शक्ति की सर्वोच्च अभिव्यक्ति स्वयं को शांत रखने तथा अपने पैरों पर खड़ा होने से है।”
-स्वामी विवेकानन्द (150 शब्द)
16 Aug 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न
दृष्टिकोण / व्याख्या / उत्तर
हल करने का दृष्टिकोण
- उद्धरण का अर्थ प्रस्तुत करके उत्तर प्रारंभ कीजिये।
- शक्ति की अभिव्यक्ति के अर्थ पर चर्चा कीजिये।
- शक्ति की उच्चतर अभिव्यक्ति कैसे प्राप्त की जाए, इस पर चर्चा कीजिये।
- तदनुसार निष्कर्ष निकालिये।
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उपरोक्त उद्धरण आंतरिक शक्ति और आत्मनिर्भरता के सार पर प्रकाश डालता है। यह इस विचार पर ज़ोर देता है कि वास्तविक शक्ति चुनौतियों और प्रतिकूलताओं के सामने संयम तथा आत्मनिर्भरता बनाए रखने से आती है।
शक्ति की उच्च अभिव्यक्ति का अर्थ:
शक्ति की उच्च अभिव्यक्ति चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों में नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों का पालन करने की क्षमता में निहित है।
- करुणा और सहानुभूति: दूसरों के प्रति करुणा और सहानुभूति प्रदर्शित करना, विशेष रूप से विपत्ति के समय में, सच्ची शक्ति का प्रदर्शन करता है। ज़रूरतमंद लोगों की मदद करना और समझदारी दिखाना व्यक्तियों एवं समुदायों पर गहरा प्रभाव डाल सकता है।
- कोविड-19 महामारी के दौरान, अक्सर अपनी जान जोखिम में डालकर, स्वास्थ्य कर्मियों ने मरीजों की अथक सेवा की। बीमारों और पीड़ितों के प्रति उनकी करुणा और सहानुभूति ने शक्ति की उच्च अभिव्यक्ति का प्रदर्शन किया।
- सत्यनिष्ठा और ईमानदारी: प्रलोभन या दबाव के बावजूद भी सत्यनिष्ठा और ईमानदारी को कायम रखना, चरित्र की शक्ति को दर्शाता है।
- एक भारतीय सिविल इंजीनियर, सत्येन्द्र दुबे ने सरकारी परियोजनाओं में भ्रष्टाचार को उजागर करके अत्यधिक ईमानदारी का परिचय दिया। अपने जीवन पर खतरों का सामना करने के बावजूद, उन्होंने ईमानदारी और नैतिक मूल्यों को बनाए रखने का फैसला किया और अंततः व्यापक भलाई के लिये अपने जीवन का बलिदान दे दिया।
- लचीलापन और दृढ़ता: लचीलेपन और दृढ़ता के साथ चुनौतियों पर काबू पाना आंतरिक शक्ति और दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित करता है। इसमें असफलताओं से उबरना और अटूट संकल्प के साथ लक्ष्य हासिल जारी रखना शामिल है।
- राष्ट्रीय स्तर की पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी अरुणिमा सिन्हा माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली विकलांग महिला बनीं। चलती ट्रेन से धक्का दिये जाने की दुखद घटना से बचने के बाद उसके लचीलेपन और दृढ़ता ने उसकी शक्ति की उच्च अभिव्यक्ति को दर्शाया।
- न्याय और निष्पक्षता: सभी व्यवहारों में न्याय और निष्पक्षता के लिये प्रयास करना नैतिक शक्ति को दर्शाता है। दूसरों के साथ न्यायसंगत व्यवहार करना और अन्याय के खिलाफ खड़ा होना ऐसे कार्य हैं जो नैतिक दृढ़ता को प्रदर्शित करते हैं।
- न्यायमूर्ति वी.आर. कृष्णा अय्यर प्रसिद्ध भारतीय न्यायाधीश सामाजिक न्याय के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के लिये जाने जाते थे। उन्होंने समाज के हाशिये पर मौजूद और उत्पीड़ित वर्गों के पक्ष में ऐतिहासिक फैसले दिये, जो निष्पक्षता और न्याय के प्रति उनके समर्पण को दर्शाता है।
- उदारता और परोपकारिता: बदले में कुछ भी अपेक्षा किये बिना दूसरों के कल्याण में योगदान देकर उदारता और परोपकारिता प्रदर्शित करना नैतिक शक्ति का सार है।
- भारतीय परोपकारी अज़ीम प्रेमजी ने अपनी संपत्ति का एक बड़ा हिस्सा शिक्षा और सामाजिक कार्यों के लिये दान कर दिया है। उनकी उदारता और परोपकारी प्रयासों ने समाज पर परिवर्तनकारी प्रभाव डाला है।
शक्ति की उच्च अभिव्यक्ति विकसित करने के तरीके:
शक्ति की उच्च अभिव्यक्ति प्राप्त करने के लिये सचेत प्रयास और व्यक्तिगत विकास की आवश्यकता होती है।
- भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करना: अपनी भावनाओं को प्रभावी ढंग से समझने और प्रबंधित करने के लिये भावनात्मक बुद्धिमत्ता विकसित करना। इसमें आत्म-जागरूकता, आत्म-नियमन, सहानुभूति और सामाजिक कौशल शामिल हैं।
- भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) अधिकारी डॉ. के. जयकुमार ने केरल के मलप्पुरम के ज़िला कलेक्टर के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान भावनात्मक बुद्धिमत्ता का प्रदर्शन किया। उन्होंने बाढ़ प्रभावित लोगों के प्रति सहानुभूति और करुणा दिखाई तथा उनकी ज़रूरतों को पूरा करने के लिये समुदायों के साथ सक्रिय रूप से जुड़े रहे।
- चुनौतियों के माध्यम से लचीलेपन को बढ़ावा देना: चुनौतियों और असफलताओं को विकास के अवसर के रूप में स्वीकार करना। असफलताओं से सीखकर और मज़बूती से वापसी करके लचीलापन विकसित करना।
- दृष्टिबाधित आईएएस अधिकारी उम्मुल खेर ने अपनी यात्रा के दौरान बाधाओं और प्रतिकूलताओं को पार करते हुए उल्लेखनीय सफलता हासिल की।
- आंतरिक शक्ति विकसित करना: आंतरिक शक्ति और मानसिक दृढ़ता का निर्माण करने के लिये सचेतनता, ध्यान या आत्मनिरीक्षण का अभ्यास करना। अपने आंतरिक स्व को मज़बूत करने से आप कठिनाइयों का सामना संयम से कर सकते हैं।
- आईएएस अधिकारी इरा सिंघल, जिन्होंने शारीरिक चुनौतियों का सामना करने के बावजूद यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में प्रथम रैंक हासिल की, ने उल्लेखनीय आंतरिक शक्ति और दृढ़ संकल्प का प्रदर्शन किया।
- सत्यनिष्ठा और नैतिकता को बढ़ावा देना: जीवन और निर्णय लेने के सभी पहलुओं में सत्यनिष्ठा, ईमानदारी और नैतिक आचरण को बनाए रखें। नैतिक मूल्यों का पालन करने से विश्वसनीयता और चरित्र की मज़बूती का निर्माण होता है।
- भारतीय प्रशासनिक सेवा के पूर्व अधिकारी टी.एन. शेषन, जिन्होंने भारत के मुख्य निर्वाचन आयुक्त के रूप में कार्य किया, को स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव सुनिश्चित करने के लिये उनकी अटल ईमानदारी और अथक प्रयासों के लिये याद किया जाता है।
- निरंतर सीखने का प्रयास करना: विकास की मानसिकता अपनाएँ और लगातार ज्ञान और कौशल की तलाश करें। सीखने-उन्मुख दृष्टिकोण अपनाने से अनुकूलनशीलता और नई चुनौतियों से निपटने की क्षमता को बढ़ावा मिलता है।
- आर. नटराजन, एक आईएएस अधिकारी, ई-गवर्नेंस पहल को लागू करने में अपने सक्रिय और अभिनव दृष्टिकोण के लिये जाने जाते हैं, जो तेज़ी से विकसित हो रही दुनिया में अद्यतन और प्रासंगिक बने रहने के लिये निरंतर सीखने के महत्त्व को दर्शाता है।
शक्ति की उच्च अभिव्यक्ति प्राप्त करने के लिये आत्म-जागरूकता, आत्म-सुधार और नैतिक आचरण की आवश्यकता होती है। उनके उदाहरणों का अनुकरण करके तथा इन सिद्धांतों को अपने जीवन में शामिल करके, हम जीवन की परीक्षाओं का अनुग्रह और साहस के साथ सामना करने के लिये अपनी आंतरिक शक्ति और लचीलापन विकसित कर सकते हैं।