दिवस-25. इच्छाओं और आवश्यकताओं के बीच मुख्य अंतर क्या हैं? सामाजिक प्रभाव इन दो अवधारणाओं के संदर्भ में व्यक्तिगत धारणाओं एवं प्राथमिकताओं को किस प्रकार आकार देते हैं? (150 शब्द)
14 Aug 2023 | सामान्य अध्ययन पेपर 4 | सैद्धांतिक प्रश्न
हल करने का दृष्टिकोण:
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परिचय:
इच्छाएँ एवं आवश्यकताएँ दो ऐसी मूलभूत अवधारणाएँ हैं जो मानव जीवन में लोभ और आवश्यकताओं के बीच अंतर करने में मदद करती हैं।
इच्छाएँ | आवश्यकताएँ | |
परिभाषा | इसका आशय वस्तुओं एवं सेवाओं की उस आवश्यकता से है जो जीवित रहने के लिये आवश्यक नहीं हैं, लेकिन जीवन में उनसे अधिक आराम या आनंद की प्राप्ति होती है। | बुनियादी अस्तित्व, स्वास्थ्य और कल्याण के लिये आवश्यक वस्तुओं एवं सेवाओं की मात्रा को आवश्यकता के रूप में संदर्भित किया जाता है। ये मानव अस्तित्व के लिये आवश्यक हैं। |
उदाहरण | फैंसी गैजेट, लक्जरी छुट्टियां, डिज़ाइनर कपड़े, मनोरंजन, आदि। | भोजन, जल, आश्रय, कपड़े, स्वास्थ्य देखभाल, शिक्षा आदि। |
प्रकृति | व्यक्तिपरक और सांस्कृतिक, समाज एवंव्यक्तिगत प्राथमिकताओं से प्रभावित। | वस्तुनिष्ठ और सार्वभौमिक, संस्कृति या व्यक्तिगत प्राथमिकताओं की परवाह किये बिना सभी व्यक्तियों के लिये आवश्यक। |
पूर्ति | इच्छाएँ पूरी करने से संतुष्टि और आनंद मिल सकता है, लेकिन उन्हें पूरा न करने से अस्तित्व को खतरा नहीं होता है। | जीवित रहने और समग्र कल्याण के लिये आवश्यकताओं को पूरा करना महत्त्वपूर्ण है। आवश्यकताएँ पूरी न करने से प्रतिकूल परिणाम हो सकते हैं एवं स्वास्थ्य तथा जीवन की गुणवत्ता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। |
प्रभाव | इच्छाएँ विज्ञापन, साथियों के दबाव और सामाजिक रुझानों से प्रभावित हो सकती हैं। | आवश्यकताएँ मनुष्य में निहित शारीरिक और सुरक्षा आवश्यकताओं से प्रभावित होती हैं। |
सामाजिक प्रभाव से व्यक्तिगत इच्छाओं और आवश्यकताओं को आकार मिलता है जैसे:
इच्छाओं और आवश्यकताओं के बीच संतुलन की ज़रूरत:
"इच्छा ही दुख का मूल कारण है।" इस उद्धरण में गौतम बुद्ध इस बात पर प्रकाश डालते हैं कि इच्छाएँ और आसक्ति मानव पीड़ा के अंतर्निहित कारण हैं। उनके द्वारा जीवन में सादगी को अपनाने तथा जो कुछ भी हमारे पास है उसके लिये आभारी रहने के साथ क्षणभंगुर इच्छाओं को पूरा करने के बजाय अपनी वास्तविक ज़रूरतों को पूरा करने पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया गया है। अनावश्यक इच्छाओं को त्यागकर हम संतुष्टि और आंतरिक शांति पा सकते हैं।