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  • 16 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 3 आंतरिक सुरक्षा

    दिवस-27. 'हाइब्रिड युद्ध (Hybrid warfare)' की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए शत्रु राष्ट्रों द्वारा किये जाने वाले इस प्रकार के युद्ध का मुकाबला करने हेतु आवश्यक उपायों पर चर्चा कीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • हाइब्रिड युद्ध और इसकी विशेषताओं को परिभाषित कीजिये।
    • इसकी वृद्धि के कारणों पर चर्चा कीजिये।
    • इससे निपटने के उपायों पर चर्चा कीजिये।
    • यथोचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    हाइब्रिड युद्ध संघर्ष का एक आधुनिक और जटिल रूप है जो रणनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिये पारंपरिक सैन्य रणनीति, अनियमित युद्ध तथा अन्य गैर-पारंपरिक तरीकों से संबंधित है।

    • यह पारंपरिक युद्ध और गैर-सैन्य रणनीति के बीच के अंतर को कम कर देता है, जिसमें अक्सर वांछित परिणाम प्राप्त करने के लिये सैन्य बल, राजनीतिक हेरफेर, आर्थिक दबाव, साइबर हमले, दुष्प्रचार अभियान और अन्य साधनों का संयोजन शामिल होता है।

    हाइब्रिड युद्ध के प्रमुख तत्वों में निम्नलिखित शामिल हैं:

    • सैन्य और गैर-सैन्य रणनीति का मिश्रण: हाइब्रिड युद्ध में भ्रम पैदा करने और प्रतिद्वंद्वी की प्रतिक्रिया को बाधित करने के लिये पारंपरिक सैन्य कार्रवाइयों, अनियमित रणनीति (जैसे विद्रोह और गुरिल्ला युद्ध), आर्थिक दबाव, साइबर और मनोवैज्ञानिक रणनीतियों को अपनाना शामिल होता है।
    • सूचना युद्ध: इसके तहत जनमत को प्रभावित करने, सामाजिक एकजुटता को कमज़ोर करने और लक्षित समाज के अंदर आंतरिक विभाजन पैदा करने के लिये सूचना में हेराफेरी, गलत सूचना फैलाना और प्रचार का उपयोग करना शामिल है।
    • आर्थिक दबाव: इसमें प्रतिद्वंद्वी की अर्थव्यवस्था को कमज़ोर करने और उसकी प्रतिरोध करने की क्षमता को कम करने के लिये आर्थिक प्रतिबंध लगाना, व्यापार में व्यवधान या वित्तीय हेरफेर करना शामिल है।
    • राजनीतिक विपथन: इसमें विपक्षी समूहों को गुप्त समर्थन देने, अलगाववाद को बढ़ावा देने या कलह को बढ़ावा देकर सरकारी संस्थानों की वैधता को कम करना शामिल है।

    हाइब्रिड युद्ध के बढ़ने के कारण:

    • तकनीकी प्रगति: प्रौद्योगिकी में तीव्र प्रगति (विशेष रूप से डिजिटल और साइबर डोमेन में) से हाइब्रिड युद्ध के संचालन हेतु नए रास्ते मिले हैं।
      • वर्ष 2019 में भारत को एक प्रमुख साइबर हमले का सामना करना पड़ा जब संदिग्ध चीनी हैकरों ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) और राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र (NIC) सहित देश के महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचेको निशाना बनाया गया।
    • बदलती भू-राजनीतिक गतिशीलता: वैश्विक शक्ति संतुलन में बदलाव के कारण प्रत्यक्ष सैन्य आक्रामकता के बिना अपना प्रभाव और नियंत्रण बढ़ाने के लिये हाइब्रिड युद्ध का उपयोग किया जाता है।
      • भारत-चीन संबंधों के संदर्भ में चीन पर दक्षिण चीन सागर तथा भारत के साथ सीमा क्षेत्रों से संबंधित हितों के संदर्भ में आर्थिक दबाव सहित हाइब्रिड युद्ध रणनीति का उपयोग करने का आरोप लगाया जाता है।
    • गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं द्वारा असममित रणनीतियाँ अपनाना: आतंकवादी संगठनों और विद्रोही समूहों जैसे गैर-राज्य अभिकर्त्ताओं ने राज्य प्राधिकारियों को चुनौती देने के लिये हाइब्रिड युद्ध तकनीकों को तेज़ी से अपनाया है।
      • लश्कर-ए-तैयबा (Let) द्वारा किये गए वर्ष 2008 के मुंबई हमलों में अपने प्रभाव को अधिकतम करने के साथ भय और अस्थिरता पैदा करने के लिये पारंपरिक आतंकवादी रणनीतियों, साइबर संचार एवं मीडिया हेरफेर को अपनाया गया था।
    • दुष्प्रचार फैलाने के साथ ऑपरेशन को प्रभावी बनाना: सोशल मीडिया प्लेटफार्मों और ऑनलाइन चैनलों के माध्यम से दुष्प्रचार का प्रसार करना जनता के दृष्टिकोण को आकार देने, कलह पैदा करने और सरकारी संस्थानों में विश्वास को कम करने का एक शक्तिशाली उपकरण बन गया है।
      • वर्ष 2019 में भारत-पाकिस्तान तनाव के दौरान, तनाव तथा संकट को बढ़ाने के लिये सोशल मीडिया पर दुष्प्रचार अभियान और फर्जी खबरें प्रसारित की गई थीं।

    भारत के लिये हाइब्रिड युद्ध से निपटने के उपाय:

    • साइबर सुरक्षा क्षमताओं को बढ़ाना: साइबर हमलों से बचाव तथा महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे की सुरक्षा के लिये भारत की साइबर सुरक्षा क्षमताओं को मज़बूत करना आवश्यक है। उन्नत प्रौद्योगिकियों, खुफिया जानकारी और कुशल कर्मियों के क्षेत्र में निवेश करना महत्त्वपूर्ण है।
    • सूचना तक पहुँच को सुलभ बनाना: गलत सूचना की पहचान करने और उसका समाधान करने के बारे में नागरिकों को शिक्षित करने के लिये मीडिया साक्षरता एवं डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देना आवश्यक है। फर्जी खबरों और दुष्प्रचार के प्रसार को रोकने के लिये सोशल मीडिया प्लेटफार्मों के साथ सहयोग करना चाहिये।
    • खुफिया एवं निगरानी तंत्र को मज़बूत करना: हाइब्रिड युद्ध गतिविधियों में शामिल संभावित खतरों और विरोधियों की पहचान करने के लिये खुफिया जानकारी एकत्र करने तथा विश्लेषण क्षमताओं में सुधार करने की आवश्यकता है। क्रॉस-एजेंसी समन्वय एवं सूचना-साझाकरण तंत्र को भी मज़बूत करना चाहिये।
    • प्रतिक्रिया विकल्पों में विविधता लाना: एक ऐसी लचीली और अनुकूल प्रतिक्रिया रणनीति विकसित करनी चाहिये जिसमें विभिन्न खतरों का मुकाबला करने के लिये राजनयिक, आर्थिक और सैन्य उपकरण शामिल हों। जागरूकता बढ़ाने तथा सहयोग प्राप्त करने के लिये अंतरराष्ट्रीय मंचों पर सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिये।
    • सॉफ्ट पावर कूटनीति पर ध्यान देना: सकारात्मक छवि प्रस्तुत करने, गठबंधन को बढ़ावा देने तथा भारत की प्रतिष्ठा को निशाना बनाने वाले गलत सूचना अभियानों का मुकाबला करने के लिये भारत को सॉफ्ट पावर रणनीतियों का उपयोग करना चाहिये।

    इन उपायों को लागू करके भारत हाइब्रिड युद्ध के खतरों के खिलाफ अपनी अनुकूलन क्षमता को मज़बूत करने के साथ अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने के साथ अपनी सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा दे सकता है।

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