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  • 16 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 1 भूगोल

    दिवस-27. भूमि अवतलन (धँसाव) को परिभाषित करते हुए हिमालय क्षेत्र में इस घटना हेतु उत्तरदायी कारकों की चर्चा कीजिये। (150 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • भूमि अवतलन को परिभाषित कीजिये।
    • हिमालय क्षेत्र में इस घटना हेतु उत्तरदायी कारणों पर चर्चा कीजिये।
    • यथोचित निष्कर्ष दीजिये।

    परिचय:

    नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन (NOAA) के अनुसार, "भूमिगत पदार्थों में हलचल के कारण भूमि के संकुचन को भूमि अवतलन कहा जाता है।

    • यह मानव निर्मित (जैसे खनन गतिविधियों के साथ-साथ जल, तेल या प्राकृतिक संसाधनों का दोहन) या प्राकृतिक कारणों से हो सकता है।
    • भूकंप, मृदा अपरदन और मिट्टी का विरूपण भी धँसाव के कुछ प्रमुख कारण हैं।

    हिमालय क्षेत्र में भूमि अवतलन के कारण:

    प्राकृतिक कारण:

    • विवर्तनिकी गतिविधियाँ: भारतीय और यूरेशियन प्लेटों के बीच टकराव होने के कारण हिमालय भूकंपीय रूप से सक्रिय क्षेत्र है। भूकंप और भ्रंश के कारण ज़मीन खराब हो सकती है और बैठ सकती है, जिससे भूमि का अवतलन हो सकता है।
      • उदाहरण के लिये नेपाल में वर्ष 2015 के भूकंप के परिणामस्वरूप प्रभावित क्षेत्रों में व्यापक भूमि अवतलन हुआ।
    • हिमनदों का पिघलना: जलवायु परिवर्तन के कारण हिमालय क्षेत्र में तेज़ी से हिमनद पिघल रहे हैं। इससे भूमि धंसने लगती है।
      • उदाहरण के लिये नेपाल के कुछ हिस्सों में हिमनदों के पिघलने से आसपास के क्षेत्रों में भूमि का संकुचन देखा गया।
    • जलवायु-प्रेरित परिवर्तन: वर्षा प्रतिरूप में परिवर्तन और वर्षा की तीव्रता में वृद्धि से भूमि की स्थिरता प्रभावित हो सकती है जिससे भूमि अवतलन में योगदान मिल सकता है।
      • उदाहरण: उच्च वर्षा की घटनाओं (विशेष रूप से मानसून के मौसम के दौरान) से भूस्खलन और मृदा क्षरण को बढ़ावा मिल सकता है, जिससे हिमालय के पहाड़ी क्षेत्रों में भूमि अवतलन हो सकता है।
        • उत्तराखंड में भूस्खलन का एक प्रमुख कारण बादल फटना है।

    मानव जनित कारण:

    • भूजल निष्कर्षण: सिंचाई और शहरीकरण जैसे विभिन्न उद्देश्यों के लिये भूजल का अत्यधिक दोहन, भूमि अवतलन का कारण बन सकता है।
      • उदाहरण: हिमालय क्षेत्र के सिंधु-गंगा के मैदानी इलाकों में, तेज़ी से शहरीकरण और कृषि विस्तार के कारण अत्यधिक भूजल दोहन हुआ है, जिसके परिणामस्वरूप महत्त्वपूर्ण भूमि अवतलन हुआ है।
    • खनन गतिविधियाँ: हिमालय क्षेत्र में अनियोजित और अनियमित खनन कार्य से भू-पर्पटी का क्षरण होने के कारण भूमि अवतलन हो सकता है।
      • उदाहरण: झारखंड में झरिया जैसे क्षेत्रों में व्यापक भूमिगत कोयला खनन के परिणामस्वरूप भूमि का अवतलन हुआ।
    • शहरीकरण और बुनियादी ढाँचे का विकास: तीव्र शहरीकरण एवं बाँधों तथा सड़कों जैसे व्यापक स्तर के बुनियादी ढाँचे के विकास से भूमि अवतलन को योगदान मिल सकता है। भारी संरचनाओं और इमारतों के वजन से भूमि धँस सकती है।
      • इसका एक उदाहरण हिमालयी क्षेत्र के कुछ शहरी केंद्रों में देखा जा सकता है जहाँ बुनियादी ढाँचे के विकास के कारण भू- अवतलन हो रहा है।
        • हाल ही में जोशीमठ में भूमि अवतलन बड़े पैमाने पर होने वाले बुनियादी ढाँचे के विकास के कारण हुआ।

    हिमालय क्षेत्र में भूमि अवतलन से निपटने के उपाय:

    • सतत् जल प्रबंधन: वर्षा जल संचयन और जल पुनर्चक्रण जैसी कुशल जल प्रबंधन प्रथाओं को लागू करने से अत्यधिक भूजल दोहन को कम करने एवं भूस्खलन को कम करने में मदद मिल सकती है।
    • निगरानी और प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली: ज़मीनी गतिविधियों और भूकंपीय गतिविधियों पर नज़र रखने के लिये निगरानी नेटवर्क स्थापित करने से संभावित भूस्खलन तथा भूकंप से संबंधित खतरों के बारे में प्रारंभिक चेतावनी मिल सकती है।
    • खनन और संसाधन निष्कर्षण को विनियमित करना: खनन गतिविधियों और संसाधन निष्कर्षण पर सख्त नियम लागू करने से भूमि अवतलन के जोखिम को कम किया जा सकता है।
    • जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करना: जलवायु परिवर्तन की समस्या के समाधान जैसे कि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना एवं सतत् प्रथाओं को बढ़ावा देने के द्वारा हिमनदों के पिघलने की दर को धीमा किया जा सकता है और अवतलन को कम किया जा सकता है।
    • बेहतर शहरी नियोजन: बेहतर शहरी नियोजन को अपनाने तथा बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं में मृदा की स्थिरता पर विचार करने से भूमि अवतलन पर मानवीय गतिविधियों के प्रभाव को कम किया जा सकता है।
    • भूस्खलन संवेदनशील मानचित्रों के साथ बुनियादी ढाँचे के विकास को एकीकृत करना: भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण (GSI) द्वारा विकसित भूकोश वेब पोर्टल में देश में भूस्खलन संभावित क्षेत्रों के भूस्खलन संवेदनशील मानचित्र और भूस्खलन से संबंधित डेटा है।
      • इस डेटा का उपयोग उन क्षेत्रों की पहचान करने के लिये किया जा सकता है जो भूस्खलन के उच्च जोखिम में हैं और इन क्षेत्रों में बुनियादी ढाँचे तथा विकास की योजना इस तरह से बनाई जा सकती है जिससे आपदाओं के जोखिम को कम किया जा सके।

    हिमालय क्षेत्र में भूमि अवतलन में योगदान देने वाले कारकों को समझकर तथा उचित उपायों को लागू करके, इसके प्रभाव को कम करना तथा इस क्षेत्र में सतत् विकास को बढ़ावा देना संभव है।

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