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  • 15 Aug 2023 सामान्य अध्ययन पेपर 2 राजव्यवस्था

    दिवस-26. भारत में कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) को लागू करने से संबंधित लाभों एवं चुनौतियों पर चर्चा कीजिये। CSR को और भी अधिक प्रभावी तथा समावेशी किस प्रकार बनाया जा सकता है? भारत में कुछ सफल CSR पहलों के उदाहरण दीजिये। (250 शब्द)

    उत्तर

    हल करने का दृष्टिकोण:

    • CSR को परिभाषित कीजिये और भारत में इसकी प्रासंगिकता और महत्त्व का संक्षेप में उल्लेख कीजिये। आप भारत में कानूनी ढाँचे और CSR के मुख्य क्षेत्रों का भी उल्लेख कर सकते हैं।
    • CSR के लाभों और चुनौतियों पर चर्चा कीजिये और इसके बेहतर कार्यान्वयन के लिये उपाय सुझाइये।
    • कुछ सफल CSR पहलों पर चर्चा कीजिये।
    • मुख्य बिंदुओं को संक्षेप में प्रस्तुत करते हुए और भारत में CSR में सुधार के लिये कुछ सुझाव या सिफारिशें देते हुए निष्कर्ष लिखिये।

    उत्तर:

    कॉर्पोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR ) एक अवधारणा है जो किसी कंपनी द्वारा अपने व्यवसाय संचालन के सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों तथा अपने हितधारकों के हितों को संबोधित करने के लिये की गई स्वैच्छिक कार्रवाइयों को संदर्भित करती है। भारत में CSR ने कंपनी अधिनियम, 2013 के कानून के बाद गति पकड़ी है, जिसने कुछ कंपनियों के लिये पिछले तीन वर्षों के अपने औसत नेट लाभ का कम से कम 2% CSR गतिविधियों पर खर्च करना अनिवार्य कर दिया है।

    भारत में CSR लागू करने के अनेक लाभ हैं। उनमें से कुछ हैं:

    • CSR कंपनी की ब्रांड छवि और प्रतिष्ठा को बेहतर बनाने के साथ-साथ ग्राहक के प्रति ईमानदारी और विश्वास को बढ़ाने में मदद कर सकता है।
    • CSR एक सकारात्मक कार्य संस्कृति और वातावरण बनाकर प्रतिभा को आकर्षित करने तथा बनाए रखने के साथ-साथ कर्मचारियों को प्रेरित एवं संलग्न करने में भी मदद कर सकता है।
    • CSR गरीबी, शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण आदि के मुद्दों को संबोधित करके और सतत् विकास लक्ष्यों (SDGs) के साथ संरेखित करके देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में योगदान दे सकता है।
    • CSR नैतिक मानकों और सर्वोत्तम प्रथाओं का पालन करके नियामक अनुपालन, मुकदमेबाजी और प्रतिष्ठित क्षति से जुड़े जोखिमों तथा लागतों को कम करने में भी मदद कर सकता है।
    • CSR व्यवसाय की दीर्घकालिक स्थिरता और लाभप्रदता को बढ़ाकर, शेयरधारकों एवं हितधारकों के लिये मूल्य निर्माण भी कर सकता है।

    भारत में CSR के प्रभावी कार्यान्वयन में बाधा डालने वाली चुनौतियाँ:

    • CSR के लिये कानूनी ढाँचे और दिशानिर्देशों में स्पष्टता तथा स्थिरता का अभाव, साथ ही CSR गतिविधियों की परिभाषा एवं दायरे में अस्पष्टता।
    • कॉर्पोरेट क्षेत्र के साथ-साथ आम जनता के बीच CSR के बारे में जागरूकता और समझ की कमी के कारण भागीदारी और जुड़ाव कम है।
    • CSR में शामिल विभिन्न हितधारकों जैसे- सरकार, गैर सरकारी संगठन, नागरिक समाज आदि के बीच समन्वय और सहयोग की कमी, जिसके परिणामस्वरूप दोहराव एवं अक्षमता होती है।
    • CSR गतिविधियों के प्रभाव और परिणामों को मापने के साथ-साथ पारदर्शिता एवं जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये निगरानी तथा मूल्यांकन तंत्र का अभाव।
    • CSR पहलों को डिजाइन करने और लागू करने के साथ-साथ समाज की उभरती तथा जटिल चुनौतियों का समाधान करने में नवाचार एवं रचनात्मकता की कमी।

    भारत में CSR को अधिक प्रभावी और समावेशी बनाने के लिये, कुछ संभावित कदम हैं:

    • स्पष्ट परिभाषाएँ, मानदंड, संकेतक, रिपोर्टिंग प्रारूप आदि प्रदान करके, साथ ही अनुपालन और प्रवर्तन सुनिश्चित करके CSR के लिये कानूनी ढाँचे और दिशानिर्देशों को मज़बूत करना।
    • CSR के लाभों, सर्वोत्तम प्रथाओं, सफलता की कहानियों आदि पर प्रकाश डालते हुए, कॉर्पोरेट क्षेत्र के साथ-साथ आम जनता के बीच CSR के लिये जागरूकता और संवेदीकरण अभियान बनाना।
    • CSR में शामिल विभिन्न हितधारकों के बीच संवाद, आदान-प्रदान, सीखने आदि के लिये मंच बनाकर साझेदारी और सहयोग को बढ़ावा देना, साथ ही उनकी संबंधित शक्तियों और संसाधनों का लाभ उठाना।
    • डेटा-संचालित उपकरणों, विधियों, मानकों आदि का उपयोग करके, साथ ही पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करके CSR गतिविधियों के प्रभाव एवं परिणामों का आकलन करने के लिये निगरानी तथा मूल्यांकन प्रणाली विकसित करना।
    • प्रौद्योगिकी, डिजिटल प्लेटफॉर्म, सोशल मीडिया आदि का उपयोग करके CSR पहल को डिजाइन और कार्यान्वित करने में नवाचार एवं रचनात्मकता को प्रोत्साहित करना, साथ ही समाज की उभरती और जटिल चुनौतियों का समाधान करना।

    भारत में सफल CSR पहल के कुछ उदाहरण:

    • एचडीएफसी बैंक लिमिटेड की 'परिवर्तन' पहल, जो शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, वित्तीय समावेशन, ग्रामीण विकास, पर्यावरण संरक्षण आदि में विभिन्न व्यवधानों को कवर करती है, 7.5 करोड़ से अधिक लाभार्थियों तक पहुँचती है।
    • टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज लिमिटेड का 'वयस्क साक्षरता कार्यक्रम' जो अनपढ़ वयस्कों को पढ़ना, लिखना और अंकगणित कौशल सिखाने के लिये कंप्यूटर आधारित कार्यात्मक साक्षरता पद्धति का उपयोग करता है।
    • ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉर्पोरेशन लिमिटेड की 'ओएनजीसी ग्रीन' पहल जो अपने परिचालन क्षेत्रों में सौर ऊर्जा संयंत्रों, बायोगैस संयंत्रों, विंड फार्मों आदि जैसे नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।
    • इंफोसिस लिमिटेड का 'ई-एजुकेशन प्रोग्राम' जो 18 राज्यों में वंचित पृष्ठभूमि के 1.5 लाख से अधिक छात्रों को डिजिटल शिक्षण समाधान प्रदान करता है।

    CSR भारत में कॉर्पोरेट क्षेत्र का एक महत्त्वपूर्ण और लाभकारी पहलू है, क्योंकि यह देश के सामाजिक और आर्थिक विकास में योगदान दे सकता है, साथ ही व्यवसायों की प्रतिष्ठा एवं स्थिरता को भी बढ़ा सकता है। हालाँकि, CSR को अधिक प्रभावी और समावेशी बनाने के लिये कुछ चुनौतियाँ भी हैं जिन्हें दूर करने की आवश्यकता है, जैसे कानूनी ढाँचे में सुधार, जागरूकता पैदा करना, साझेदारी को बढ़ावा देना, निगरानी तथा मूल्यांकन प्रणाली विकसित करना और नवाचार एवं रचनात्मकता को प्रोत्साहित करना।

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