इस संबंध में कुछ सरकारी प्रयास लिखिए।
  • तद्नुसार निष्कर्ष लिखिये।

लिथियम-आयन बैटरी एक प्रकार की रिचार्जेबल बैटरी है जो अपने उच्च ऊर्जा घनत्व, दक्षता और अपेक्षाकृत कम स्व-निर्वहन दर के कारण विभिन्न अनुप्रयोगों में व्यापक रूप से उपयोग की जाती है। इनका उपयोग आमतौर पर पोर्टेबल इलेक्ट्रॉनिक्स, इलेक्ट्रिक वाहन (EV), नवीकरणीय ऊर्जा भंडारण प्रणालियों और अन्य आधुनिक प्रौद्योगिकियों में किया जाता है।

लिथियम-आयन बैटरियों द्वारा भारत में इलेक्ट्रिक वाहन उद्योग में क्रांति:

  • विस्तारित ड्राइविंग रेंज: लिथियम-आयन बैटरियां उच्च ऊर्जा घनत्व प्रदान करती हैं, जो EV को एक बार चार्ज करने पर लंबी ड्राइविंग रेंज प्राप्त करने में सक्षम बनाती हैं। इसने संभावित EV खरीदारों की प्रमुख चिंताओं में से एक - "रेंज चिंता" को संबोधित किया है।
    • उदाहरण के लिये, लिथियम-आयन बैटरी द्वारा संचालित टाटा निक्सन EV एक बार फुल चार्ज होने पर 300 किमी से अधिक की रेंज प्रदान करती है, जो इसे रोजमर्रा के आवागमन और लंबी दूरी की यात्रा के लिये उपयुक्त बनाती है।
  • EV को अपनाने में वृद्धि: कुशल और उच्च प्रदर्शन वाली लिथियम-आयन बैटरियों की उपलब्धता ने भारत में EV को अपनाने में तेज़ी ला दी है।
    • ब्लूमबर्ग NEF की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के EV बाजार में 2021 में 1.35 लाख इलेक्ट्रिक वाहनों की महत्त्वपूर्ण वृद्धि देखी गई, जो साल-दर-साल 19% की वृद्धि दर्शाता है।
  • तेज़ चार्जिंग क्षमताएँ: लिथियम-आयन बैटरियाँ तेज़ चार्जिंग करने में सक्षम हैं, जिससे EV को रिचार्ज करने में लगने वाला समय कम हो जाता है।
    • उदाहरण के लिये, TATA पावर ने MG मोटर्स के साथ मिलकर MG ZS EV मालिकों को समर्थन देने के लिये भारत में एक व्यापक फास्ट-चार्जिंग नेटवर्क स्थापित किया है।
  • बेहतर प्रदर्शन: लिथियम-आयन बैटरियाँ बेहतर शक्ति और त्वरण प्रदान करती हैं, जिससे EV के समग्र प्रदर्शन में सुधार होता है।
    • लिथियम-आयन बैटरी से लैस महिंद्रा E2 ओप्लस केवल 9.5 सेकंड में 0 से 60 किमी/घंटा की रफ्तार पकड़ सकती है, जो शहरी यात्रियों के लिये एक उत्साहपूर्ण ड्राइविंग अनुभव प्रदान करती है।
  • ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी: EVS में लिथियम-आयन बैटरी के संक्रमण के साथ, भारत में परिवहन क्षेत्र से ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी देखी जा रही है।
    • पारंपरिक आंतरिक दहन इंजन वाले वाहनों को EV से बदलकर, देश अपने कार्बन पदचिह्न को कम कर सकता है और वायु प्रदूषण से निपट सकता है। यह पेरिस समझौते के जलवायु लक्ष्यों के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के अनुरूप है।
  • EV विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि: EV के लिये पसंदीदा ऊर्जा भंडारण तकनीक के रूप में लिथियम-आयन बैटरी के उद्भव ने भारत के भीतर बैटरी निर्माण में निवेश को बढ़ावा दिया है।
    • टाटा केमिकल्स और सुज़ुकी मोटर कॉरपोरेशन जैसी प्रमुख कंपनियों ने घरेलू EV पारिस्थितिकी तंत्र को बढ़ावा देते हुए भारत में लिथियम-आयन बैटरी विनिर्माण सुविधाएँ स्थापित करने की योजना की घोषणा की है।
  • रोजगार के बढ़े अवसर:
    • लिथियम-आयन बैटरी द्वारा संचालित EV उद्योग की वृद्धि ने भारत में रोजगार के नए अवसर पैदा किये हैं। बैटरी सेल के निर्माण से लेकर चार्जिंग बुनियादी ढांचे के विकास तक, EV क्षेत्र देश के रोज़गार बाज़ार में महत्त्वपूर्ण योगदानकर्ता बन गया है।

सरकारी पहल:

  • राष्ट्रीय इलेक्ट्रिक मोबिलिटी मिशन योजना (NEMMP): NEMMP को भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) को व्यापक रूप से अपनाने के लक्ष्य के साथ 2013 में लॉन्च किया गया था।
  • भारत में (हाइब्रिड और) इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाना और विनिर्माण करना (फेम इंडिया): देश में इलेक्ट्रिक और हाइब्रिड वाहनों को अपनाने एवं विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये फेम इंडिया योजना शुरू की गई थी। यह योजना चार्जिंग बुनियादी ढाँचे और बैटरी स्वैपिंग स्टेशनों की स्थापना का भी समर्थन करती है।
  • चरणबद्ध विनिर्माण कार्यक्रम (PMP): सरकार ने लिथियम-आयन सेल और बैटरी के घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहित करने के लिये PMP की शुरुआत की।
  • उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (PLI) योजना: 2020 में, सरकार ने उन्नत रसायन सेल (ACC) बैटरी सहित विभिन्न क्षेत्रों में स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिये PLI योजना शुरू की, जिसमें लिथियम-आयन बैटरी शामिल हैं।
  • इलेक्ट्रॉनिक्स पर राष्ट्रीय नीति (NPE): 2019 में पेश की गई NPE में लिथियम-आयन बैटरी सहित इलेक्ट्रॉनिक घटकों के घरेलू उत्पादन को प्रोत्साहित करने और इलेक्ट्रॉनिक सामानों के आयात को कम करने के प्रावधान शामिल हैं।
  • गीगाफैक्ट्री स्थापित करना: घरेलू विनिर्माण क्षमताओं को मज़बूत करने के लिये, कई भारतीय कंपनियों ने लिथियम-आयन बैटरी के लिये गीगाफैक्ट्री स्थापित करने की योजना की घोषणा की है।

भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) ने जम्मू और कश्मीर में लगभग 5.9 मिलियन टन अनुमानित लिथियम संसाधनों की खोज की है यह इलेक्ट्रिक वाहन (EV) बैटरियों के लिये महत्त्वपूर्ण रणनीतिक तत्त्व है। इस खोज को भविष्य में टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल परिवहन समाधानों की दिशा में भारत के बदलाव में एक परिवर्तनकारी विकास के रूप में देखा जा रहा है।